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Year Ender 2022 : आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए सफलता का वर्ष रहा 2022, वैश्विक मंदी के साये में सबसे तेजी से बढ़ी भारतीय अर्थव्यवस्था

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कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के साये में शुरू हुआ वर्ष 2022 जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियों भरा रहा, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था इस साल तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ी और कई सफलताएं अर्जित कीं। इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर ने बेहतर प्रदर्शन किया। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फोर लोकल’ और ‘लोकल गोज ग्लोबल’ जैसे नारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी और इसके प्रति देश के लोगों और विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी। इस साल मोदी सरकार ने अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की नींव को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। इससे दुनिया की तमाम रेटिंग एजेंसियों ने भरोसा जताया और भारत की स्थिति में सुधार किया। आइए देखते हैं किस तरह भारत इस साल सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा…

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत

इस साल के आर्थिक पन्नों को पलटते हैं, तो पाते हैं कि भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का तमगा अपने नाम कर लिया। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार $854.7 बिलियन था, वहीं ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर थी। दरअसल, एक दशक पहले, भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। भारत की इस कामयाबी के पीछे मोदी सरकार की आर्थिक सुधारों का अहम योगदान रहा। इस साल भारत 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर आगे निकल गया। अर्थशास्त्रियों की मानें तो मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। आने वाला दशक भारत को होगा। दुनिया में भारत एक बड़े आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा।

चीन को पछाड़कर यूनिकार्न में ‘सिकंदर’ बना भारत

यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही कमाल है कि स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। यही वजह है कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम लगातार तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 की पहली छमाही में देश ने यूनिकॉर्न के मामले में चीन को पछाड़ दिया। इस दौरान भारत में 14 यूनिकॉर्न बने, वहीं चीन में यह आंकड़ा 11 रहा। भारत में इन यूनिकॉर्न की संख्या शतक पार करके आगे बढ़ गई है। पिछले साल देश को 44 यूनिकॉर्न मिले थे और इस साल सितंबर तक 22 यूनिकॉर्न मिल चुके हैं। भारत में सितंबर 2022 तक यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 107 हो गई। खास बात यह है कि इन 107 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर रही सबसे तेज

सांख्यियकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय, आईएमएफ और विश्वबैंक जैसे आर्थिक संगठनों के आंकड़ों के मुताबिक इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था ने सबसे तेज दर से तरक्की की। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। विश्व बैंक ने कहा कि वैश्विक हेडविंड से निपटने के लिए भारत अच्छी तरह से तैयार है। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 11 अक्तूबर को जारी आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में मंदी के बीच सिर्फ भारत से उम्मीद है। 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा। मूडीज ने 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान का 7.0 प्रतिशत जताया। रेटिंग एजेंसी इक्रा और भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा। भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली। इसके अलावा महंगाई पर मोदी सरकार के नियंत्रण ने भी राहत दी।

सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन

वर्ष 2022 में सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है। दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया। 

मोबाइल फोन निर्यात में दोगुने से अधिक की वृद्धि

इस साल भारत ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की। चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के बीच मोबाइल फोन का निर्यात दोगुना से अधिक होकर पांच अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 2 अरब 20 करोड़ डॉलर था। जिस रफ्तार से मोबाइल फोन का निर्यात हो रहा है, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि पूरे वित्त वर्ष 2022 के आंकड़े को दिसंबर की शुरुआत में ही पार कर लिया जाएगा और वित्तीय वर्ष 2023 को यह 8.5-9 बिलियन डॉलर की सीमा को भी पार कर लेगा। वहीं भारत ने वित्त वर्ष 2022 में 5.8 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया है। उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, जैसे-जैसे निर्यात बढ़ रहा है, भारत ने वित्त वर्ष 2022 में मोबाइल आयात पर निर्भरता को भी लगभग 5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो 2014-15 में 78 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था। वहीं अब भारत का लक्ष्य 2025-26 तक 60 बिलियन डॉलर के सेल फोन का निर्यात करना है। 

कर संग्रह के मोर्चे पर मोदी सरकार को मिली बड़ी सफलता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में रोज नई-नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में अभी तक 26 प्रतिशत बढ़कर 13.63 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में अब तक प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह 13,63,649 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में हुए ग्रास कलेक्शन 10,83,150 करोड़ रुपये की तुलना में 25.90 प्रतिशत ज्यादा है। 13,63,649 करोड़ रुपये के सकल संग्रह में 7,25,036 करोड़ रुपये का कॉरपोरेशन टैक्स (सीआईटी) और 6,35,920 करोड़ रुपये का प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) सहित व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) शामिल है। मौजूदा वित्त वर्ष में 17 दिसंबर 2022 तक प्रत्यक्ष करों के संग्रह के हिसाब से शुद्ध संग्रह 11,35,754 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि के शुद्ध संग्रह 9,47,959 करोड़ रुपये से 19.81 प्रतिशत ज्यादा है। 

अप्रैल 2022 में जीएसटी कलेक्शन ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक बड़ी सफलता मिली। अप्रैल 2022 में जीएसटी कलेक्शन ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। देश में जीएसटी लागू होने के बाद से अप्रैल 2022 में सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन हुआ। अप्रैल 2022 के महीने में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,67,540 करोड़ रुपये का रहा। इसके बाद जीएसटी कलेक्शन नवंबर में लगातार नौवें महीने 1.4 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। नवंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.46 लाख करोड़ रुपये का रहा। नवंबर में 1,45,867 करोड़ रुपये के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई, जिसमें सीजीएसटी 25,681 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 32,651 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 77,103 करोड़ रुपये, 10,433 करोड़ रुपए की उपकर राशि शामिल है। पिछले वर्ष नवंबर महीने में जीएसटी राजस्व के रूप में 1,31,526 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ था। इस तरह यह सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है।

महंगाई पर लगाम लगाने में सफल रही मोदी सरकार 

कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है। सितंबर में महंगाई दर 7.11 प्रतिशत थी। वहीं, अक्टूबर में महंगाई दर गिरकर 6.11 प्रतिशत तक पहुंच गई। खाद्य उत्पादों के दाम कम होने से अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई घटकर 6.77 प्रतिशत पर आ गई। सितंबर महीने में खुदरा महंगाई 7.41 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई दर में गिरावट के साथ थोक महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। 14 नवंबर, 2022 को ही थोक महंगाई के आंकड़े भी जारी किए गए। 19 माह में थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई।

पहले 6 महीने में 235 अरब डॉलर पर पहुंचा निर्यात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने इस साल निर्यात के मोर्चे पर एक और रिकॉर्ड छलांग लगाई। साल 2022 की पहली छमाही में जनवरी से जून के बीच व्यापारिक निर्यात 27 प्रतिशत बढ़कर 235 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में व्यापारिक निर्यात सिर्फ 185.9 अरब डॉलर का था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार 2021-22 के दौरान 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य का 105.4 प्रतिशत हासिल करते हुए कुल व्यापारिक निर्यात 421.9 अरब डॉलर का था। जनवरी-जून 2022 के दौरान कुछ को छोड़कर सभी प्रमुख सेक्टर ने निर्यात में 26.7 प्रतिशत की समग्र विकास दर के साथ सकारात्मक रुझान दिखाया। मंत्रालय ने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिली है।

मार्च 2022 में सेवा क्षेत्र निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

सेवा क्षेत्र निर्यात ने मार्च 2022 के दौरान 26.9 अरब डॉलर की सर्वकालिक मासिक ऊंचाई को छुआ। इसके साथ ही, भारत का समग्र निर्यात (सेवा एवं वस्तु क्षेत्र) वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 676.2 अरब डॉलर की ऊंचाई तक पहुंच गया, क्योंकि सेवा एवं वस्तु क्षेत्र दोनों ने ही वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान उच्च निर्यात रिकॉर्ड दर्ज किया। भारत का समग्र निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 में 526.6 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 497.9 अरब डॉलर था। भारत के वस्तु व्यापार ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 400 अरब डॉलर से अधिक की ऐतिहासिक ऊंचाई दर्ज कराई थी और यह 421.8 अरब डॉलर रहा था। सेवा क्षेत्र निर्यात में अन्य व्यवसाय सेवाओं और परिवहन के अतिरिक्त दूरसंचार, कंप्यूटर तथा सूचना सेवाएं योगदान देने में शीर्ष स्थान पर रहीं हैं।

ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंचा भारत का कृषि निर्यात

2022 में भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन अमरीकी डॉलर (वित्त वर्ष 2021-22) के ऐतिहासिक उच्च स्तर को छू गया। भारत ने चावल, गेहूं, चीनी सहित अन्य खाद्यान्न और मांस का अब तक का सबसे अधिक निर्यात हासिल किया। वाणिज्यिक इंटेलिजेंस और सांख्यिकी महानिदेशालय द्वारा जारी अस्थाई आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के दौरान 19.92% की वृद्धि के साथ कृषि निर्यात में 50.21 बिलियन डॉलर की ऊंचाई छू ली गई। यह उल्लेखनीय उपलब्धि हाल के वर्षों में खाद्यान्न के उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई कई प्रमुख पहलों के कारण संभव हुआ।

नवंबर में अनाज के निर्यात में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में जहां अनाजों का भरपूर उत्पादन हो रहा है, वहीं भारत को निर्यात के मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। कृषि व खाद्य वस्तुओं के निर्यात में लगातार तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि इस साल नवंबर महीने में वस्तुओं के कुल निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले सिर्फ 0.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन कृषि व खाद्य पदार्थों के लगभग सभी आइटम के निर्यात में दहाई अंक का उछाल आया। चावल के अलावा विभिन्न प्रकार के अनाज के निर्यात में तो नवंबर माह में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चाय 27.03 प्रतिशत, चावल 19.16 प्रतिशत, ऑयल मिल्स 17.55 प्रतिशत, तिलहन 38.83 प्रतिशत, फल व सब्जी 25.01 प्रतिशत, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थाें के एक्सपोर्ट करने में 22.75 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। निर्यातकों के मुताबिक आगामी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है और इससे मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।

पीएम मोदी के विजन से फलों का निर्यात तीन गुना बढ़ा

वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे भारत के विकास पर जोर दिया और उन्होंने हर उस सेक्टर की पहचान की जिसमें भारत बेहतर कर सकता है। यही वजह है कि आज भारत रक्षा क्षेत्र से लेकर कृषि निर्यात में सफलता के नए झंडे गाड़ रहा है। पिछले आठ साल में भारतीय फल पपीता और खरबूजे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2013-2014 के अप्रैल-सितंबर में इन दोनों फलों का निर्यात जहां 21 करोड़ रुपये का होता था वहीं अब अप्रैल-सितंबर वर्ष 2022-2023 में यह तीन गुना बढ़कर 63 करोड़ रुपये का हो गया। गौरतलब है कि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक आकलन के अनुसार वर्ष 2021-22 में भारत ने 11,412.50 करोड़ रुपये के फलों और सब्जियों का निर्यात किया था। जिसमें फलों की हिस्सेदारी 5,593 करोड़ रुपये और सब्जियों की हिस्सेदारी 5,745.54 करोड़ रुपये की थी।

कृषि क्षेत्र को आधुनिक और स्मार्ट बनाने पर जोर

बजट 2022-23 में कृषि क्षेत्र को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए गए। ‘पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। उसमें हर्बल मेडिसिन पर भी बल दिया जा रहा है। दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। तीसरा- खाद्य तेल के इंपोर्ट को कम करने के लिए मिशन ऑयल पाम के साथ-साथ तिलहन को सशक्‍त करने का प्रयास किया जा रहा है। चौथा लक्ष्य है कि खेती से जुड़े उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पीएम गति-शक्ति प्लान द्वारा लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी। बजट में पांचवां समाधान दिया गया है कि एग्री-वेस्ट मेनेजमेंट को अधिक ऑर्गेनाइज किया जाएगा। छठा सॉल्यूशन है कि देश के डेढ़ लाख से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस में रेगुलर बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी। और सातवां ये कि – एग्री रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट में आज के आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया जाएगा।

डिजिटल कृषि और व्यापार के लिए पोर्टल लॉन्च 

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 18 अप्रैल, 202 को दो पोर्टलों की शुरुआत की। पहला पोर्टल कीटनाशक के कम्प्यूटरीकृत पंजीकरण (सीआरओपी) के लिए और दूसरा पोर्टल पादप संगरोध सूचना प्रणाली (पीक्यूआईएस) के लिए है। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए इन दो पोर्टल का शुभारंभ किया गया। ये पोर्टल डिजिटल कृषि और व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने में मदद करेंगे। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि जिंसों के निर्यात/आयात और कीटनाशकों के पंजीकरण से संबंधित आवेदनों के त्वरित निपटान की आवश्यकता को महसूस करते हुए, बाहरी प्रणालियों और हितधारकों के साथ अधिक समन्वित एकीकरण और मौजूदा ऑनलाइन प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए डीएएफडब्ल्यू ने ये पोर्टल लॉन्च किए।

भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात 8 गुना बढ़ा 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 अक्टूबर 2022 को डिफेंस एक्सपो-2022 का उद्घाटन करने के बाद कहा कि भारतीय रक्षा बलों का देश में बने अधिकतर उपकरणों को खरीदने का निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में कुछ निर्माण कंपनियों के एकाधिकार के बावजूद भारत ने अपना स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि यह भारत में निर्मित रक्षा सामग्री पर बढ़ते विश्वास का भी प्रतीक है, जिसका उद्देश्य देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि भारत से रक्षा निर्यात 2021-22 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आने वाले समय में हमने इसे 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में आठ गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘देश बहुत आगे निकल गया है, क्योंकि पहले हम कबूतर छोड़ते थे और अब हम चीतों को छोड़ते हैं।’ प्रधानमंत्री ने समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी जोर दिया। मोदी ने कहा कि पहली बार डिफेंस एक्सपो में केवल भारतीय कंपनियां भाग ले रही हैं। इसमें 1,300 से अधिक प्रदर्शकों ने शिरकत की है, जिनमें भारतीय रक्षा उद्योग, इससे जुड़े कुछ संयुक्त उद्यम, 100 से अधिक स्टार्ट-अप हैं।

NBFC की एसेट ग्रोथ चार साल में सबसे ज्यादा

मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और प्रोत्साहन की वजह से अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) के ग्रोथ में भी तेजी दिखाई दे रही है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष में चार साल के उच्चतम स्तर 11-12 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 12 सितंबर, 2022 को जारी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में एनबीएफसी कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ 11-12 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसमें सबसे बड़ा योगदान वाहन सेगमेंट का हो सकता है। वाहनों के फाइनेंस पर एनबीएफसी ने अपनी आधी पूंजी खर्च की है। वित्त वर्ष 2022-23 में वाहन सेगमेंट में 11-13 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है, यह वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में 3 से 4 प्रतिशत थी।

अगस्त 2022 में 10 करोड़ के पार पहुंची डीमैट खातों की संख्या

देश में डीमैट खातों की संख्या पहली बार अगस्त 2022 में 10 करोड़ के पार पहुंच गई। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक बीते अगस्त में 22 लाख नए डीमैट खाता खोले गए, जो पिछले चार महीनों का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 10.05 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।

30 नवंबर, 2022 को सेंसेक्स पहली बार 63 हजार के पार

इस साल भारतीय शेयर बाजार ने फिर इतिहास रच दिया। 30 नवंबर, 2022 को एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स पहली बार 63 हजार के पार पहुंच गया। सेंसेक्स 417.81 अंकों की बढ़त के साथ 63,099.65 के लेवल पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 140 अंकों की बढ़त के साथ 18758 अंक पर बंद हुआ। यह इसका भी नया रिकॉर्ड है। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को ऑस्ट्रेलियाई संसद ने दी मंजूरी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूत करने के लिए 22 नवंबर, 2022 को एक बड़ा कदम उठाया गया। ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंजूरी दे दी। अब दोनों देश आपसी सहमति से फैसला करेंगे कि यह समझौता किस तारीख से लागू होगा। इस समझौते से जहां भारत-ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी, वहीं भारत में कम से कम 10 लाख अतिरिक्त नौकरियां मिल सकती हैं। इसके अलावा इससे निवेश के लिए पर्याप्त अवसर पैदा होंगे और स्टार्ट-अप को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार अगले पांच-छह वर्षों में लगभग 45-50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जा सकता है। इस सौदे के तहत ऑस्ट्रेलिया द्वारा कुछ टैरिफ लाइनों पर 100 प्रतिशत शुल्क समाप्त कर दिया जाएगा। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एफटीए लागू होने के बाद कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित भारत के 6,000 से अधिक उत्पादों को ऑस्ट्रेलियाई बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी।

 

 

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