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देश में राहुल गांधी, विदेश में जार्ज सोरोस, अडानी कथा चालू आहे!

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अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को 2023 को रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था और अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया था। और अब देश में हो रहे जी-20 से पहले हिंडनबर्ग का दूसरा संस्करण 31 अगस्त 2023 को ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (OCCRP) द्वारा लाया गया। इसके वर्तमान संपादक आनंद मंगनाले हैं जो चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। इससे इसकी साजिश को समझा जा सकता है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट केवल मोदी सरकार की छवि खराब करने के लिए नहीं लाई गई थी बल्कि भारत में विकास की रफ्तार को रोकने का एक षडयंत्र था। OCCRP की रिपोर्ट भी उसी षडयंत्र का एक हिस्सा है। वे भारत में उद्योगों को ध्वस्त करना चाहते हैं, वे देश के छोटे निवेशकों के विश्वास को तोड़ना चाहते हैं, वे विदेशी निवेशकों के भारत में विश्वास को डिगाना चाहते हैं। लेकिन वे अपने मकसद में पिछली बार की तरह ही नाकामयाब होंगे।

ये नया भारत है, झुकना नहीं जनता
वे भूल गए, ये नया भारत है। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिनपर देश की जनता अटूट विश्वास करती है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में छोटे निवेशकों को कुछ नुकसान भी पहुंचा लेकिन पीएम मोदी पर उनका भरोसा कायम रहा। अब इससे तिलमिलाए राहुल गांधी, लेफ्ट लिबरल गैंग और अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस ने जी-20 की बैठक से पहले फिर से अडानी का जिन्न बोतल से निकाला है। पीएम मोदी के देश के समग्र विकास के संकल्प की वजह से विपक्षी पार्टियों को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है इसीलिए वे ले-देकर अडानी मामले पर आ जाते हैं। क्या वजह है कि देश में लेफ्ट लिबरल और राहुल गांधी और विदेश में जार्ज सोरोस की फंडिंग से चलने वाली संस्थाएं लगातार अडानी मुद्दा उठाकर देश को विकास की पटरी से उतारना चाहती हैं। आखिर इनके बीच क्या संबंध है?

देश को बदनाम करने के लिए जी-20 से पहले OCCRP रिपोर्ट
अडानी के खिलाफ OCCRP की रिपोर्ट देश में जी-20 की बैठक से करीब एक हफ्ते पहले 31 अगस्त 2023 को जारी की गई और मीडिया की सुर्खियां बनीं। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कि गौतम अडानी ग्रुप द्वारा शेयरों के साथ गड़बड़ी का मामला हुआ है। OCCRP की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीकों से खुद अपने शेयर्स खरीद कर के स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश कर रखा है। OCCRP के वर्तमान संपादक आनंद मंगनाले हैं जो चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। OCCRP को जार्ज सोरोस के OSF और फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। ऐसे आरोपों का अडानी ग्रुप द्वारा अपने मीडिया स्टेटमेंट में खंडन किया गया है।

OCCRP की रिपोर्ट के लेखक आनंद मंगनाले और रवि नायर
OCCRP की रिपोर्ट के लेखक आनंद मंगनाले और रवि नायर हैं। आनंद मंगनाले चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। रवि नायर ने राफेल पर प्रजंय गुहा ठाकुरता के साथ मिलकर एक किताब लिखी है! इन्हीं लोगों का समूह हिंडनबर्ग रिपोर्ट और बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री लेकर आया था। इन दोनों ही रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा काफी सक्रिय थी। वजह जानना चाहते हैं?हिंडनबर्ग रिसर्च के मालिक नाथन एंडरसन और ANSON group के मालिक मोएज कसम के बीच क्या संबंध है यह जानने के लिए इस रिपोर्ट को पढ़िए- क्या अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में एन्सन फंड शामिल थे? मोएज कसम एक एनजीओ चलाते हैं जिसमें उनकी पत्नी एनजीओ की सह-संस्थापक हैं। Moez Kassam की पत्नी, Marissa Kassam 2013 से पहले JP Morgan के साथ काम कर रही थीं! Marissa Kassam जेपी मॉर्गन चेस के साथ उसी अवधि में काम कर रही थी जब महुआ मोइत्रा जेपी मॉर्गन चेज़ की उपाध्यक्ष थीं! इससे साफ होता है कि महुआ मोइत्रा हिंडनबर्ग रिपोर्ट को साझा करने के लिए इतनी लालायित क्यों थी।

अडानी समूह ने कहा- भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता पर हमला
इसी बीच अडानी समूह ने ऑर्गेनाइडज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) द्वारा लगाए गए छिपे विदेशी निवेशकों के ‘दोबारा थोपे गए’ आरोपों को कड़ाई से अस्वीकार किया है। अडानी ग्रुप ने एक मीडिया स्टेटमेंट में कहा कि हम अडानी ग्रुप पर लगाए गए ऐसे आरोपों को अस्वीकार करते हैं। इस आशय की खबरें जो प्रकाशित हुई, वो हिंडनबर्ग रिपोर्ट के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित एक कोशिश है, जो कि अप्रत्याशित है। अडानी समूह ने इससे पहले हिंडनबर्ग के दावों को खारिज करते हुए इसे ‘भारत पर सुनियोजित हमला’ बताया था। इसने कहा कि फर्म की रिपोर्ट ‘भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता’ पर हमला थी। अडानी समूह ने कहा कि ऐसी खबरें हिंडनबर्ग की नाकारा रिपोर्ट को दोबारा हवा देने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग के समर्थन से जॉर्ज सोरोस-फंडेड OCCRP की एक और कोशिश है।

‘द गार्डियन’ ने अडानी को पीएम मोदी का करीबी बताकर प्रोपेगेंडा फैलाया
जॉर्ज सोरोस-फंडेड OCCRP ने पीएम मोदी की छवि को बदनाम करने के लिए एक प्रोपेगेंडा फैलाया और जॉर्ज सोरोस-फंडेड मीडिया को एक टूलकिट मिल गया। ‘द गार्डियन’ की खबर से समझा जा सकता है कि वे किस तरह इस मुद्दे को पीएम मोदी से जोड़कर हवा देना चाहते हैं। ‘द गार्डियन’ की खबर की शुरुआत देखिए- ”नए खुलासा किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी संबंधों वाले एक अरबपति भारतीय परिवार ने गुप्त रूप से अपने स्वयं के शेयर खरीदकर भारतीय शेयर बाजार में सैकड़ों मिलियन डॉलर का निवेश किया।” इस तरह उनका एक ही मकसद है “मोदी और अडानी कनेक्शन” का प्रोपेगेंडा फैलाना। लेकिन यह समझ से परे है कि अगर अडानी समूह पर रिपोर्ट है तो इसमें पीएम मोदी का नाम क्यों जोड़ा जा रहा? इससे साबित होता है उनकी मंशा कुछ और ही और यह सब एक षडयंत्र के तहत किया जा रहा।

ED का खुलासा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले कंपनियों ने कमा लिए अरबों रुपये
अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी तब हिंडनबर्ग ने यह स्वीकार किया था कि वह शेयर बाजार में शार्ट सेलिंग करती है। यानि हिंडनबर्ग रिपोर्ट का दो मकसद था। पहला- भारत और पीएम मोदी की छवि खराब करना और दूसरा शार्ट सेलिंग के जरिये अरबों रुपये कमाना और उन रुपयों को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पीएम मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने में इस्तेमाल करना। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED ) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले 12 कंपनियों ने अरबों रुपये कमा लिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने से दो-तीन दिन पहले ही कुछ FPI (Foreign portfolio investment) ने शॉर्ट पोजीशन ली थी। उनके बेनिफिशियल ऑनरशिप का पता लगाने के लिए उनकी जांच की जा रही है। इनमें से अधिकांश यूनिट्स ने कभी भी अडानी के शेयरों की डील नहीं की थी और कुछ पहली बार ट्रेड कर रहे थे।

कंपनियों ने चंद महीनों में हजारों करोड़ कमाए
ED की रिपोर्ट के अनुसार, एक कंपनी जुलाई 2020 में आधिकारिक रूप से शुरू हुई। सितंबर 2021 तक कंपनी कोई बिज़नेस नहीं कर रही थी और सितंबर 2021 से मार्च 2022 तक सिर्फ 6 महीने में इस कंपनी का कारोबार 31 हजार करोड़ रुपये का हो गया, जिससे कंपनी ने 1,100 करोड़ रुपये की कमाई की। इसी तरह एक और फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाले ग्रुप ने 122 करोड़ रुपये कमाए। ये ग्रुप भारत में एक कंपनी की तरह काम करता है, जबकि एक और फॉरेन इन्वेस्टर कंपनी ने 9 हजार 700 करोड़ रुपये कमाए।

12 कंपनियों ने शॉर्ट सेलिंग से कमाए करोड़ों रुपये
केमैन आइलैंड्स वाली इन्वेस्टर कंपनी, अडानी के शेयर्स की शॉर्ट सेलिंग से फायदा कमाने वाली 12 कंपनियों में से एक है। इस कंपनी का मालिकाना हक़ रखने वाली कंपनी को अंदरूनी शेयर ट्रेडिंग (इनसाइडर ट्रेडिंग) का दोषी पाया गया था। इसने अमेरिका में 14 हजार 880 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी दिया था। केमैन आइलैंड्स वाली कंपनी ने 20 जनवरी को अडानी ग्रुप के शेयर्स में शॉर्ट पोजिशन ली और 23 जनवरी को इसे और बढ़ा दिया। वहीं मॉरीशस वाली कंपनी ने पहली बार 10 जनवरी को शॉर्ट पोजिशन ली थी।

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