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महिलाओं को फिर झांसा देने के लिए प्रियंका वाड्रा बनीं ‘ना नायकी’, क्या कर्नाटक की बहनों को बताएंगी महिला विरोधी कांग्रेस शासित राज्यों का हाल ?

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आम चुनाव हो या किसी राज्य का विधानसभा चुनाव, महिलाओं को झांसा देने के लिए कांग्रेस नए-नए हथकंडों का सहारा लेती रहती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा ने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा दिया था। लेकिन उत्तर प्रदेश की होशियार महिलाएं प्रियंका वाड्रा के झांसे में नहीं आईं और कांग्रेस को जबरदस्त झटका दिया। अब प्रियंका वाड्रा कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले ‘ना नायकी’ यानी महिला लीडर बनकर महिलाओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। वहीं प्रियांका वाड्रा के ‘ना नायकी’ के नए अवतार को देखकर लोग उन्हें पुराने नारे और कांग्रेस शासित राज्यों में महिलाओं की दुर्दशा की याद दिला रहे हैं।

दरअसल सोमवार (16 जनवरी, 2023) को हुबली के पैलेस ग्राउंड्स में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने ‘ना नायकी’ सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी भाग लिया। बेंगलुरु में प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा, ‘मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि क्या बीजेपी सरकार में आपका जीवन बेहतर हुआ है? क्या आपके जीवन में कुछ बदलाव आया? वोट देने से पहले पिछले कुछ सालों को देखें और अपने जीवन का मूल्यांकन करें।’ 

प्रियंका वाड्रा ने जो सवाल बीजेपी सरकार से पूछा। अब वहीं सवाल उनसे ही पूछा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि प्रियंका वाड्रा को कांग्रेस शासित राज्यों में महिलाओं की दुर्दशा के बारे में कर्नाटक की महिलाओं को बताना चाहिए। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय का जिक्र करते हुए लोग प्रियंका वाड्रा को उनके ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ के नारे की याद दिला रहे हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि प्रियंका वाड्रा बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं के लिए लड़ने की बात करती है, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों में चुप्पी साध लेती है। 

आइए एक नजर डालते हैं कांग्रेस शासित राज्यों में महिलाएं कितनी असुरक्षित है और उनके साथ किस तरह भेदभाव किया जा रहा है…

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम

जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में महिलाओं की साक्षरता दर केवल 52.12% है, जबकि देश का औसत 64.63% है। राजस्थान उन राज्यों में शामिल है जहां महिलाओं की शिक्षा दर सबसे निचले पायदान पर है। वहीं कांग्रेस शासित एक अन्य राज्य छत्तीसगढ़ में महिला साक्षरता दर 60.24 % है। शिक्षा के मामले में ये राज्य पिछड़े हुए, लेकिन प्रियंका वाड्रा को यहां की महिलाएं नजर नहीं आ रही है। आज तक प्रियंका वाड्रा ने इन राज्यों में महिलाओं की शिक्षा को लेकर आवाज नहीं उठाई, क्योंकि वो इन राज्यों की महिलाओं को शिक्षित होते देखना नहीं चाहती है। उनका मकसद महिलाओं को अशिक्षित बनाये रखकर उनका वोट हासिल करते रहना है।

 

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बाल विवाह जारी

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की सालाना रिपोर्ट में मुताबिक राजस्थान में हर चौथी महिला का 18 साल से कम उम्र में विवाह हो जाता है। 2019-21 के मध्य 25.4% महिलाओं का बाल विवाह हुआ। शहरी क्षेत्रों में यह 15.1% और ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3% रहा। वहीं छत्तीसगढ़ में बाल विवाह के मामले 5 साल में तकरीबन 9 प्रतिशत घट गए। लेकिन अब भी प्रदेश में 12.1 प्रतिशत (यानी 100 में 12) किशोरियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो रही है। अब भी प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह शहरों की तुलना में 5.1% ज्यादा हैं। इस रिपोर्ट में गंभीर बात यह आई है कि बाल विवाह की वजह से यहां की 3.1% किशोरियां 15-19 की उम्र में ही मां बन गईं। 

राजस्थन और छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक

मातृ मृत्यु दर के मामले में भी राजस्थान की हालत खास्ता है। यह उन 7 राज्यों में शामिल है, जहां MMR सबसे ज्यादा है। राजस्थान में MMR 141 है। वहीं भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) द्वारा 28 नवंबर, 2022 को जारी MMR पर विशेष बुलेटिन के अनुसार, 2018-2020 के दौरान छत्तीसगढ़ की मातृ मृत्यु दर (MMR)137 है। जबकि मातृ मृत्यु दर (MMR) का राष्ट्रीय औसत 97 है। इन दोनों राज्यों में मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक होना सबित करता है कि गर्भवती महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है। महिलाओं को ना तो उचित पोषण मिल रहा है और ना ही उनके स्वास्थ्य की सही तरीके से जांच और देखभाल हो रही है। 

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एनीमिया के मामलों में बढ़ोतरी 

एनीमिया की दर कम करने के मामले में राजस्थान सबसे पिछड़ा हुआ है। ‘एनीमिया मुक्त’ राजस्थान कार्यक्रम में भारत सरकार की ओर से वर्ष 2019-20 की प्रथम रिपोर्ट के विश्लेषण के बाद जारी स्कोर कार्ड में राजस्थान 29 राज्यों में 26वें पायदान पर रहा। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य को एनीमिया मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा योजनाएं चलाई जा रही है। बावजूद पिछले पांच वर्षों में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की दर में 14 प्रतिशत इजाफा हुआ है। स्थिति को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी चिंता जाहिर करते हुए जिला कलेक्टरों को स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने निर्देश दिए हैं। नेशनल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में जहां वर्ष 2016 में 15 से 49 आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार थीं। वहीं वर्तमान में 61 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। वहीं 51 प्रतिशत गर्भवती महिलाए एनीमिया से पीड़ित रहती है, इसकी वजह से मातृ एवं शिशु दर भी बढ़ रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार देश में 57 प्रतिशत महिलाओं, 15 से 49 वर्ष के बीच एनीमिक (रक्त हीनता से पीड़ित) होने का अनुमान है।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाएं सबसे अधिक असुरक्षित

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट-2021 के मुताबिक बलात्कार के मामलों में राजस्थान शीर्ष पर है। राजस्थान में 6,337 बलात्कार के मामले दर्ज हुए। महलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में राजस्थान देशभर में दूसरे नंबर पर है। राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध में करीब 17.6% का इजाफा हुआ है। वहीं दुष्कर्म के मामलों में छत्तीसगढ़ देश में 12वें नंबर पर है। देशभर के राज्यों में हुए दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर एनसीआरबी द्वारा आकड़े जारी किए गए है। इस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में 2021 में 1093 दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज किए गए है। जारी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में रोजाना औसतन तीन दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में आईपीसी और स्पेशल लोकल लॉ के तहत दर्ज मामलों में भी 2021 में इजाफा हुआ। रेकॉर्ड के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 में 5665, वर्ष 2020 में 5056 और 2021 में 6001 मामले दर्ज किए गए थे । इस लिहाज से वर्ष 2021 में बच्चों के खिलाफ ही अपराध बढ़ा है। इनमें बच्चों से मारपीट, प्रताडऩा, साइबर क्राइम संबंधी मामले हैं।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाएं इंटरनेट से दूर

देश में साल 2023 से 5जी इंटरनेट सेवा शुरू हो जाएगी, जो 4जी की तुलना में 10 गुना अधिक स्पीड देगी। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरनेट क्रांति के इस युग में आज भी छत्तीसगढ़ में 73.3 प्रतिशत महिलाएं इंटरनेट की दुनिया से बेखबर हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की सिर्फ 26.7 प्रतिशत महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं, जो राष्ट्रीय औसत (33.3 प्रतिशत) से 6.6 प्रतिशत कम है। वहीं राजस्थान की गहलोत सरकार राज्य की 1.33 करोड़ महिलाओं को मोबाइल के सपने दिखा रही है। सरकार की मोबाइल बांटने की योजना लगातार आगे बढ़ रही है। ऐसे में राजस्थान की महिलाओं की इंटरनेट तक पहुंच दूर होती जा रही है।

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