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राजस्थान में डीजल इतना महंगा कि खुद सरकार ही दूसरे राज्यों से अपनी बसों में भरवा रही डीजल, गहलोत सरकार कम नहीं कर रही वैट

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राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार डीजल पर वैट को लेकर एक बार फिर कठघरे में है। राजस्थान में बहुत ज्यादा वैट के चलते डीजल इतना महंगा हो गया है कि खुद सरकार ही अपनी रोजवेज बसों में दूसरे राज्यों से डीजल भरवाकर बचत कर रही है, लेकिन वैट कम न होने से जनता की जेब पर तो लगातार बोझ बढ़ता ही जा रहा है। पिछली बार भी सीएम अशोक गहलोत, केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल के दाम काफी कम कर देने के बाद भी वैट न घटाने के लिए अड़ गए थे, लेकिन बीजेपी के आंदोलन और पड़ोसी राज्यों में कम कीमतों के दबाव के बाद उन्हें मजबूरन वैट कम करना पड़ा था। एक बार फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं।

पड़ोसी राज्य की तुलना में डीजल के दाम 13 रूपये प्रति लीटर तक ज्यादा
दरअसल, पहली बार सरकार ने भी यह अधिकारिक रूप से मान लिया है कि प्रदेश में डीजल महंगा हो गया है। थोक में डीजल के दाम 25 रूपये बढ़ाए जाने के बाद परिवहन निगम द्वारा इंटर स्टेट चलने वाली बसों को पड़ोसी राज्यों से ही सस्ता डीजल भरने को कहा गया है। यही नहीं, अपनी बसों को भी खुले बाजार से डीजल खरीद की मंजूरी दे दी है। राजस्थान में पहली बार इस तरह का आदेश इसलिए जारी गया है, क्योंकि राज्य के कुछ शहरों में तो पड़ोसी राज्य की तुलना में डीजल के दाम 13 रूपये प्रति लीटर तक ज्यादा हैं।

पहली बार निकाला आदेश…रोडवेज बसों में पड़ोसी राज्यों से भरवाएं डीजल
डीजल का थोक भाव बढ़ने से बसों को डिपो में डीजल आम बाजार भाव से भी महंगा पड़ रहा है। जबकि पड़ोसी राज्यों में यहां से 13 रुपये तक सस्ता डीजल है। इसलिए रोजवेज प्रबंधन ने यह छूट दी है। संबंधित राज्य की सीमा से सटे राजस्थान के डिपो को ही इसके लिए पड़ोसी राज्य के पेट्रोलियम डीलर से बात करने के लिए कहा गया है। ताकि राज्य की रोजवेज बसें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के पेट्रोल पम्पों से डीजल भरवा सकें।

 

सरकार ने अपनी बचत का रास्ता निकाला, जनता को तो पिसना होगा
राज्य सरकार ने खुद वैट कम न करने रोडवेज बसों के लिए यह कदम इसलिए उठाया है, ताकि आर्थिक बचत हो सके। एक अनुमान के मुताबिक रोडवेज बसें 5.15 किलोमीटर प्रति लीटर के ऐवरेज से चलती हैं। राज्य में रोजाना इन बसों की 2.53 लाख लीटर डीजल की खपत है, क्योंकि रोडवेज बसों का रोजाना का शेड्यूल 13 लाख किलोमीटर है। ऐसे में राज्य में डीजल महंगा होने की मार आम जनता के साथ-साथ सरकार पर भी लग रही है। सरकार ने अपनी बचत के लिए तो यह रास्ता निकाल लिया है, लेकिन जनता को तो पिसना ही होगा।

पड़ोसी राज्यों और राजस्थान में डीजल
राज्य      दाम      नजदीकी डिपो   दाम
हरियाणा    87.27    कोटपुतली         90.70
उत्तर प्रदेश  86.76    भरतपुर            90.96
गुजरात     89.00    डूंगरपुर            91.74
मध्य प्रदेश 90.90    झालावाड़          91.82
पंजाब       82.63   श्रीगंगानगर       95.04

पहले भी मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी कम की, गहलोत वैट पर अड़े रहे
केंद्र की पीएम मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के बावजूद राजस्थान की जिद्दी सरकार वैट नहीं घटा रही है। केंद्र के बाद गैर कांग्रेस शासित 22 राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाकर जनता को अतिरिक्त राहत दी है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान की जनता की कोई चिंता नहीं है। प्रदेश में अब भी पेट्रोल पर 36 प्रतिशत और डीजल पर 26 प्रतिशत वैट वसूला जा रहा है, जो देश में सबके अधिक है।दो साल में डीजल की बिक्री 9.51 लाख लीटर कम
गैर कांग्रेस शासित राज्यों के बाद तब तो पंजाब ने भी राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पेट्रोल-डीजल पर से वैट एकदम से काफी कम दिया था।  इससे वहां पेट्रोल 95 रुपए और डीजल 84 रुपए प्रति लीटर हो गया है। पंजाब से लगते श्रीगंगानगर में पड़ौसी राज्य से पेट्रोल-डीजल 20 प्रतिशत महंगा मिल रहा है। पंजाब की तुलना में यहां पेट्रोल-डीजल पहले ही महंगा था, लेकिन अब बहुत ज्यादा अंतर आ गया है। यही वजह है कि प्रदेश में दो साल में डीजल की बिक्री 9.51 लाख लीटर कम हुई है। हरियाणा-पंजाब सीमा के लगे एक हजार से ज्यादा पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर हैं, लेकिन सरकार अपनी मनमानी पर उतारू है।

सरकार ने कमाए 10 हजार करोड़, पर जनता को राहत नहींं
सीएम अशोक गहलोत पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लिए बस केंद्र सरकार को ही दोषी ठहराते रहे हैं। अब जबकि केंद्र सरकार ने एक साथ पेट्रोल-डीजल पर इतनी कीमत कम कर दी है तो खुद राज्य की जनता को राहत देने के बजाए बहानेबाजी कर रहे हैं। सीएम अशोक गहलोत के मुताबिक एक्साइज ड्यूटी कम होने के राजस्व में 1800 करोड़ की हानि हुई है। हकीकत यह है कि राज्य सरकार मार्च से सितंबर तक छह माह में पेट्रोल-डीजल की बिक्री से 10 हजार करोड़ रुपए कमा चुकी है, लेकिन जनता को राहत देने के कतरा रही है।वैट घटाने के बजाए गहलोत ने गृह मंत्री को भेजी चिठ्ठी
सीएम गहलोत ने खुद तो वैट घटाने से इनकार कर दिया है। इसके उलट राजनीति करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भेजा है। गहलोत ने केन्द्र सरकार से कहा है कि केन्द्र पेट्रोलियम कंपनियों को पाबंद करे कि वो रोज-रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी न करें। साथ ही केन्द्र से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और घटाने की मांग की है। सीएम गहलोत की इस सियासतबाजी में नुकसान राज्य की जनता का ही हो रहा है।पेट्रोल-डीजल पर गहलोत सरकार को बीजेपी ने एक्सपोज किया
दूसरी ओर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान बीजेपी को कांग्रेस सरकार के लिए टास्क दिया है। दरअसल, केंद्र के बाद कांग्रेस शासित पंजाब ने भी वैट घटा दिया है, लेकिन राजस्थान में वैट कम न होने से इसके दाम अन्य राज्यों के ज्यादा हैं। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व जो टास्क दिेया है, उसके तहत राजस्थान की कांग्रेस सरकार राज्य में वैट कम नहीं कर रही है, जबकि पहले कांग्रेस पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर हल्ला मचा रही थी. अब अपनी जिम्मेदारी से कांग्रेस और उसकी सरकार पीछे हट रही है। बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल-डीजल के मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर कांग्रेस सरकार को एक्सपोज किया, उसके दबाव में तब गहलोत को वैट कम करना पड़ा था।

 

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