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BJP का 42 साल का सफर: PM Modi के केंद्र की राजनीति में आने के बाद बीजेपी का हर क्षेत्र में कई गुना विस्तार, जानिए किन Top-10 मुद्दों से BJP इतनी ऊंचाइयों तक पहुंची

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आज यानी 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है। भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में निर्मित भारतीय जनसंघ है। करीब तीन दशक के सियासी घटनाक्रमों के बाद 4 अप्रैल 1980 को दिल्ली में जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक अहम बैठक हुई। इसमें फैसला हुआ कि पूर्व जनसंघ के सदस्यों को पार्टी से निकाल दिया जाए। निष्कासित किए जाने वाले नेताओं में अटल बिहारी और लालकृष्ण आडवाणी भी थे। इसके ठीक दो दिन बाद यानी 6 अप्रैल 1980 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में एक नए राजनीतिक दल की घोषणा हुई। इसका नाम था- भारतीय जनता पार्टी। आज इस ऐतिहासिक घोषणा को 42 साल पूरे हो चुके हैं और वह भारतीय जनता पार्टी नित-नए इतिहास बना रही है। पीएम मोदी के कुशल विजन से बीजेपी का तो कई गुना विस्तार हुआ ही है, साथ ही बीजेपी सरकार और पीएम मोदी की ख्याति देश की सीमाओं को लांघकर विदेशों तक में जा पहुंची है। चार दशक में कई गुना विस्तार, बीजेपी के 1296 विधायक और 303 लोकसभा सदस्य
आंकड़ों में बात करें तो इन चार दशक में बीजेपी ने हर क्षेत्र में कई गुना विस्तार किया है। बीजेपी के 1984 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो सांसद थे, जो 2019 में बढ़कर 303 और 2022 में देशभर में 1296 विधायक हो गए हैं। 1984 में बीजेपी को देशभर में 1.82 करोड़ लोगों ने वोट दिया था, जबकि 2019 में 22.9 करोड़ लोगों ने वोट देकर बीजेपी को जिताया। अपने उदयकाल में 1980 में बीजेपी के पास सिर्फ 25 लाख कार्यकर्ता थे, जो अब बढ़कर 18 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं और यह आंकड़ा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी दोगुना है।तीन दशक बाद बीजेपी वो पार्टी बनी, जिसके राज्यसभा में 100 सदस्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि इस बार का स्थापना दिवस तीन और वजहों से बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। पहला कारण है कि इस समय हम हमारा देश, आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। दूसरा कारण है- तेजी से बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियां, बदलता हुआ ग्लोबल ऑर्डर। इसमें भारत के लिए लगातार नई संभावनाएं बन रही हैं। और तीसरा कारण भी उतना ही अहम है। कुछ सप्ताह पहले चार राज्यों में भाजपा की डबल इंजन की सरकारें वापस लौटी हैं। तीन दशकों के बाद राज्यसभा में किसी पार्टी के सदस्यों की संख्या 100 तक पहुंची है। यानि वैश्विक दृष्टिकोण से देखें या राष्ट्रीय दृष्टिकोण से, भाजपा का दायित्व, भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता का दायित्व लगातार बढ़ रहा है।

पीएम मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा जनता कर रही साकार
भारत जैसे विश्व के दूसरे सबसे बड़े देश में किसी भी पार्टी को इतनी बड़ी ऊंचाईयां छूने के लिए लगातार सेवा, समर्पण, समस्याओं का निदान, विकास के नए सोपान और सबसे ऊपर राष्ट्रहित के लिए काम करना जरूरी है। भाजपा ने अपने चार दशक से ज्यादा समय में यही सब किया है। सबका साथ, सबका प्रयास का ही सुफल है कि पहले आम चुनाव में 2 सीट जीतने से शुरू हुआ सफर 2019 में 303 सीटों तक पहुंचा। इससे पहले 2014 में मोदी युग की शुरुआत के साथ पार्टी लगातार चुनाव जीतने वाली इलेक्शन मशीन कैसे बन गई। पीएम मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देश की जनता लगातार चरितार्थ करती जा रही है। 42 सालों में बीजेपी ने लगातार विस्तार देखा है।पीएम मोदी के विजन ने बीजेपी को बनाया इलेक्शन जीतने की मशीन
बीजेपी में पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बने थे, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद बीजेपी में एक नए युग का सूत्रपात हुआ। पीएम मोदी के दूरगामी विजन पर आधारित नए टूल्स और स्ट्रैटजी को अपनाया गया। सीएम रहते ही नरेन्द्र मोदी ने टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया की ताकत को समझ लिया था। पीएम बनने के बाद इस ताकत में विजन और रणनीति को मिला दिया। युवाओं और महिलाओं को छूने वाले मुद्दों पर जमकर काम किया गया। इसका असर ये हुआ कि बीजेपी इलेक्शन जीतने की मशीन बन गई।

आइये जानते हैं जनता के दिल से जुड़े वो कौनसे अहम मुद्दे हैं, जिनके दम पर बीजेपी आज यहां तक पहुंची है…और लगातार ऐतिहासिक सफलताएं अर्जित करती जा रही है….

1. राम जन्मभूमि आंदोलन, बाबरी ढांचा ध्वंस और भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण
सभी जानते हैं कि भारत-भूमि में राम जन-जन की आस्था के केंद्र हैं। लालकृष्ण आडवाणी को 1986 में बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया। उस दौरान विश्व हिंदू परिषद अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन चला रही थी। बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन का जमकर समर्थन किया। इसका असर ये हुआ कि 1984 में 2 सीटें जीतने वाली पार्टी 1989 में 85 सीटों पर पहुंच गई। सितंबर 1990 में आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर के समर्थन में एक रथ यात्रा की शुरुआत की। 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुना दिया। बीजेपी को जनता से जोड़ने वाले राम मंदिर का अयोध्या में भव्य निर्माण हो रहा है।

2. कश्मीर में आर्टिकल 370 का मुखर विरोध और इसके खात्मे का ऐतिहासिक फैसला
जनसंघ के अग्रणी नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को भारत का ‘अभिन्न अंग’ बनाने की वकालत करते थे। अगस्त 1952 में जम्मू में उन्होंने विशाल रैली की। उन्होंने कहा- या तो मैं आपको भारतीय संविधान दिलाउंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूंगा। बीजेपी इस मुद्दे को थामे रही। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार सत्ता संभाली तो 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पास कराया गया। इसी के साथ बीजेपी के मैनिफेस्टो का एक जरूरी वादा पूरा हुआ। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल कश्मीर से आर्टिकल 370 को खात्मे को नामुमकिन मानते थे।

3. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को बढ़ावा, गोहत्या की खिलाफत
भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की फिलॉसफी से चलती है। राम मंदिर ही नहीं, बीजेपी ने काशी से लेकर केदारनाथ तक, सोमनाथ से लेकर मथुरा तक के मंदिरों को न सिर्फ मुद्दा बनाया, बल्कि उनको भव्यता और दिव्यता भी प्रदान की। जनता के लिए तीर्थाटन योजना भी सबसे पहले भाजपा की ही राज्य सरकारों ने शुरू की। बीजेपी ने गाय और गोवंश का मुद्दा भी प्राथमिकता से लिया। केंद्र से लेकर अलग-अलग राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने पर गोहत्या रोकने की कोशिश की गई है। अटल सरकार ने गो पशु आयोग बनाया। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गोहत्या पर पूरी तरह से रोक लगा दी। 26 मई 2017 को मोदी सरकार ने पशु बाजारों में हत्या के लिए मवेशियों की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

4. भ्रष्टाचार को खत्म करके सर्वांगीण और समावेशी विकास पर फोकस
भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारों ने अपने घोषणापत्रों में भ्रष्टाचार को खत्म करके भयमुक्त समाज के निर्माण पर जोर दिया। इसके साथ ही राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक सर्वांगीण और समावेशी विकास किया। भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा, उनमें भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा था। यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों और विदेशों में जमा कालेधन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। जनता ने भरोसा करते हुए बीजेपी को जमकर वोट किया।5. कांग्रेस के विपरीत बीजेपी शुरू से ही परिवारवाद के खिलाफ
कांग्रेस शुरू से ही परिवारवाद की पोषक रही है और अब भी उसी लकीर पर चल रही है, दूसरी ओर बीजेपी शुरुआत से ही परिवारवाद के खिलाफ रही है। 2014 में नरेंद्र मोदी ने इसे जोर-शोर से उठाया। इस लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद, जातिवाद, सांप्रदायिकता और मौकापरस्ती को लोकतंत्र के चार दुश्मन बताया। आज भी पार्टी में बड़े स्तर पर परिवारवाद या वंशवाद मौजूद नहीं है और खुलकर इसकी आलोचना होती है। उत्तर प्रदेश से हाल ही में हुए चुनाव में भी पीएम नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाया था।

6. पीएम मोदी ने जाति आधारित राजनीति को हाशिए पर धकेल दिया
बीजेपी ने रणनीति के तहत परम्परागत जाति-आधारित राजनीति को भी हाशिए पर धकेला है। जातिगत राजनीति के बजाए वह हिंदुत्व की बात करती है- यह एक ऐसा राजनीतिक विचार है, जिसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद शामिल है। इसके बूते पार्टी ने अपने सामाजिक आधार को विस्तार दिया है। पीएम मोदी ने इसी सोच के तहत सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास का मंत्र दिया है। इससे हर जाति, वर्ग, धर्म, संप्रदाय और आयु वर्ग के लोग बीजेपी से जुड़ रहे हैं।

7. बीजेपी ने गरीबों का सच्चा हितैषी बनकर दिखाया, योजनाओं को गरीबों से जोड़ा
बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के पीछे गरीबों का सच्चा हितैषी बनकर दिखाना भी है। राज्य से लेकर केंद्र तक बीजेपी की सरकारों में न सिर्फ गरीबों के लिए कई योजनाएं आईं हैं, बल्कि उनका अलग से ख्याल भी रखा है। पीएम मोदी गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों को मुफ्त राशन की सौगात दे रहे हैं। बीजेपी की गरीबों से जुड़ी हुई योजनाएं भी हैं, जिनका मकसद सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग तैयार करना है। बीजेपी ने टॉयलेट, रसोई गैस, मुफ्त राशन, मुफ्त वैक्सीन और आवास जैसी सुविधाएं देने को अपना राजनीतिक एजेंडा बनाया है। किसी भी राज्य में चुनाव से पहले बीजेपी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को बुलाकर बड़ी-बड़ी रैलियां करती है। ये टूल गेमचेंजर साबित हुआ है।

8. पीएम मोदी बने केंद्रीय चेहरा, उनके विजन के इर्द-गिर्द पूरी ब्रांडिंग
भारतीय जनता पार्टी के शुरुआती दिनों में एक से ज्यादा केंद्रीय चेहरों के साथ पूरी ब्रांडिंग होती थी। अटल बिहारी वाजपेयी के पीएम बनने के बाद इसमें कुछ बदलाव आया और 2014 के बाद प्रधानमंत्री बनने से साथ ही नरेंद्र मोदी केंद्रीय चेहरा बन गए। तब से उनके विजन, रणनीति के अनुरूप ही बीजेपी की ब्रांडिंग होती है। इससे कार्यकर्ताओं और जनता का सीधा जुड़ाव होता है। पीएम मोदी के केंद्रीय चेहरा बने होने के कारण ही हाल ही में बीजेपी ने चार राज्यों में वापसी कर इतिहास बनाया है।

9. बीजेपी की रिकार्ड जीत और पाकिस्तान के खिलाफ पहली बार सर्जिकल और एयर स्ट्राइक
भारतीय जनता पार्टी देश में पहली बार 2014 के चुनाव में 282 सीटें हासिल करके पूर्ण बहुमत हासिल किया। यह चुनाव नरेन्द्र मोदी की ही अगुवाई में ही लड़ा गया था। 26 मई को मोदी ने पीएम पद की शपथ ली। देश में पहली बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 31 प्रतिशत और एनडीए को 38 प्रतिशत वोट मिले। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की। पाकिस्तान को पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से जवाब दिया गया। इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने अपने दम पर ही 303 सीटें जीतकर रिकार्ड बनाया। नरेन्द्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

10. बीजेपी को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पीएम मोदी का जलवा दुनिया में कायम
बीजेपी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पीएम मोदी का भी लोकप्रियता मे जलवा कायम है। मोदी लहर का ही परिणाम है कि बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में पहले से ज्यादा सीटें मिलीं और हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में चार राज्यों में वापसी की। देश ही नहीं, वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जलवा कायम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया के बादशाह हैं। डिजिटल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। वे सोशल मीडिया पर फॉलो किए जाने वाले भारतीय नेताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर तो हैं ही, दुनिया के तमाम बड़े नेता लोकप्रियता में उनसे काफी पीछे हैं। YouTube पर प्रधानमंत्री मोदी के 10.7  मिलियन सब्सक्राइबर्स हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सिर्फ सात लाख से ज्यादा और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के महज पांच लाख से ज्यादा ही सब्सक्राइबर्स हैं। पीएम मोदी को ट्वीटर पर 77.6 मिलियन लोग फोलो करते हैं।

 

 

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