देश 7.5 के ग्रोथ रेट से आगे बढ़ रहा है। हर घर में शौचालय बन रहा है। हर गरीब के सिर पर पक्का छत देने का अभियान चल रहा है। हर घर में गैस कनेक्शन और बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। हर व्यक्ति का बैंक खाता खोलने की योजना जारी है। प्रत्येक जरूरतमंद परिवार को स्वास्थ्य बीमा पहुंचाने की कोशिश हो रही है। ग्रामीण सड़कें दोगुनी रफ्तार से बन रही हैं तो हाईवे का निर्माण भी तेज गति से हो रहा है। रेल, रोड और एयर कनेक्टिविटी से देश का कोना-कोना जोड़ा जा रहा है। 4जी डेटा से 5जी डेटा स्पीड की तरफ भारत ने कदम बढ़ा दिए हैं। यानि न्यू इंडिया के निर्माण की रफ्तार तेज हो चुकी है।
हालांकि इस रफ्तार को रोकने की भी हर कोशिश हो रही है। साजिशें रची जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए विरोधियों ने गठजोड़ कर लिया है और रोज नई साजिशों के साथ सामने आ रहे हैं। बीते चार सालों में विपक्ष ने मोदी सरकार को अस्थिर करने की हर कोशिश की है। आइए देखते हैं कुछ ऐसे मामले जो मोदी सरकार को अस्थिर करने की साजिशों के तहत अंजाम दिए गए।
महाराष्ट्र में शरद पवार ने लगाई मराठा आरक्षण की आग
महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय के लोग सड़कों पर हैं। चारों तरफ हिंसा की आग फैलाई जा रही है। मांग ये है कि मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल किया जाए। दूसरा यह कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को उनके पद से हटाया जाए। जाहिर है ये ऐसी मांगे हैं जो पूरी तरह राजनीति से प्रेरित हैं। क्योंकि सबको पता है कि आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता और मराठा समुदाय को यह खुद से साबित करना है कि वह ओबीसी की हकदार है। जाहिर है सब जानते हुए भी ये आंदोलन हो रहे हैं और मराठा समुदाय के लोगों को भड़काया जा रहा है। आरोप है कि मराठा आरक्षण के नाम पर प्रदेश में अराजकता फैलाने का काम शरद पवार कर रहे हैं। ताकि 2019 से पहले प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध मराठा जनमत तैयार किया जा सके। गौरतलब है कि शरद पवार भी मराठा समुदाय से ही आते हैं और पर्दे के पीछे से इस आंदोलन के पीछे भी उन्हीं का हाथ माना जा रहा है।
बिना किसी ठोस कारण के कांग्रेस ने लाया अविश्वास प्रस्ताव
गत 20 जुलाई को मोदी सरकार के विरुद्ध टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव दिया। इसे कांग्रेस समेत कई दलों ने समर्थन किया तो लोकसभा अध्यक्ष को इसे मानना पड़ा। बिना किसी ठोस कारण के मोदी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे देश को अस्थिरता के दलदल में घसीटने की एक साजिश थी जिसे मोदी सरकार ने नाकाम कर दिया। लेकिन यह बात साबित हो गई कि बिना पर्याप्त आंकड़े के अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और देश को एक नये चुनाव की ओर धकेलने की कोशिश की गई।
मंदसौर में किसानों को भड़काने में कांग्रेस का हाथ
कांग्रेस पार्टी लगातार लोगों को भड़का रही है और अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जून, 2017 को जब किसानों का आंदोलन चल रहा था। इसकी आगुआई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद कर रहे थे। कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं ने किसानों को इतना भड़काया कि छह लोगों की जान चली गई। एक सच्चाई ये है कि राहुल गांधी आंदोलन को बीच में ही छोड़कर विदेश भाग गए।
सहारनपुर में जातीय तनाव फैलाने की कांग्रेसी साजिश
फरवरी, 2017 के विधानसभा चुनाव में सामाजिक समरसता की मिसाल बने यूपी में अप्रैल 2017 में आग लगाने की कोशिश की गई। सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों को आमने-सामने लाने की कोशिश की गई। मामले की जांच हुई तो पता लगा कि हिंसा फैलाने वाली ‘भीम आर्मी’ कांग्रेस के नेताओं के सहयोग से खड़ा हुआ संगठन है। इसमें कांग्रेस के कई स्थानीय नेताओं के हाथ भी सामने आए।
मूर्ति तोड़ने वालों के कांग्रेस कनेक्शन का हुआ पर्दाफाश
त्रिपुरा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद देश में कई जगहों पर महापुरुषों की मूर्ति तोड़ने की घटनाएं सामने आईं। इसका एक पहलू ये है कि जितनी भी घटनाएं हो रही हैं वह भाजपा शासित राज्यों में हो रही हैं। इन घटनाओं को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस ट्वीट से भी समझा जा सकता है।
जिस कांग्रेस ने बाबा साहेब को भारत रत्न नहीं दिया वह आज डॉ. आंबेडकर को अपना बता रही है। हकीकत तो ये है कि मूर्ति तोड़ने वाले जितने भी पकड़ा रहे हैं उनके कांग्रेस या विपक्ष से कनेक्शन सामने आ रहा है। आजमगढ़ में बाबा साहेब की जो मूर्ति तोड़ने वाला बसपा का एक दलित है, जो मूर्ति वाली जमीन पर कब्जा करना चाहता था। राजस्थान के अकरोला में गांधी जी की मूर्ति तोड़ने वाले तीनों आरोपी कांग्रेस के सदस्य हैं।
कांग्रेस समर्थित जिग्नेश मेवाणी का कुर्सी फेंको अभियान
कांग्रेस पार्टी लगातार हिंसा के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है इसकी एक बानगी गुजरात विधानसभा में कांग्रेस समर्थित विधायक जिग्नेश मेवाणी के ‘कुर्सी फेंको’ आह्वान से भी समझा जा सकता है। मेवाणी ने 15 अप्रैल को कर्नाटक में होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की रैली में लोगों को कुर्सी फेंकने के लिए उकसाया है। जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात में भी कई बार हिंसा फैलाने की कोशिश की है और महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में भी उन्होंने ही दलित और मराठा के बीच संघर्ष की पृष्ठभूमि तैयार की थी।
#WATCH: Jignesh Mevani says, ‘Biggest role of Karnataka’s youth should be to enter PM’s campaign program in Bengaluru on 15th, hurl chairs in the air & disrupt it, then ask him what happened to 2 cr jobs? If he can’t answer ask him to go to Himalayas’ #Chitradurga #Karnataka pic.twitter.com/3rykIfOFsp
— ANI (@ANI) 6 April 2018
कांग्रेस समर्थित हार्दिक पटेल ने फैलाई थी गुजरात में हिंसा
पिछले वर्ष दिसंबर में संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में सत्ता पाने के लालच में अंधी कांग्रेस ने गुजरात के समाज को वर्गों में बांट दिया। हार्दिक पटेल को पाटीदार पटेल के नेता के रूप में, तो जिग्नेश मेवाणी को दलित समाज के नेता के रूप में, और अल्पेश ठाकोर को अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में उभरने की महत्वाकांक्षा को बरगलाया, फिर इनकी तुष्टिकरण के लिए चुनाव साथ में लड़ने का फैसला किया। गुजरात में पटेल आरक्षण को लेकर जिस तरह से आंदोलन किया गया था वह किसी राजनीतिक दल के समर्थन के बगैर नहीं हो सकता था। बाद में हार्दिक पटेल और कांग्रेस के संबंधों और सौदेबाजी का खुलासा भी हुआ था। कांग्रेस से करोड़ों रुपये की डील कर गुजरात को हिंसा की आग में धकेल दिया गया और 14 लोगों की जान गंवानी पड़ी।
हिंदू देवी-देवताओं का सरेआम अपमान कर रहे कांग्रेसी
02 अप्रैल को दलित आंदोलन के दौरान जिस तरीके से हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया वह देश में आग लगाने की मंशा से ही किया गया। मध्य प्रदेश में हनुमान जी का जो अपमान किया गया था वह ईसाई मिशनरियों से ताल्लुक रखते थे और तमिलनाडु में जिन 2 लोगों को शिवलिंग पर पैर रखने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है जिसका नाम सद्दाम और सईद है। जाहिर है कि इसके पीछे भी कांग्रेस का ही हाथ है।
राजनीति के लिए कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी इतने गिर गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत तरीके से व्याख्या कर दलितों को केंद्र सरकार के खिलाफ भड़काने में लगे हैं। वोट बैंक की राजनीति करने के लिए राहुल गांधी देशभर में दलितों को गुमराह कर रहे हैं और उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं।
2 अप्रैल को ट्वीट कर आंदोलनकारियों को भड़काया
कांग्रेस पार्टी ने हमेशा दलितों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया। जब जरूरत पड़ी कांग्रेस पार्टी ने दलितों को मोहरा बनाकर अपनी राजनीति चमकाई और फिर उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। इसी पॉलिसी के तहत कांग्रेस पार्टी आज भी दलितों का इस्तेमाल कर रही है। 2 अप्रैल को दलित संगठनों ने अपनी मांग को लेकर भारत बंद बुलाया था। इस भारत बंद के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भड़काऊ ट्वीट ने आग में घी का काम किया और देश के कई राज्यों में दलितों ने हिंसक प्रदर्शन किया। इस हिंसक प्रदर्श में अरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ और 12 लोग मारे गए।
दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना RSS/BJP के DNA में है। जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं।
हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की माँग कर रहे हैं।
हम उनको सलाम करते हैं।#BharatBandh
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) 2 April 2018
महाराष्ट्र में दलित-मराठा हिंसा को भड़काया
इसी वर्ष जनवरी के महीने में महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेताओं दलितों और मराठाओं के बीच हिंसा को भड़काया था। महाराष्ट्र के पुणे में कई दशकों से दलित कोरेगांव युद्ध का जश्न मनाते आए हैं, मगर इससे पहले हिंसा कभी नहीं हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरेगांव युद्ध के 200 वर्ष पूरे होने पर आयोजित जश्न के मौके को हिंसा में तब्दील करने के पीछे कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों का हाथ था।
कांग्रेस के समर्थकों ने भड़काई हिंसा
आपको बता दें कि 31 दिसंबर को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। जिसमें दलितों के 50 संगठन शामिल हुए थे। इसमें कुछ मुस्लिम संगठन भी शामिल थे, लेकिन जब आप मंच पर बैठे हुए लोगों को देखेंगे तो आपको हैरानी होगी क्योंकि, इस मंच पर गुजरात से विधायक और कांग्रेस पार्टी के समर्थक जिग्नेश मेवाणी मौजूद थे। इसके अलावा इस मंच पर उमर खालिद भी मौजूद था, उमर खालिद JNU का वही छात्र नेता है, जिसने भारत तेरे टुकड़े होंगे.. जैसे देशविरोधी नारे लगाए थे। मंच पर रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला भी मौजूद थीं। ये सब वो लोग हैं, जिनका समर्थन कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस के इन्हीं समर्थकों ने एक जनवरी को कार्यक्रम के दौरान, हिंदू एकता को तोड़ने के लिए अपने समर्थकों और असामाजिक तत्वों को दलितों की भीड़ में शामिल कर दिया। इन्हीं लोगों ने मराठा लोगों पर भद्दी टिप्पणियां कर उन्हें उकसाना शुरू कर दिया। पूरी साजिश दलित और मराठा समुदाय के लोगों के बीच फूट डालने के लिए रची गई थी। मौके पर मौजूद लोगों ने यहां तक बताया कि कई कट्टरपंथी मुस्लिम टोपी उतार कर इसमें शामिल हो गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी। फिर देखते ही देखते हिंसा की आग फैल गई। पुणे के पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की शिकाय की गई है। शिकायत में कहा गया कि इनके बयानों के बाद दो समुदायों में हिंसा भड़की।
Jignesh Mewani, Omar Khalid, Prakash Ambedkar and Radhika Vemula in Pune at an event marking the 200th anniversary of the Battle of Bhima Koregaon (31.12.17) pic.twitter.com/s4ngA9T8hc
— ANI (@ANI) 2 January 2018
JUST IN: Khalid – Mevani role under lens #MaharashtraCasteClash
— TIMES NOW (@TimesNow) 2 January 2018
A central pillar of the RSS/BJP’s fascist vision for India is that Dalits should remain at the bottom of Indian society. Una, Rohith Vemula and now Bhima-Koregaon are potent symbols of the resistance.
— Office of RG (@OfficeOfRG) 2 January 2018
मोदीजी २०० साल पहले युद्ध के मैदान में वो ५०० थे तो भी जीते थे, २०१९ में चुनाव के मैदान में हम २५ करोड़ लोग आपको करारा जवाब देंगे।
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) 2 January 2018
मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की हकीकत आई थी सामने
इससे पहले मध्य प्रदेश में शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे किसान आंदोलन के बीच भी कांग्रेसी नेताओं ने हिंसा फैलाने के लिए भड़काऊ बयानबाजी की थी। उस दौरान कई वीडियों सामने आए थे, जिसमें कांग्रेस नेता दंगा और आगजनी करने के लिए लोगों को उकसा रहे थे।
यूपी हो या उत्तराखंड, गुजरात हो या हिमाचल, इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी हिंदू एकता के कारण बुरी तरह से हारी है। मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाले राहुल गांधी ने गुजरात में जनेऊ धारण कर मंदिरों के चक्कर तक लगाए, मगर जनता की आंखों में धूल झोंकने में विफल रहे। लिहाजा कांग्रेस पार्टी अब फूट डालो, राज करो की नीति के तहत समाज में फूट डालने की साजिश रच रही है।
यूपी में भीम आर्मी के नाम से फैलाई नफरत
ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी हुआ था। वहां कट्टरपंथी मुस्लिमों ने दलित प्रदर्शनकारियों के बीच घुसकर हिंसा फैला दी थी, मगर सीएम योगी की सख्त कार्रवाई के कारण सभी दंगाई जेल में डाल दिए गए और कईयों पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई थी। मोदी लहर का सामना करने में विफल रही कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल घटिया और घिनौनी राजनीति पर उतर आए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मौका देखते ही दलितों के नाम पर राजनीति शुरू कर दी है।
वर्गों में विभाजित करके, समाज को देखने की सोच
कांग्रेस भारतीय समाज की विभिन्नता के स्वरूप को संजोने के बजाय, उसे विभक्त करने का काम करती रही है। नेहरू की परंपरा ने देश के सूक्ष्म सांस्कृतिक ताने-बाने को आत्मसात किये बगैर समाज को विभिन्न धर्मों, संप्रदायों और जातियों के गुच्छे की तरह से देखने की सोच को कांग्रेस में पल्लवित किया। इसका परिणाम यह रहा कि कांग्रेस ने सत्ता पर अपना कब्जा बनाये रखने के लिए देश की इस विभिन्नता को वोट बैंक में बदल दिया। जिस वर्ग के वोट मिलने से सत्ता बची रह सकती है, उस वर्ग का तुष्टिकरण इन्होंने अपना धर्म समझ लिया। इतिहास में कांग्रेस की इस सोच के अनेकों उदाहरण है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आज भी कांग्रेस उसी रास्ते पर चल रही है।
सर्वसमाज की समरसता पसंद नहीं करती कांग्रेस
दरअसल आजादी के 70 वर्षो बाद पहली बार ऐसा लग रहा है कि पूरे देश का बहुसंख्यक समाज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जातीय बेड़ियां तोड़कर एकता के गठबंधन में बंधकर एकता के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है। समाज एकता के सूत्र में बंधकर विकास के रास्ते चलना चाहता है। लेकिन कांग्रेस को शायद ये एकता पसंद नहीं आ रही।