Home विपक्ष विशेष 2003 में प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने की थी CAA...

2003 में प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने की थी CAA और NRC लाने की मांग, ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट खोल देगी आपकी आंखें!

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून बनाया है। लेकिन आज कांग्रेस पार्टी इस कानून का विरोध कर देशभर में मुसलमानों को भड़काकर हिंसा फैलाने में लगी है। परफॉर्म इंडिया की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में हम आपको कांग्रेस के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश करेंगे। हम आपको बताएंगे कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इसी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने सरकार पर इन देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का दबाव बनाया था। तब प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने देश में सीएए और एनआरसी लागू करने की मांग की थी।

वाजपेयी सरकार ने प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में बनाई थी संसदीय समिति
आपके बता दें कि 2003 में जब देश में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी, तब इस मुद्दे पर राय देने के लिए उन्होंने इसे आंतरिक मामलों की स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष भेजा था। हमारे पास उस कमेटी के सांसदों को नाम हैं, जिसमें अधिकतर कांग्रेस पार्टी के सांसद हैं। इस कमेटी के चेयरमैन कांग्रेस सांसद प्रणब मुखर्जी थे, जबकि सदस्यों में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल, हंसराज भारद्वाज, मोतीलाल वोरा और अंबिका सोनी जैसे सांसद शामिल थे। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि प्रणब मुखर्जी की नेतृत्व वाली इसी कमेटी ने वाजपेयी सरकार पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का दबाब बनाया था।

प्रणब की अगुवाई वाली समिति ने बनाया था सरकार पर दबाब
कांग्रेस सांसद प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में इस संसदीय समिति ने अपनी सिफारिशों में स्पष्ट तौर पर कहा था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों यानि हिंदू, जैन, पारसी, बौद्ध, ईसाई और सिखों को भारतीय नागरिकता दी जाए। इतना ही नहीं कांग्रेस नेताओं की अगुवाई वाली इस समिति ने वाजपेयी सरकार से पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए इन शरणार्थियों को तत्काल नेशनल आईडेंटिटी कार्ड भी देने को कहा था। यानि देश में एनआरसी लागू करने की मांग की थी। इस सिफारिशों में यह भी स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के किसी भी धार्मिक बहुसंख्यक यानि मुसलमान को भारतीय नागरिकता नहीं दी जाए। संसदीय समिति की इस रिपोर्ट को 12 दिसंबर, 2003 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया था।

कांग्रेस का दोगला चरित्र आया सामने
इस खुलासे के बाद कांग्रेस का दोगला चरित्र साफ हो गया है। 2003 में जब ये कांग्रेस विपक्ष में थी तब इसने वाजपेयी सरकार पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए दबाब बनाया था और आज जब मोदी सरकार ने यह कर दिया है, तो यही कांग्रेस पार्टी इसका विरोध कर रही है।

Leave a Reply