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परीक्षा पे चर्चा: हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क से लेकर स्मार्ट गैजेट तक प्रधानमंत्री ने किए छात्रों के सारे डाउट क्लियर, कहा- हमें शॉर्टकट की ओर नहीं जाना चाहिए

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 27 जनवरी को छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों, शिक्षक और अभिभावक के परीक्षा को लेकर तनाव से लेकर रिजल्ट के दबाव तक तमाम सवालों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा मेरी भी परीक्षा है। कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा लेते हैं और इससे मुझे खुशी मिलती है। ये देखना मेरा सौभाग्य है कि मेरे देश का युवा मन क्या सोचता है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये बहुत बड़ा खजाना है और मैंने मेरे सिस्टम को कहा है कि इन सारे सवालों को इकट्ठा करके रखिए। कभी 10-15 साल बाद मौका मिलेगा तो उसका सोशल साइंटिस्टों द्वारा एनालिसिस करवाएंगे।

नई दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माता-पिता को सामाजिक स्थिति के कारण बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्होंने छात्रों से कहा कि परिवार के लोगों की आपसे बहुत अपेक्षा होना स्वाभाविक है। यह होना भी चाहिए। लेकिन अगर वो यह सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो यह चिंतित करने वाला है। उन्होंने कहा कि जैसे क्रिकेट खेलने वाले प्लेयर का ध्यान उस बॉल पर होता है… वह बॉलर के माइंड को पढ़ता है, फिर बॉल के हिसाब से खेलता है, न कि दर्शकों की मांग के हिसाब से। उसी प्रकार छात्रों को भी अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने टाइम मैनेजमेंट के सवाल पर कहा कि अगर आपको टाइम मैनेजमेंट सीखना है तो अपनी मां से सीखें। आपने कभी घर में अपनी मां के काम को ऑब्जर्व किया है कि मां का टाइम मैनेजमेंट कितना बढ़िया है। इतना परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट कैसे होता है, जबकि सबसे ज्यादा काम करना पड़ता है। उसे मालूम है कि इतने घंटे में मुझे यह तो करना ही है। टाइम मैनेजमेंट आप मां से सीख सकते हैं। मां की गतिविधि को ढंग से देखने पर आपको भी अपने टाइम मैनेजमेंट का महत्त्व पता चलेगा। उन्होंने छात्रों से ये भी कहा कि आप कभी कागज पर अपना पेन-पेंसिल लेकर डायरी पर लिखिए, एक हफ्ते तक आप नोट कीजिए कि अपना समय कहां बिताते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के छठे संस्करण में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। परीक्षा में नकल के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि नकल करने वाले एक-आध जगह तो निकल जाएंगे, लेकिन कभी जिंदगी नहीं पार कर पाएंगे। आपकी मेहनत ही आपकी जिंदगी में रंग लाएगी। आपके भीतर की जो ताकत है, वही ताकत आपको आगे ले जाएगी। एग्जाम तो आती है, जाती है, लेकिन हमें जिंदगी जीभर के जीनी है। इसलिए हमें शॉर्टकट की ओर नहीं जाना चाहिए।

हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप सबने बचपन में जरूर एक कथा पढ़ी होगी जो हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क से संबंधित थी… कौआ और पानी वाली। अब आप ही बताइए इसे हार्ड वर्क कहेंगे या फिर स्मार्ट वर्क? कुछ लोग होते हैं, जो हार्ड वर्क ही करते रहते हैं। कुछ लोग होते हैं, जिनके जीवन में हार्ड वर्क का नामोनिशान नहीं होता है। कुछ लोग होते हैं, जो हार्डली स्मार्ट वर्क करते हैं। और कुछ लोग होते हैं, जो स्मार्टली हार्ड वर्क करते हैं। कौआ और पानी वाली कथा हमें सिखाती है कि स्मार्टली हार्ड वर्क कैसे करते हैं। हमें जिस चीज की जरूरत है, उसी पर फोकस करना चाहिए। हर चीज प्राप्त करने की कोशिश से मेहनत बहुत लगेगी। अगर अचीव करना है, तो खास चीज को एड्रेस करना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि अपनी क्षमता के अनुरूप काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा हर माता-पिता से आग्रह है कि आप अपने बच्चों का सही मूल्यांकन कीजिए। हर किसी के पास ईश्वर ने कुछ न कुछ अच्छा दिया होता है, आपको उसे पहचानना भर होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में आज भारत को एक आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। आज वही देश जिसे औसत कहा जाता था, दुनियाभर में चमक रहा है।

आलोचनाओं को अवसर में बदलने के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है। आलोचना एक समृद्ध लोकतंत्र की पूर्ण शर्त है। आलोचना करने वाले अगर आदतन ऐसा करते हैं, तो उन पर ध्यान मत दीजिए, क्योंकि उनका इरादा कुछ और है। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता से मेरा आग्रह है कि टोका-टोकी के चक्कर से बाहर निकलिए। उससे आप बच्चों की जिंदगी को बदल नहीं कर सकते हैं। श्री मोदी ने कहा कि आलोचना और आरोप में बड़ी खाई है। अगर आपने समाज के लिए सत्यनिष्ठा से काम किया है, तो फिर आप आरोपों की कभी चिंता नहीं कीजिए। आरोप लगाने वालों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है, लेकिन आलोचना को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए, हमेशा मूल्यवान समझना चाहिए।

सोशल मीडिया से ध्यान हटाने के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि सबसे पहले तो निर्णय ये करना है कि आप स्मार्ट हैं कि गैजेट्स स्मार्ट हैं। कभी-कभी लगता है कि आप अपने से भी ज्यादा गैजेट्स को स्मार्ट मान लेते हैं। आप यकीन कीजिए कि परमात्मा ने आपको बहुत शक्ति दी है, आप स्मार्ट हैं, गैजेट्स आपसे ज्यादा स्मार्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमारी क्रिएटिविटी छह घंटे तक स्कीन पर जाए तो यह बहुत चिंता की बात है। गैजेट्स हमें गुलाम बनाता है। हमें खुद को कोशिश करनी चाहिए कि हम इन गैजेट्स के गुलाम नहीं बनेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या आप हफ्ते में कुछ दिन या दिन में कुछ घंटे टेक्नोलॉजी की फास्टिंग कर सकते हैं! क्या यह तय कर सकते हैं कि मैं सप्ताह में एक दिन डिजिटल फास्टिंग रखूंगा!

परीक्षा परिणाम के बाद तनाव के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा के परिणाम आने के बाद होने वाले तनाव का मूल कारण परिवार वालों और सगे संबंधियों से छुपाया गया सच और बोला गया झूठ होता है। हमें सच्चाई से मुकाबला करने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए। जब हम यह सोचते हैं कि ये एग्जाम गया तो जिंदगी गई, ये सोच सही नहीं है, क्योंकि जीवन किसी एक स्टेशन पर रुकता नहीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। हम गर्व के साथ कहते हैं कि हमारे पास सैकड़ों भाषाएं हैं। हमें सबसे सीखना चाहिए और अपने भीतर के सामर्थ्य को बढ़ाते रहना चाहिए। मैं तो चाहूंगा कि अपनी मातृभाषा के अलावा कोई न कोई भाषा आनी चाहिए। उसके कुछ वाक्य तो आने ही चाहिए।

प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से कहा कि हमें बच्चों को विस्तार देने का अवसर देना चाहिए, उन्हें बंधनों में नहीं बांधना चाहिए। अपने बच्चों को समाज के विभिन्न वर्गों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जब अभिभावक अपने बच्चों को ईश्वर की दी हुई अमानत मानेंगे, तभी उनका सही तरह से संरक्षण कर पाएंगे। बच्चों को खुला आसमान दीजिए, अवसर दीजिए, वो समाज की ताकत बनकर उभरेंगे।

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