वैश्विक कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भारत एक के बाद एक बड़ी सफलता अर्जित कर रहा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रोत्साहन, देश के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के अथक परिश्रम के बाद भारत को अपनी पहली स्वदेशी नेजल वैक्सीन मिल गई है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने मंगलवार (06 सितंबर, 2022) को भारत बायोटेक द्वारा निर्मित नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी। यह वैक्सीन नाक के जरिए स्प्रै करके दी जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने इस वैक्सीन को कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए ‘बिग बूस्ट’ करार दिया।
कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को मिला ‘बिग बूस्ट’
नेजल वैक्सीन की मंजूरी के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने ट्वीट किया, “कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई को बड़ा बूस्ट। भारत बायोटेक के ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 नेजल वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है।” उन्होंने आगे लिखा कि यह कदम महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को और मजबूत करेगा। भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने विज्ञान, अनुसंधान एवं विकास और मानव संसाधन का इस्तेमाल किया है। उन्होंने यह भी कहा कि हम विज्ञान आधारित दृष्टिकोण से कोविड-19 को हराएंगे।
Big Boost to India’s Fight Against COVID-19!
Bharat Biotech’s ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 (Chimpanzee Adenovirus Vectored) recombinant nasal vaccine approved by @CDSCO_INDIA_INF for primary immunization against COVID-19 in 18+ age group for restricted use in emergency situation.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 6, 2022
वैक्सीन को 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए मंजूरी
दरसअल डीसीजीआई ने इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन को 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए मंजूरी दी है। भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का नाम BBV154 यानि इनकोवैक है। इसके साथ ही हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक कोरोना के नेजल वैक्सीन बनाने का ग्लोबल लीडर बन गयी है। भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन का 4 हजार वॉलिंटियर्स पर क्लीनिकल ट्रायल किया था। इससे पहले भारत बायोटेक ने इंट्रानैसल वैक्सीन का तीसरा क्लीनिकल ट्रायल 15 अगस्त को पूरा कर लिया था। ट्रायल के दौरान वैक्सीन को पहली और दूसरी खुराक के तौर पर दिया गया। सफल परीक्षण होने के बाद बूस्टर डोज के तौर पर भी इसका परीक्षण किया गया। हालांकि बूस्टर डोज उन्हीं लोगों को दी गई थी जिन्होंने कोविड की दोनों वैक्सीन लगवा ली थी।
लोगों को जल्द मिलेगा कोरोना से बचाव का कवच
भारत बायोटेक ने पूरे भारत में 14 जगहों पर परीक्षण किए थे। कंपनी ने बताया था कि पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल में स्वस्थ वॉलंटियर्स को दी गई। इस दौरान वैक्सीन की खुराक ने अच्छी तरह से काम किया। कोई गंभीर प्रतिकूल घटना की जानकारी नहीं मिली। वैक्सीन को प्री-क्लीनिकल टॉक्सिसिटी स्टडीज में सुरक्षित, इम्युनोजेनिक और अच्छी तरह से काम करने योग्य पाया गया। शुरुआती दौर में यह काफी असरदार पाई गई। अब नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर भी लिया जा सकेगा। जल्द ही लोगों को कोविड से सुरक्षा का यह कवच मिलना शुरू हो जाएगा।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने दुनिया में बढ़ाई भारत की साख
भारत के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की प्रतिभा और परिश्रम का नतीजा है कि आज भारत नेजल वैक्सीन विकसित करने में कामयाब रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से इसके विकास में दिलचस्पी ली और वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को प्रोत्साहित किया। इससे भारत की साख एक बार फिर से पूरी दुनिया में बढ़ी है। भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ग्लोबल लीडर साबित हुआ है। भारत ने अपने देश की रक्षा करते हुए अन्य देशों की रक्षा के लिए भी सुरक्षा कवच तैयार किया है। इससे कोविड के खिलाफ जंग को और भी अधिक मजबूती मिलेगी।
दर्द और सूजन जैसी परेशानी से मिलेगी राहत
नेजल स्प्रे काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इस वैक्सीन को नाक के जरिये लिया जा सकेगा। इससे कोरोना संक्रमण की संभावना एकदम कम हो जाएगी। आसान भाषा में कहा जाए तो जिस तरह मांसपेशियों में इंजेक्शन से लगाई जाने वाली वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं, उसी तरह नाक में कुछ बूंदें डालकर दी जाने वाली वैक्सीन को इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है जिसे नेजल स्प्रे का नाम से जानते हैं। नेजल स्प्रे उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प है जिन्हें इंजेक्शन लगवाने से परहेज है या जिन्हें इस तरह से डोज लेने के बाद दर्द और सूजन जैसी परेशानी होती है।
नेजल वैक्सीन के फायदे
- यह वैक्सीन व्यक्ति के शरीर में सीधी वहां पहुंचती है जहां पर कोविड-19 वायरस सबसे पहले अटैक करता है। इसलिए ये अत्यधिक प्रभावी साबित हो सकती है।
- यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं।
- इससे सुई और सिरिंज की खपत भी रुकेगी और मेडिकल कचरा भी कम होगा।
- इसका डोज शरीर में जल्द इम्युनिटी प्रोवाइड करता है और इसके साथ ही संक्रमण को भी रोकता है।
- नेजल स्प्रे में आपको किसी तरह का दर्द नहीं झेलना पड़ा क्योंकि इसकी डोज को नाक के जरिए शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है।
- यह वैक्सीन नाक के अंदरुनी हिस्सों में प्रतिरोधक क्षमता तैयार करती है।