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कांग्रेस के घोटालों के साथी: प्रदेश के सात करोड़ लोगों की बजाए गहलोत को सोनिया-राहुल की ज्यादा चिंता, राज्य को बदहाली में छोड़ अब सोनिया के लिए भी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे CM

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नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से पूछताछ के बाद गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ करेगी। कांग्रेस ने जैसा राहुल गांधी के समय किया था, वैसी ही ड्रामेबाजी सोनिया गांधी के लिए भी कर रहे हैं। ईडी के सीधे-सपाट सवालों का जवाब देने के बजाए संसद से सड़क तक कांग्रेसियों की नौटंकी जारी है। इतना ही नहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री प्रदेश को अपने हाल पर छोड़कर दिल्ली-दरबार में जी-हुजूरी करने पहुंच गए हैं। उन्हें राजस्थान की सात करोड़ से अधिक जनता से ज्यादा परवाह अपनी अध्यक्ष सोनिया गांधी की है। प्रदेश में आए दिन सांप्रदायिक हिंसा की वारदातों, आतंकी सोच वाले संगठन पीएफआई की बढ़ती सक्रियता और बढ़ती बेरोजगारी से युवाओं के आक्रोश के बीच सीएम अशोक गहलोत एक बार फिर दिल्ली जा बैठे हैं। सोनिया के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, लेकिन संवाददातओं के तीखे सवालों का जवाब उनके पास नहीं है।

राहुल से पूछताछ के समय भी कांग्रेस ने की थी दबाव की राजनीति करने की नौटंकी
नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में राहुल गांधी के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ करेगा। राहुल गांधी की तरह कांग्रेस पार्टी अब भी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी में है। कांग्रेस ने दिल्ली से ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों के बड़े नेताओं को भी दिल्ली बुलाया है। हालांकि राहुल गांधी के समय भी यह किया गया, लेकिन दबाव की बेवजह राजनीति सफल नहीं हो पाई थी। ईडी ने पांच दिन तक राहुल से पूछताछ की थी। अब सोनिया से पूछताछ के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं।ED की पूछताछ: इंदिरा की बहू डर रही है, प्रियंका को साथ रखने की गुहार

दूसरी ओर सोनिया से पूछे जाने वाले सवालों की लिस्ट ईडी ने तैयार कर रखी है। ईडी की अतिरिक्त महानिदेशक मोनिका शर्मा के नेतृत्व में तीन चरणों में सोनिया गांधी के साथ विशेष पूछताछ की जाएगी। दस्तावेज दिखाकर भी पूछताछ होगी। ईडी सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी के कहने पर उन्हें बीच-बीच में आराम दिया जा सकता है। पहले चरण में सात व्यक्तिगत सवाल पूछे जाएंगे और उसके बाद यंग इंडिया को लेकर पूछताछ होगी। दूसरे चरण मे एजेएल और कांग्रेस को लेकर सवाल जवाब किए जाएंगे। तीसरे चरण में सभी पहलुओं पर पूछताछ होगी। इंदिरा की बहू होने के नाते किसी से न डरने का दावा करने वाली सोनिया गांधी ईडी से पूछताछ में अब प्रियंका गांधी को साथ रखने की गुहार लगा रही हैं।

देश भर में ईडी दफ्तर के घेराव और कई जगहों पर चक्का जाम करेगी कांग्रेस
सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ को लेकर कांग्रेस नेताओं ने यह तय किया है कि जैसा राहुल गांधी के समय किया गया था, उसी तरह अब भी देशभर में पार्टी इसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी। ईडी पर न राहुल के समय इसका कोई असर हुआ, और न ही अब होने वाला है। लेकिन कांग्रेस को अपनी औपचारिकता करनी है। कांग्रेस ने इस मौके पर देश भर में ईडी दफ्तर के घेराव, कई जगहों पर चक्का जाम और ईडी दफ्तर तक मार्च की योजना बनाई है।

राहुल से पूछताछ के समय भी गहलोत-भूपेश प्रदेश को अपने हाल पर छोड़कर आए थे
राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस के सांसद, बड़े नेता संसद भवन से बस के जरिए या पैदल मार्च और प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कई अन्य राज्यों के बड़े कांग्रेस नेताओं के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली पहुंच चुके हैं। वे राहुल गांधी के समय भी प्रदेश को अपने हाल पर छोड़कर कई दिन तक दिल्ली में रहे थे। तब उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी थे। दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी के लिए प्रदेश को अपने हाल पर छोड़ दिया था।

पहले जून में होनी थी सोनिया की पेशी, लेकिन कोरोना के कारण नहीं आईं
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से 75 वर्षीय सोनिया गांधी को पहले भी 8 जून को पेशी के लिए नोटिस जारी किया गया था, लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण उन्हें 23 जून के लिए समन जारी किया गया था। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को 23 जून के लिए दूसरा समन जारी किया था, लेकिन वह उस तारीख पर पेश नहीं हो सकीं। उस वक्त कोरोना और फेफड़ों में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें घर पर आराम करने की सलाह दी थी।

प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने राहुल गांधी से 5 दिनों तक की थी पूछताछ
ईडी ने सोनिया गांधी के बेटे और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से इस मामले में पांच दिनों तक कई सेशन में 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। तब भी कांग्रेस पार्टी ने देशव्यापी प्रदर्शन किया था। यह जांच कांग्रेस द्वारा प्रवर्तित यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है, जो नेशनल हेराल्ड अखबार का मालिक है। सोनिया, राहुल से पूछताछ की कार्रवाई पिछले साल के अंत में ईडी द्वारा धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत एक नया मामला दर्ज करने के बाद शुरू की गई।राहुल नहीं बता पाए 50 लाख से कैसे हजारों करोड़ की कंपनी पर नियंत्रण किया

बीजेपी ने आरोप लगाया कि परिवार ने पहले पार्टी की संपत्ति अपने नाम किया, अब पार्टी कार्यालय को ही उपद्रव का केंद्र बना दिया। ये कांग्रेस के चरित्र को उजागर करता है। बीजेपी ने कहा कि राहुल गांधी के बाद अब सोनिया गांधी के लिए मुख्यमंत्रियों का  दिल्ली में आकर प्रदर्शन करने का कारण साफ है कि सरकारी एजेंसियों को काम करने से रोकने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि करप्शन को छिपाने के लिए हिंसा और ऐसे तरीकों का सहारा लिया जा रहा है। अपने नेता राहुल गांधी को बचाने के लिए तब दिल्ली में कांग्रेसी सांसद, कार्यकर्ता और कांग्रेसी राज्य के मुख्यमंत्री ने सड़कों पर धरना-प्रदर्शन किया। कांग्रेसी नेताओं ने जगह-जगह ट्रैफिक जाम किए। प्रदर्शनकारियों ने ईडी दफ्तर के बाहर टायरों में आग लगा दी। कई जगह से कांग्रेसी नेताओं और पुलिस के बीच झड़प की खबरें भी सामने आईं। 

आइए समझते हैं कि नेशनल हेराल्ड का पूरा मामला क्या है और किस तरह सिर्फ 50 लाख रुपये से हजारों करोड़ की कंपनी पर कब्जा कर लिया गया।

नेशनल हेराल्ड स्कैंडल
गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में  कांग्रेस नेता जवाहर लाल नेहरू ने 5000 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। जवाहर लाल नेहरू के साथ सभी 5000 स्वतंत्रता सेनानी इस कंपनी के शेयर होल्डर थे। शुरुआत से ही इस कंपनी में कांग्रेस और गांधी परिवार के लोग हावी रहे। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। करीब 70 साल बाद कांग्रेसी शासनकाल में कांग्रेस से मिले 90 करोड़ रुपये लोन के बावजूद घाटे के कारण एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए।

मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने 5 लाख रुपये की लागत से ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं, जबकि मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं। दोनों ही कांग्रेसी नेता अब इस दुनिया में नहीं हैं। कंपनी बनने के बाद यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) ने नेशनल हेराल्ड को चलाने के लिए ‘एजेएल’ के 90 करोड़ की देनदारियों का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया। यानी एक तरह से लोन चुकाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। इसके बाद एजेएल के 10-10 रुपए के नौ करोड़ शेयर ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ को दे दिए गए। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडिया को इस कंपनी के 99 प्रतिशत शेयर मिल गए और इसके बदले यंग इंडिया को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 

राहुल-सोनिया की यंग इंडिया लिमिटेड ने सिर्फ 50 लाख रुपए का ही भुगतान किया था कि गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने एजेएल के बाकी बचे 89.50 करोड़ रुपए का लोन माफ कर दिया। लोन माफ करते ही सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया। गांधी परिवार पर इस संपत्ति का अवैध रूप से अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के कई शहरों में नेशनल हेराल्ड अखबार के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की मौजूदा कीमत करीब 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है।

कांग्रेस से शीर्ष नेता सिर्फ नेशनल हेराल्ड घोटाले में ही शामिल नहीं है, इससे पहले अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले, बोफोर्स घोटाले, जमीन घोटाले, मारुति घोटाले के साथ मूंदड़ा स्कैंडल में भी गांधी परिवार के नाम सामने आते रहे हैं। आइए डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर एक नजर-

गांधी परिवार के लिए चित्र परिणाम

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।

बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर  भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।

मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।

मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।

देश के आजाद होने के बाद से ही कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती। अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीन घोटाला… न जाने कितने ऐसे स्कैम हैं, जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।

कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।

कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।

प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-

कोयला घोटाला 1.86 लाख करोड़ रुपये
2जी घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपये
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला 70,000करोड़ रुपये
कामनवेल्थ घोटाला 35,000 करोड़ रुपये
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला 1,100 करोड़ रुपये
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला 3,600 करोड़ रुपये
टाट्रा ट्रक घोटाला 14 करोड़ रुपये

 

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