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कांग्रेस की डूबती नैया से जारी है दिग्गज नेताओं का निकलना, बदतर हालात में पार्टी, ‘अपमानित’ आनंद शर्मा इस्तीफे के साथ दे गए चेतावनी

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पिछले 70 सालों से भ्रष्टाचार एवं घोटालों में लिप्त कांग्रेस जिस तेज गति से देश भर में जनाधार खोती जा रही है उससे लगता है भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा जल्द ही वास्तविकता बन जाएगी। अब कांग्रेस की दो राज्यों में ही सरकार सिमट कर रह गई है, जहां उसे बहुमत है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का जनाधार घटा और उसके बाद महाराष्ट्र, झारखंड, विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस मुख्य मुकाबले में नहीं आ पाई। महाराष्ट्र में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी है। सत्ता के लालच में उसने वहां शिवसेना के साथ मिलाकर सरकार चलाने की कोशिश की लेकिन वह भी सफल नहीं रहा। इसी तरह झारखंड में भी कांग्रेस वोटों व सीटों के हिसाब से तीसरे नंबर की पार्टी है। वहां वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ सरकार में शामिल है लेकिन आए दिन खटपट की खबरें भी आती रहती हैं। ताजा घटनाक्रम में वह बिहार में कहने को महागठबंधन सरकार की सहभागी है लेकिन वहां भी वह चौथे नंबर की पार्टी है। कांग्रेस में लंबे समय से नेतृत्व परिवर्तन न होने पार्टी के बड़े नेताओं का आम जनता से कट जाने के कारण कांग्रेस पार्टी दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। पिछले कुछ समय में कई दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ दिया है। राजनीतिक हलके में कांग्रेस के बदतर हालात का जिम्मेवार पार्टी छोड़कर जानेवाले नेताओं को बताया जा रहा है। दरअसल 2019 के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है और यह प्रक्रिया अब तक जारी है। यदि समय रहते कांग्रेस अपने पार्टी संगठन में आमूलचूल परिवर्तन नहीं करती है तो आने वाले समय में उसके मतदाताओं की संख्या में और भी कमी देखने को मिले तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

आनंद शर्मा का हिमाचल चुनाव संचालन समिति से इस्तीफा

ताजा मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए गठित संचालन समिति से इस्तीफा दे दिया है। आनंद शर्मा ने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। पत्र में आनंद शर्मा ने लिखा कि 26 अप्रैल को हिमाचल कांग्रेस के स्टीयरिंग कमिटी का प्रमुख बनाने के बावजूद आज तक उनकी भूमिका स्पष्ट नहीं की गई। उन्होंने लिखा कि बीते दिनों दिल्ली और शिमला में हिमाचल चुनाव को लेकर हुई महत्वपूर्ण बैठकों में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। इसे ‘अपमान’ की बात कहत हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश में अहम पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। शर्मा पहाड़ी राज्य के सियासी हाल को लेकर भी कह रहे हैं कि केवल वह और उनके समर्थक ही भारतीय जनता पार्टी से लड़ सकते हैं। खास बात है कि भाजपा के शासन वाले राज्य में कांग्रेस ऐसे समय पर दोबारा तैयार होने की कोशिश कर रही है, जहां आम आदमी पार्टी भी अपनी सक्रियता बढ़ा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। आनंद शर्मा को हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में माना जाता है।

शर्मा ने कहा- सोनिया गांधी ने पत्र का जवाब नहीं दिया

शर्मा से जब मीडिया ने पूछा कि क्या अब तक किसी ने संपर्क किया? तो इस पर वह बोले कि नहीं, मुझसे कौन बात करेगा। उन्होंने कहा कि मेरे जैसी वरिष्ठता वाले को अब तक कोई सम्मान नहीं दिया गया। खास बात है कि अब तक पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उनके पत्र का जवाब नहीं दिया है। शर्मा कहते हैं कि उनके पास मेरा लैटर है। मैं उनके जवाब का इंतजार कर रहा हूं। मुझे यकीन है कि यह उनकी सूची में शामिल होगा। उन्होंने पार्टी की स्थिति पर दुख जाहिर किया है। कांग्रेस नेता ने कहा लेकिन यह दुखद है कि उन्होंने यह स्थिति तैयार होने दी। मैं उनका सम्मान करता हूं। शर्मा ने कहा कि पार्टी को बर्बाद करने वाले इन लोगों को (हिमाचल) भेज दो। क्या ये वहां भाजपा से लड़ सकते हैं? केवल मैं और मेरे समर्थक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गुटबाजियों के बाद भी पूरी पार्टी हिमाचल में मेरे साथ खड़ी है। हाल ही में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रतिभा चौहान को दी थी। पार्टी को उम्मीद थी कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके पति की विरासत पार्टी को जोड़कर रखेगी, लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी में आंतरिक कलह जारी है। शर्मा ने भी अपने पत्र में कई समितियां होने की परेशानियां गिनाई हैं। उन्होंने कहा है कि चुनाव की तैयारियों और रणनीति को लेकर हिमाचल कांग्रेस और वरिष्ठ नेताओं की बैठक दिल्ली और शिमला दोनों जगह हुईं, लेकिन उन्हें इसके बारे में नहीं बताया गया।

इसी साल के अंत में होने हैं हिमाचल चुनाव

आनंद शर्मा ने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे कई बार राज्यसभा के सदस्य और पार्टी में कई प्रमुख पदों पर रहे हैं। आनंद शर्मा का इस्तीफा हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले आया है। हिमाचल में इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं जिसे लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा- हमारे पास ‘साझा संभावनाएं’ हैं

इस बीच आनंद शर्मा के बीजेपी ज्वाइन करने की चर्चाएं जोरों पर है। इस पर बीजेपी के नेशनल प्रेसिडेंट जे. पी. नड्डा का कहना है कि आनंद शर्मा और वो निजी जीवन में दोस्त हैं। उन्होंने कहा कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश चुनाव संचालन समिति से आनंद शर्मा का इस्तीफा, उनका निजी फैसला है। मेरा उनसे जुड़ाव हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र के तौर पर ही है। जे. पी. नड्डा ने कहा कि आनंद शर्मा ने उनसे पार्टी (BJP) ज्वॉइन करने के बारे में कोई बात नहीं की है। लेकिन निजी तौर पर हम एक-दूसरे को जानते हैं। हमारे पास ‘साझा संभावनाएं’ हैं।

गुलाम नबी आजाद ने भी दिया था इस्तीफा

आनंद शर्मा का इस्तीफा जी-23 समूह के एक अन्य वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा हाल ही में जम्मू-कश्मीर में अभियान समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद आया है। गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा दोनों जी-23 समूह के प्रमुख नेता हैं जो पार्टी नेतृत्व के फैसलों के आलोचक रहे हैं।

हाल के वर्षों में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले दिग्गज

1. कपिल सिब्बल

इस साल की शुरुआत से लेकर इन पांच महीनों के भीतर कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का है। बीते काफी समय से उनके रिश्ते कांग्रेस आलाकमान के साथ अच्छे नहीं चल रहे थे। कपिल सिब्बल ने उदयपुर में कांग्रेस के चिंतिन शिवर में बैठक के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। सिब्बल कांग्रेस पार्टी में व्यापक सुधारों पर जोर देने वाले विद्रोही ग्रुप “जी -23” के एक प्रमुख सदस्य थे। सिब्बल काफी समय से ना केवल कांग्रेस, बल्कि राहुल गांधी पर भी निशाना साधते रहे हैं।

2. सुनील जाखड़

पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। सुनील जाखड़ को कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जाखड़ ने एक तीखे संदेश में कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करने की आवश्यता है।

3. हार्दिक पटेल

गुजरात के नेता हार्दिक पटेल ने पार्टी में दरकिनार किए जाने से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी थी। हार्दिक ने अपने त्यागपत्र में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे उनसे मिले तो शीर्ष नेता मोबाइल फोन पर व्यस्त थे। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात कांग्रेस पार्टी के मुद्दों की तुलना में नेताओं के लिए “चिकन सैंडविच” की व्यवस्था करने में अधिक रुचि रखती है।

4. अश्वनी कुमार

पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने इस साल की शुरुआत में फरवरी में कांग्रेस से अपना चार दशक पुराना रिश्ता खत्म कर लिया। उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा कि यह कदम,”मेरी गरिमा के अनुरूप है।” उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि वह निकट भविष्य में कांग्रेस को पतन की ओर जाते हुए देख रहे हैं।

5. आरपीएन सिंह

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा (BJP) में शामिल हो गए। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, वह 32 साल से कांग्रेस में थे लेकिन पार्टी अब वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी।

6. जयंती नटराजन

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन ने 30 जनवरी 2015 को कांग्रेस पार्टी का साथ छो़ड़ा था। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ते वक्त राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया था। नटराजन का परिवार कांग्रेस के साथ 1960 के दशक से जुड़ा हुआ था। उनके नाना एम भक्तवत्सलम तमिलनाडु में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे।

7. जीके वासन

यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके जीके वासन ने नवंबर 2014 में पार्टी छोड़ी थी। उनके पिता जीके मुपनार बड़े कांग्रेसी नेता रहे। वासन ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी में तमिलनाडु इकाई को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पार्टी छोड़ने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने देसिया तमिल मनीला कांग्रेस की स्थापना की।

8. ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में अब तक सबसे ज्यादा सुर्खियां ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय ही मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई टकराहट आखिरकार सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर जाकर खत्म हुई। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना। सिंधिया राहुल गांधी के बेहद करीबी थे और कांग्रेस के भविष्य के रूप में भी देखे जा रहे थे।

9. टॉम वडक्कन

तकरीबन 20 सालों तक सोनिया गांधी के खास रहने के बाद टॉम वडक्कन ने पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय में पार्टी के स्टैंड का विरोध किया था। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली।

10. रंजीत देशमुख

महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रंजीत देशमुख ने संगठन पर आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ दी थी। वो महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री भी रहे थे। हालांकि बाद में खराब स्वास्थ्य की वजह से रंजीत सक्रिय राजनीति से अलग हो गए।

11. चौधरी बीरेंदर सिंह

हरियाणा कांग्रेस के ताकतवर नेता रहे चौधरी बीरेंदर सिंह ने 2014 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कहते हैं कि उन्होंने पार्टी राज्य के तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के विरोध में छोड़ी थी। फिर उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर हरियाणा से जीता और फिर केंद्रीय मंत्री बने।

12. रीता बहुगुणा जोशी

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी ने साल 2016 में कांग्रेस छोड़ी थी। बाद में वो बीजेपी के टिकट पर लखनऊ से विधायक बनीं। उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के दिग्गज नेता और यूपी के मुख्यमंत्री रहे।

13. हिमंता बिस्वा सरमा

हिमंता बिस्वा सरमा असम की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री थे और गोगोई के ख़ास माने जाते थे। बाद में गोगोई से मतभेद होने पर 2015 में पार्टी छोड़ दी। राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा था पर तब राहुल गांधी कथित रूप से कुत्ते को खिलाने में व्यस्त थे। इन्होंने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। अभी असम के मुख्यमंत्री हैं।

14. विजय और रीता बहुगुणा

2012 से 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा की बहन उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही थीं। इनके पिता हेमवतीनंदन बहुगुणा का परिवार दशकों से कांग्रेस में था। 2013 की बाढ़ आपदा में राहत कार्यों में अनियमितता को लेकर उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे थे। मुख्यमंत्री का पद चला गया और दो साल बाद दोनों भाई बहन कांग्रेस छोड़ 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए। रीता बहुगुणा जोशी अभी इलाहाबाद से बीजेपी सांसद हैं और विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा बीजेपी विधायक हैं।

15. नारायण राणे

कभी शिवसेना के बड़े नेता रहे नारायण राणे ने 2005 में कांग्रेस ज्वाइन की थी। कांग्रेस की सरकारों में वे मंत्री भी रहे थे। पार्टी छोड़ते वक़्त नारायण राणे ने कहा था- कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था पर अपने वादे से मुकर गई। उन्होंने 2017 में कांग्रेस पार्टी छोड़ी। अभी मोदी सरकार में मंत्री हैं।

16. राधाकृष्ण विखे पाटिल

राधाकृष्ण विखे पाटिल 5 बार के विधायक और नेता प्रतिपक्ष रहे। पिता बालासाहब विखे पाटिल कद्दावर कांग्रेसी थे। राधाकृष्ण विखे पाटिल बेटे सुजय विखे पाटिल को अहमदनगर से लोकसभा का टिकट न मिलने से नाराज थे। सुजय विखे पाटिल ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया और अहमदनगर से बीजेपी सांसद है।

17. प्रियंका चतुर्वेदी

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से मथुरा में कुछ नेताओं ने अभद्रता की थी। अभद्रता करने वालों को पहले पार्टी ने निकाला और फिर पार्टी में शामिल भी कर लिया। प्रियंका इससे नाराज थीं। जिसके बाद उन्होंने 2019 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया.

18. जितिन प्रसाद

मनमोहन सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद अब योगी सरकार में मंत्री हैं। माना जाता है कि वह उत्तर प्रदेश के मामलों में सलाह न लिए जाने से नाराज थे। पिछले साल (2021 में) दिग्गज नेता जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे।

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