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मोदी सरकार की सख्ती से घबराया पाकिस्तान, LoC पर जैसे को तैसा वाले अंदाज में जवाब

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की नीति अब पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की नीति के अनुसार सुरक्षा बल उसे जैसे को तैसा वाले अंदाज में जवाब दे रही है। पाकिस्तानी फौज और उनके आतंकवादी गुर्गों के हौसले पस्त होने लगे हैं। विशेष रूप से LoC पर भारत ने पूरी तरह से अपना दबदबा कायम कर लिया है। पाकिस्तान को समझ में नहीं आ रहा है कि भारत के इस कड़े रुख का वो मुकाबला कैसे करे। इस घबराहट में वो कभी शांति वार्ता की बातें करने लगता है और कभी भारत के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी शुरू कर देता है। लेकिन सेना की कार्रवाई से संकेत साफ हैं कि पाकिस्तानियों अब सुधर जाओ, नहीं तो किसी लायक नहीं बचोगे।

LoC पर पाकिस्तान की ओर हड़कंप
भारतीय सुरक्षा बलों के बदले रवैये ने पाकिस्तानी हुक्कमरानों के होश उड़ा रखे हैं। वो लगातार द्विपक्षीय शांति-वार्ता को लेकर दुनिया भर का ध्यान खींचने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ई-पेपर के अनुसार पिछले कुछ हफ्तों से भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर अपना भरपूर दबदबा कायम कर रखा है। जानकारी के अनुसार जब हाल में पुंछ और नौशेरा सेक्टर में एक बार फिर से पाकिस्तान की ओर से मोर्टार के गोले दागे गए, तो भारतीय सेना ने बिना समय गंवाए जवाब दिया। इस कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के 5 जवानों के मारे जाने की सूचना है। दरअसल 1 मई की घटना के बाद से भारत ने 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर सख्ती काफी बढ़ा दी है। वो जरूरत के हिसाब से पाकिस्तानी चौकियों पर गोले दाग रहा है। 1 मई को कृष्णा घाटी सेक्टर की कायरतापूर्ण कार्रवाई में पाकिस्तानियों ने दो भारतीय सैनिकों की गला रेतकर बेरहमी से हत्या कर दी थी।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद घुसपैठ में भारी कमी
पाकिस्तान की बौखलाहट की असल वजह ये है कि वो अपने पालतू आतंकवादियों को भारतीय सीमा के अंदर प्रवेश नहीं करा पा रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक से पहले पाकिस्तान लगातार प्रयास में जुटा रहता था कि किस तरह से प्रशिक्षत आतंकवादियों को भारत भेजकर आतंक फैला सके। लेकिन भारतीय सेना के जाबाजों ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को जिस तरह से तबाह कर दिया, उससे पाकिस्तानी सेना और उसके भाड़े के टट्टुओं की कमर टूट चुकी है।

घाटी में मौजूद आतंकी दबाव में
हाल के समय में कश्मीर घाटी में मौजूद आतंकवादियों के खिलाफ भी सुरक्षा बलों का एक्शन लगातार जारी है। हर दिन कोई न कोई आतंकावादी या तो सुरक्षा बलों के हाथों मारा जा रहा है या उसकी गिरफ्तारी हो रही है। नवभारत टाइम्स के अनुसार राज्य पुलिस ने LeT के मॉड्यूल के पर्दाफाश करने का दावा किया है। ये आतंकवादी हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा जैंस आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।

दरअसल पीएम मोदी की सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त नीति को उसे काफी मौका देने के बाद अमल में लाना शुरू किया है। जब प्रधानमंत्री मोदी महसूस करने लगे कि पाकिस्तान सिर्फ एक ही भाषा समझ सकता है, तो उन्होंने अपनी कश्मीर नीति में बदलाव का फैसला कर लिया। भारतीय सेना की कार्रवाई के तरीके में जो परिवर्तन नजर आ रहा है वो उसी सोच का परिणाम है।

कश्मीरी आतंकवादियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के ‘डर्टी गेम’ का खेल खत्म करने की सेना को खुली छूट दे दी है। दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, शोपिंया, अनंतनाग आदि जिलों में सेना ने सघन तलाशी अभियान चलाकर छिपे हुए आतंकवादियों को बाहर निकलने को मजबूर कर दिया है। सेना के हाथों रोजाना पाकिस्तान परस्त आतंकी ढेर हो रहे हैं। इसी कड़ी में बुरहान वानी के बाद हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बना सबजार अहमद बट्ट को भी सेना ने पिछले 27 मई को मार गिराया। यूं समझ लीजिए कि बुरहान वानी के साथ फेसबुक की फोटो में मौजूद हिजबुल के 11 खुंखार आतंकियों में से 9 का काम तमाम हो चुका है, जबकि तारिक नाम का 10वां आतंकी सरेंडर कर चुका है। आखिरी सरगना सद्दाम पडर है, जो सबजार अहमद बट्ट की जगह हिजबुल मुजाहिदीन की कमान संभाना चाहता है और संभव है कि बहुत जल्दी ही उसका खेल भी खत्म हो जाएगा।

हिजबुल के अंदर हड़कंप
समाचार पोर्टल नवभारत टाइम्स के अनुसार घाटी में सुरक्षा बलों के दबाव के चलते आतंकवादी संगठनों के अंदर ही उथल-पुथल मच गया है। पहले बुरहान वानी और फिर सबजार अहमद बट्ट के सफाए के बाद हिजबुल मुजाहिदीन के लोकल कमांडर के पद को लेकर खींचतान चल रहा है। पहले बताया जा रहा था कि अबतक जिंदा बचे 29 साल के आतंकी रियाज को कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन अब पता चला है कि लश्कर छोड़कर हिजबुल में शामिल हुए आतंकी सद्दाम पड्डेर ने भी चीफ बनने का दावा ठोक दिया है।

सेना में भर्ती के लिए उमड़ रहे हैं कश्मीरी युवक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू से कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए विकास के रास्ते खुले रहें और उसमें कोई रुकावट न आए। इसके लिए पीएम मोदी कोई कदम उठाने से नहीं चूके। राज्य के विकास के लिए प्रधानमंत्री ने 80 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज भी दिया। जिसके तहत वहां तमाम विकास कार्य हो रहे हैं। सेना और सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाये जा रहे हैं। कश्मीर के युवक हजारों की संख्या में इन कैंपों में भर्ती के लिए आ रहे हैं। इसके अलावा खेल और शिक्षा की योजनाओं को मजबूती से लागू किया जा रहा है ताकि युवाओं के पास जीवन में आगे बढ़ने के लिए रास्तों की कमी न हो। इन सब बातों से स्पष्ट है कि कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर कोई भी पाकिस्तान की बातों से गुमराह नहीं हो रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान परस्त हुर्रियत, कुछ पाकिस्तान परस्त नेता बौखलाए हुए हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक से थर्र-थर्र कांप उठा पाकिस्तान
19 सितंबर, 2016 के उरी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में 28-29 सितंबर, 2016 की रात प्रधानमंत्री मोदी के आदेश पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। पाकिस्तान ने भारत की ऐसी प्रतिक्रिया के बारे में सपने में भी नहीं सोचा होगा। उसके आतंकी लॉन्च पैड तो तबाह हो ही गए, 40-50 भाड़े के आतंकी और कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए। भारतीय सेना के जवानों की बर्बरता से हत्या के बदले 10 मई, 2017 को भारत ने एक बार फिर से नौसेरा सेक्टर में बड़ी कार्रवाई कर पाकिस्तान के कई पोस्ट तबाह कर दिए। इन पोस्ट का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत में घुसपैठियों को भेजने के लिए करता था। पहले बात-बात में परमाणु हमले की बात करने वाले पाकिस्तान के हौसले पस्त हैं। सेना का मामला हो या कूटनीति, दोनों स्तर पर भारत से सीधे टकराने की उसकी हिम्मत टूट चुकी है। यही वजह है कि वो चोरी-छिपे तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान परस्त कश्मीर अलगाववादियों को मोहरा बना रहा है। लेकिन उसका ये खेल अब जल्द ही हमेशा के लिए खत्म होने वाला है।

पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाया था
जम्मू-कश्मीर एक लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहा है। इस स्थाई समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन सारे कदमों को उठाने का हौसला दिखाया है जिसके बारे में पूर्ववर्ती सरकारें मात्र विचार ही किया करती थीं। प्रधानमंत्री ने सबसे पहले शांति का रास्ता चुना। 26 मई 2014 को अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के शासनाध्यक्षों के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी आमंत्रित किया। इसके माध्यम से पीएम मोदी ने पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में संदेश दिया कि भारत दोस्ती और भाईचारे का माहौल पैदा करना चाहता है। यही नहीं 25 दिसंबर 2015 को वो अचानक नवाज शरीफ की नातिन की शादी के मौके पर लाहौर पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया।

…लेकिन नहीं सुधरा पाकिस्तान
प्रधानमंत्री मोदी के शांति प्रयासों के बाबजूद पाकिस्तान नहीं सुधरा। ISI और पाकिस्तानी सेना की मदद से भेजे गए आतंकवादियों पाठनकोट और उरी में सैन्य ठिकानों पर हमला करके जता दिया कि शांति और भाईचारे की बातें उनकी समझ में नहीं आतीं। भारत ने पठानकोट हमले में पाकिस्तान के लोगों का ही हाथ होने के सबूत भी दिए। इतना ही नहीं, पाकिस्तान बहानेबाजी न करे इसके लिए उसकी जांच टीम को पाठनकोट एयरबेस आने का भी मौका दिया गया। लेकिन पाकिस्तान ने जवाब में 19 सितंबर 2016 को उरी में सैनिक बेस पर आतंकवादी हमले को अंजाम दिला दिया। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री हर वह कदम उठाते रहे, जिससे दोनों देशों के बीच शांति का माहौल बने। लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने को तैयार नहीं हुआ। पाकिस्तान लगातार अपनी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने लगा। कश्मीरी युवाओं को आर्थिक लोभ और वैचारिक विष देकर कश्मीर को अशांत करने की मुहिम और तेज कर दी। कश्मीर घाटी में युवाओं को भटकाकर आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन खड़ा कर दिया। इस गुट ने 3 जुलाई 2015 को फेसबुक पर एक फोटो डाली, जिसमें संगठन का सरगना बुरहान वानी अपने अन्य 10 साथियों के साथ सेना की वर्दी और हथियारों के साथ मौजूद था।

जब मोदी सरकार ने बदली रणनीति
पाकिस्तान भारत को अंदर और बाहर दोनों ओर से एक साथ चोट करने की रणनीति पर काम कर रहा था। एक तरफ वो अपने आतंकी भेजकर भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा था, तो दूसरी तरफ कश्मीर को सुलगाने की साजिशें रचकर अपनी पुरानी रणनीति को नए सिरे से आजमाने की कोशिशों में जुटा था। यहीं पर पाकिस्तान को जवाब देने की पीएम मोदी ने पूरी रणनीति ही बदल दी। उन्होंने तय किया कि जिसे जो बात जिस भाषा में समझ आती है, उसी भाषा में जवाब भी देना उचित है। सबसे पहले पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के सरगना बुरहान वानी को 09 जुलाई 2016 को सेना ने एक मुठभेड़ में मार गिराया। बुरहान वानी के मारे जाने से पाकिस्तान के होश उड़ गए। नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र में इसे मुद्दा बनाना चाहा, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने ही उनकी बोलती बंद कर दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर और सीमा के उसपार अमन-चैन बनाए रखने की कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने हर वो काम किया जो शांति बहाली के लिए जरूरी था। लेकिन सवाल है कि जब कोई सुधरने के लिए तैयार ही नहीं होना चाहता तो उनका क्या किया जा सकता है। मुट्ठी भर आतंकवादियों और देशद्रोहियों के स्वार्थ के चलते अपने देशवासियों को मुश्किलों में तो नहीं छोड़ा जा सकता।

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