Home नरेंद्र मोदी विशेष 2019 में नरेन्द्र मोदी ही बनेंगे प्रधानमंत्री, ये रहे कारण

2019 में नरेन्द्र मोदी ही बनेंगे प्रधानमंत्री, ये रहे कारण

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पुरानी कहावत है कि जब तुम्हारे विरोधी तुम्हारी आलोचना कुछ ज्यादा ही करने लगें तो समझ लो कि तुम्हारे कार्यों का प्रभाव बढ़ रहा है और तुम सही रास्ते पर हो। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मामले में भी बिल्कुल फिट बैठती है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध हो रहे कुप्रचार के बावजूद उनकी लोकप्रियता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ रही है। उनके द्वारा उठाया गया प्रत्येक कदम विरोधियों के निशाने पर रहता है, चाहे वह देशवासियों के दीर्घकालीन हितों को ध्यान में रखकर ही क्यों न लिया गया हो।

हालांकि देश की जनता का हाथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ है और आज भारत के 75 प्रतिशत भू-भाग पर भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगी दलों की सरकार है। देश-विदेश की तमाम सर्वे एजेंसियां भी यह बता रही है कि 2019 में नरेन्द्र मोदी ही देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।

क्लीयर विजन, देशहित मिशन
देश रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के रास्ते पर अग्रसर है। प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर 1.2 करोड़ लोगों ने अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी। जनता की भागीदारी के साथ जीएसटी और नोटबंदी जैसे बड़े निर्णय लेने में भी सरकार हिचकिचाती नहीं है। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम उठाने और चीन जैसे ताकतवर देश से भी सामना करने में सरकार पीछे नहीं हटती है। किसानों, शोषितों और पीड़ितों के विकास के लिए प्रतिबद्धता के साथ भारत आज आर्थिक दृष्टि से सबसे गति से प्रगति करने वाला देश है। साढ़े तीन साल के कार्यकाल में में सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगना भी एक बड़ी उपलब्धि है।

दमदार नेतृत्व, शानदार व्यक्तिव
प्रधानमंत्री मोदी की ‘पहल’ पर यदि सवा करोड़ लोग गैस सब्सिडी लेना छोड़ दें तो यह लोगों का उनपर भरोसा ही दिखाता है। बीते साढ़े तीन वर्षों में भी यह भरोसा कायम है। प्रधानमंत्री का एक आह्वान आज भी पूरा वातावरण बदल देता है। नोटबंदी जैसे सख्त फैसले के साथ भी पूरा देश एकजुट होकर खड़ा रहा। पूर्वोत्तर में ‘चोलो पल्टाई’ नारे का कितना असर हुआ यह सबके सामने है। त्रिपुरा में 25 वर्षों से सत्ता पर काबिज वाम दलों का किला लोगों ने इसी आह्वान की बदौलत ढाह दिया। 

निर्णय लेने वाली सरकार
प्रधानमंत्री मोदी लोगों को इसलिए भी सबसे अधिक पसंद हैं क्योंकि वे चुनाव परिणामों की चिंता किए बिना देशहित में निर्णय लेते हैं। नोटबंदी का निर्णय हो या फिर पूरे देश में जीएसटी लागू करने का फैसला, सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर डोकलाम में चीन के सामने अड़ जाने का साहस… प्रधानमंत्री मोदी को अन्य किसी भी नेता से अलग करता है। देश ने लंबे अर्से के बाद ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो अपना या अपनी पार्टी के हित से ऊपर देशहित को रखता है।

गरीबो-गुरबों की हितैषी सरकार
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में अपने पहले संबोधन में ही कहा था कि  उनकी सरकार देश के गरीबों को समर्पित सरकार होगी। बीते 46 महीनों के कार्यकाल में वे अपने इस कथन पर खरे उतरे हैं। उनकी इस सोच का परिणाम है कि 12 रुपये सालाना में जीवन बीमा का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से देश के 30 करोड़ से अधिक गरीबों का बैंक खाता खुलवाना भी बड़ा कार्य था। इसी तरह उज्ज्वला योजना और सौभाग्य बिजली योजना जैसी योजनाएं भी देश के गरीबों को ही ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। हर गरीब को 12 हजार रुपये देकर शौचालय बनाने का अभियान हो या फिर मातृत्व योजना के लिए 6000 रुपये का अनुदान, सभी योजनाएं गरीबों के लिए ही बनाई गई हैं। इसका परिणाम ये है कि पीएम मोदी गरीबों के दिल में बसते हैं।

लोगों का मोदी पर विश्वास
विरोधी चाहे जो कहते रहें, देश की जनता का पूर्ण समर्थन नरेन्द्र मोदी के साथ पग-पग पर रहा। इसके अतिरिक्त नरेन्द्र मोदी का व्यक्तित्व, उनकी बातचीत की शैली, उनकी वेशभूषा, बच्चों से लेकर बड़ों तक उनकी सहजता से घुल-मिल जाने की कला, पारदर्शी जीवनशैली आदि उनके व्यक्तित्व की अनेक विशेषताओं में से एक हैं। 

दृढ़ निश्चयी, दमदार सरकार
प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने देशहित में कठोर निर्णय लेने से कभी परहेज नहीं किया। नोटबंदी, जीएसटी, आधार आदि ऐसे कठोर निर्णय रहे, जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। उनमें गुस्सा भी बहुत ज्यादा था, परंतु फिर भी नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व क्षमता पर कभी किसी ने उंगली नहीं उठाई। सभी इस बात को समझ रहे थे कि दशकों से भ्रष्टाचार, घोटालों और स्वार्थपूर्ण राजनीति का शिकार रहे देश को इन सब समस्याओं से मुक्त कराने के लिए ऐसे ही कड़े प्रयासों की आवश्यकता है। विरोधी चाहे जो कहते रहें, देश की जनता का पूर्ण समर्थन नरेन्द्र मोदी के साथ पग-पग पर रहा।

विपक्ष की नकारात्मक राजनीति
स्वतंत्रता प्राप्ति के सात दशक बाद भी देश में नकारात्मक राजनीति ने अपनी जड़ें गहरे तक जमा ली हैं। कांग्रेस पार्टी समेत अधिकतर विरोधी दल इस राजनीति को लगातार हवा दे रहा है और देश का वातावरण खराब करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। कोर्ट के फैसले के बाद हिंसा फैलाना हो या फिर मूर्ति तोड़ो अभियान जैसा कुत्सित अभियान, विपक्ष अपनी राजनीति में खुद ही एक्सपोज होता चला जा रहा है।

राजनीति की धुरी हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने खुद को देश में राजनीति की धुरी के रूप में स्थापित कर लिया है और उसे किसी दल से कोई बड़ी चुनौती मिलती नहीं दिख रही है। विधानसभाओं के हालिया चुनावों के बाद बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ देश के भौगोलिक क्षेत्र के 75 प्रतिशत हिस्से पर सत्ता स्थापित कर ली है और देश की 68 प्रतिशत से अधिक आबादी पर भाजपा और उनके सहयोगी दलों का शासन है।

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