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मोदी राज में आर्थिक सुधारों का असर, 2018-19 में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश 62 अरब डॉलर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत होती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का ही असर है कि आज भारत में विदेशी कंपनियां खूब निवेश कर रही हैं। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में 62 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भारत में किया गया, यह किसी एक वित्त वर्ष के दौरान एफडीआई का उच्चतम स्तर है। वर्ष 2014 से लेकर सितम्‍बर, 2019 के बीच देश में 318 अरब डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जो अप्रैल, 2000 से हुए संचयी प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 50 प्रतिशत है। वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में बताया कि प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश मेक इन इंडिया के तहत हुई प्रगति को समझने का एक पैमाना हो सकता है।

एक नजर डालते हैं उन संकेतों पर, जिनसे साफ जाहिर होता कि मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ रही है।

एफडीआई पाने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल भारत
मोदी सरकार की नीतियों की वजह से प्रभावित होकर अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों और पर्याप्त तरलता के कारण निवेशकों ने 2019 में भारतीय पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। संयुक्त राष्ट्र की अंकटाड की ओर से जारी वैश्विक निवेश रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत में एफडीआई 16 प्रतिशत बढ़कर 49 अरब डॉलर रहा, इससे भारत एफडीआई पाने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल रहा। इस कारण दक्षिण एशिया में एफडीआई वृद्धि में तेजी आई और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2019 में 10 प्रतिशत बढ़कर 60 अरब डॉलर के पार पहुंच गया।

FDI के मोर्चे पर 20 वर्ष में पहली बार भारत ने चीन को पछाड़ा
भारत 20 साल में पहली बार एफडीआई हासिल करने के मामले में चीन से आगे निकल गया। वर्ष 2018 में वालमार्ट, Schneider Electric और यूनीलीवर जैसी कंपनियों से भारत में आए निवेश के चलते ये संभव हो सका। पीएम मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार और नए क्षेत्रों में भारी अवसरों के कारण भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पिछले 20 वर्षों से चीन विदेशी निवेशकों की पसंदीदा जगह बना हुआ था। पिछले साल चीन के बाजारों में आंशिक मंदी और अमेरिका के साथ ट्रेड वार के चलते विदेशी निवेशकों का रुख भारत की ओर बढ़ा है।

मोदी राज में देश के इतिहास में सबसे अधिक विदेशी पूंजी निवेश
केंद्र सरकार ने ज्‍यादातर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी है। इसके साथ ही सरकार ने हाल के महीनों में रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्‍य वित्तीय सेवाओं, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, ट्रेडिंग जैसे कई क्षेत्रों में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किए हैं। इन कदमों के कारण देश में एफडीआई के प्रवाह में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 के दौरान कुल मिलाकर 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ है, जबकि वर्ष 2013-14 में यह निवेश 36.05 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था। वर्ष 2015-16 के दौरान देश में कुल मिलाकर 55.46 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश हुआ। वित्त वर्ष 2016-17 में कुल मिलाकर 60.08 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्राप्‍त हुआ। वित्त वर्ष 2017-18 में 61.96 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्राप्‍त हुआ, जो अब तक का सर्वकालिक उच्‍चतम स्‍तर है।

साल निवेश
2013-14 36.05 अरब डॉलर
2014-15 45.15 अरब डॉलर
2015-16 55.46 अरब डॉलर
2016-17 60.08 अरब डॉलर
2017-18 61.96 अरब डॉलर

 

ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, मेक इन इंडिया, जीएसटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली,में सुधार के बाद मोदी सरकार ने महसूस किया कि देश में इससे भी ज्‍यादा विदेशी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता है, जिसे एफडीआई व्‍यवस्‍था को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाकर प्राप्‍त किया जा सकता है। इसलिए सरकार ने एफडीआई नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया।

निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बना भारत
इससे भारत को लेकर दुनिया की सोच बदली है। दुनिया भर की सभी प्रमुख कंपनियां आज भारत में निवेश करना चाहती हैं। उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (FDI) खासकर प्रवासी भारतीयों को घरेलू निवेशक के रूप में अनुमति दिए जाने से भारत एक आकर्षक जगह बन गया है। पिछले दिनों सिंगापुर में आसियान-इंडिया प्रवासी भारतीय दिवस में अबू धाबी के लुलु ग्रुप इंटरनेशनल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यूसुफ अली एमए ने कहा कि उदार एफडीआई नीति से देश में कई क्षेत्र खुले हैं और इससे निवेश के प्रवाह को गति मिली है। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों के निवेश को घरेलू माने जाने के निर्णय से भारत व्यापारियों के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया है।

मोदी काल में विदेशी निवेश क्यों बढ़ा
प्रधानमंत्री मोदी ने देश की आर्थिक व्यवस्था के ढांचे को मजबूत करने के लिए जिन ऐतिहासिक और साहसिक कदमों को उठाया है, उसी का यह परिणाम है कि विदेशी निवेशकों को भी भारत निवेश के लिए आकर्षक लगने लगा है। कोई भी विदेशी निवेशक अपनी पूंजी को उन्हीं देशों में लगाते हैं, जहां स्थायित्व के साथ-साथ उद्योगों को स्थापित करने के नियमों में सरलता और पारदर्शिता होती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने से देश की आर्थिक व्यवस्था अधिक पारदर्शी और फार्मलाइज हुई है।

निवेश से ‘सबका साथ, सबका विकास’
प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक देश में सभी गरीबों को ऐसा घर देने का वायदा किया है, जो बिजली, पानी, और सड़क की मूलभूत सुविधाओं से युक्त होगा। इसके साथ ही किसानों की आय को दोगुना करने का वायदा किया है। किसानों और गरीबों के साथ साथ देश के युवाओं के हाथ में रोजगार देने का भी संकल्प लिया है। देश की 125 करोड़ आबादी के विकास के लिए जिस धन के निवेश की आवश्यक्ता होगी, वह पूंजी देश में उपलब्ध नहीं है, इसके लिए अन्य देशों से पूंजी को निवेश करा कर, धन की जरूरत को पूरा करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी देश में धन की इस बड़े पैमाने पर जरूरत को सत्ता संभालने के पहले दिन ही समझ चुके थे, इसलिए उन्होंने उन आर्थिक सुधारों पर बल दिया जिससे विदेशी निवेश को बड़े पैमाने पर लाया जा सके।

NPA के मामलों में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी
रिजर्व बैंक आफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का ग्रॉस एनपीए घटकर 9.1 फीसदी पर आ गया है। यह एक साल पहले 11.2 फीसदी पर था। रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से एनपीए को नियंत्रित करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरूआती कठिनाइयों के बाद इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) बैंकिंग सिस्टम का पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रहा है। पुराने फंसे कर्ज की रिकवरी में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी, उसमें सुगमता आने लगी है।

बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।

पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।

जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन वृद्धि भारत में होगी
प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों से देश की इकोनॉमी और कारोबारी माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। यही वजह है कि जहां कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, वहीं कर्मचारियों की सैलरी भी निरंतर बढ़ रही है। प्रमुख वैश्विक एडवाइजरी, ब्रोकिंग और सोल्यूशंस कंपनी विलिस टॉवर्स वॉटसन की ताजा तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 में कर्मचारियों के वेतन में रिकॉर्ड 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ये वेतन वृद्धि पूरे एशिया-पैसिफिक में सबसे अधिक होगी। विलिस टॉवर्स वॉटसन ने अपनी यह रिपोर्ट विभन्न औद्योगिक क्षेत्रों और कंपनियों की प्रगति का अध्ययन और सर्वे करने के बाद तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया में वेतन वृद्धि 8 प्रतिशत, चीन में 6.5 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत और हांगकांग व सिंगापुर में 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जाहिर है कि मोदी सरकार की सफल आर्थिक नीतियों की वजह से ही इस वर्ष भारत में औसत वेतन वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सुधार
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों में देश में कई ऐतिहासिक आर्थिक सुधार किए-
• नोटबंदी से ‘क्लीन मनी’ अभियान को बढ़ाया
• जीएसटी से देश का आर्थिक एकीकरण किया
• डिजिटलाइजेशन से आर्थिक प्रणाली को पारदर्शी बनाया
• व्यापार संतुलन बनाया
• भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की नीतियां लागू की
• विदेशी कर्ज को घटाया
• विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाया

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