28 अगस्त, 2018 को पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं- सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वारवरा राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्वेज की गिरफ्तारी के बाद मिले एक पत्र से जो खुलासे हुए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। पहला, यह कि 01 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में पूरी प्लांनिग के साथ हिंसा ‘प्रायोजित’ की गई थी। दूसरा, इस हिंसा के लिए कांग्रेस ने फंडिंग की थी। तीसरा, इनके तार कश्मीर के अलगाववादियों-पत्थरबाजों से भी जुड़े हैं। चौथा, पीएम मोदी की हत्या की सुनियोजित साजिश रची गई थी। गौरतलब है कि सुधा भारद्वाज ने एक चिट्ठी कॉमरेड प्रकाश और दूसरी कॉमरेड सुरेन्द्र को लिखी थी।
आपको बता दें कि 06 जून, 2018 को पुणे से रोना विल्सन, सुधीर ढवले, सुरेंद्र गडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत की गिरफ्तारी हुई थी। उस समय रोना विल्सन का लिखा एक पत्र सामने आया था, जिसमें ये बातें सामने आईं थीं कि नक्सल समर्थक तथाकथित बुद्धिजीवी तबका भाजपा के विस्तार से नाखुश हैं और उन्हें रास्ते से हटाना चाहते थे। हालांकि इस प्लानिंग में कांग्रेस पार्टी शामिल है, इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। लेकिन सुधा भारद्वाज के एक पत्र से पुख्ता सबूत भी सामने आ गए हैं कि कांग्रेस इस ग्रुप को फंडिंग कर रही थी। चिट्ठी से ऐसे संकेत मिलते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी की हत्या हो जाने पर देश जातिवादी दंगों में उलझ जाती। माना जा रहा है कि इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलता और वह फिर से सत्ता पर काबिज हो जाती। इस बात का खुलासा पूर्व कांग्रेसी शहजाद पूनावाला ने भी अपने एक ट्वीट में किया था कि कांग्रेस और नक्सलियों के संबंध हैं।
Sometime back I revealed letters that showed #CongLinkToMaoists arrested in #MaoistPlotToKillPM – it clearly spk of #BhimaKoregaon to create unrest & kill @narendramodi – Today arrests of Varavara Rao & others & #MaoistCrackdown vindicates me – live on @ZeeNewsHindi at 7pm https://t.co/Il58hNCmLV
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) August 28, 2018
दरअसल चिट्ठी से पता चलता है कि कैसे नक्सली किसी बड़ी साज़िश को अंजाम देने के लिए हथियारों का इंतज़ाम कर रहे थे। कैसे हिंसा फैलाने के लिए कांग्रेस का एक नेता फंडिंग के लिए तैयार था। महेश राउत की गिरफ्तारी का कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने विरोध भी किया था। उनका नक्सल कनेक्शन तब भी सामने आया था जब 2013 में उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम पृथ्वीराज चौहान चिट्ठी लिख कर कहा था कि महेश राउत के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए और उसे आजादी से काम करने दिया जाए। बहरहाल कांग्रेस नक्सलियों की मददगार है इसका एक सबूत 29 अगस्त को तब भी सामने आया, जब पार्टी के सीनियर नेता और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पकड़े गए आरोपियों को बचाने कोर्ट पहुंच गए। जबकि गिरफ्तार 5 लोगों में से सभी पर यूपीए सरकार के दौरान भी कार्रवाई की गई थी और इनमें से दो को तो जेल भी भेजा गया था।
दरअसल कांग्रेस अपने राजनीति लाभ के लिए आतंकवाद को भी धर्म के चश्मे से देखती रही है। इस क्रम में वह कभी आतंकियों की फांसी का विरोध करती है तो कभी पत्थरबाजों का समर्थन करती है।अलगाववादियों और सिमी जैसे संगठनों से रिश्ते में गुरेज नहीं करती है। अब तो कांग्रेस को ISIS जैसा खूंखार आतंकवादी संगठन भी भाने लगा है।
जर्मनी के हैम्बर्ग में 22 अगस्त को राहुल गांधी ने यह बयान दिया कि बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म होता है। यानि वे एक तरह से ISIS जैसे संगठन के अस्तित्व को भी जायज ठहरा रहे हैं। सवाल उठता है नफरत की बुनियाद और नस्लों के नरसंहार की नीति पर खड़ी होने वाले ISIS को लेकर राहुल गांधी इतने सॉफ्ट क्यों हैं? सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस का ISIS जैसे संगठनों से कोई रिश्ता है?
दरअसल वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने हमेशा ही ऐसी ही अराजकता को हमेशा बढ़ावा दिया है। आजादी के बाद से ULFA, UNLF, सिमी और JKLF जैसे आतंकवादी और अलगाववादी संगठनों के आगे बढ़ने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही है।
लश्कर-ए-तैयबा का कांग्रेस कनेक्शन
लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”
जाकिर नाइक से कांग्रेस को है ‘मोहब्बत’
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान उन्होंने नाइक के साथ मंच साझा किया था। जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था।
आतंकी इशरत जहां पर कांग्रेस ने की राजनीति
15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे, लेकिन केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।
इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और कुछ दिनों के लिए इशरत जहां एनकाउंटर पर बनी एसआइटी की टीम मुखिया सत्यपाल सिंह ने भी कहा कि उन्हें इशरत जहां के एनकाउंटर झूठा साबित करने के लिए ही एसआइटी की कमान सौंपी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें इस एनकाउंटर के तार नरेंद्र मोदी तक पहुंचने को कहा गया था।
खालिस्तान समर्थकों का हौसला कांग्रेस ने बढ़ाया
आतंकवादी भिंडरावाले ने कांग्रेसी सिख नेताओं, खास तौर से ज्ञानी जैल सिंह की शह पर स्वर्णमन्दिर परिसर में स्थित अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया था और वहां सैकड़ों हथियारबन्द आतंकियों ने अपना अड्डा बना लिया था। यह 1982-83 का समय था, जब पंजाब में कांग्रेस के दरबारा सिंह की ही सरकार थी। बात जब देश के टुकड़े करने तक बढ़ गई तो ऑपरेशन ब्लू स्टार करना पड़ा, जिसमें 492 आतंकवादी ढेर किए गए थे, जबकि देश के 83 सैनिक भी शहीद कर दिए गए थे।
पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस
जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।
कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते
कश्मीर में लगातार बिगड़ते माहौल के पीछे काफी हद तक अलगाववादी नेताओं का ही हाथ है। अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।
आतंकवादियों के लिए सोनिया गांधी के निकले आंसू
सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में मुठभेड़ हुई। इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गए। दो अन्य भाग गए, जबकि जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। हालांकि कांग्रेस ने इसे फर्जी बताने की पूरी कोशिश की। 2012 में यूपी चुनाव के दौरान सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों से कहा, “आपके दर्द से वाकिफ हूं। जब बाटला हाउस कांड की तस्वीर सोनिया गांधी को दिखाई थी। तस्वीरें देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।”