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यूपी में साइकिल की निकल रही हवा, 2024 में अकेले रह जाएंगे अखिलेश यादव, शिवपाल के बाद राजभर ने भी दिए गठबंधन तोड़ने का संकेत, द्रौपदी मुर्मु का करेंगे समर्थन

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यूपी के आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा उपचुनाव में करारी हार के दंश से अभी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उबरे भी नहीं हैं कि सपा और सुभासपा के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। सीएम योगी से बात और अमित शाह से मुलाकात के बाद सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के तेवर बदले से नजर आ रहे हैं। इससे पहले चाचा शिवपाल यादव भी अखिलेश से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। वह अपनी पार्टी को मजबूत करके नगर निकाय चुनाव में सपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर रहे हैं। सपा का सहयोगी रहा महान दल भी अब गठबंधन से अलग है। ऐसे में अखिलेश का पॉलिटिकल कुनबा बिखर रहा है।

उपचुनाव में सपा की अपने गढ़ में ही करारी हार ने राजनीतिक समीकरण बदले
यूपी में लगातार दो बार सत्ता का ताज लेकर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली बीजेपी उपचुनाव में भी सपा पर भारी पड़ी थी। बीजेपी ने सपा को उसी के गढ़ में मात दी। तब रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम लोधी ने सपा प्रत्याशी आसिम रजा को 42 हजार वोटों से हराया। वहीं, आजमगढ़ उपचुनाव में भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को हार का स्वाद चखाया। सपा अध्यक्ष अपने गढ़ में हुई इस हार को भुला भी नहीं पाए थे कि चाचा शिवपाल और सहयोगी ओमप्रकाश राजभर ने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।

यादव के खोखले गठबंधन की गांठें खुलने लगीं, एक-एक कर साथ छोड़ रहे
विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने RLD, SBSP, महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, एनसीपी, जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), अपना दल (कमेरावादी) जैसे दलों के साथ गठबंधन किया। चुनाव के बाद अब एक-एक कर गठबंधन के ये साथी साथ छोड़ रहे हैं। सपा के अखिलेश यादव को चौंकाते हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा कर दी। सुभासपा के 6 विधायक राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे।

अखिलेश के सहयोगी सुभासपा अध्यक्ष राजभर ने NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को दिया समर्थन
सुभासपा अध्यक्ष राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर ही राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं। शिवपाल यादव भी मुर्मू के सम्मान में सीएम आवास पर हुए डिनर में शामिल हुए थे। वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम साफ कहते हैं कि वर्तमान राजनीतिक हालात साफ इशारा करते हैं कि ऐसा ही चलता रहा तो 2024 तक अखिलेश यादव अकेले ही रह जाएंगे। जयंत चौधरी अखिलेश के साथ सिर्फ अपने मतलब से हैं।

आजमगढ़-रामपुर के नतीजे बताते हैं कि मुस्लिम भी अखिलेश का साथ छोड़ रहा है
जयंत चौधरी की रणनीति के बारे में कासिम कहते हैं कि जयंत को पता था कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम सपा के साथ जुड़ा हुआ है। जिस दिन जयंत को लगेगा कि मुस्लिम साथ छोड़ रहा है, तब जयंत अपना नुकसान नहीं करना चाहेंगे। वह समय आने ही वाला है। उपचुनाव के नतीजे बदलते समीकरण की ओर इशारा भी करते हैं। सैयद कासिम कहते हैं,” आजमगढ़ और रामपुर के नतीजे ये बताने के लिए काफी है कि मुस्लिम भी अखिलेश का साथ छोड़ रहा है । चार चुनाव हार चुके अखिलेश के साथ अब मुस्लिम भी नहीं रहने वाले हैं। लोकसभा में मुस्लिमों की पसंद पहले से भी कांग्रेस रही है, लेकिन जिस तरह पीएम मोदी सबको साथ लेकर चल रहे हैं, मुस्लिमों के बड़े मुद्दे हल कर रहे हैं, उससे कुछ भी हो सकता है।

कांग्रेस-बसपा पस्त, बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिलेगा बिखरे विपक्ष का फायदा
यूपी में दोनों उप-चुनाव के नतीजों से बीजेपी उत्साहित है। पार्टी के थिंक टैंक ने 2024 के लिए टारगेट सेट किया है। भाजपा नेताओं का कहना है,”यूपी में जातीय समीकरण टूट रहे हैं। परिवारवाद की पोल खुल चुकी है। भाजपा को हर जाति और मजहब का वोट मिल रहा है। आजमगढ़ और रामपुर के नतीजों ने साबित किया है कि अब जाति-धर्म या वंशवाद के नाम पर कोई दुर्ग नहीं बना सकेगा। 2024 में भाजपा 80 में से पूरे 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस और बसपा की हालत तो पहले से ही यूपी में पस्त है। सपा में भी ऐसे ही बिखराव जारी रहा तो इस लक्ष्य को पाना बीजेपी के लिए दुरूह नहीं होगा।

 

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