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भारत की फार-ईस्ट नीति रूस की विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक सहभागिता की प्रमुख स्तंभ बनी : प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के सातवें पूर्ण सत्र को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित किया है। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा है कि भारत आर्कटिक विषयों पर रूस के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए ऊर्जा के साथ-साथ भारत ने रूस के सुदूर पूर्व में फार्मा और हीरे के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश किया है। पीएम मोदी ने कहा कि 2019 में उन्हें इस मंच पर रूस के साथ भाग लेने का मौका मिला था। उसी समय उन्होंने भारत की एक्ट फार-ईस्ट नीति की घोषणा की थी। इसी नीति की घोषणा के परिणामस्वरूप, रूस के सुदूर पूर्व के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है। श्री मोदी ने कहा कि आज यह नीति भारत और रूस की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक स‍हभागिता का एक प्रमुख स्तंभ बन गई है।

खाद्यान्न और ईंधन की कमी चिंता का विषय

पीएम ने दुनिया में घटने वाली घटनाओं के प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि आज दुनिया के एक हिस्से में होने वाली घटनाएं पूरी दुनिया पर प्रभाव डालती हैं। यूक्रेन संघर्ष और कोविड महामारी का वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की कमी विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही, भारत ने कूटनीति और बातचीत का रास्ता अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत इस संघर्ष को समाप्त करने के सभी शांतिपूर्ण प्रयासों का समर्थन करता है।

भारत ने व्लादिवोस्तोक में खोला पहला वाणिज्य दूतावास 

प्रधानमंत्री ने बताया कि रूस के व्लादिवोस्तोक शहर में अपना वाणिज्य दूतावास खोलने वाला भारत पहला देश था। उन्होंने कहा कि बहुत खुशी की बात है इसी महीने रूस में भारत के वाणिज्य दूतावास की स्थापना के तीस साल पूरे हो रहे हैं। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने रूस के राष्ट्रपति को इस बैठक में भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया।

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