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हमारे जवान न सिर्फ सीमा पर, बल्कि विश्वभर में शांति स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं- पीएम मोदी

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29 अक्टूबर, 2017 के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएन के शांति प्रयासों में भारतीय सैनिकों की सहभागिता पर विस्तार से बात की है। उन्होंने यूएन से जुड़े तमाम कार्यक्रमों में भारत की भूमिका पर चर्चा की है और बताया है कि किस तरह से नारी समानता पर भारत ने अपना प्रभाव डाला है। इस अवसर पर उन्होंने सिस्टर निवेदिता द्वारा निस्वार्थ भाव से की गई मानवता की सेवा के बारे में विस्तार से अपनी भावनाएं जाहिर कीं। इसके अलावा उन्होंने योग और आयुर्वेद के लाभ को भी फिर एकबार अपने कार्यक्रम का हिस्सा बनाया है।

भारत ने नारी समानता पर हमेशा जोर दिया है- पीएम मोदी
बीते 24 अक्टूबर को मनाए गए यूएन डे की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत प्रारम्भ से ही UN के विभिन्न महत्वपूर्ण प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभाता आ रहा है। उन्होंने कहा कि, “भारत ने नारी समानता पर हमेशा जोर दिया है और UN Declaration of Human Rights इसका जीता-जागता प्रमाण है। इसके Initial Phrase में जो Propose किया गया था, वो था ‘All Men are born free and equal’ जिसे भारत की प्रतिनिधि हंसा मेहता के प्रयासों से परिवर्तित कर लिया गया और बाद में स्वीकार हुआ ‘All Humans beings are born, free and equal’। ” पीएम मोदी ने बताया कि 18 हजार से अधिक भारतीय सुरक्षा-बलों ने UN Peacekeeping Operations में अपनी सेवाएं दी हैं। उनके अनुसार वर्तमान में भारत के लगभग सात हजार सैनिक UN Peacekeeping से जुड़े हैं और ये पूरे विश्व में तीसरा स्थान है। अगस्त 2017, तक भारतीय जवानों ने यूएन के विश्वभर के 71 शांति प्रयासों में से, लगभग 50 में अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने कहा, “भारत, शांतिदूत के रूप में हमेशा से विश्व में शांति, एकता और सद्भावना का संदेश देता रहा है। हमारा विश्वास है कि हर कोई शांति, सद्भाव के साथ जीए और एक बेहतर एवं शांतिपूर्ण कल के निर्माण की दिशा में आगे बढ़े।”

सिस्टर निवेदिता ने अपने नाम के अनुरूप स्वयं को सिद्ध किया- पीएम मोदी
शनिवार को हुए सिस्टर निवेदिता की 150वीं जयंती का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनके द्वारा किए गए देश और मानव सेवा के कार्यों की हृदय से सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि,”हमारी पुण्य भूमि ऐसे महान लोगों से सुशोभित रही है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की है। सिस्टर निवेदिता, जिन्हें हम भगिनी निवेदिता भी कहते हैं, वो भी उन असाधारण लोगों में से एक थीं। निवेदिता का अर्थ है वो जो पूर्ण रूप से समर्पित हो। उन्होंने अपने नाम के अनुरूप ही स्वयं को सिद्ध करके दिखाया।” पीएम के अनुसार, “अंग्रेजों ने, न सिर्फ हमारे देश को गुलाम बनाया था बल्कि उन्होंने हमें मानसिक रूप से भी गुलाम बनाने का प्रयास किया था। हमारी संस्कृति को नीचा दिखा कर हम में हीन-भावना पैदा करना, यह काम निरंतर चलता रहता था। भगिनी निवेदिता जी ने भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित किया। राष्ट्रीय-चेतना जागृत कर लोगों को एक-जुट करने का काम किया। “

इस अवसर पर पीएम मोदी ने बदलती जीवन शैली से होने वाली बीमारियों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने योग एवं आयुर्वेद का जिक्र करते हुए विशेषरूप से युवाओं का आह्वान किया कि वो इस बात का विशेष ध्यान रखें। पीएम मोदी ने कहा, “Yoga for Young India.योग, विशेष रूप से हमारे युवा मित्रों को एक Healthy Lifestyle बनाये रखने और Lifestyle Disorder से बचाने में मददगार सिद्ध होगा।” पीएम ने कहा कि, “योग की विशेषता तो यही है – वो सहज है, सरल है, सर्व-सुलभ है; और मैं सहज है इसलिए कह रहा हूं कि किसी भी उम्र का व्यक्ति इसे आसानी से कर सकता है। सरल इसलिए है कि आसानी से सीखा जा सकता है और सर्व-सुलभ इसलिए है कि कहीं पर भी किया जा सकता है।” उन्होंने लोगों से कहा कि, “आयुर्वेद और योग को हम सिर्फ उपचार या Treatment के माध्यम के तौर पर न देखें, उन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।”

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