प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने पहले दिन से ही बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया। पिछले तीन साल में चाहे रेलवे हो, सड़क हो या शिपिंग, सरकार संपर्क बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने में लगी है। मोदी राज में 2017-18 में देश में 1,16,324 करोड़ रुपये की लागत से रिकॉर्ड 9,829 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वर्ष 2017-18 के दौरान 9829 किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। यह पिछले वर्ष के दौरान निर्मित 8231 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि महत्वाकांक्षी दिल्ली-मेरठ राजमार्ग परियोजना के तहत दिल्ली से डासना तक 14 लेन वाले राजमार्ग का निर्माण कार्य लक्षित 30 महीनों की तुलना में 15 महीनों की रिकॉर्ड अवधि में ही पूरा हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतमाला परियोजना, सागरमाला परियोजना से लेकर महत्वपूर्ण शहरों में रिंग रोड योजना के तहत रिकॉर्ड स्तर पर सड़क निर्माण का काम चल रहा है। आइए इसपर एक नजर डालते हैं-
28 बड़े शहरों में रिंग रोड
केंद्र सरकार देश के 28 बड़े शहरों में 36,290 करोड़ की लागत से रिंग रोड बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसमें से 21,000 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं के लिए डीपीआर बनाने का काम चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक यह परियोजनाएं मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी भारतमाला कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके तहत दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु, रांची, पटना, श्रीनगर और उदयपुर समेत सभी बड़े शहरों में रिंग रोड की योजना बनाई गई है। 28 रिंग रोड के अलावा 40 बाईपास की भी योजना बनायी गई है।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल
भारतमाला परियोजना के तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना पर केंद्र सरकार काम कर रही है। 34,800 किलोमीटर लंबी इस योजना पर लगभग 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण 3,488 किलोमीटर लंबी चीन-भारत की सीमा पर सड़कों का निर्माण है, जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैला है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवेदशील क्षेत्र में 73 सड़कों के निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया है, जिनमें से 46 सड़कों का निर्माण रक्षा मंत्रालय कर रहा है और शेष 27 सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के हाथों में सौंपी है। इनमें से 24 सड़कें बनकर तैयार हो चुकी हैं और बाकी सड़कों का काम वर्ष 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा।
नक्सल प्रभावित जिलों में सड़क निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और नक्सल प्रभावित जिलों में आर्थिक विकास को गति देने के लिए 44 जिलों मे 11,724.53 करोड़ रुपये की संचार और सड़क परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं। परियोजना के तहत 54,00 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा है। इसी के साथ 126 पुल, नालों का भी निर्माण भी किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस परियोजना को लागू कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने इसके लिए वर्ष 2016-2017 से लेकर वर्ष 2019-2020 के लिए 7,034.72 करोड़ रुपये का धन आवंटित कर दिया है।
केंद्र की सड़क परियोजनाएं से देश की सीमाएं चाकचौबंद
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर मौसम में आवागमन के लिए अनुकूल जिस सड़क परियोजना की आधारशिला कुछ महीनों पहले रखी थी, उसके एक महत्वपूर्ण चरण पर काम तेज गति से आरंभ हो चुका है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और टनकपुर को जोड़ने वाली 12 मीटर चौड़ी सड़क पर काम तेजी से चल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरने वाली 150 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण वर्ष 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस सड़क के बनने से नेपाल की सीमा तक सैन्य साजो-सामान को किसी भी मौसम में पहुंचाने में कोई बाधा नहीं होगी और पूर्वोत्तर सीमा पर चीन से मिलने वाली किसी भी चुनौती से निपटने में सेना और अधिक सक्षम और सशक्त होगी।
39 अरब डॉलर होंगे खर्च
भारत माला परियोजना के तहत ही भारत की सीमाओं पर सड़कों, तटीय क्षेत्रों, बंदरगाहों, धार्मिक पर्यटक स्थलों में से 25 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा और साथ ही 100 से अधिक जिला मुख्यालयों को इससे जोड़ा जाएगा।
उन्नत सड़कों से जुड़ेंगे चार धाम
उत्तराखंड के चार धाम जिसमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री भी भारतमाला परियोजना के तहत उन्नत सड़क मार्गों से जुड़ेंगे। इस तरह से उत्तर भारत में धार्मिक यात्रा और परिवहन में वृद्धि होगी।
जापान की भागीदारी
पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में ASEAN देशों के साथ-साथ जापान की एक बड़ी भूमिका है। जापान, भारत का शुरू से सहयोगी रहा है और भारत के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निवेश करता रहा है। जापान में वर्ष 2012 में शिंजों अबे की सरकार बनने और वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के भारत में प्रधानमंत्री बनने से रिश्तों में एक नई ताजगी आई है। जापान वर्ष 2019 तक भारत में 33 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई परियोजनाओं में भी जापान निवेश करने की तैयारी कर रहा है।
• अरुणाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजना
• नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार से जोड़ने के लिए सड़क और पुल परियोजना
• इंफाल (मणिपुर) को मोरेह (म्यांमार) की सड़क परियोजना
• म्यांमार के Dawei SEZ से पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने की परियोजना
• म्यांमार Sittwe बंदरगाह से जोड़ने वाली Kaladan Multimodal Transit Transport Project
• पूर्वोत्तर राज्यों में स्मार्ट सिटी परियोजना
• बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार से लगे नेशनल हाईवे 51 व 54 को upgrade करने की परियोजना
• त्रिपुरा की फेनी नदी पर पुल परियोजना, जो अगरतल्ला को बांग्लादेश के चिटगांव से जोड़ेगी।
• आयजोल- तियुपांग(मिजोरम) सड़क परियोजना- यह परियोजना 32 देशों के सहयोग से बनने की तैयारी में Great Asian Highway का हिस्सा होगी। Great Asian Highway, 141,000 किमी. लंबी सड़कों का नेटवर्क होगी।
सागरमाला परियोजना
प्रधानमंत्री मोदी की एक अन्य महत्वपूर्ण सागरमाला परियोजना है। इस परियोजना पर लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो पूर्व और पश्चिम में स्थित बंदरगाहों को सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने की योजना है। इस योजना से देश के शिपिंग क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। जलमार्ग से माल की ढुलाई से देश में औसतन हर साल 40 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी और देश के अंदर जलमार्गों का विकास होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने सड़क परियोजनाओं के जरिए देश में आर्थिक गति को तेज करने के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने का एक दूरदर्शी कदम उठाया है। सड़कों से देश के सकल घरेलू उत्पाद के साथ साथ प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी, जो भारत को कुछ ही वर्षों में आर्थिक रूप से संपन्न कर देगी।