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मजबूती के साथ आगे बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था, जुलाई में 8 महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचीं विनिर्माण गतिविधियां

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अमेरिका और चीन जैसे देशों में आर्थिक मंदी की आशंका जतायी जा रही है। वहीं श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल से उत्पन्न अराजकता और पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक हालात को देखते हुए भारत में भी तरह-तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। लेकिन भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों ने सारी आशंकाओं को झूठला दिया है। जिस तरह विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां जुलाई 2022 में आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंची है, उससे पता चलता है कि मांग और ऑर्डर्स दोनों में आई तेजी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती की साथ आगे बढ़ रही है। इस पर वैश्विक मंदी का असर नहीं होने वाला है।

दरअसल एक मासिक सर्वेक्षण में सोमवार (1अगस्त, 2022) को बताया गया कि ट्रेड ऑर्डर में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया द्वारा तैयार की इस रिपोर्ट के मुताबिक, विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) जून में 53.9 से बढ़कर जुलाई में 56.4 हो गया। यह आठ महीनों का उच्चतम स्तर है। जुलाई के पीएमआई आंकड़ों ने लगातार 13वें महीने के लिए समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार की ओर इशारा किया है।

सर्वे से पता चलता है कि जुलाई में कुल नए ऑर्ड्स की संख्या में तेज वृद्धि हुई है। मैन्युफैक्चरिंग के तीन वृहद क्षेत्रों में तेजी दर्ज की गई है। नवंबर 2021 के बाद जुलाई 2022 में आउटपुट सर्वाधिक तेजी से बढ़ा है। कई इंडिकेटर्स इसका संकेत पहले से दे रहे थे। भारत के लिए राहत की बात यह है कि यह ऐसे समय में हुआ है जब विदेशों से मांग में कमी आई है। वैश्विक परिस्थितियां उतनी बेहतर नहीं है। भारतीय बाजार से भारी मात्रा में कैश बाहर निकल रहा है।

एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की संयुक्त निदेशक पोलियाना डी. लीमा ने कहा, “भारतीय विनिर्माण उद्योग जुलाई के दौरान तेज आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति में नरमी के स्वागत योग्य रुख से रूबरू हुआ। पिछले नवंबर के बाद से उत्पादन में सबसे तेज गति से विस्तार हुआ है और यह नए आर्डर में तेजी को दर्शाता है।” गौरतलब है कि पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब विस्तार होता है, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख उपलब्धियों पर…

जुलाई में जीएसटी कलेक्शन 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 करोड़ रुपये
वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2022 के महीने में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,48,995 करोड़ रुपये रहा। जुलाई 2022 में यह कलेक्शन सालाना आधार पर 28 प्रतिशत बढ़ा है। जीएसटी लागू होने के बाद से यह दूसरा सबसे बड़ा राजस्व है। इसके पहले अब तक का सबसे अधिक अप्रैल 2022 में 1,67,540 करोड़ रुपये का राजस्व आया था। मार्च 2022 के बाद से ही लगातार पांचवें महीने जीएसटी क्लेक्शन 1.40 लाख करोड़ से ऊपर बना हुआ है। इसमें सीजीएसटी 25,751 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 32,807 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 79,518 करोड़ रुपये और उपकर 10,920 करोड़ रुपये शामिल है।

जून में कोर सेक्टर के उत्पादन में भारी वृद्धि, 12.7 प्रतिशत बढ़ा
इस साल जून में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 12.7 प्रतिशत बढ़ा है। जबकि एक साल पहले इसी महीने 9.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल जून के महीने में कोयला का उत्पादन में 31.1 प्रतिशत, बिजली उत्पादन में 15.5 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 19.4 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 15.1 प्रतिशत,फर्टिलाइजर उत्पादन में 8.2 प्रतिशत, स्टील उत्पादन में 3.3 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस उत्पादन में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

जून में देश का कुल निर्यात 23 प्रतिशत बढ़कर 64.91 अरब डॉलर पर पहुंचा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही हुई है। मोदी राज में देश ने निर्यात के मोर्चे पर एक और रिकॉर्ड छलांग लगाई है। जून 2022 में भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 64.91 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 22.95 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 22-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2022) में कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 189.93 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो पिछली समान अवधि में 25.16 प्रतिशत अधिक है।

जून में वस्तुओं का निर्यात 23.52 प्रतिशत बढ़कर 40.13 अरब डॉलर पर पहुंचा
वित्त वर्ष 2022-23 के जून महीने में वस्तुओं का निर्यात 23.52 प्रतिशत बढ़कर 40.13 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में निर्यात 24.51 प्रतिशत बढ़कर 118.96 अरब डॉलर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार रिकॉर्ड निर्यात में पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं आभूषण और इंजीनियरिंग क्षेत्र की बेहतर भूमिका रही है। पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात जून में दोगुना से अधिक होकर 8.65 अरब डॉलर, जबकि रत्न एवं आभूषण निर्यात 25 प्रतिशत बढ़कर 3.53 अरब डॉलर रहा। इसके साथ ही कपड़ा, चावल, तिलहन, चाय, इंजीनियरिंग, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात भी काफी अच्छा रहा।

निर्यात 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
मोदी सरकार ने कोरोना महामारी से उत्पन्न तमाम चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स को प्रोत्साहित करने के साथ ही निर्यात पर भी फोकस किया। इसका नतीजा है कि निर्यात के मोर्चे पर वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत ने इस दौरान करीब 418 अरब डॉलर का निर्यात करने में सफलता पाई है। वित्त वर्ष खत्म होने से 10 दिन पहले ही भारत ने निर्यात लक्ष्य को हासिल कर लिया। निर्यात की दृष्टि से मार्च 2022 काफी महत्वपूर्ण रहा। इस महीने देश ने 40 अरब डॉलर का निर्यात किया जो एक महीने में निर्यात का सर्वोच्च स्तर है। इसके पहले मार्च 2021 में निर्यात का आंकड़ा 34 अरब डॉलर रहा था।

सेवा निर्यात 250 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
भारतीय अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर में सुधार दिखाई दे रहा है। मोदी राज में वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना के बावजूद रिकार्ड 250 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया गया। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में 195 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया गया था। 250 अरब डॉलर के सेवा निर्यात के साथ ही भारत का कुल निर्यात 669 अरब डॉलर का हो गया। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि वित्त वर्ष 21-22 में वस्तु का निर्यात 419.5 अरब डॉलर का रहा। वित्त वर्ष 21-22 में सेवा निर्यात के लिए 225 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा गया था जिसे पार कर लिया गया। 

गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
मोदी सरकार के प्रोत्साहन से गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दस महीने में भारत के कृषि‍ न‍िर्यात में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एपीडा के तहत निर्यात 15.59 बिलियन डॉलर से बढ़कर 19.71 बिलियन डॉलर हुआ। चावल निर्यात में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई,जिससे 7,696 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई। प‍िछले साल की तुलना में व‍िदेशी बाजारों में भारतीय गेंहू की मांग में जबरदस्‍त उछाल आया है। अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात में 1,742 मिलियन डॉलर की भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 2020-21 की इसी अवधि में 387 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जब यह 340.17 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

अदरक, केसर और हल्दी का निर्यात 192 प्रतिशत बढ़ा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुचारू और संगठित नीति के कारण भारतीय मसालों की मांग विश्व भर में बढ़ी है और निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में हल्दी, अदरक और केसर के निर्यात में 192 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अप्रैल-मई 2013 में इन तीनों मसालों का निर्यात जहां 260 करोड़ रुपये का हुआ था वहीं अप्रैल-मई 2022 में यह बढ़कर 761 करोड़ रुपये हो गया।

चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन, 1200 प्रतिशत बढ़ा निर्यात
भारत ने चीनी निर्यात के मामले में पिछले आठ सालों में नया रिकॉर्ड बना लिया है। अप्रैल-मई 2013 में चीनी एवं चीनी उत्पादों का निर्यात जहां 840 करोड़ रुपये का हुआ था वहीं अप्रैल-मई 2022 में यह बढ़कर 11,370 करोड़ रुपये का हो गया। यानी इन आठ सालों में 1253 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। इससे जहां देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है वहीं किसानों को भी इसका लाभ मिला है और उनके जीवन स्तर में सुधार देखने को मिला है।

मोदी राज में केले का निर्यात 700 प्रतिशत बढ़ा
मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-मई 2013 में 26 करोड़ रुपये मूल्य के केले का निर्यात हुआ था, जबकि अप्रैल-मई 2022 में 213 करोड़ रुपये के केले का निर्यात किया गया, यानी केला निर्यात में 703 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आज भारत सलाना आधार पर 600 करोड़ रुपये से अधिक का केला निर्यात करता है और इसके साथ नए बाजारों की तलाश का काम भी जारी है।

मेड इन इंडिया प्रोडक्ट निर्यात में 17 प्रतिशत की वृद्धि
भारत ने जून 2022 में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट के निर्यात में रिकार्ड कायम किया है। जून 2021 में जहां निर्यात 32.5 अरब डॉलर था वहीं जून 2022 में 37.9 अरब डॉलर का निर्यात दर्ज किया गया। जून 2022 में निर्यात का यह आंकड़ा किसी एक माह में सर्वाधिक है। इसके साथ ही यह एक साल में 17 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2021-22 में भारत ने 44 अरब डॉलर से अधिक राशि का एक्सपोर्ट किया और 2020-21 की तुलना में यह 41 प्रतिशत की वृद्धि है। 2020-21 की तुलना में कॉटन एक्सपोर्ट में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई इसी तरह हथकरघा से बने कपड़े के निर्यात में 2020-21 की तुलना में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

केमिकल्स एक्सपोर्ट 106 प्रतिशत बढ़कर 29.3 अरब डॉलर पर पहुंचा
भारतीय रसायनों के निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 106 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का रसायन निर्यात रिकॉर्ड 29.29 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2013-14 में रसायनों का भारतीय निर्यात 14.21 अरब डॉलर था। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि निर्यात में वृद्धि से प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिलेगा।

आज भारतीय रसायन उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन गया है और यह मेक इन इंडिया दृष्टिकोण के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। भारत विश्व में केमिकल्स का छठा और एशिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रसायनों के निर्यात में भारत का 14वां स्थान है। आज भारत डाइज उत्पादन में अग्रणी स्थान पर है। भारत विश्व में कृषि रसायनों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। विश्व में कृषि रसायनों का लगभग 50 प्रतिशत भारत से निर्यात किए जाते हैं। भारत विश्व में कास्टर ऑयल (आरंडी का तेल) का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। एग्रोकेमिकल्स, डाई और स्पेशलिटी केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन के कारण 2021-22 में रसायन निर्यात 29.29 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारत 175 से अधिक देशों को निर्यात करता है। भारत के प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन में तुर्की, रूस शामिल हैं। इसमें नए बाजार चीन, हांगकांग, जापान, कोरिया गणराज्य, ताइवान, मकाउ, मंगोलिया जैसे देश भी जुड़ गए हैं।

मई में औद्योगिक उत्पादन में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि
मोदी सरकार की नीतियों के कारण मई के महीने में औद्योगिक उत्‍पादन ने शानदार प्रर्दशन किया। औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 19.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि दर 12 महीने के उच्च स्तर पर है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मई 2022 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20.6 प्रतिशत, खनन क्षेत्र में 10.9 और बिजली उत्पादन में 23.5 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह कैपिटल गुड्स के उत्पादन में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेगमेंट का उत्पादन 58.5 प्रतिशत बढ़ा है।

अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में भारत
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार (14-06-2022) को कहा कि आने वाले चार साल में भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अभी हमारी अर्थव्यवस्था 3.3 ट्रिलियन डॉलर की है और 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल नहीं है। वहीं विश्व की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत बेहतर और मजबूत स्थिति में है। यूएनडीपी इंडिया की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अगर आप सिर्फ डॉलर के लिहाज से अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत की मामूली वृद्धि का अनुमान लगाएं तो 2033-34 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 10 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। 

 

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