भारत वैश्विक मंच पर एक ताकत बन गया है। कोराना महामारी से लेकर यूक्रेन-रूस संकट के बावजूद भारत की विकास रफ्तार से विश्व के ताकतवर देशों में खलबली मची हुई है। बहुत सारे ताकतवर देश अब तक भारत को बहुत सारे सामान बेचा करते थे यानी निर्यात किया करते थे लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत जैसे-जैसे आत्मनिर्भर हो रहा है उनकी दुकानदारी पर संकट के बादल छाने लगे हैं। इससे घबराए पश्चिम के देश भारत और पीएम मोदी के खिलाफ षडयंत्र में जुट गए हैं।
देश में होने हैं 10 चुनाव, इसीलिए रची जा रही साजिशें
देश में इस साल 9 विधानसभा चुनाव होने हैं और 2024 में लोकसभा चुनाव भी है। ऐसे में विदेशी ताकतें अपनी पूरी शक्ति झोंककर पीएम मोदी को सत्ता से बाहर करना चाहती हैं। इसीलिए बीबीसी डाक्यूमेंट्री लाई गई और उसके बाद भारत के विकास में योगदान देने वाली प्रमुख कंपनी अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट। लेकिन ऐसी साजिश करने वालों को समझनी चाहिए भारत का मतलब अडानी नहीं है। भारत में विकास की रफ्तार अब थमने वाली नहीं है।
पीएम मोदी की लोकप्रियता साजिशकर्ताओं के लिए चिंता का सबब
पीएम मोदी लगातार तीन साल से लोकप्रियता में वैश्विक स्तर पर सबसे ऊपर बने हुए हैं। यह केवल देश की बात नहीं है विदेशों में भी पीएम मोदी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने कि देश में। भारत के खिलाफ साजिशकर्ताओं के लिए यह भी एक चिंता का सबब है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भारत को बदनाम कैसे किया जाए जिससे निवेशक दूरी बना लें और पीएम मोदी के विकास के संकल्प पर ब्रेक लगाया जा सके। पद्म विभूषण से सम्मानित आनंद महिंद्रा ने सही ही कहा है कि भारत ने भूकंप, सूखा, मंदी, युद्ध और आतंकवादी हमलों के कई दौर देखे हैं। इसीलिए भारत के खिलाफ कभी शर्त मत लगाना।
अडानी ग्रुप के वैश्विक विस्तार मिशन से डरी विदेशी कंपनियां
पिछले कुछ सालों में अडानी ग्रुप ने अपना प्रभाव जमाया है। गौतम अडानी ने अडानी ग्रुप के वैश्विक विस्तार मिशन को आगे बढ़ाया। ऐसे में वैश्विक रूप से अडानी ग्रुप का बढ़ना भला विदेशी कंपनियों को कैसे रास आ सकता है। तब तो और नहीं जब अडानी ग्रुप भारत की पहचान को दिनोदिन और सुदृढ़ करने में आगे की ओर बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी दुनिया में जिस गति से भारत विरोधी नैरेटिव को फैलाया जा रहा है उसमें काफी वृद्धि हुई है।
Adani is not IND but as per WSJ –
1. Hindenburg has shaken confidence in "Hindu Nationalist PM" Modi's Gujarat model of economic growth … and
2. "It says a lot about Corporate INDIA is"
🙂 pic.twitter.com/wd4FwNvta3— Diva Jain (@DivaJain2) February 3, 2023
वालस्ट्रीट जनरल की प्रोपेगेंडा रिपोर्ट, अडानी को ही भारत बता दिया
बीबीसी डाक्यूमेंट्री और हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद विदेशी प्रोपेगेंडा मीडिया के साथ ही भारत के विपक्षी दलों और लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम को सरकार पर हमला करने का टूल मिल गया। अडानी का मतलब भारत नहीं है लेकिन वालस्ट्रीट जनरल ने अपनी रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही लिखकर प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की। उसने लिखा- हिंडनबर्ग ने “हिंदू राष्ट्रवादी पीएम” मोदी के आर्थिक विकास के गुजरात मॉडल से भरोसा हिला दिया है और “यह कॉर्पोरेट भारत के बारे में बहुत कुछ कहता है”।
अदाणी और पीएम मोदी के खिलाफ साजिश करने में एक और बड़ा नाम सामने आया है. वह है टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का. महुआ वह शख्स हैं, जिनकी शिकायतों को आधार बनाकर हिंडनबर्ग ने अदाणी के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की. @vijaygajera ने महुआ की पोल खोली है… एक-एक करके सारे पॉइंट पढ़िएगा. pic.twitter.com/L3TUOdd05l
— Himanshu Mishra 🇮🇳 (@himanshulive07) February 4, 2023
भारत की छवि खराब करने का षड्यंत्र
ब्रिटिश न्यूज़ एजेंसी बीबीसी (BBC) ने अपनी डॉक्टूमेंट्री के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने की कोशिश की और अब उसके बाद हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के जरिये अडानी ग्रुप पर हमला कर अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने की साजिश रची गई। इन सभी का एक साथ आना संयोग नहीं हो सकता। इसके पीछ इन विरोधियों का अपना लाभ तो है ही साथ ही साथ भारत की छवि खराब करने का षड्यंत्र भी है। हिंडनबर्ग जैसे रिपोर्ट भी ऐसे ही षड्यंत्र रच रहे हैं। अब फिच रेटिंग्स ने भी कह दिया है कि फिलहाल अडानी ग्रुप की कंपनियों के रेटिंग्स पर असर नहीं है।
Global media is speculating whether current challenges in the business sector will trip India’s ambitions to be a global economic force. I’ve lived long enough to see us face earthquakes, droughts, recessions, wars, terror attacks. All I will say is: never, ever bet against India
— anand mahindra (@anandmahindra) February 4, 2023
आनंद महिंद्रा ने कहा- भारत के खिलाफ कभी शर्त मत लगाना
पद्म विभूषण से सम्मानित आनंद महिंद्रा ने अडानी संकट के जरिए भारत की आर्थिक ताकत पर सवाल उठा रहे लोगों को करारा जवाब दिया है। बेबाकी के साथ अपनी बात कहने वाले महिंद्रा ने एक ट्वीट में कहा, ‘ग्लोबल मीडिया में अटकलें लगाई जा रही है कि क्या बिजनस सेक्टर की मौजूदा चुनौतियां भारत की आर्थिक ताकत बनने का सपना पूरा कर सकेगा। मैंने भूकंप, सूखा, मंदी, युद्ध और आतंकवादी हमलों के कई दौर देखे हैं। मैं केवल यही कहूंगा कि भारत के खिलाफ कभी शर्त मत लगाना।’ इस तरह महिंद्रा ने विदेश ही नहीं बल्कि देश में भी ऐसे लोगों को जवाब दिया है जो अडानी संकट के बहाने सरकार की इकॉनमिक पॉलिसीज पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ट्विटर पर उनके एक करोड़ से अधिक फॉलोअर्स हैं।
पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री फिर FPO से बिल्कुल पहले अडानी के विरुद्ध रिपोर्ट
25 जनवरी को अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों को लेकर अमेरिकी रिसर्च फर्म ‘हिंडनबर्ग’ ने एक रिपोर्ट (Hindenburg report) जारी की थी जिसमें अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल होने के आरोप लगाए गए। यही नहीं रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे दो साल की रिसर्च के बाद और अडानी ग्रुप में काम कर चुके अधिकारियों से बातचीत करने के बाद तैयार किया गया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च के साथ शेयर शार्ट-शेलिंग भी करती है, इसीलिए उसकी भूमिका पर संदेह
हिंडनबर्ग अमेरिका की इनवेस्टमेंट रिसर्च कंपनी है। 2017 में इसे ‘नाथन एंडरसन’ नाम के एक अमेरिकी व्यक्ति ने स्थापित किया था। इस कंपनी का मुख्य काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है यानी कि शेयर मार्केट में कंपनियां पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं कर रही हैं या फिर बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो नहीं कर रही हैं। लेकिन इनवेस्टमेंट रिसर्च करने के साथ-साथ यह एक शार्ट-शेलर कंपनी भी है जोकि शेयर मार्केट में अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीदती और बेचती है और उससे मुनाफा कमाती है। इससे यह साफ हो जाती है कि हिंडनबर्ग ने शेयर के जरिये अपने मुनाफे के साथ-साथ इस रिसर्च के जरिये विदेशी मीडिया और भारत के विपक्षी दल को सरकार पर हमला करने का एक टूल दिया है।
WATCH: बाजार के जानकार आर्यन भास्कर ने हिंडनबर्ग रिसर्च पर सवाल उठाए @romanaisarkhan | https://t.co/smwhXUROiK#GautamAdani #AdaniGroup #HindenburgReport #HindenburgAdaniReport pic.twitter.com/jR5WYZmL2G
— ABP News (@ABPNews) February 3, 2023
अडानी के शेयरों में गिरावट से विदेशी कंपनियों को फायदा
अडानी के शेयरो में गिरावट और निवेशकों के नकारात्मक रुझान से इस सेक्टर की विदेशी कंपनियों को फायदा होगा। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कुछ छिपाना और कुछ बताना वाली नीति को अपनाया है यानी उसने अडानी ग्रुप के बारे में उन्हीं चीजों को बताया है जो उसके हित में हैं और जो शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमत को घटाने का काम करे। अडानी पर हमला करने से बहुत से समूहों को कई गुना लाभ होता है। अडानी साम्राज्य सोलर मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, इंडस्ट्रियल लैंड, डिफेंस, एयरोस्पेस, फ्रूट्स, डेटा सेंटर्स, रोड, रेल, रियल एस्टेट लेंडिंग, कोल और कई अन्य क्षेत्रों में मौजूद है।
वैश्विक रूप से आगे बढ़ रहा है अडानी ग्रुप
अडानी ग्रुप पिछले 12 साल से ऑस्ट्रेलिया में मौजूद है। ग्रुप ने कई विरोधों के बाद भी कारमाइकल कोयला खदान का विकास किया। 2017 में अडानी ने चीनी बेल्ट एंड रोड पहल में सेंधमारी की। उस वर्ष, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (लिमिटेड) ने कुआलालंपुर से 50 किमी दूर स्थित कैरी द्वीप में कंटेनरों को संभालने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह सभी अपेक्षाओं के विपरीत था इससे भी अधिक, यह मलेशिया में भारत की स्थिति को बढ़ावा देने वाला था।फिर श्रीलंका में चीनी उपस्थिति के बीच अडानी समूह को कोलंबो बंदरगाह पर एक पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल के विकास और संचालन का ठेका मिला है। कुछ महीनों के भीतर, समूह ने द्वीप राष्ट्र में दो पवन ऊर्जा परियोजनाओं को समाप्त कर दिया। अडानी की उपस्थिति से बांग्लादेश के बिजली क्षेत्र को भी बढ़ावा मिल रहा है।
Israel handsover Port of Haifa to Adani Group. pic.twitter.com/AHkNUc6xa6
— News Arena India (@NewsArenaIndia) January 31, 2023
इज़राइल ने हाइफा बंदरगाह अडानी समूह को सौंपा
एशिया के बाहर भी अडानी ग्रुप भारत की मौजूदगी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. पिछले साल, अडानी समूह ने इज़राइल के हाइफा बंदरगाह में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 1.18 अरब डॉलर खर्च किए। अडानी अब इज़राइल में चीनी राज्य के स्वामित्व वाले शंघाई इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा में है। राष्ट्रवाद के संदर्भ में यह चीनी राज्य के व्यापारिक हितों पर सीधा हमला है। तंजानिया में, अडानी ने पूर्ववर्ती प्रीमियम बीआरआई परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके चीन को भारी झटका दिया। देखना होगा कि समूह तेजी से यूरोप और यहां तक कि अजरबैजान जैसे भौगोलिक क्षेत्रों में अपने पैर फैला रहा है ।
यह सच है कि अडानी से पहले टाटा, रिलायंस और कई अन्य कंपनियों ने भी अन्य देशों में विस्तार किया। लेकिन उनके विस्तार के बीच उल्लेखनीय अंतर हैं। एक तो ये कि इन औद्योगिक समूहों ने भारत के बढ़ते दबदबे के समानांतर विस्तार नहीं किया। दूसरा अंतर यह है कि अडानी को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है, जो सच न भी हो तो भी विदेशी ताकतों को झटका देना तय है।
फिच रेटिंग्स ने कहा- फिलहाल अडानी ग्रुप की कंपनियों के रेटिंग्स पर असर नहीं
अडानी समूह के स्टॉक्स में भारी गिरावट के बीच रेटिंग एजेंसी फिच की तरफ से बड़ा बयान आया है। फिच रेटिंग्स ने कहा है कि शार्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का अडानी समूह की कंपनियों के रेटिंग्स और उनके सिक्योरिटिज पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ने वाला है जिसे उसने पहले से रेटिंग दी हुई है। साथ ही फिच ने कहा कि कंपनी के कैश फ्लो के उसके अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं आया है। फिच रेटिंग्स के इस बयान से अडानी समूह को राहत मिली है।
फिच रेटिंग्स ने मौजूदा समय में अडानी समूह के 8 कंपनियों को रेटिंग दी हुई है। जिसमें अडानी ट्रांसमिशन को BBB-/Stable, अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड के सीनियर सिक्योर्ड डॉलर नोट्स को BBB- रेटिंग हासिल है। अडानी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड को सीनियर सिक्योर्ड डॉलर नोट्स को BBB-/Stable, अडानी ट्रांसमिशन को BBB-/Stable, अडानी ग्रीन एनर्जी के सीनियर सिक्योर्ड डॉलर नोट्स को BBB-/Stable, मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को सीनियर सिक्योर्ड डॉलर नोट्स BB+/Stable रेटिंग्स हासिल है।
गौतम अडानी का आदर्श वाक्य है- राष्ट्र निर्माण, इसीलिए बने निशाना
भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को पश्चिमी देश नरेंद्र मोदी के रॉकफेलर के रूप में मानते हैं। गौतम अडानी का आदर्श वाक्य राष्ट्र निर्माण है। अडानी भारत के सबसे बड़े प्राइवेट हवाई अड्डे के संचालकों में से एक है, सबसे बड़े प्राइवेट बंदरगाहों के संचालक और सबसे बड़े तापीय कोयला बिजली उत्पादक हैं। अब इन दिनों जब पश्चिमी देश भारत और पीएम मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाए हुए है तो उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला कर दिया। इसी क्रम में अमेरिकी फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने उनकी कंपनियों पर हमला किया। इस रिपोर्ट को जारी करने के समय को लेकर भी इस बात का अंदेशा बढ़ जाता है कि यह भारत के खिलाफ एक साजिश है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब अडानी समूह अपनी मूल कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज की FPO (Follow on Public Offer) बाजार में लेकर आई थी।
बीबीसी डाक्यूमेंट्री और हिडेनबर्ग रिपोर्ट तो बहाना है।
असल मकसद तो मोदी को हटाना है 😂
ASH
Hindenburg ExposedShame On BBC#BharatWithModiJipic.twitter.com/BTHIwYYPbI
— Ajay Singh (@AjaySin37045262) February 5, 2023
रिपोर्ट का मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्णः अडानी ग्रुप
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप के ग्रुप सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने कहा कि हम हिंडनबर्ग रिसर्च की छपी रिपोर्ट से हैरान हैं क्योंकि उन्होंने हमसे बिना संपर्क किए या फिर सही तथ्यों को वेरिफाई किए बगैर रिपोर्ट पब्लिश की है। अडानी ग्रुप ने कहा कि ये रिपोर्ट गलत सूचनाओं, बासी, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है जिसे भारत के सुप्रीम कोर्ट में परखा गया है और उसे कोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है। साथ ही उन्होंने कहा कि अडानी इंटरप्राइजेज के FPO को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ये रिपोर्ट लाई गई है। अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट के समय को लेकर भी सवाल उठाया है। उसने कहा कि एफपीओ से ठीक पहले जारी रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि दुर्भावनापूर्ण इरादे से इसे लाया गया है जिसका मकसद अडानी ग्रुप के साख को बट्टा लगाना है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, “अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी का नेटवर्थ 120 अरब डॉलर है। इसमें से 100 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ। इसका कारण ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियों के शेयरों में तेजी है। इनमें इस दौरान औसतन 819 फीसदी की तेजी हुई है।” रिपोर्ट में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा इकाइयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। ये कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक में है। इसमें दावा किया गया है कि इन इकाइयों का उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी को अंजाम देने के लिये किया गया। साथ ही ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के धन की हेराफेरी के लिये भी इसका उपयोग किया गया।
हिंडनबर्ग ने शॉर्ट सेलिंग और मुनाफे के लिए जारी की रिपोर्ट
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की जब अडानी ग्रुप अगले 2 दिनों बाद ही देश का सबसे बड़ा FPO लॉन्च करने वाला था। रिपोर्ट जारी करने के समय को लेकर विश्लेषकों ने हिंडनबर्ग के इरादों पर सवाल उठाए हैं। हिंडनबर्ग पर सवाल एक नजर में इसलिए भी जायज दिख रहा है, क्योंकि यह कंपनी शॉर्ट सेलिंग का कारोबार करती है। हिंडेनबर्ग पर आरोप लगते रहे हैं कि रिसर्च फर्म के नाम पर कंपनियों की रिपोर्ट जारी करती है। इसमें वह कंपनियों की वित्तीय स्थिति का विवरण देती है। इसके कारण जब कंपनी के शेयर लुढ़कने लगते हैं तो वह मुनाफे कमाती है। शॉर्ट सेलिंग की बात खुद हिंडेनबर्ग ने कही है। हिंडेनबर्ग ने कहा था कि वह यूएस ट्रेडेड बॉन्ड और नन-इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन रखेगी।
हिंडनबर्ग पर अमेरिका में चल रही आपराधिक जांच
हिंडनबर्ग की शॉर्ट-सेलिंग और हेज फंड के साथ मिलीभगत के लिए अमेरिकी सरकार के न्याय विभाग द्वारा जांच की जा रही है। फर्म के संस्थापक नैट एंडरसन कथित तौर पर कॉर्पोरेट आपदाओं की पहचान करने और उनसे मुनाफा कमाने में माहिर हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च कॉर्पोरेट आपदाओं की पहचान करने और उनसे लाभ उठाने में माहिर है। कुछ समय पहले अमेरिका के न्याय विभाग ने 30 इन्वेस्टमेंट एवं रिसर्च कंपनियों एवं उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ जांच शुरू की थी। जिन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू हुई थी, उनमें हिंडनबर्ग रिसर्च भी शामिल है। ये कंपनियां किसी को टारगेट करके उसकी वित्तीय रिपोर्ट जारी करते थे और उसके स्टॉक पर अपना शॉर्ट पोजीशन बनाते थे। उस कंपनी का स्टॉक जितना ही गिरता उतना ही ये लाभ कमाते थे।
Librandus don't like progress of the country. They will target everything that brings down #indianeconomy
Adani is corrupt because a foreign org is saying so But those who are on the bail given by the court of the country are innocent#HindenburgExposed #AdaniEnterprises pic.twitter.com/LpT49HdR3S
— GyanGanga (@sarinmall85) February 5, 2023
अडानी समूह ने कहा- उसका फोकस ‘भारत पर निर्भर वर्ल्ड’ मिशन पर
गौतम अडानी की कंपनी अडानी समूह का साम्राज्य इतना कमजोर नहीं कि एक रिपोर्ट से उसकी नींव हिल जाए। जमीन से लेकर आसमान तक, पानी से लेकर सड़कों तक, तेल से लेकर ग्रीन एनर्जी तक अडानी समूह का कब्जा है। निवेशक घबराएं नहीं इसे लेकर अखबारों में अडानी ग्रुप ने विज्ञापन दिया है। इस विज्ञापन के जरिए उन्होंने अपनी कंपनियों के विस्तार की झलक दिखाई है। विज्ञापन में जरिए बताया गया है कि कैसे अडानी एंटरप्राइजेज देश निर्माण पर बल दे रहा है। अडानी समूह ने अपने विज्ञापन के जरिए बताया है कि उनका फोकस ‘भारत पर निर्भर वर्ल्ड’ मिशन पर है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद भारतीयों के एक कार्टेल ने अडानी के खिलाफ नकारात्मक नैरेटिव तैयार किया। इस पर एक नजर-
भारतीयों ने भी अडानी के खिलाफ नकारात्मक नैरेटिव तैयार किया
शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की और अडानी के खिलाफ बहुत सुनियोजित और समन्वित हमले शुरू हो गए। शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद भारतीयों के एक कार्टेल ने अडानी के खिलाफ एक नकारात्मक नैरेटिव तैयार किया। यह अडानी के खिलाफ स्वाभाविक नैरेटिव नहीं है। यह बहुत ही सुनियोजित हमला है। यह हमला बहुत कुछ वैसा ही है जैसे भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ थाईलैंड को तोड़ दिया था।
5. In 2017 a protest against Adani was started by a few NGOs under the leadership of https://t.co/MTvoUxozNi NGO. They have formed a group #StopAdani to stop this project. pic.twitter.com/beZKb1HBuJ
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
अडानी पर हमला 2017 में ही शुरू हो गया था
यह हमला हिंडनबर्ग शोध रिपोर्ट के बाद 25 जनवरी 2023 को शुरू नहीं हुआ है, बल्कि ऑस्ट्रेलिया से 2016/17 में शुरू हुआ था। अडानी को 2010 में ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल कोल माइन का प्रोजेक्ट मिला था। 2017 में http://350.org एनजीओ के नेतृत्व में कुछ एनजीओ द्वारा अडानी के खिलाफ विरोध शुरू किया गया था। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को रोकने के लिए एक ग्रुप #StopAdani बनाया।
7. But do you know who funds Tides Foundation?
Check out names and amounts for just one year!
It has the names of the Soros, Ford Foundation, Rockefeller, Omidyar, and Bill Gates. pic.twitter.com/Pl37DNVOEf— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, बिल गेट्स के फंड से आस्ट्रेलिया में हुआ अडानी का विरोध
एनजीओ http://350.org को Tides Foundation द्वारा अत्यधिक वित्त पोषित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाइड्स फाउंडेशन को फंड कौन देता है? सिर्फ एक साल के लिए नाम और रकम देखें! इसमें सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिडयार और बिल गेट्स के नाम हैं।
8. In India there is an NGO National Foundation for India (NFI).
Before I tell you about this NGO, Let me show you a list of donors to NFI.
It has also the names of Soros, Ford Foundation, Rockefeller, Omidyar, Bill Gates, and Azim Premji. pic.twitter.com/NfnwivMwzr— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
भारतीय एनजीओ NFI को भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन देती है फंड
8. In India there is an NGO National Foundation for India (NFI).
Before I tell you about this NGO, Let me show you a list of donors to NFI.
It has also the names of Soros, Ford Foundation, Rockefeller, Omidyar, Bill Gates, and Azim Premji. pic.twitter.com/NfnwivMwzr— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
सीमा चिश्ती एनएफआई में मीडिया फेलोशिप सलाहकार
भारत में एक एनजीओ नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) है। अब एनएफआई के दानदाताओं की एक सूची देखिए। इसमें सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार, बिल गेट्स और अजीम प्रेमजी के नाम भी हैं। सीमा चिश्ती एनएफआई में मीडिया फेलोशिप सलाहकार हैं। वह द वायर में संपादक हैं। वह कारवां के लिए लिखती हैं और वह माकपा नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं!
13. Interestingly, The Wire has written a series of five propaganda articles against Adani regarding their Australia project in 2017! pic.twitter.com/8auzXRxS0S
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
द वायर ने 2017 में अडानी के ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के खिलाफ लेख छापे
द वायर का सोरोस, फोर्ड, बिल गेट्स, अजीम प्रेमजी, ओमिडयार और रॉकफेलर द्वारा वित्तपोषित एनएफआई के साथ एक विशेष गठजोड़ है। दिलचस्प बात यह है कि द वायर ने 2017 में अडानी के ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के बारे में उसके खिलाफ पांच प्रचार लेखों की एक श्रृंखला लिखी है!
14. Dhanya Rajendran is another Media Fellowship adviser at NFI.
She is co-founder of The News Minute, which is funded by IPSMF and received support from Soros via MDIF.
Interesting right? pic.twitter.com/hRGupBlPTe— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
धन्या राजेंद्रन ने Digipub नामक प्रचार वेबसाइटों का कार्टेल बनाया
धन्या राजेंद्रन एनएफआई में एक और मीडिया फैलोशिप सलाहकार हैं। वह द न्यूज़ मिनट की सह-संस्थापक हैं, जो IPSMF द्वारा वित्त पोषित है और MDIF के माध्यम से सोरोस से समर्थन प्राप्त किया है। धान्या राजेंद्रन ने डिजिपब (Digipub) नाम से लोगों और प्रचार वेबसाइटों का एक कार्टेल बनाया है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी, न्यूज़क्लिक के कट्टर कम्युनिस्ट प्रबीर पुरकायस्थ इस कार्टेल के उपाध्यक्ष हैं।
16. Now check out the names in the list of founding members.
IPSMF funds almost all.
If you will check the timelines of people involved with propaganda websites, you will find almost the same propaganda tweets and coordinated attacks against Adani pic.twitter.com/3BAVf7tEqx— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
अजीम प्रेमजी के नेतृत्व में एनजीओ IPSMF शुरू हुआ
अजीम प्रेमजी के नेतृत्व में एक एनजीओ IPSMF शुरू हुआ, जो Altnews, The Wire, The Caravan, The News Minute, आदि प्रचार समाचार वेबसाइटों को फंड करता है। अब IPSMF के संस्थापक सदस्यों की सूची में नाम देखें। अगर आप प्रोपगंडा वेबसाइटों से जुड़े लोगों की टाइमलाइन चेक करेंगे, तो आपको अडानी के खिलाफ लगभग वही प्रॉपेगैंडा ट्वीट और समन्वित हमले मिलेंगे। इस कार्टेल ने अडानी के खिलाफ अपने प्रचार लेख और ट्वीट के साथ सोशल मीडिया और उनकी वेबसाइटों पर समन्वित हमले की शुरुआत की है।
19. Next I checked randomly, Ajit Anjum and Alok Joshi.
They are an individual member of the Digipub cartel.
Check their timelines. pic.twitter.com/f2aPTFamXR— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
डिजिटल कार्टेल डिजिपब में एक सदस्य @TheDeshBhakt है। इसके अलावा अजीत अंजुम और आलोक जोशी भी डिजीपब कार्टेल के सदस्य हैं। अगर आप उनकी वेबसाइटों और सोशल मीडिया खातों की जांच करें तो पाएंगे कि वे एक सुनियोजित हमले में शामिल हैं।
डिजिटलशार्पशूटर को राष्ट्रवादियों पर हमले के लिए दिया जाता है प्रशिक्षण
इन डिजिटलशार्पशूटर को विदेशी एनजीओ और अपने भारतीय भागीदारों से उन लोगों या संगठनों को लक्षित करने के लिए प्रशिक्षण और धन दिया जाता है और राष्ट्रवादियों पर हमले किए जाते हैं। नए डिजिटलशार्पशूटर्स इन विदेशी वित्तपोषित एनजीओ से अपना प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और उन्हें द वायर, द कारवां, ऑल्टन्यूज़, न्यूज़क्लिक इत्यादि जैसी प्रचार वेबसाइटों द्वारा भर्ती किया जाता है।
23. Let me show you one example.
Alishan Jafri got a fellowship in a foreign-funded NFI.
BBC documentary was started with him!Seema Chishti helped and mentored him. Seema Chisti was an editor with BBC for ten years and now she is the editor of The Wire. Wow! pic.twitter.com/UVXGB8voDt
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
अलीशान जाफरी को विदेशी फंडेड NFI में फेलोशिप मिली
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के किरदार अलीशान जाफरी को एक विदेशी फंडेड NFI में फेलोशिप मिली। उन्हीं के साथ शुरू हुई थी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री! सीमा चिश्ती ने उनकी मदद की और उनका मार्गदर्शन किया। सीमा चिश्ती दस साल तक बीबीसी की संपादक रहीं और अब वह द वायर की संपादक हैं।
25. Why I have said that this is a very well-planned and coordinated attack?
Just check out retweets of the #StopAdani Australia group. pic.twitter.com/MlkhP0yBdu— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 2, 2023
प्रचार वेबसाइटों को NFI से फेलोशिप मिली
#DigitalSharpshooters जो The Wire, Article 14, The Caravan, Aljazeera, आदि जैसी प्रचार वेबसाइटों के लिए काम करते हैं, उन्हें इस विदेशी वित्त पोषित NFI से फेलोशिप मिली। इसकी आप जांच करना चाहते हैं तो आप उनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं। यह एक बहुत ही सुनियोजित और समन्वित हमला है? इसे देखने के लिए आप #StopAdani Australia ग्रुप के रीट्वीट को देख सकते हैं।
प्रोपेगेंडा Stop Adani group भी डिजीपब का हिस्सा
यह प्रोपेगेंडा Stop Adani group लगातार रवि नायर के ट्वीट्स को रीट्वीट कर रहा है। कौन हैं रवि नायर? वह द वायर, न्यूज़क्लिक और जनता का रिपोर्टर के लिए लिखते हैं। ये सभी डिजीपब का हिस्सा हैं। अडानी समूह पर शेल कंपनी का आरोप लगाया गया है जबकि इस कार्टेल पर नजर डालें तो वे वे खुद बेनकाब हो जाते हैं। द न्यूज मिनट में धन्या राजेंद्रन की पार्टनर और फाइनेंसर और Digipub की सह-संस्थापक रितु कपूर की यूके में एक शेल कंपनी थी। उन्होंने सालाना रिटर्न दाखिल किए बिना कुछ महीनों के भीतर इसे बंद कर दिया।
The 'cause' started with opposing Adani's coal mines projects in Australia but was not limited to.
Now the NGO's website publishes everything & anything i.e. even remotely connected to Adani.
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) February 2, 2023
आस्ट्रेलिया में अडानी के विरोध के लिए शुरू हुई वेबसाइट पर अब भारत की खबरों का क्या मतलब?
यह भी दिलचस्प है कि केवल भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को बदनाम करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई एनजीओ द्वारा प्रबंधित एक विशेष वेबसाइट शुरू किया जाता है? और बॉब ब्राउन फाउंडेशन, जिसे एक पर्यावरणविद् एनजीओ माना जाता है, adaniwatch(.)org चलाता है। इसी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में अडानी की कोयला खदानों की परियोजनाओं के विरोध से हुई थी, लेकिन यह यहीं तक सीमित नहीं थी। अब एनजीओ की वेबसाइट अडानी के बारे में कुछ भी प्रकाशित करती है।
Drill down to one level & you may discover that the only aim of this NGO is to target Adani brand image. Their propaganda articles intrude into Indian politics, "FoE" etc. just like any agenda-driven left org.
e.g. What an Autralian NGO has to take if Ravish Kumar left NDTV?
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) February 2, 2023
आस्ट्रेलियन एनजीओ को रवीश कुमार के एनडीटीवी छोड़ने से क्या लेना-देना
इस एनजीओ का एकमात्र उद्देश्य अडानी ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाना है। उनके प्रचार लेख किसी भी एजेंडे से संचालित वामपंथी संगठन की तरह ही भारतीय राजनीति आदि में घुसपैठ करते हैं। उदाहरण के तौर पर रवीश कुमार के एनडीटीवी छोड़ने पर एक ऑट्रेलियन एनजीओ को क्या लेना-देना होगा?
And why an environmentalist NGO would endorse a tweet on BBC Documentary? What's the real motive?
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) February 2, 2023
एक पर्यावरण एनजीओ बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का समर्थन क्यों करेगा? असली मकसद क्या है?
यहां यह भी देखा जा सकता है कि बॉब ब्राउन फाउंडेशन (बीबीएफ) विपक्ष के प्रति नरम हो जाता है। वे कांग्रेस या टीएमसी के नेतृत्व वाले राज्यों में अडानी परियोजनाओं को लक्षित नहीं करते हैं। राहुल गांधी ने जब प्रदर्शन के समर्थन में बयान देते हैं तो वह एनजीओ को पसंद आता है। न्यूज़क्लिक के पत्रकार रवि नायर अडानीवॉच में योगदानकर्ता हैं। बीबीएफ के ट्विटर हैंडल से उनकी लगभग हर पोस्ट का समर्थन किया जाता है, लेकिन क्यों?
भारत से हिंडनबर्ग का समर्थन किसने किया? उनकी रिपोर्ट से किसे आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ? अडानी पर एक सुनियोजित हमले के पीछे संभावित लोगों और संस्थाओं की संबद्धता पर एक नजर –
भारत से हिंडनबर्ग का समर्थन किसने किया? किसे हुआ आर्थिक लाभ
2. The whole Hindenburg report starts with allegations made by Mahua Moitra. pic.twitter.com/J3x77iCEaW
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 4, 2023
महुआ मोइत्रा के आरोपों से शुरू होती है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
अब अडानी पर एक सुनियोजित हमले के पीछे संभावित लोगों और संस्थाओं के बारे में जानते हैं। हिंडनबर्ग की पूरी रिपोर्ट महुआ मोइत्रा द्वारा लगाए गए आरोपों से शुरू होती है। उन्होंने अडानी को लेकर संसद में महुआ मोइत्रा द्वारा पूछे गए सवालों के दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया है। हिंडनबर्ग ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि उन्होंने अडानी के शेयरों में अपने सदस्यों, भागीदारों, सहयोगियों, कर्मचारियों और/या सलाहकारों के साथ-साथ अपने ग्राहकों और/या निवेशकों के माध्यम से शॉर्ट पोजीशन ली है। यहां सवाल उठता है कि हिंडनबर्ग के भागीदार, ग्राहक और निवेशक कौन हैं?
8. Very few people know that our very own Mahua Moitra was vice president of JP Morgan from 2000 to 2008/09. pic.twitter.com/7K6fK3LL7A
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 4, 2023
महुआ मोइत्रा 2000 से 2008/09 तक जेपी मॉर्गन की उपाध्यक्ष थीं
2019 में, यांग्त्ज़ी रिवर पोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स लिमिटेड ने हिंडनबर्ग रिसर्च के मालिक नाथन एंडरसन और उनकी ब्रोकरेज फर्मों क्लैरिटीस्प्रिंग सिक्योरिटीज एलएलसी और क्लैरिटीस्प्रिंग इंक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। नाथन एंडरसन की ब्रोकरेज फर्म ClaritySpring Securities LLC हेज फंड JH Lane Partners LP. की मार्केटर है। जेपी मॉर्गन क्लियरिंग कॉर्प इस फंड का संरक्षक और दलाल है। यह फर्म टैक्स हेवन केमैन आइलैंड्स से ऑपरेट करती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि महुआ मोइत्रा 2000 से 2008/09 तक जेपी मॉर्गन की उपाध्यक्ष थीं।
11. Surprisingly, the wife of Moez Kassam, Marissa Kassam was working with JP Morgan before 2013! pic.twitter.com/hElH5BVWRw
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 4, 2023
महुआ मोइत्रा जेपी मॉर्गन में मारिसा कसम के साथ कर चुकी काम
हिंडनबर्ग रिसर्च के मालिक नाथन एंडरसन और उनकी ब्रोकरेज फर्म क्लेरिटीस्प्रिंग इंक और एक हेज फंड समूह, ANSON group और उनकी विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है। ANSON group के मालिक मोएज कसम एक एनजीओ चलाते हैं जिसमें उनकी पत्नी एनजीओ की सह-संस्थापक हैं। हैरानी की बात है कि Moez Kassam की पत्नी, Marissa Kassam 2013 से पहले JP Morgan के साथ काम कर रही थीं! Marissa Kassam जेपी मॉर्गन चेस के साथ उसी अवधि में काम कर रही थी जब हमारी महुआ मोइत्रा भी पी मॉर्गन चेज़ की उपाध्यक्ष थीं!क्या महज संयोग हो सकता है?
13. Hindenburg Research report on Adani ends with playing the victim card for Paranjoy Guha Thakurta.
He is the same person who is writing propaganda articles on The Wire and Newsclick etc.
Adani has filed a case against him for his propaganda articles. pic.twitter.com/pqInqJNakj— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 4, 2023
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में प्रजंय गुहा ठाकुरता
अडानी पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में प्रजंय गुहा ठाकुरता के लिए विक्टिम कार्ड खेलने के साथ समाप्त होती है। ये वही व्यक्ति हैं जो द वायर और न्यूज़क्लिक आदि पर प्रोपेगेंडी लेख लिखते रहते हैं। अडानी ने उनके खिलाफ उनके प्रचार लेखों के लिए मामला दर्ज किया है।
14. Just go and check his Twitter timeline. By the way, he is also from West Bengal. pic.twitter.com/b66OQOPnjU
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) February 4, 2023
प्रजंय गुहा ठाकुरता के ट्विटर टाइमलाइन पर जाएं तो काफी कुछ दिख जाता है। वैसे वह भी महुआ मोइत्रा की तरह पश्चिम बंगाल से हैं।
रवि नायर और प्रजंय गुहा ने राफेल पर किताब लिखी
रवि नायर ने राफेल पर प्रजंय गुहा ठाकुरता के साथ मिलकर एक किताब लिखी है! लोगों का यही समूह बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री लेकर आया था और महुआ मोइत्रा इस पर प्रतिबंध के बाद इसे साझा करने को लेकर अतिसक्रिय थी।
बीबीसी के चेयरमैन रिचर्ड शार्प ने जेपी मॉर्गन के लिए आठ साल काम किया
क्या यह संभव है कि इन्होंने दोनों की बहुत अच्छी तरह से योजना बनाई है ताकि अगर वे अडानी के मामले में फंस गए तो वे बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के आधार पर पीड़ित कार्ड खेल सकें? बीबीसी के चेयरमैन रिचर्ड शार्प ने भी जेपी मॉर्गन के लिए आठ साल तक काम किया है!