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PM MODI के डिजिटल इंडिया विजन का जबर्दस्त इम्पैक्ट, देश में पहली बार दीपोत्सव पर कैश लेन-देन हुआ इतना कम, Digital Payment सात साल में 10 से 80% के पार पहुंचा, महिलाएं भी बनीं ताकत

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देश की अर्थव्यवस्था बड़े आधारभूत बदलाव के दौर से गुजर रही है। देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने लिए पीएम मोदी का डिजिटल लेन-देन पर खासा जोर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन पर चलते हुए अब तक कैश पर आधारित रही अर्थव्यवस्था में अब पेमेंट के तरीकों में व्यापक बदलाव आ रहा है। देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली के हफ्ते में यह बात और अच्छे से साबित हो गई। अब कैश के बजाए लोग ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता देने लगे हैं। जहां 2015 में डिजिटल पेमेंट 10 प्रतिशत से भी कम था, वहीं इस साल 2022 में यह 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। दो दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि दिवाली के मौके पर भी बाजार में कैश फ्लो नहीं बढ़ा, क्योंकि लोगों ने अपने स्मार्ट फोन के जरिए ज्यादा पेमेंट किया है।दो दशकों में पहली बार दिवाली वाले सप्ताह में कैश लेन-देन में इतना कम हुआ
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी द्वारा लोगों के बीच डिजिटल भुगतान को लोकप्रिय बनाने के कारण ऐसा संभव हो पाया है। रिपोर्ट में साथ ही कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय एक संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रही है। इस साल दीवाली वाले सप्ताह में नकदी में 7,600 करोड़ रुपये की कमी हुई। 20 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 में दीवाली वाले सप्ताह में सिस्टम में नकदी में 950 करोड़ रुपये की मामूली गिरावट हुई थी, लेकिन ऐसा वैश्विक वित्तीय संकट के बीच आर्थिक मंदी के कारण हुआ था।

मोदी सरकार के शानदार तकनीकी नवाचारों ने भारतीय भुगतान प्रणाली को बदल डाला
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि मोदी सरकार के तकनीकी नवाचारों ने भारतीय भुगतान प्रणाली को बदल दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था अब नकदी आधारित नहीं है, बल्कि स्मार्टफोन आधारित भुगतान में बदल गई है। उन्होंने कहा कि प्रणाली में नकदी घटना बैंकों के लिए फायदेमंद है। स्मार्ट फोन से पेमेंट के कारण जहां 16 प्रतिशत यूपीआई के जरिए, 12 प्रतिशत आईएमपीएस और एक प्रतिशत ई-वॉलेट के जरिए भुगतान हुआ। 55 प्रतिशत भुगतान एनईएफटी के जरिए किया गया। इस साल अक्टूबर में ही 12 लाख करोड़ रुपये यूपीआई से पेमेंट किए गए।मोदी सरकार के विजन से 2027 में सिर्फ 12 प्रतिशत लेन-देन ही कैश होगा
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जहां वित्तीय वर्ष 2016 में भारत के 88 प्रतिशत लेन-देन कैश किए जाते थे, वहीं इस साल अक्टूबर में यह गिरकर महज 20 प्रतिशत पर ही आ गया है। यह रिपोर्ट उम्मीद जताती है कि मोदी सरकार की नीतियों और विजन के चलते 2027 तक देश में सिर्फ 12 प्रतिशत लेन-देन ही कैश होगा। तब 88 प्रतिशत लेन-देन विभिन्न माध्यमों से ऑनलाइन ही होगा। यह सरकार और आरबीआई दोनों के लिए बेहतर स्थिति है। इससे मुद्रा छापने और उसके सर्कुलेशन पर आने वाला खर्च भी कम हो जाएगा। सरकार की जनहितकारी नीतियों के कारण ही पिछले छह साल में चेक से भुगतान 46 प्रतिशत से गिरकर 12.7 प्रतिशत पर आ गया है।

 

देश में दो लाख करोड़ से भी पार होगी ऑफलाइन-ऑनलाइन फेस्टिवल सेल्स
इस बार दिवाली के उल्लास भरे वातावरण में भारतीय इतनी शॉपिंग कर रहे हैं जितनी महामारी से पहले भी नहीं की थी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में भारतीय न केवल कार, घर और गहने खरीद रहे हैं, बल्कि घूमने-फिरने पर भी काफी रकम खर्च कर रहे हैं। घूमने जाते वक्त कैश को लेकर हर बार डर बना रहता था। इसलिए जब से डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ा। अब कैश लेकर चलने की दिक्कत नहीं। पिछले दो-ढाई साल से खरीदारी की दबी चाहत इस बार खुलकर बाहर निकल रही है। बाजार इसे ‘रिवेंज शॉपिंग’ मानकर चल रहा है। यही वजह है कि इस बार फेस्टिव सेल्स 2 लाख करोड़ रुपए के पार कर गई।

ऑनलाइन खरीदारों की संख्या 2018 के बाद से चार गुना बढ़कर 20 करोड़ के पार पहुंची
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक मौजूदा फेस्टिवल सीजन जो कि सितंबर के अंत से शुरू हुआ और नवंबर की शुरुआत तक चलेगा, में बिक्री 27 अरब डॉलर को पार कर सकती है। ये रकम रुपये के मौजूदा स्तर पर 2.2 लाख करोड़ के करीब है। ये आंकड़ा 2019 में महामारी से पहले के फेस्टिव सीजन के मुकाबले लगभग दोगुना है। मार्केट कंसल्टेंट रेडसीर ने अनुमान जताया है कि इस बार ऑनलाइन सेल्स भी एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकती है। ऑनलाइन खरीदारों की संख्या 2018 के बाद से 4 गुना बढ़कर 20 करोड़ के करीब पहुंच गई है। और इसमें सबसे ज्यादा ग्रोथ छोटे शहरों से आ रही है, जहां से लोग कपड़े से लेकर महंगे मोबाइल तक खरीद रहे हैं।

डिजिटल पेमेंट के बदलाव को बढ़ावा देने में महिलाओं की भी महत्ती भूमिका
देश में लेन-देन और भुगतान में आए इस बदलाव में महिलाएं महत्ती भूमिका निभा रही हैं। अब पहले की भांति रुमाल में लपेटकर ब्लाउज में पैसे रखने का जमाना चला गया है। डिजिटल पेमेंट महिलाओं की पहली पसंद इतना ज्यादा बन गया है कि अब वो अदरक-धनिया का भी ऑनलाइन पेमेंट कर रही हैं। महिलाएं अब डिजिटल पेमेंट को ज्यादा वैल्यू दे रही हैं। डिजिटल लेनदेन 80 प्रतिशत तक बढ़ा है। हाल में ही डिजिटल पेमेंट कंपनी ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसके मुताबिक कर्नाटक की महिलाएं सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट करती हैं। दूसरे नम्बर पर दिल्ली और हैदराबाद की वुमन तीसरे स्थान पर हैं। दिल्ली एनसीआर में यूपीआई लेन-देन 442 फीसदी बढ़ा है। दिल्ली-एनसीआर के लोग खाने-पीने के साथ ही ट्रेवल के लिए डिजिटल पेमेंट का उपयोग तेजी कर रहे हैं।

करीब दो-तिहाई शहरी भारतीय महिलाएं सामान्य तौर पर डिजिटल पेमेंट करती हैं
एक हालिया सर्वे के अनुसार, लगभग दो-तिहाई शहरी भारतीय महिलाएं (67%) सामान्य तौर पर डिजिटल पेमेंट करती हैं। वहीं कार्ड के माध्यम से पेमेंट करने वालों में 54% महिलाएं हैं। इसके अलावा, एक तिहाई से भी कम (30%) महिला लेन-देन के उद्देश्यों से इंटरनेट बैंकिंग करती हैं। डिजिटल पेमेंट को लेकर 81% महिलाओं का कहना है कि यह सेफ और आसान है। इससे हमें काफी सुविधाएं मिली। 70 % लोगों का डिजिटल पेमेंट में रिवॉर्ड जैसे कैशबैक, प्रमोशनल ऑफर इनके अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं लगभग 68% डिजिटल पेमेंट मोड का इस्तेमाल पेमेंट के रिकॉर्ड के लिए करती हैं, जबकि कई अन्य उनका उपयोग इसलिए करती हैं क्योंकि वे उन्हें सुरक्षित और भरोसेमंद (51%) मानती हैं।

 

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