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निखिल वाघले की ‘HATE’ पत्रकारिता

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निखिल वागले, मुबंई से प्रकाशित होने वाले दैनिक महानगर के पूर्व संपादक हैं और IBN लोकमत व TV 9 के मराठी चैनल में संपादक के रुप में काम कर चुके हैं। वागले ने आज अपनी पत्रकारिता को जिस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया हैं, वहां सिर्फ और सिर्फ नफरत का शोर सुनाई पड़ता है। यह नफरत किसी तंत्र से नहीं है, बल्कि देश में बहुमत से चुने हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से है। वैसे तो, आजकल निखिल वागले किसी मिडिया संस्थान से नहीं जुडे हैं, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नफरत का जहर उगलते रहते हैं। नफरत की आग इनमें इतनी तेज धधक रही है कि किसी भी मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करना इनका एजेंडा बन गया है। आइये आपको बताते हैं कि निखिल वाघले की यह ‘HATE’ पत्रकारिता कैसी है-

‘HATE’ पत्रकारिता-1
देश के जिस प्रजातंत्र और संविधान की निखिल वागले अपनी पत्रकारिता में कसमें खाते हैं, उसी संविधान की धज्जियां उड़ाने से भी बाज नहीं आते हैं। 5 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को अपनी सरकार न मानने का अमर्यादित बयान देते हुए Twitter पर लिखा-

‘HATE’ पत्रकारिता-2
‘HATE’ पत्रकारिता में निखिल वागले उस सीमा के पार चले गये हैं, जहां व्यक्ति विवेकशून्य हो जाता है। ऐसी स्थिति में निखिल को केवल प्रधानमंत्री मोदी से नफरत ही दिखाई देती है। 4 जनवरी को, अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन पर सवाल उठाये जाने पर, Twitter पर वागले ने लिखा कि Dear you may have differences with Anna Hazare, but the fact is he is fasting against Modi Sarkar.

प्रधानमंत्री मोदी के नफरत में इतनी विवेकशून्यता आ चुकी है कि निखिल वागले को सही और गलत का कोई फर्क ही नहीं दिखाई दे रहा है। 4 जनवरी को Twitter पर एक झूठी तस्वीर शेयर की जिसमें अन्ना हजारे एक भारी भीड़ के सामने खड़े हैं, और उस Tweet पर लिखा –

इस झूठी तस्वीर के जरिए निखिल ने सोशल मिडिया पर यह माहौल बनाना चाहा कि 23 मार्च को दिल्ली मे होने वाले अन्ना के आंदोलन को बड़ा जनसमर्थन मिलेगा, लेकिन कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर इस तस्वीर का झूठ सामने आ गया। इस तस्वीर में भारी भीड़ अन्ना के लिए नहीं एकत्रित हुई थी बल्कि कोपल, कर्नाटक में हुई कवीमठ जात्रा की भारी भीड़ थी, जिसमें अन्ना भी पहुंचे थे।

‘HATE’ पत्रकारिता-3
पत्रकारिता को जिस अंधयुग में निखिल वागले ले जा रहे हैं, उससे तो देश में पत्रकारिता का पतन निश्चित ही है। 5 जनवरी को Twitter पर प्रधानमंत्री मोदी पर नफरत के जहर में डूबी हुई अमर्यादित टिप्पणी में लिखा-

‘HATE’ पत्रकारिता-4
31 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में अकेली मुस्लिम महिलाओं को हज पर जाने की क्या घोषणा कर दी कि निखिल वागले ने नफरत से भरे Tweet में 1 जनवरी को लिखा-

‘HATE’ पत्रकारिता-5
निखिल वागले की पत्रकारिता की खास बात यह है कि उनको जब कोई झूठा मौका भी मिलता है तो प्रधानमंत्री मोदी या उनकी सरकार पर नफरत का जहर उगलने में पीछे नहीं रहते। 30 दिसंबर को PTI की एक खबर, जो झूठ थी, उसे Tweet करते हुए लिखा-

जबकि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने जिस स्मार्ट सिटी मिशन के लिए 90 शहरों को चुना है, वहां 1,872 करोड़ रुपये की 147 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। अन्य 396 परियोजनाओं पर काम हो रहा है, जिस पर 14,672 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।

‘HATE’ पत्रकारिता-6
18 दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत से निखिल वाघले इतने बौखला गये कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर अभद्र और अमर्यादित भाषा में 19 दिसंबर को Tweet पर लिखा-

‘HATE’ पत्रकारिता-7
2G स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआई कोर्ट के निर्णय पर निखिल वाघले ने 21 दिसंबर को जो भी Tweet किये उससे साफ हो जाता है कि अपनी नफरत की आग में वे उस सच्चाई को भी नहीं देखना चाहते, जो उनके मित्र प्रशांत भूषण चीख-चीख कर उन्हें बताने का प्रयास कर रहे हैं। प्रशांत भूषण ने अपने 21 दिसंबर के Tweet में लिखा कि दोषियों को कोर्ट द्वारा बरी किया जाना पूर्णतः गलत है, लेकिन निखिल वाघले ने पूर्व सीएजी विनोद राय को ही दोषी बताते हुए कई Tweets किये-

‘HATE’ पत्रकारिता-8
निखिल वाघले की ‘HATE’ पत्रकारिता ने तो उस समय सारी सीमाएं ही तोड़ दी जब TV9 ने उनकी, कार्यक्रम की घटती लोकप्रियता के कारण चैनल से छुट्टी कर दी। अपनी इस नाकामी के लिए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा-लेकिन निखिल वाघले की सच्चाई का भंडाफोड़ तब हुआ जब उनके अपने ही पत्रकार मित्र विनोद कापड़ी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि किस तरह TV9 की TRP कम आने की वजह से उन्हें प्रबंधन ने निकाला है और वागले जो भी प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगा रहे हैं वह सरासर झूठ हैं। इसके लिए विनोद कापड़ी ने सोशल मिडिया पर तमाम सबूत भी शेयर किए और अपने Facebook पर एक लंबा post भी शेयर किया।

निखिल वागले की HATE पत्रकारिता ने देश में प्रजातांत्रिक मूल्यों को छिन्न-भिन्न कर दिया है, जो इस देश के लिए सबसे घातक है।

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