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धन्‍यवाद पत्र में भी देश की चिंता… विकास कैसे हो इसकी चर्चा… धन्‍य हैं हमारे प्रधानमंत्री जी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 72 की अवस्था में भी पूरी ऊर्जा, साहस और समर्पण के साथ देश की सेवा में लगे हुए हैं। देश को आत्मनिर्भर और विश्व गुरु बनाने के लिए एक जोशीले युवक की तरह बिना थके, बिना हारे लगातार काम कर रहे हैं। उनके चिंतन के केंद्र में देश का विकास और जनता का कल्याण है। देश और देशवासियों के प्रति उनका समर्पण अद्भुत है। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद जनता से जुड़े रहते हैं और उनसे किस न किसी माध्यम से संवाद करते रहते हैं। वहीं देशवासी भी उनसे बेशुमार प्रेम करते हैं। इसकी झल एक धन्‍यवाद पत्र में देखने को मिली है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अपने चाहने वालों का आभार जताने के साथ विकसित भारत बनाने के संकल्‍प की चर्चा की है।  

स्नेहिल धन्यवाद के साथ अमृत महोत्‍सव की चर्चा

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के भागलपुर की लवली रानी को एक धन्यवाद पत्र भेजा है। यह पत्र लवली रानी के उस पत्र का जवाब है, जिसमें उन्‍होंने प्रधानमंत्री मोदी को जन्‍मदिन की बधाई दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने लवली रानी को पत्र भेजकर स्नेहिल धन्यवाद कहा है। इसके अलावा पत्र में स्‍वतंत्रता के अमृत महोत्‍सव की भी चर्चा है। भव्‍य और विकसित भारत बनाने के संकल्‍प का जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में किया है। 

प्रधानमंत्री मोदी के धन्यवाद पत्र का अंश

“जन्मदिन पर शुभकामनाओं के लिए आपका हृदय से धन्यवाद। आपका स्नेहिल संदेश पाकर मैं अभिभूत हूं। देशवासियों से निरंतर मिलने वाले अपार स्नेह को मैं अपना बहुत बड़ा सौभाग्य मानता हूं। मेरे प्रति आपका यह विश्वास मेरी सबसे बड़ी ताकत है, जो मुझे देश की सेवा में दिन-रात खुद को खपाने की ऊर्जा देती है।

आजादी के इस अमृतकाल में 130 करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य से ऊर्जित देश, एक भव्य और विकसित भारत बनने की लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हमारे सामूहिक प्रयास निश्चित रूप से राष्ट्र को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए आपका एक बार फिर से धन्यवाद। ईश्वर से आपके और आपके परिवार के उत्तम स्वास्थ्य की मंगल कामना करता हूं।” 

प्रधानमंत्री का धन्यवाद पत्र पाकर लवली रानी गदगद

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भेजे गए धन्यवाद पत्र को पाकर लवली रानी काफी खुश और गदगद हैं। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्‍हें कई पत्र भेजे हैं, जिसे वो सहेजकर रखी हैं। इस पत्र को पढ़कर लोग कर रहे हैं कि धन्‍यवाद पत्र में भी देश की चिंता… विकास कैसे हो इसकी चर्चा… धन्‍य हैं हमारे प्रधानमंत्री जी। लवली रानी बताया कि मैं हर बार समस्याओं पर प्रधानमंत्री का ध्यानाकर्षण कराती हूं और प्रधानमंत्री मोदी का ठोस आश्वासन भी मुझे मिलता है। लवली रानी का मानना है कि इससे पहले भी मुझे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में बताया है कि वे भागलपुर के विकास के लिए कृतसंकल्पित हैं।

लवली रानी के पति ने धन्यवाद पत्र शेयर कर जतायी खुशी

लवली रानी, भागलपुर जिले के सुल्तानगंज प्रखंड के महेशी पंचायत निवासी निर्दोष मिश्रा की पत्नी हैं। निर्दोष कुमार मिश्रा भारतीय रेलवे के कर्मचारी हैं और भागलपुर में कार्यरत हैं l वो भी प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद पत्र मिलने से काफी खुश है। उन्होंने समाचार पत्रों में छपी खबरों को शेयर करते हुए ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन के अवसर पर मेरी पत्नी लवली रानी द्वारा लिखे गए शुभकामना संदेश पत्र के जवाब में आज हमारे परम आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने लवली रानी को स्नेहिल आभार पत्र भेजाl”

पीएम मोदी ने एक जिम्मेदार भाई की तरह निभाया फर्ज

गौरतलब है लवली रानी हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को राखी भेजती है। एक जिम्मेदार भाई की तरह प्रधानमंत्री मोदी भी स्नेहाशीष भेजने से कभी चूके नहीं। लवली रानी ने बताया कि किसी व्यक्ति को अपना धर्मभाई बनाना बहुत सरल है। लेकिन कोई धर्मभाई किसी महिला को धर्मबहन स्वीकार कर उसे स्नेह दे ये कठिन है। मैं गौरवान्वित महसूस करती हूं जब राखी के प्रत्युत्तर में मुझे प्रधानमंत्री मोदी पत्र के माध्यम से स्नेह भेजते हैं। लवली रानी पिछले कई वर्षों प्रधानमंत्री मोदी को राखी भेजती है। 

प्रधानमंत्री मोदी के जवाब ने जीता भरोसा

लवली रानी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपने गांव की समस्या बताई थी तब उन्हें भी विश्वास नहीं था कि पत्र का सच में संज्ञान लिया जाएगा। लेकिन जब स्वयं प्रधानमंत्री का जवाब आया तब विश्वास को मजबूती मिली। फिर क्या था लवली रानी ने लगभग हर महीने कभी गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक की समस्याएं बताने तो कभी मोदी सरकार के बेहतर कार्य पर बधाई देने के लिए पत्र लिखती रहती है।

आइए देखते हैं इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने किस तरह लोगों के पत्र का जवाब देकर उनसे संवाद किया और उनके सुख-दुख में भागीदार बने…

एक पत्र ने बदल दी रिक्शा चालक की जिंदगी

बिहार के खगड़िया जिले के गोगरी जमालपुर के एक गरीब रिक्शा चालक शंभू पासवान की पत्नी का इलाज भी प्रधानमंत्री मोदी की पहल से संभव हो सका। एक बार पत्नी के बीमार पड़ने पर शंभू पासवान ने इलाज के लिए उसे गोगरी रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अस्पताल में लिखी गई दवा नहीं मिली। ऐसे में शंभू के मन में प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा कौंधा, एक उम्‍मीद जगी और उन्‍हें पत्र लिख दिया। फिर क्या था, प्रधानमंत्री मोदी ने मामले का संज्ञान लिया और अस्पताल की ओर से दवा उपलब्ध कराई गई। साथ ही इलाज की पूरी व्‍यवस्‍था भी की गई। दैनिक जागरण के अनुसार इसके बाद से शंभू पासवान ने प्रधानमंत्री मोदी को कई समस्याओं को लेकर भी पत्र लिखे और हर बार प्रधानमंत्री मोदी का पत्र मिला।

तीसरी क्लास की खुशी को मिला प्रधानमंत्री का जवाब

हरियाणा में फतेहाबाद जिले के रत्ताटिब्बा गांव की तेजासिंह ढाणी की रहने वाली तीसरी कक्षा की ‘खुशी’ ने अपने गांव की कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए देश के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखी। खुशी ने 17 जनवरी को अपनी कॉपी के पन्ने पर पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेज दिया और जब 15 फरवरी को जब खुशी के पत्र का जवाब आया, तो गांव में खुशियां छा गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 300 की आबादी वाले तेजासिंह ढाणी में आजादी के इतने साल बाद भी कच्ची सड़कें हैं। यहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता है। खुशी की चिट्ठी के बाद पीएमओ ने पीडब्लूडी-बीएंडआर विभाग को सड़क बनाने का आदेश दिया। खुशी की इस उपलब्धि पर उसके दादा छोटू राम भी काफी खुश थे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी इस बेटी पर गर्व है और हमें लगता है कि हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को भी सार्थक किया है।

अनाथ बच्चों के पत्र का जवाब

नोटबंदी के दौरान पुराने नोट बदलने की समयसीमा खत्म होने के बाद कोटा के दो अनाथ बच्चों सूरज और सलोनी बंजारा को अपने घर से 96,500 रुपये के पुराने नोट मिले थे। हिंदु्स्तान टाइम्स अखबार की खबर के मुताबिक समय सीमा खत्म हो जाने के कारण रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बदलने से इनकार कर दिया। इसके बाद अनाथ आश्रम मधु स्मृति संस्थान के संचालकों ने पीएमओ को पत्र लिखकर इन बच्चों की परेशानी बताई। इन बच्चों की खुशियों का तब कोई ठिकाना ना रहा जब पीएमओ की ओर से एक चिट्ठी मधु स्मृति संस्थान पहुंची। इस चिट्ठी में पीएम मोदी ने बच्चों को तोहफे के रूप में प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष से 50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की । इसके साथ ही पीएम सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दोनों बच्चों का बीमा भी किया गया। सूरज और सलोनी की मां पूजा बंजारा दिहाड़ी मजदूर थी। साल 2013 में उसकी हत्या के बाद अनाथ हुए सूरज और सलोनी कोटा में मधु स्मृति संस्थान में रह रहे हैं। जहां काउंसलिंग के दौरान दोनों ने अपने पुश्तैनी घर की जानकारी दी। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर पुलिस की तलाशी में बच्चों के पुश्तैनी घर से 96 हजार 500 रुपए मिले थे।

कैंसर मरीज के पत्र का जवाब

हिमाचल प्रदेश के अवतार सिंह को कैंसर के कारण नौकरी भी चली गई थी। इलाज के लिए डॉक्टर ने उससे तीन लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा था। तीन लाख रुपये के नाम पर उसे लग रहा था वह अब और नहीं जी पाएगा। इस बारे में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के एक बीजेपी नेता ने स्थानीय सांसद शांता कुमार से बात की। शांता कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी। 31 मार्च को लिखे इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार कर तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद को मंजूरी दे दी।

मां के मोबाइल से मिले संदेश का जवाब

ऋषिकेश के सर्वहारानगर काले की ढाल की निवासी संतोष रस्तोगी अपने 20 साल के बेटे विशाल के इलाज के लिए कई जगह गुहार लगा चुकी थी। एमएलए, एमपी सहित मुख्यमंत्री के दरबार में भी हाजिरी लगा चुकी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। थक-हारकर संतोष रस्तोगी ने अपने एक रिश्तेदार के मोबाइल फोन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी फरियाद भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसपर तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऋषिकेश के एसडीएम को फोन करके महिला संतोष रस्तोगी का पता लगाने और मदद करने को कहा गया। पीएमओ ने एसडीएम को तुरंत महिला के बेटे के इलाज की व्यवस्था कराने को कहा।संतोष ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करती है।

रामशंकर के पत्र का जवाब

दिल्ली से सटे गुरुग्राम में रहने वाले बिहार के रामशंकर यादव को दिल्ली से बिहार के मधुबनी जाना था। रेल टिकट के लिए गुरुग्राम से दिल्ली जाते वक्त मेट्रो रेल में रामशंकर ठगी के शिकार बन गए। दिल्ली मेट्रो में बातचीत के दौरान तीन लोगों ने कन्फर्म रेल टिकट दिलाने के नाम पर उससे 2,200 रुपये छीन लिए और डेबिट कार्ड से 6,000 रुपये निकाल लिए गए। इसके साथ ही रामशंकर से बैग भी छीन लिया गया जिसमें उसके ओरिजल सर्टिफिकेट थे। 21 साल के रामशंकर यादव धोखाधड़ी के इस मामले में केस दर्ज करना चाहते थे। गुरुग्राम के एक और दिल्ली के तीन पुलिस स्टेशन से उसे लौटा दिया गया। थक हारकर उसने पीएमओ को पत्र लिखा। जिसके बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन से रामशंकर के पास फोन आया कि आप आकर शिकायत दर्ज करा दीजिए। पीएमओ के दखल के बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन ने धारा 406 और 420 के तहत मामला दर्ज कर किया, और उसकी समस्या का समाधान किया।

सारा के  पत्र का जवाब

कर्नाटक की बी.बी.सारा, जो अपनी एमबीए की पढ़ाई को आगे जारी रखना चाहती थी, लेकिन आर्थिक हालात ठीक नहीं होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रही थी। कर्नाटक के मंड्या की शुगर टाउन की रहने वाली सारा ने बैंक से एजुकेशन लोन के लिए एप्लाई कर दिया। सारा को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ये लोन बहुत जरूरी था, लेकिन बैंक देर पर देर किये जा रहा था और सारा को पढ़ाई छूटने का खतरा सता रहा था। थक हारकर सारा ने अपने पिता अब्दुल इल्यास के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी परेशानी से अवगत कराया। प्रधानमंत्री कार्यालय से तुरंत पत्र का जवाब आया कि 10 दिन के अंदर आपको लोन मिल जाएगा, और वैसा ही हुआ 10 दिन से पहले ही बैंक वालों ने सारा को लोन दे दिया।

ट्वीटर पर मिले आठ साल की बच्ची के संदेश का जवाब

असम की आठ साल की बच्ची की हालत काफी गंभीर थी। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थी और उसे इलाज के लिए जल्द से जल्द दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय वाराणसी में थे। बच्ची के परिजन ने मदद के लिए दिल्ली पुलिस और प्रधानमंत्री को ट्वीट किया। ट्वीटर पर इस बारे में जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से ट्रैफिक फ्री पैसेज देने का आदेश दिया। इसके बाद पीएमओ ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बच्ची के एंबुलेंस के लिए फ्री पैसेज तैयार कर लिया। जिससे बच्ची समय से पहले अस्पताल पहुंच सकी। 13 किलोमीटर का रास्ता सिर्फ 14 मिनट में तय कर बच्ची को अस्पताल में भर्ती करा लिया गया। बताया जा रहा है कि बच्ची को जिस वेंटिलेटर के साथ दिल्ली लाया गया था, अस्पताल पहुंचते वक्त उस बैटरी की क्षमता सिर्फ सात मिनट बची थी। साफ है थोड़ा समय और लगता तो बच्ची की जान को खतरा हो सकता था।

पार्थ के पिता के पत्र का जवाब

डीजेनरेटिव ब्रेन नामक बीमारी से पीड़ित 12 साल के पार्थ के पिता अपने बच्चे की इलाज में अपनी पूरी जमा-पूंजी खर्च चुके थे, लेकिन फिर भी पार्थ को सही इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में हर जगह हार मान चुके पार्थ के पिता को एक ही उपाय नजर आया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा। पीएम मोदी ने पत्र पढ़कर तुरंत स्वास्थ्य मंत्री को पार्थ के इलाज की उचित व्यवस्था कराने को कहा।

तैयबा के पत्र का जवाब

आगरा की तैयबा का परिवार तो निराश हो चला था। महज 12 साल की उम्र में तैयबा के दिल का एक वॉल्व खराब हो गया। इलाज बेहद खर्चीला था। ऐसे में तैयबा ने पीएम को चिट्ठी लिखी। तैयबा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि वह जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित है और उसके मजदूर पिता के पास 15 से 20 लाख रुपये नहीं कि इलाज करा सकें। तैयबा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें पीएमओ से जवाबी चिट्ठी मिली। उसी खत में दिल्ली सरकार को निर्देश भी दिया गया था कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए। दिल्ली सरकार ने भी इस पत्र पर कार्रवाई करते हुए गुरु तेग बहादुर अस्पताल को तैयबा के इलाज का निर्देश दिया और इलाज शुरू हो गया।

रोहित की मात्र खबर पर जवाब

ऐसे समय में जब 14 साल के रोहित के परिवार को मदद की सख्त जरूरत थी, प्रधानमंत्री ने महज एक खबर का संज्ञान लेकर उन्हें ये मदद पहुंचाई। हिंदुस्तान टाइम्स अखबार में खबर आने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एम्स में रोहित का इलाज कर रहे डॉक्टर से बात की। जिसके तुरंत बाद 13 फरवरी को रोहित के इलाज और पोर्टेबल वेंटिलेटर खरीदने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए जारी कर दिए गए। प्रधानमंत्री से मदद पाकर रोहित का परिवार बेहद खुश हुआ।

डोरिस फ्रांसिस की मदद की 

दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले की डोरिस फ्रांसिस को प्रधानमंत्री कार्यालय से तीन लाख रुपये की मदद मिली। सामाजिक कार्यकर्ता डोरिस लंबे समय से नेशनल हाइवे 24 पर ट्रैफिक संभालती हैं। वह जहां ट्रैफिक संभालती हैं, वहीं उनकी 17 साल की बेटी का सड़क हादसे में निधन हो गया था। वह इन दिनों कैंसर से जूझ रहीं हैं।

वाराणसी की कैंसर पीड़िता के पत्र का जवाब

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से एक महिला ने अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। इस महिला की बेटी की दोनों किडनियां भी खराब थी। प्रधानमंत्री ने पीड़िता को वाराणसी के रविंद्रपुरी स्थित दफ्तर में मुलाकात की। यह दफ्तर उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं इकट्ठा करने के लिए ही बनाया गया था। पीएम मोदी से मिलकर आईं कल्याणी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री ने तुरंत ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों का नंबर लगाया और उन्हें कहा कि मुझे पहली प्राथमिकता देते हुए मेरी सहायता की जाए।

छह साल की वैशाली के पत्र का जवाब

मोदी सरकार की तत्परता का अनुभव पुणे की सात साल की वैशाली यादव नाम की छोटी बच्ची ने लिया। वह पुणे में हडपसर के पास भेकराई नगर में रहती है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली वैशाली के दिल में छेद होने की वजह से वो हमेशा बीमार रहती थी। डॉक्टरों ने सर्जरी अनिवार्य बताई थी। बच्ची के चाचा मजदूरी करते हैं। बहादुर बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर अपने मन की बात बताई। खत मिलने पर पीएमओ ऑफिस से पुणे के कलेक्टर को वैशाली की मदद करने कहा गया और पुणे के रुबी हॉल क्लीनिक में वैशाली की ओपन हार्ट सर्जरी भी पूरी हो गई। वो अपने घर पर सुरक्षित है। वैशाली के घरवालों के लिए यही अच्छे दिन है।

ट्वीट के संदेश का दिया जवाब

कर्नाटक में कोप्पल गांव के एक किसान विजय कुमार यातनल्ली ने एक ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी और उनकी समस्या सुलझ गई। किसान विजय के खेत में खड़ा बिजली का खंभा बारिश के कारण झुक गया था। खंभा झुक जाने के कारण विजय को खेत में हल चलाने में और पटवन में काफी परेशानी होती थी। विजय ने इस बारे में गुलबर्ग इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (GESCOM) से कई बार शिकायत की, लेकिन परेशानी का कोई हल नहीं निकाला गया। परेशान होकर विजय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर दिया। प्रधानमंत्री को ट्वीट किए जाने के बाद 24 घंटे के भीतर बिजली खंभे को खेत से हटा दिया गया।

गांव के शिकायती पत्र का जवाब दिया

पीएमओ की पहल पर ही उत्तर प्रदेश के एटा के भिड़इया गांव में 11 साल बाद नए सिरे से विद्युतीकरण का काम शुरू करवाया गया। एक छात्रा ने पीएमओ की वेबसाइट पर शिकायत कर ये जानकारी दी थी कि 2005 में आंधी में तार टूटने के बाद प्रशासन और शासन में से कोई भी गांव में बिजली बहाली की सुध नहीं ले रहा। पीएमओ के संज्ञान लेते ही विद्युत विभाग के अफसरों की नींद खुली और 15 दिन के अंदर बजट आवंटित होने के साथ गांव में दोबारा बिजली बहाल करवाई गई।

वाराणसी के जितेंद्र साहू के पत्र का जवाब

वाराणसी में सारनाथ के सारंग तालाब निवासी जितेंद्र साहू को बेटी की शादी के लिए पीएमओ की पहल पर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से 50 हजार रुपये का चेक दिलवाया गया। बेटी की शादी के निमंत्रण कार्ड के साथ जितेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक मदद के लिए एक पत्र लिखा था, जिसके बाद पीएमओ ने जिलाधिकारी को खत लिखकर मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया था। 

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