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संयुक्त राष्ट्र ने भी माना भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा, कहा- दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, 2024 में ग्रोथ रेट 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरी दुनिया में डंका बज रहा है। सभी अंतरराष्ट्रीय संगठन और अर्थशास्त्री भारत की आर्थिक तरक्की का लोहा मान रहे हैं। उनका दावा है कि आने वाले समय में भी भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अब एक और वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र ने भारत की आर्थिक विकास दर के लिए अनुमान जारी किया है। इसमें भारत की आर्थिक स्थिति की जमकर तारीफ की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल इकोनॉमी में भारत फिलहाल एक आकर्षक स्थल है। इसकी जीडीपी ग्रोथ रेट इस साल 5.8 प्रतिशत और 2024 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं चालू वित्तीय वर्ष में दुनिया की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी होकर 1.9 प्रतिशत रहेगी।

संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार (25 जनवरी, 2023) को ‘वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावनाएं-2023’ रिपोर्ट जारी की। इसमें वैश्विक आर्थिक वृद्धि 2022 में अनुमानित तीन प्रतिशत से घटकर 2023 में 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो हाल के दशकों में सबसे कम विकास दर में से एक है। रिपोर्ट में इसके लिए कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसके चलते खाद्य और ऊर्जा संकट खड़ा हुआ और मंहगाई बढ़ी। रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिण एशियाई देशों के लिए संभावनाएं “ज्यादा चुनौतीपूर्ण” हैं, वहीं चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2024 में यानि अगले साल 6.7 प्रतिशत आर्थिक ग्रोथ रेट हासिल करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यह ग्रोथ रेट जी-20 देशों की तुलना में काफी ऊंची है। संयुक्त राष्ट्र के इकोनॉमिक और सोशल अफेयर्स डिपार्टमेंट के अर्थशास्त्री हामिद राशिद ने कहा कि महंगाई के मोर्चे पर भी भारत को सफलता मिली है। इससे महंगाई का दबाव भी काफी कम हुआ है। इसके इस साल करीब 5.5 प्रतिशत और 2024 में पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति के मामले में सख्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। रोजगार मेला के आयोजन के साथ ही मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिसके सकारात्मक नतीजे आने लगे हैं। इसकी पुष्टि संयुक्त राष्ट्र की विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं (डब्ल्यूईएसपी) रिपोर्ट में भी हुई है। इस रिपोर्ट में भारत के नौकरियों के दृश्य की एक सकारात्मक तस्वीर पेश की गई है, यह देखते हुए कि इसकी बेरोजगारी दर भारत में चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था ने 2022 में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में नौकरियों को जोड़ा है।

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

2030 तक विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनेगा भारत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णिम दौर शुरू हो गया है। मौजूदा बेहतर आर्थिक संकेतों से पता चलता है कि आने वाले समय में इस सुनहरे दौर की चमक और निखरकर ही सामने आएगी। इसकी गूंज स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) 2023 में सुनाई दी। दावोस में वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था साल 2028 में 5 लाख करोड़, 2036 में 10 लाख करोड़ के पड़ाव को पार करते हुए साल 2047 तक 26 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। वहीं प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय बढ़कर छह गुना हो जाएगी। 

वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई द्वारा ‘इंडिया एट 100 : रीयलाईजिंग द पोटेंशियल ऑफ 26 ट्रिलियन इकोनॉमी’ नाम से पेश रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2030 तक भारत जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका होगा। 6 प्रतिशत की सालाना औसत वृद्धि दर के आधार पर आंकलन किया गया है कि 2047 में प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय 15 हजार डॉलर यानी मौजूदा विनिमय दर के लिहजा से करीब 12.25 लाख रुपये पहुंच जाएगी, यह आज के स्तर से 6 गुना से अधिक होगी। ईवाई के सीईओ कार्मिन डी सिबियो ने दावा किया कि भारत ने भारी क्षमताएं दर्शाई हैं, उसकी प्रगति पूरे विश्व मंच पर असर डालने लगी हैं।

कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था यूक्रेन और कोरोना संकट काल में भी मजबूत बनी हुई है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की उपप्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को लेकर दुनियाभर में पॉजिटिव सेंटीमेंट है। बहुत सारे बिजनेस और कंपनियां भारत को एक निवेश डेस्टिनेशन के रूप में देख रही हैं, क्योंकि वे चीन सहित दूसरे देशों से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। भारत की विकास दर पर गीता गोपीनाथ ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में यह 6.8 प्रतिशत, जबकि अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

ग्लोबल इकोनॉमी में बढ़ेगी हिस्सेदारी- IMF
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के मुताबिक नए वर्ष में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को राहत मिलती नहीं दिख रही है। अमेरिका, यूरोप और चीन में मंदी के संकेत मिल रहे हैं। इन देशों की आर्थिक गतिविधायां कमजोर नजर आ रही है। वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी साल 2022 की तुलना में 2023 में बढ़कर 3.6 प्रतिशत होने की उम्मीद है। 2000 में भारत की हिस्सेदारी 1.4 प्रतिशत रही थी। इससे पहले आईएमएफ ने भारत के लिए अपनी वार्षिक परामर्श रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि, भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में काफी मजबूती से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि वास्तविक जीडीपी के वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
इसके पहले आईएमएफ ने कहा था कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

बिजनेस लीडर्स को उम्मीद 2023-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जीडीपी
मोदी सरकार की नीतियों के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है। Deloitte Touche Tohmatsu India (डीटीटीआई) के सर्वेक्षण के अनुसार देश के 60 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का मानना है कि 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इंडस्ट्री लीडर्स ने यह भी कहा कि इंडस्ट्री, केमिकल, कैपिटल गुड्स और ऊर्जा सेक्टर में उच्च वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, पीएलआई और रिजर्ब बैक की अनुकूल मौद्रिक नीतियां, बुनियादी ढांचे पर खर्च में वृद्धि और रिसर्च व इनोवेशन इस गति को और आगे बढ़ाएंगे। उद्योगपतियों का यह भी कहना था कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है और 7 प्रतिशत विकास दर की राह पर है।

सात प्रतिशत से ज्यादा रहेगी आर्थिक वृद्धि दर
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी। इतना ही नहीं 2023-24 में भी यह वृद्धि दर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि मंदी की आशंका कुछ समय से बनी हुई है, लेकिन अभी तक न तो अमेरिका और न ही यूरोपीय संघ इसकी चपेट में आया है। भारत के लिए सबसे खराब दौर खत्म हो चुका है। अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों के बीच ऊंची और जुझारू क्षमता का प्रदर्शन कर रही है। 

देश में कई साल रह सकता है 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट
मोदी राज में विकास की स्थिति यह है कि देश में कई साल तक 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट रह सकता है। राजस्थान के उदयपुर जिले में जी-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित पहली शेरपा बैठक में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत कई वर्षों तक 9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि दुनिया लगातार उच्च वृद्धि दर हासिल करे। सान्याल ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल 2,200 अमेरिकी डॉलर है और यह कई वर्षों की उच्च वृद्धि दर के बाद हासिल की गई है। विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में एसडीजी हासिल करने के लिए जीडीपी विकास दर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा भारत
भारत 2023 में जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा कि राजकोष के स्तर पर भारत का मजबूत रुख बरकरार है और आने वाले समय में राजस्व के साथ कर्ज के स्थिर होने के मामले में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि भारत 2023 में जी-20 में तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश होगा। मूडीज ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 4.8 और 2024 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। जबकि मूडीज ने जी-20 अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 2023 में 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।

देश में मंदी की आशंका नहीं, छह से सात प्रतिशत रहेगी वृद्धि दर- राजीव कुमार
दुनियाभर में मंदी की आशंकाओं के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारत में इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्थाएं नीचे आ रही हैं। ऐसे में यह स्थिति आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जा सकती है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित तो जरूर हो सकती है, लेकिन 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत में मंदी की ऐसी कोई आशंका नहीं है, क्योंकि भले ही हमारी वृद्धि वैश्विक परिस्थितियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है, इसके बावजूद 2023-24 में हम 6-7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने में कामयाब रहेंगे।”

विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद- पीएचडीसीसीआई
देश के लिए अच्छी खबर यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है। पीएचडीसीसीआई के नए अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि उत्पादन में तेजी आई है और देश में मजबूत मांग है। डालमिया ने यह भी कहा कि उद्योग मंडल ने अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और रसायनों जैसे 75 संभावित उत्पादों की पहचान की है, ताकि वर्ष 2027 तक 750 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सके।

विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान- मुख्य आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवी बड़ी आर्थिक शक्ति बना है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन वास्तव में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में और एक दशक तक भारत की आर्थिक विकास दर सात प्रतिशत के आसपास रह सकती है।

ADB को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद
एशियाई विकास बैंक- (एडीबी-ADB) को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अपनी फ्लैगशिप एडीओ रिपोर्ट में कहा कि जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

एशिया की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
भारत वर्ष 2030 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएचएस मार्किट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया कि वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जीडीपी 2030 में बढ़कर 84 खरब डॉलर होने का अनुमान है, जो फिलहाल 27 खरब डॉलर है। वर्ष 2030 तक भारत की जीडीपी की साइज जर्मनी और ब्रिटेन से ज्यादा होकर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन सकती है। आईएचएस मार्किट ने दावा किया कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत और स्थिर दिख रहा है, जिससे अगले एक दशक तक यह सबसे तेज बढ़ती जीडीपी वाला देश बना रहेगा।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे के अनुसार 2023 में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के 2023 में मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख उपलब्धियों पर…

खुदरा महंगाई एक साल के निचले स्तर पर
देश के लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिली है और खुदरा महंगाई घटकर एक साल के निचले स्तर आ गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की ओर से 12 जनवरी, 2023 को जारी आंकड़ों के मुताबिक, खाने-पीने की वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा महंगाई दिसंबर, 2022 में कम होकर 5.72 प्रतिशत रह गई। दिसंबर, 2021 में यह आंकड़ा 5.66 प्रतिशत रहा था। खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई पिछले साल नवंबर में घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गई थी। अक्टूबर से लगातार तीसरा महीना है, जब खुदरा महंगाई में गिरावट का रुख रहा है।

पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा औद्योगिक उत्पादन 
विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) नवंबर, 2022 में बढ़कर 7.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। यह जून, 2022 के बाद पांच महीने का उच्च स्तर है। उस दौरान आईआईपी की वृद्धि दर 12.6 प्रतिशत रही थी। जबकि नवंबर 2021 में आईआईपी में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वहीं विनिर्माण क्षेत्र में नवंबर 2022 में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। खनन उत्पादन इस महीने में 9.7 प्रतिशत और बिजली उत्पादन 12.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा। नवंबर में आईआईपी 137.1 पर रही, जबकि एक साल पहले यह 128 पर थी।

प्रत्यक्ष कर संग्रह 24.58 प्रतिशत बढ़कर 14.71 लाख करोड़ रुपये पर
मोदी सरकार की नीतियों के कारण सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में 10 जनवरी तक 24.58 प्रतिशत बढ़कर 14.71 लाख करोड़ रुपये हो गया है। रिफंड के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.31 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 19.55 प्रतिशत अधिक है। यह मौजूदा वित्त वर्ष के लिए शुद्ध संग्रह प्रत्यक्ष करों के कुल बजट अनुमान का 86.68 प्रतिशत है।

कॉरपोरेट आय कर (सीआईटी) संग्रह 19.72 प्रतिशत बढ़ा, जबकि व्यक्तिगत आय कर (पीआईटी) में 30.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिफंड के बाद सीआईटी संग्रह 18.33 प्रतिशत और पीआईटी 20.97 प्रतिशत बढ़ा है। एक अप्रैल, 2022 से 10 जनवरी, 2023 के बीच 2.40 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं। सालाना आधार पर यह 58.74 प्रतिशत अधिक है।

दिसंबर में लगातार 10वें महीने 1.40 लाख करोड़ के पार रहा जीएसटी कलेक्शन
 वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन दिसंबर में लगातार 10वें महीने 1.4 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.49 लाख करोड़ रुपये का रहा। सालाना आधार पर दिसंबर में जीएसटी संग्रह पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। यह साल 2022 का तीसरा सबसे ज्यादा कलेक्शन है। अप्रैल, 2022 में रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन रहा था, इसके बाद अक्टूबर,2022 में दूसरा सबसे ज्यादा 1.52 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन रहा।

सर्विसेज पीएमआई दिसंबर में 6 महीने के उच्च स्तर पर
दिसंबर में सर्विस सेक्टर पीएमआई छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विस पीएमआई बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स दिसंबर में बढ़कर 58.5 पर पहुंच गया। नवंबर में यह 56.4 पर था। यह लगातार 17वां महीना है जब पीएमआई 50 के ऊपर रहा है। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) 50 से ऊपर होना तेजी को और 50 से नीचे होना गिरावट को दर्शाता है। इतना ही नहीं आर्थिक गतिविधियों में सुधार के कारण हायरिंग एक्टिविटी में भी तेजी आई है। एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार सर्विस सेक्टर के लिए पीएमआई आंकड़े उत्साजनक हैं। अच्छी खबर यह भी है कि सर्विस सेक्टर ग्रोथ और मैन्युफैक्चरिंग में अच्छी तेजी के कारण कंपोजिट इंडेक्स दिसंबर में 59.4 पर आ गई है, जो जनवरी 2014 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है।

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई दिसंबर में 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
मांग बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। कारखानों के नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में सुधार हुआ है। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (PMI) दिसंबर 2022 में बढ़कर 57.8 हो गया, जो नवंबर 2022 में 55.7 था। नवंबर 2021 के बाद से उत्पादन में सबसे तेज उछाल दिसंबर 2022 में रही। पिछले दो साल में कारोबारी गतिविधियों में आई अब तक की सबसे बड़ी तेजी के कारण ऐसा हुआ है। पीएमआई का 50 से ऊपर होना उत्पादन में विस्तार का सूचक है यानी एक्टिविटीज बढ़ रही है।

पसंदीदा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा भारत
रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी के कारण जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल हाल में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिससे विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना काल में दुनिया भर के अरबपतियों के लिए भारत एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। इस महीने आई यूबीएस बिलियनेर एंबिशंस रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत जल्द ही निवेश का एक गढ़ बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के अरबपति लोग अपना ज्यादा से ज्यादा पैसा भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लगाना चाहते हैं क्योंकि यहां की अर्थव्यवास्था मजबूत होने के साथ उनके अनुकूल है। स्विस बैंक की यह रिपोर्ट 75 बाजारों में 2,500 से अधिक अरबपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 58 प्रतिशत अरबपतियों ने निवेश के लिए अपने चुने हुए बाजारों के रूप में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को चुना। भारत में अरबपतियों की संख्या पिछले साल 140 से बढ़कर 166 हो गई है।

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे तेज
सांख्यियकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय, आईएमएफ और विश्वबैंक जैसे आर्थिक संगठनों के आंकड़ों के मुताबिक इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था ने सबसे तेज दर से तरक्की की। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 11 अक्तूबर को जारी आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में मंदी के बीच सिर्फ भारत से उम्मीद है। 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा। मूडीज ने 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान का 7.0 प्रतिशत जताया। रेटिंग एजेंसी इक्रा और भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा। भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली। इसके अलावा महंगाई पर मोदी सरकार के नियंत्रण ने भी राहत दी।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

चीन को पछाड़कर यूनिकार्न का बादशाह बना भारत
स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में देश ने यूनिकॉर्न के मामले में चीन को पछाड़ दिया। इस दौरान भारत में 14 यूनिकॉर्न बने, वहीं चीन में यह आंकड़ा 11 रहा। भारत में इन यूनिकॉर्न की संख्या शतक पार करके आगे बढ़ गई है। पिछले साल देश को 44 यूनिकॉर्न मिले थे और इस साल सितंबर तक 22 यूनिकॉर्न मिल चुके हैं। भारत में सितंबर 2022 तक यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 107 हो गई। खास बात यह है कि इन 107 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन
वर्ष 2022 में सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है। दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया। 

महंगाई पर लगाम लगाने में सफल रही मोदी सरकार 
कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है। सितंबर में महंगाई दर 7.11 प्रतिशत थी। वहीं, अक्टूबर में महंगाई दर गिरकर 6.11 प्रतिशत तक पहुंच गई। खाद्य उत्पादों के दाम कम होने से अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई घटकर 6.77 प्रतिशत पर आ गई। सितंबर महीने में खुदरा महंगाई 7.41 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई दर में गिरावट के साथ थोक महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। 14 नवंबर, 2022 को ही थोक महंगाई के आंकड़े भी जारी किए गए। 19 माह में थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई।

मोबाइल फोन निर्यात में दोगुने से अधिक की वृद्धि
इस साल भारत ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के बीच मोबाइल फोन का निर्यात दोगुना से अधिक होकर पांच अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 2 अरब 20 करोड़ डॉलर था। वित्त वर्ष 2022 में 5.8 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया गया। उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक,भारत ने वित्त वर्ष 2022 में मोबाइल आयात पर निर्भरता को भी लगभग 5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो 2014-15 में 78 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था। अब भारत का लक्ष्य 2025-26 तक 60 बिलियन डॉलर के सेल फोन का निर्यात करना है। 

पहले 6 महीने में 235 अरब डॉलर पर पहुंचा निर्यात
देश ने इस साल निर्यात के मोर्चे पर एक और रिकॉर्ड छलांग लगाई है। साल 2022 की पहली छमाही में जनवरी से जून के बीच व्यापारिक निर्यात 27 प्रतिशत बढ़कर 235 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में व्यापारिक निर्यात सिर्फ 185.9 अरब डॉलर का था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार 2021-22 के दौरान 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य का 105.4 प्रतिशत हासिल करते हुए कुल व्यापारिक निर्यात 421.9 अरब डॉलर का था। जनवरी-जून 2022 के दौरान कुछ को छोड़कर सभी प्रमुख सेक्टर ने निर्यात में 26.7 प्रतिशत की समग्र विकास दर के साथ सकारात्मक रुझान दिखाया। मंत्रालय ने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिली है।

सेवा क्षेत्र निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
सेवा क्षेत्र निर्यात ने मार्च 2022 के दौरान 26.9 अरब डॉलर की सर्वकालिक मासिक ऊंचाई को छुआ। इसके साथ ही, भारत का समग्र निर्यात (सेवा एवं वस्तु क्षेत्र) वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 676.2 अरब डॉलर की ऊंचाई तक पहुंच गया, क्योंकि सेवा एवं वस्तु क्षेत्र दोनों ने ही वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान उच्च निर्यात रिकॉर्ड दर्ज किया। भारत का समग्र निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 में 526.6 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 497.9 अरब डॉलर था। भारत के वस्तु व्यापार ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 400 अरब डॉलर से अधिक की ऐतिहासिक ऊंचाई दर्ज कराई थी और यह 421.8 अरब डॉलर रहा था। सेवा क्षेत्र निर्यात में अन्य व्यवसाय सेवाओं और परिवहन के अतिरिक्त दूरसंचार, कंप्यूटर तथा सूचना सेवाएं योगदान देने में शीर्ष स्थान पर रहीं हैं।

ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंचा भारत का कृषि निर्यात
2022 में भारत का कृषि निर्यात 50 अरब डॉलर (वित्त वर्ष 2021-22) के ऐतिहासिक उच्च स्तर को छू गया। भारत ने चावल, गेहूं, चीनी सहित अन्य खाद्यान्न और मांस का अब तक का सबसे अधिक निर्यात हासिल किया। वाणिज्यिक इंटेलिजेंस और सांख्यिकी महानिदेशालय द्वारा जारी अस्थाई आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के दौरान 19.92% की वृद्धि के साथ कृषि निर्यात में 50.21 अरब डॉलर की ऊंचाई छू ली गई। यह उल्लेखनीय उपलब्धि हाल के वर्षों में खाद्यान्न के उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई कई प्रमुख पहलों के कारण संभव हुआ।

अनाज के निर्यात में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी
कृषि व खाद्य वस्तुओं के निर्यात में लगातार तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि इस साल नवंबर महीने में वस्तुओं के कुल निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले सिर्फ 0.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन कृषि व खाद्य पदार्थों के लगभग सभी आइटम के निर्यात में दहाई अंक का उछाल आया। चावल के अलावा विभिन्न प्रकार के अनाज के निर्यात में तो नवंबर माह में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चाय 27.03 प्रतिशत, चावल 19.16 प्रतिशत, ऑयल मिल्स 17.55 प्रतिशत, तिलहन 38.83 प्रतिशत, फल व सब्जी 25.01 प्रतिशत, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थाें के एक्सपोर्ट करने में 22.75 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। निर्यातकों के मुताबिक आगामी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है और इससे मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।

पीएम मोदी के विजन से फलों का निर्यात तीन गुना बढ़ा
भारत आज कृषि निर्यात में सफलता के नए झंडे गाड़ रहा है। पिछले आठ साल में भारतीय फल पपीता और खरबूजे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2013-2014 के अप्रैल-सितंबर में इन दोनों फलों का निर्यात जहां 21 करोड़ रुपये का होता था वहीं अब अप्रैल-सितंबर वर्ष 2022-2023 में यह तीन गुना बढ़कर 63 करोड़ रुपये का हो गया। गौरतलब है कि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक आकलन के अनुसार वर्ष 2021-22 में भारत ने 11,412.50 करोड़ रुपये के फलों और सब्जियों का निर्यात किया था। जिसमें फलों की हिस्सेदारी 5,593 करोड़ रुपये और सब्जियों की हिस्सेदारी 5,745.54 करोड़ रुपये की थी।

NBFC की एसेट ग्रोथ चार साल में सबसे ज्यादा
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष में चार साल के उच्चतम स्तर 11-12 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 12 सितंबर, 2022 को जारी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में एनबीएफसी कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ 11-12 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसमें सबसे बड़ा योगदान वाहन सेगमेंट का हो सकता है। वाहनों के फाइनेंस पर एनबीएफसी ने अपनी आधी पूंजी खर्च की है। वित्त वर्ष 2022-23 में वाहन सेगमेंट में 11-13 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है, यह वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में 3 से 4 प्रतिशत थी।

10 करोड़ के पार पहुंची डीमैट खातों की संख्या
देश में डीमैट खातों की संख्या 10 करोड़ के पार पहुंच गई। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त,2022 में 22 लाख नए डीमैट खाता खोले गए, जो पिछले चार महीनों का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 10.05 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।

सेंसेक्स पहली बार 63 हजार के पार
इस साल भारतीय शेयर बाजार ने फिर इतिहास रच दिया। 30 नवंबर, 2022 को एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स पहली बार 63 हजार के पार पहुंच गया। सेंसेक्स 417.81 अंकों की बढ़त के साथ 63,099.65 के लेवल पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 140 अंकों की बढ़त के साथ 18758 अंक पर बंद हुआ। यह इसका भी नया रिकॉर्ड है। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

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