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नॉर्थ ईस्ट के लोगों को मोदी सरकार का बड़ा तोहफा: 6 हवाई मार्गो को ऑपरेशनल किया गया

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नॉर्थ ईस्ट के लोगों को मोदी सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। अब यहां रहने वालों को हवाई सफर में और ज्यादा आसानी होगी। मोदी सरकार ने 6 रूटों पर विमान सेवा शुरू करने का ऐलान किया है। इन 6 रूटों पर फ्लाइट सर्विस का जिम्मा एलायंस एयर को मिला है।

नॉर्थ ईस्ट के लोगों के लिए आसान हुआ हवाई सफर 

मोदी सरकार का जोर नॉर्थ ईस्ट में फ्लाइट कनेक्टिविटी बढ़ाने पर है। यही वजह है कि सरकार नॉर्थ ईस्ट के लिए 6 हवाई मार्गो को ऑपरेशनल किया है। जिन मार्गो को ऑपरेशनल किया गया है उनमें शामिल है।

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नॉर्थ ईस्ट के लिए 6 हवाई मार्गो को ऑपरेशनल किए जाने के मौके पर केंद्रीय सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “मिजोरम भारत का प्रवेश द्वार है. अपने टूरिज्म और इकोनॉमिक सेक्टर के लिए इसका अत्याधिक महत्व है. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को पंख देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे यह संभव हो सके कि देश के सभी नागरिकों को हर राज्य की विशिष्टता का अनुभव हो”

UDAN योजना से नॉर्थ ईस्ट का सफर हुआ आसान 

मोदी सरकार की UDAN योजना के तहत नॉर्थ ईस्ट के शहरों को जोड़ा गया है। इस योजना के तहत देश में पहले ही 60 हवाई अड्डे और 387 रूट चालू जा चुके हैं । जिनमें 100 रूट अकेले पूर्वोत्तर में है इनमें से 50 पहले से ही चालू है।

मोदी राज में नॉर्थ ईस्ट का तेज विकास 

2014 में, नॉर्थ ईस्ट में केवल 6 एयरपोर्ट्स चालू थे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कनेक्टिविटी को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए , इसका असर है कि 7 सालों की छोटी अवधि में नॉर्थ ईस्ट में 15 हवाई अड्डे ऑपरेशल हैं ।मोदी सरकार ने इस इलाके में किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए भी जी तोड़ कोशिशें की है । इसके लिए कृषि उड़ान योजना के तहत निर्यात अवसरों को बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसके लिए 16 हवाई अड्डों की पहचान की है। 

क्या है मोदी सरकार की उड़ान योजना ?

उड़ान योजना 15 जून 2016 को जारी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति यानी एनसीएपी की एक प्रमुख घटक है। इसके तहत करीब 500 किलोमीटर के लिए एक ‘फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट’ विमान से एक घंटे की यात्रा या किसी हेलीकॉप्टर से आधे घंटे की यात्रा का हवाई किराया 2500 रुपए होगा। इसके साथ ही इस योजना के तहत देश के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है। नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय नए मार्गों पर हवाई जहाज चलाने की योजना पर काम कर रहा है। कई रूट ऐसे हैं, जिन पर विमानों का परिचालन शुरू भी कर दिया गया है। कम किराये के कारण विमान सेवा कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वॉयेबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में सरकार क्षतिपूर्ति देती है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भी इसके लिए हवाई अड्डा शुल्क माफ कर दिया है। वहीं सुरक्षा, बिजली तथा अग्निशमन सुविधाएं भी राज्य सरकारें नि:शुल्क दे रही है।

प्रधानमंत्री ने शुरू की थी सस्ती हवाई सेवा ‘उड़ान’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अप्रैल, 2017 को हिमाचल प्रदेश में शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से सस्ती हवाई सेवा ‘उड़ान’ की शुरुआत की थी। इसके तहत शिमला से दिल्ली के लिए पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी। इस अवसर पर प्नधानमंत्री ने कहा ”मैं चाहता हूं कि हवाई जहाज में हवाई चप्पल वाले लोग दिखाई दें।” उन्होंने कहा कि दुनिया में हवाई सफर का सबसे ज्यादा स्कोप भारत में है और इस क्षेत्र में हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है।

कॉमन मैन के लिए है ‘उड़ान’ योजना

ढाई हजार रुपये में 500 किलोमीटर की एयर ट्रैवल वाली ये क्षेत्रीय संपर्क योजना अपने मूल उद्देश्य ‘उड़े देश का आम आदमी’ के लक्ष्य के साथ पहली उड़ान भरी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले धारणा थी कि हवाई यात्रा राजा-महाराजा का ही विषय है। इसलिए एयर इंडिया का लोगो भी ‘महाराजा’ ही था। उन्होंने कहा कि अटल जी की सरकार के समय मैंने राजीव प्रताप जी से कहा कि ये लोगो बदलकर महाराजा के लोगो की जगह कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का कॉमनमैन क्यों नहीं लग सकता। उनका ये सपना पूरा हुआ इसके लिए उन्हें बेहद खुशी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहली बार एविएशन पॉलिसी बनाने का सौभाग्य उनकी सरकार को मिला है और अब हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई यात्रा कर सकते हैं।

समय और धन की होगी बचत

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम टैक्सी से सफर करें तो 8-10 रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आता है और शिमला आने में समय करीब 10 घंटे लगते हैं। लेकिन इस पॉलिसी से खर्च सिर्फ 6 या 7 रुपये ही होगा। प्रधानमंत्री ने टूरिज्म को सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला इंडस्ट्री बताते हुए कहा कि नॉर्थ ईस्ट जो जाता है वह बार-बार जाना चाहता है। लेकिन कनेक्टिविटी के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पाता। इस योजना से सिर्फ यात्रा की सुविधा ही नहीं बल्कि दो संस्कृतियां भी जुड़ती हैं। देश के एक कोने को दूसरे से जोड़ने का काम इससे हो रहा है।

स्वदेशी ‘डॉर्नियर 228’ से बदलेगी एविएशन सेक्टर की सूरत
 टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक डीजीसीए ने देश में निर्मित ‘डोर्नियर-228’ विमान के घरेलू रूट पर व्यवसायिक उड़ान को हरी झंडी दे दी है। इसका मतलब प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार करने में इससे बहुत मदद मिल सकती है। हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित ‘डोर्नियर-228’ 19 सीटों वाला एक छोटा विमान है, जिसका उपयोग अबतक रक्षा के क्षेत्र में ही होता था।

नॉर्थ-ईस्ट के विकास में जान फूंकने के प्लान पर तेजी से अमल 

भारत की विकास गाथा में पीछे छूटे नॉर्थ ईस्ट में नई जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार तेजी से फैसले ले रही है। इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि न्यू इंडिया में नॉर्थ-ईस्ट, हिंदुस्तान के विकास का न्यू इंजन बन रहा है। मोदी सरकार ने उत्तर-पूर्व के विकास के लिए पांच मंत्र निर्धारित किए थे। हाइवे, रेलवे, वॉटर वे, एयरवे और आइवे’ के दम पर नॉर्थ-ईस्ट के विकास में जान फूंकने का प्लान तैयार किया गया है।

तेल और गैस क्षेत्र के विकास के लिए एक लाख करोड़

अब इसमें तेल और गैस क्षेत्र की भूमिका भी तेजी से बढ़ती जा रही है । तेल और गैस परियोजनाओं में बड़े पैमाने में निवेश से नॉर्थ-ईस्ट के विकास को धार मिल रही है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक लाख करोड़ रुपयों की मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं के वर्ष 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि इस क्षेत्र में अन्वेषण का रकबा 2025 तक मौजूदा 30,000 वर्ग किलोमीटर से दोगुना होकर 60,000 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा, जबकि पिछले तीन वर्ष में खुला क्षेत्र लाइसेंस नीति (ओएएलपी) के तहत लगभग 20,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले ही आवंटित किया जा चुका है। पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, ‘लुक ईस्ट’ नीति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में बदल दिया। नॉर्थ-ईस्ट में तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में जो काम किए गए हैं उससे साफ है कि इस इलाके में तेल और प्राकृतिक गैस की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

पीएम मोदी की नॉर्थ-ईस्ट के विकास में नई जान फूंकने की कोशिश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इसी दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। न्यू इकोनॉमी, न्यू एनर्जी एवं न्यू एम्पावरमेंट के मंत्र को लेकर नॉर्थ-ईस्ट में नई जान फूंकने की कोशिश हो रही है। नॉर्थ ईस्ट में पर्यटन का विकास भी इस इलाके की तस्वीर बदलने में बेहद मददगार हो सकता है। यहां टूरिज्म की जबरदस्त संभावना है, जिनमें ईको, विलेज, मेडिकल, स्पोर्ट्स, एडवेंचर, गोल्फ़, फ़िल्म, रिवर, बॉर्डर टूरिज्म पर काम किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है।

फाइल फोटो

मोदी सरकार का नॉर्थ ईस्ट में पर्यटन के विकास पर जोर

मोदी सरकार का हमेशा से जोर नॉर्थ ईस्ट में पर्यटन के विकास पर रहा है।इसके लिए केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों से टास्क फ़ोर्स बनाने को कहा है ताकि टूरिज्म और संस्कृति के विकास के लिए तालमेल के साथ तेजी से आगे बढ़ा जा सके। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में विकास के कामों पर नजर रखने और परेशानियों को दूर करने के लिए, केंद्र सरकार के मंत्रियों के दौरे जारी है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत नॉर्थ ईस्ट के इलाक़े को 1300 करोड़ रुपए की लागत वाली सोलह योजनाओं को मंजूरी दीं है, जिसमें हेरिटेज, ईको सर्किट, आध्यात्मिक व धार्मिक और आदिवासियों से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। जबकि प्रसाद योजना के तहत लगभग 200 करोड़ योजनाओं को हरी झंडी मिली है। इसमें 29.99 करोड़ रुपए की लागत वाले असम के गुवाहाटी स्थित विख्यात कामाख्या मंदिर परिसर का विकास कार्य भी शामिल है।

नॉर्थ ईस्ट को खेलों और फिल्म शूटिंग डेस्टिनेशन बनाने की तैयारी

पूर्वोत्तर क्षेत्र हमेशा से मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में रहा है, अब इस इलाके में लोगों की खेलों में दिलचस्पी और प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए बड़ा प्लान तैयार किया गया है। सरकार इस इलाके में सॉफ्ट स्किल के जरिए विकास की रफ्तार को और तेज करने की कोशिश में है। नॉर्थ ईस्ट में नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाने की तैयारी है। ओलिंपिक खेलों में इस इलाके के खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है, मोदी सरकार की कोशिश है कि नॉर्थ ईस्ट में खेल प्रतिभाओं को और बढ़ावा मिले। इसी मिशन के तहत केंद्र सरकार मणिपुर में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाना चाहती है । केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति और पूर्वोत्तर मामलों के मंत्री जी किशन रेड्डी के मुताबिक मोदी सरकार 800 करोड़ रुपये की लागत से स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की प्लानिंग कर रही है। इससे इस क्षेत्र में खिलाड़ियों को बेहतर खेल सुविधाएं मिल सकेंगी। दूसरी ओर मोदी सरकार पूरे इलाके को फिल्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के शूटिंग डेस्टिनेशन के तौर पर उभारने की भी कोशिश कर रही है। ताकि नॉर्थ ईस्ट की कुदरती खूबसूरती दुनिया के सामने आ सके। पर्यटन मंत्रालय फिल्ममेकर्स के साथ इसकी प्लानिंग करने में जुटा है।

नॉर्थ ईस्ट में विकास से पूर्वी एशिया से जुड़ेगा भारत

नॉर्थ ईस्ट एक तरफ से म्यांमार, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश के साथ जुड़ा है तो दूसरी तरफ पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत के रिश्तों का गेटवे है। यही वजह है कि मोदी सरकार इस इलाके में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछाने में जुटी है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने नॉर्थ ईस्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर पर हज़ारों करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य की राजधानियों को बेहतरीन रेल नेटवर्क से जोड़ने का काम तेज़ी से चल रहा है। आज नॉर्थ ईस्ट में छोटे-बड़े करीब 13 ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स हैं। इनके विस्तार के लिए आधुनिक सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की राजधानियों को 4 लेन, डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर्स को 2 लेन और गांवों को all weather road से जोड़ने का मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।

पीएम मोदी की कोशिशों से नॉर्थ ईस्ट की बदलेगी किस्मत

नॉर्थ ईस्ट में ऑर्गेनिक फार्मिंग के दम पर किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। मोदी सरकार का लक्ष्य देश में ‘एवरग्रीन रिवॉल्यूशन’ लाने का है, उत्तर-पूर्व के किसान भी इस मौके का फायदा उठा सकते हैं। संपदा (SAMPDA), यानि scheme for agro marine processing and development of agro processing cluster जैसी योजनाओं के दम पर किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। कृषि उत्पादों की processing पर जोर देकर किसानों को उनकी फसलों की अधिक कीमत मिल सकती है। PPP मॉडल और FDI के द्वारा भी मोदी सरकार किसानों की कमाई बढ़ाने में जुटी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वोत्तर के विकास को लेकर बेहद गंभीर हैं। जब से प्रधानमंत्री मोदी ने देश की सत्ता संभाली है, तभी से उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। देश की आजादी के बाद सभी प्रधानमंत्री जितनी बार पूर्वोत्तर के राज्यों के दौरे पर गए हैं, उससे अधिक बार पीएम मोदी वहां जा चुके हैं। यह नॉर्थ ईस्ट के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दिखाता है।

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