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मुस्लिम कट्टरता की हदें पारः मौलवियों के उकसावे पर पाकिस्तान में रची थी नुपुर की हत्या की साजिश, देश में भी रचा जा रहा था षड्यंत्र

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भारत आज मुस्लिम समाज की कट्टरता से कुछ बड़े स्तर पर जूझ रहा है। धार्मिक विवाद से लेकर हिजाब विवाद और यहां तक कि सार्वजनिक स्थल मॉल में नमाज पढ़ने को लेकर मुसलमान जिस तरह की कट्टरता दिखा रहे हैं वह भारतीय समाज के लिए चिंता की बात है। जिस गंगा-जमुनी तहजीब की दुहाई अर्से से दी जाती रही है वह अब तार-तार होती दिख रही है। यहां तक कि मामूली से हिजाब मुद्दे पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने जिस तरह शिक्षा संस्थानों में हिजाब पहनने को जायज ठहराया इससे उनकी कट्टरता ही सामने आई। क्या अब कट्टरता के खिलाफ कमर कसने का समय आ गया है। क्या किसी ने कभी यह सोचा है कि हिंदू भी मुस्लिमों की भांति भड़कने लगें तो फिर क्या होगा। यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि हिंदू जागरण, भले ही धीमी गति से बढ़ रहा हो लेकिन निश्चित रूप से अपनी जागृत चेतना को प्रतिबिंबित करना शुरू कर दिया है। आजमगढ़ में भाजपा की जीत, सभी के लिए स्पष्ट संदेश है कि हिंदू चेतना अब जाग गई है। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही हिंदुओं में यह आत्मविश्वास की भावना आई कि अब अपनी पहचान फिर से स्थापित करनी होगी अन्यथा उनके पूर्वजों का राष्ट्र हमेशा के लिए चला जाएगा।

अब इस कट्टरता का चरम समझिए कि नुपुर शर्मा ने पैगंबर के बारे में कुछ बयान दिया तो मुसलमानों ने कई हिंदुओं की हत्या कर दी। यहां तक कि नुपुर शर्मा का वीडियो देखने पर भी चाकू मारकर घायल कर दिया गया। वहीं हिंदुओं के देवी-देवताओं पर अक्सर टीका-टिप्पणी होती रहती है लेकिन हिंदुओं ने तो कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया। तो फिर सवाल उठता है कि मुसलमान आखिर इतने कट्टर क्यों हैं? अब इस कट्टरता की हदें पार करते हुए पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक ने नुपुर शर्मा की हत्या की घिनौनी साजिश रची और एक पाकिस्तानी मुस्लिम युवक को इस काम के लिए भारत भेजा। कहा यह भी जा रहा है कि भारत भेजने से पहले मौलवियों ने उसका ब्रेनवाश किया। पाकिस्तान से राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सतर्क जवानों ने उसे पकड़ लिया। इस मामले में सबसे दुखद पक्ष यह है कि ये मुस्लिम युवक तो पाकिस्तान से आया था लेकिन भारत में भी नुपुर की हत्या की साजिश रची जा रही थी। पीएफआई से जुड़े मुस्लिम चरमपंथियों की यह साजिश बिहार के पटना में पकड़े गए मुसलमानों से पूछताछ में सामने आए हैं।

तहरीक-ए-लब्बैक ने नूपुर शर्मा को मारने की साजिश रची

नुपुर शर्मा की कथित तौर पर हत्या करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा के रास्ते भारत आए पाकिस्तानी आतंकी रिजवान पाकिस्तान स्थित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से प्रभावित था। उसने कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक ने नूपुर शर्मा को मारने की साजिश रची है। आरोपी की तलाश में उसके पास से कई संदिग्ध वस्तुएं मिली हैं। बीएसएफ के जवानों ने उसके पास से 11 इंच लंबा चाकू, नक्शे सहित अन्य सामान जब्त किया है। आरोपी रिजवान अशरफ (24) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहाऊद्दीन जिले का रहने वाला है। उससे खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और मिलिट्री एजेंसी की संयुक्त टीम पूछताछ कर रही हैं।

मौलवियों के उकसावे पर रची हत्या की साजिश

खुफिया एजेंसियों की पूछताछ में घुसपैठिए रिजवान अशरफ ने बताया कि वह नुपुर शर्मा की हत्या करने के इरादे से यहां आया था। सोशल मीडिया पर नुपुर शर्मा का वायरल वीडियो भी उसने देखा था। नुपुर के बयान पर पाकिस्तान के मंडी बहाऊद्दीन जिले में मुल्ला और उलेमाओं की एक बैठक का आयोजन किया था। जिसमें नुपुर शर्मा के बयान की निंदा की गई। उलेमाओं के बयानों से प्रभावित होकर उसने नुपुर की हत्या का प्लान बनाया और भारतीय सीमा तक पहुंच गया। श्रीगंगानगर के एसपी आनंद शर्मा ने बताया कि पुलिस ने उसे स्थानीय कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे आठ दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।

भारत में घुसने के लिए गूगल मैप का लिया सहारा

अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए रिजवान अशरफ ने गूगल मैप का सहारा लिया था। वह पहले अपने घर मंडी बहाऊद्दीन से लाहौर के रास्ते भारत में घुसना चाहता था, लेकिन लाहौर से घुसपैठ करने में वह कामयाब नहीं हो पाया। जिसके बाद यह साहिवाल होते हुए जिले की हिंदूमलकोट सीमा पार कर भारत में घुसना चाह रहा था। प्लान के मुताबिक पाक घुसपैठिया रिजवान भारत में प्रवेश कर श्रीगंगानगर से अजमेर दरगाह जाने वाला था। अजमेर दरगाह पर चद्दर चढ़ाने के बाद नुपुर शर्मा की हत्या करने की योजना थी।

मदरसे से आठवीं क्लास तक पढ़ा है रिजवान

पाकिस्ताान नागरिक रिजवान ने मंडी बहाऊद्दीन स्थित एक मदरसे से आठवीं क्लास तक की पढ़ाई की है। वह उर्दू के साथ-साथ पंजाबी और हिंदी भाषा भी अच्छी तरह से बोल लेता है। अब वहां पर यह इलेक्ट्रिशियन का काम करता है और पिता खेती करते हैं. पाकिस्तानी रिजवान शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। जांच एजेंसियां उसे अलग-अलग एंगल से पूछताछ करने में जुटी हुई हैं। यह भी जांच की जा रही है कि वह अकेला है या फिर साजिश में और लोग भी शामिल हैं।

नुपुर के खिलाफ भारत में भी रचा जा रहा था षड्यंत्र

बिहार के फुलवारीशरीफ से हाल ही में पीएफआई से जुड़े आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। अब पूछताछ के बाद बिहार पुलिस ने खुलासा किया है कि गिरफ्तार अतहर परवेज के मोबाइल से नूपुर शर्मा की तस्वीर और घर का पता पुलिस ने बरामद किया है। नुपुर का पता व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर किया गया था। इससे साफ जाहिर है कि दिल्ली स्थित उनका आवास कट्टरपंथियों के निशाने पर है। इस खुलासे के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि नूपुर शर्मा की जान को ख़तरा हो सकता है। वहीं पहले भी गिरफ्तार आतंकियो से पूछताछ में नूपुर शर्मा का जिक्र किया गया था। पीएफआई के द्वारा नूपुर शर्मा का वीडियो दिखाकर लोगों का ब्रेनवॉश करने की साजिश रची जा रही थी।

पीएफआई ने बिहार में 15 हजार मुस्लिम युवाओं को दी हथियार चलाने की ट्रेनिंग

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्‍य अतहर परवेज और अरमान मलिक ने पूछताछ करने वाली टीम को बताया कि बिहार में 15000 से ज्‍यादा मुस्लिम युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के तकरीबन 15 जिलों में कैंप ऑफिस खोले गए थे, वहीं पूर्णिया में पीएफआई का हेडक्‍वार्टर बनाया गया था। गिरफ्तार संदिग्‍धों से पूछताछ में पूर्णिया, कटिहर, अररिया, फारबिसगंज, किशनगंज, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बांका जिलों में पीएफआई द्वारा कैंप लगाने की बात सामने आ चुकी है। यह भी बताया जा रहा है कि पीएफआई के बैंक खाते से तकरीबन 90 लाख रुपये का ट्रांजेक्‍शन हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि हवाला के जरिये पीएफआई के अकाउंट में पैसा आया होगा।

पीएफआई के निशाने पर मिथिलांचल और सीमांचल!

फुलवारीशरीफ टेरर मॉडल का खुलासा होने के बाद जांच एजेंसीयों के कान खड़े हो गए हैं। भारत को 2047 तक इस्लामिक स्टेट बनाने के तैयारी के अलावा कई अन्य चीज़े सामने आई हैं। पूछताछ के दौरान जांच एजेंसियों को यह भी पता चला है कि आखिरकार पीएफआई के निशाने पर मिथिलांचल और सीमांचल का इलाका क्‍यों है? पूर्ण‍िया को हेडक्‍वार्टर बनाने के बारे में भी अहम जानकारी हाथ लगी है। दरअसल इन दोनों इलाके के अधिकांश जिलों की सीमाएं नेपाल से लगती हैं और यहां के दूर-दराज वाले इलाके भी काफी पिछड़े हैं। पीएफआई इन इलाकों में अनपढ़ और बेरोजगार युवाओं को टार्गेट करने की फिराक में है।

नूपुर शर्मा के नाम पर उकसाने की साजिश

पीएफआई की दो स्‍तरीय साजिश के तहत खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने की साजिश का खुलासा भी हुआ है। पीएफआई की साजिश के अनुसार, केरल, कर्नाटक, तम‍िलनाडु आदि राज्‍यों से मौलानाओं और इमामों को बुलाकर बिहार के दूर-दराज वाले इलाकों में भेजा जाए। ये मौलाना/इमाम दरभंगा, मोतिहारी जैसे जिलों के सुदूरवर्ती इलाकों में जाकर वहां के लोगों को नूपुर शर्मा के बयान के बारे में बताएंगे। साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी उल्‍लेख है कि यह संदेश जुमे की नमाज के बाद दी जाए, ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग इसे जान सकें।

झारखंड से की जा रही थी बिहार से लेकर केरल तक फंडिंग

झारखंड में पिछले 4 साल से बैन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) बिहार से देश के खिलाफ बड़ी साजिश रचने की तैयारी कर रहा था। झारखंड की PFI यूनिट को पहले केरल से फंड आता था। लेकिन अब झारखंड से ही बिहार, UP, बंगाल और केरल को भी फंड दिया जाता है। झारखंड के खुफिया विभाग के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक संताल परगना में ‘खनिज लूट’ में 25 प्रतिशत राशि पीएफआई तक पहुंच रही है। पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज के उदवा, पतना, बड़हरवा समेत कई इलाकों में इन्हें काफी फंड मिले हैं।

SDPI का सदस्य झारखंड में बिहार से ज्यादा एक्टिव

PFI का ही पॉलिटिकल विंग है सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)। PFI के प्रतिबंधित होने के बाद भी SDPI झारखंड में एक्टिव है। केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में हुए पंचायत चुनाव में PFI ने संगठन से जुड़े 48 लोगों को पंचायत चुनाव में जीत दिलवाई। साथ ही जेल जाने वाले अपने बड़े नेता को जिला परिषद सदस्य का चुनाव भी जितवाया।

29 साल झारखंड में रहने के बाद पिछले साल रिटायर हुआ है जलालुद्दीन

पटना में PFI व अन्य आतंकी संगठनों की साठगांठ के आरोप में गिरफ्तार सेवानिवृत्त दारोगा मो. जलालुद्दीन खान की बहाली 22 जनवरी 1982 को पटना में बतौर आरक्षी हुई थी। बहाली के बाद 10 सालों तक पटना में ही रहा। चार जनवरी 1992 को उसका तबादला गोड्डा हो गया। तब से लगातार वह झारखंड के अलग-अलग इलाकों में ही रहा। 30 अप्रैल 2021 को वह गिरिडीह जिले से सेवानिवृत्त हुआ। रिटायरमेंट के ठीक पहले उसकी पोस्टिंग भेलवाघाटी थाना में दरोगा के पद पर रही थी।

मोतिहारी में पीएफआई से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग देता है रियाज

बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद इसके तार मोतिहारी से भी जुड़ गए हैं। 26 नामजद लोगों में मोतिहारी के चकिया के रहने वाले रियाज और उस्मान का भी नाम शामिल हैं। ये लोग पीएफआई से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग देते थे। रियाज उर्फ बबलू के पास इस संगठन के कई महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी थी। यह कई देश विरोधी कार्यों में संलिप्त रहा है। इस पर पहले से भी कई मुकदमे दर्ज हैं। कहा जा रहा है कि रियाज दो साल पहले तक मुजफ्फरपुर से थोक भाव में बिस्किट लाकर चकिया में उसकी सप्लाई करता था। वर्ष 2003 से लेकर 2024 तक पीएफआई को बिहार में संगठन विस्तार करना था। रियाज उर्फ बबलू पर बिहार में कई जगहों पर मुकदमे दर्ज हैं। चकिया में हुए भारी उपद्रव का वो मुख्य अभियुक्त है।

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