विवादों में रहे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। इस बार एक पाकिस्तानी यूट्यूबर शकील चौधरी के साथ इंटरव्यू में वहीं के स्तंभकार नुसरत मिर्जा ने जो खुलासे किए है, उससे भारत के लोग सन्न हैं। करीब 50 मिनट के इस इंटरव्यू में नुरसत मिर्जा ने दावा किया है कि वे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और मिल्ली गजट अखबार के मालिक जफरुल इस्लाम खान के न्योते पर भारत गए थे। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए कई अहम जानकारियां जुटाई थीं।
देखिए इंटरव्यू का पूरा वीडियो-
नुरसत मिर्जा ने कांग्रेसी शासन काल में साल 2005 से 2011 के बीच उन्होंने करीब पांच बार भारत की यात्रा की और आईएसआई को खुफिया जानकारी मुहैया कराई। ऐसे में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के न्योते पर भारत आने की बात से सनसनी फैल गई है। सोशल मीडिया पर ये इंटरव्यू खूब वायरल हो रहा है।
EXPLOSIVE!
Nusrat Mirza, a Pakistani columnist who has visited India many times during the Congress rule boasts on camera that he used to pass on information collected during his visits to the ISI, claims he was invited by Hamid Ansari and the Milli Gazette’s Zafarul Islam Khan. pic.twitter.com/6Rrn3xvRJu
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) July 10, 2022
Why has the possible funnelling of #RajyaSabhaTV funds by Hamid Ansari into the Islamist-Commie portal The Wire, not been investigated? @AmitShah @PiyushGoyal https://t.co/m2gjO22ik1
— Sankrant Sanu सानु संक्रान्त ਸੰਕ੍ਰਾਂਤ ਸਾਨੁ (@sankrant) July 11, 2022
Pakistani Columnist Nusrat Mirza boasts that he visited #India during Congress reign, and he used to pass info back to #ISI. He was invited by Milli Gazette’s Zafar Islam (#jamateislami), when ex-VP Hamid Ansari conducted a seminar.
h/t @AsYouNotWish.
— Zahack Tanvir – ضحاک تنوير ?????????? (@zahacktanvir) July 11, 2022
Shakil Chaudhary is a Pakistani journalist
He had visited India between 2005 to 2011
During his visits, he had spied on India
Shocking thing is he was invited by the then-Vice President Hamid Ansari in 2010 pic.twitter.com/kL1kmNU0qt
— Mahesh Vikram Hegde ?? (@mvmeet) July 11, 2022
.@khan_zafarul, Ex-Chairman of Delhi Minority Commission (appointed by AAP), editor of The Milli Gazette, was booked in sedation case 2021.
Hamid Ansari – Former Envoy & VP of India.
The visit would be part of Aman ki Asha, Both have been accused of passing information to ISI. https://t.co/Rc1sRgRk2S
— Vikrant ~ विक्रांत (@vikrantkumar) July 11, 2022
यूजर्स हामिद अंसारी को कोस रहे हैं और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी एनके सूद के उस खुलासे को भी याद कर रहे हैं जो उन्होंने अंसारी पर लगाए थे। उन्होंने लिखा था कि मैं ईरान के तेहरान में था और हामिद अंसारी वहां राजदूत थे। अंसारी ने तेहरान में रॉ के सेट-अप को एक्सपोज करके इसके अफसरों की जान खतरे में डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी व्यक्ति को लगातार दो बार देश का उप-राष्ट्रपति बना दिया गया।
I was in Tehran, Iran n Hameed Ansari was ambassador in Tehran. Ansari had played a crucial role in exposing RAW set-up in Tehran endangering lives of RAW unit members. But this very man was made vice President for two consecutive terms.
— NK Sood (@rawnksood) June 28, 2019
एनके सूद के बाद हामिद अंसारी के बारे में उस खुलासे को भी आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। जिससे बारे में रॉ के पूर्व अधिकारी आर के यादव ने 14 जुलाई, 2018 को बताया था।
रॉ के पूर्व अधिकारी ने हामिद अंसारी को दोहरे चरित्र का व्यक्ति बताया–रॉ के पूर्व अधिकारी आर के यादव ने 14 जुलाई को हामिद अंसारी के चरित्र का पर्दाफाश किया और कहा कि यह व्यक्ति दो चेहरे वाला है।
हामिद अंसारी के चरित्र के बारे में रॉ के अधिकारी आर के यादव ने यह बात लंबी जांच पड़ताल और अनुभव के आधार पर कही है। अपने अनुभवों के आधार पर लिखी गई किताब Mission R&AW में हामिद अंसारी के दोहरे चरित्र पर एक पूरा अध्याय- Bizarre R&AW Incidents- ही लिखा है।
हामिद अंसारी ने ईरान में कश्मीर आंदोलनकारियों का साथ दिया- आर के यादव – Bizarre R&AW Incidents में लिखते हैं कि रॉ के अधिकारी डी बी माथुर, तेहरान के करीब कौम में कश्मीर के युवकों के लिए चल रहे ट्रेनिंग कैंप पर नियमित रुप से दिल्ली को रिपोर्ट भेजते रहते थे। ये सभी रिपोर्ट्स राजदूत हामिद अंसारी के पास से होकर गुजरती थीं, इनमें से कई रिपोर्ट्स को लेकर हामिद अंसारी काफी विरोध में रहते थे। इसी दौरान, एक सुबह डी बी माथुर को ईरान की गुप्तचर संस्था ने अगवा कर लिया, लेकिन हामिद अंसारी ने ईरान की सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं की और बहुत ही साधारण रिपोर्ट दिल्ली भेज कर शांत हो गए। दो दिनों तक डी बी माथुर के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर भारतीय दूतावास के करीब 30 अधिकारियों की पत्नियों ने हामिद अंसारी के चैम्बर में जबरदस्ती घुसकर विरोध भी दर्ज कराया था।
यह बात तेहरान में रॉ के एक अन्य अधिकारी एन के सूद ने दिल्ली में रॉ के अधिकारी आर के यादव को बताई थी। दूसरे दिन ही आर के यादव, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और पूरी घटना की जानकारी दी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव से बात की। पी वी नरसिम्हा राव ने तुरंत कार्रवाई की और ईरान को कुछ ही घंटों में डी बी माथुर को रिहा करना पड़ा। इसके बाद माथुर को 72 घंटों के अंदर वापस दिल्ली बुला लिया गया था।
नहीं कराया विरोध दर्ज- रॉ के अधिकारी Bizarre R&AW Incidents में आगे लिखते हैं कि ईरान में भारतीय दूतावास के सुरक्षा अधिकारी मोहम्मद उमर से खुफिया जानकारी लेने के उद्देश्य से ईरानी गुप्तचर एजेंसी ने संपर्क किया, लोकिन मोहम्मद उमर ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस घटना की जानकारी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हामिद अंसारी को भी उमर ने बताई।
कुछ हफ्तों के बाद मोहम्मद उमर को ईरान की खुफिया एजेंसी वाले उठाकर ले गए और बुरी तरह से पिटाई करके सड़क पर अधमरा छोड़ दिया। हामिद अंसारी ने इस मुद्दे को लेकर ईरान सरकार के समक्ष कोई विरोध दर्ज नहीं कराया बल्कि मोहम्मद उमर को चुप रहने के लिए कहा।
पहचान को किया उजागर– विभिन्न देशों में भारत के राजदूत रह चुके हामिद अंसारी ने ऐसे काम किए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की पहचान दूसरे देशों के सामने आ गई। हामिद अंसारी ने ऐसा एक बार नहीं कई बार किया।
इतना ही नहीं उप राष्ट्रपति के पद पर रह चुके इस व्यक्ति ने देश को हिंदू-मुस्लिम में बांटने की भी कोशिश की-
विवादों मे रहे हैं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। राष्ट्रवाद को ‘जहर’ बताना हो या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर का मामला हो, तीन तलाक के कानून का विरोध हो या देश के हर जिले में शरिया अदालतें स्थापित करने का ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रस्ताव हो, सभी मामलों में हामिद अंसारी ने विवादित बयान दिया है। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने हाल ही में हिंदू राष्ट्रवाद पर एक विवादित बयान दिया। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘हिंदू राष्ट्रवाद चिंता का विषय है। देश में धार्मिक आधार पर लोगों को बांटा जा रहा है। टाइम्स नाउ नवभारत के अनुसार लोगों में राष्ट्रीयता को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा है। खासकर एक धर्म विशेष के लोगों को उकसाया जा रहा है। देश में असहिष्णुता को हवा दी जा रही है और असुरक्षा का माहौल बनाया जा रहा है। हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार जिस संगठन पर देश में दंगे भड़काने और पाकिस्तानी आईएसआई से लिंक का आरोप है, उसके मंच से हामिद अंसारी ने कहा कि हाल के वर्षों में नागरिक राष्ट्रवाद को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से बदलने की कोशिशें हो रही हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति कहा कि धार्मिक बहुमत को राजनीकि एकाधिकार के रूप में पेश करके मजहब के आधार पर असहिष्णुता को हवा दी जा रही है।
देश धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद की महामारी का शिकार
20 नवंबर, 2020 को हामिद अंसारी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की किताब ‘The Battle of Belonging’ के डिजिटल विमोचन के मौके पर कहा कि देश कोरोना से पहले ही दो महामारी का शिकार हो चुका है। ये हैं- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद। अंसारी के मुताबिक इनके मुकाबले देशप्रेम अधिक सकारात्मक अवधारणा है, क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है।
हामिद अंसारी ने कहा कि धार्मिक अवधारणा को धर्म के आधार पर किए जाने वाले ढोंग के रूप में परिभाषित किया जा रहा है और आक्रामक राष्ट्रवाद के बारे में पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चुका है। यह विचारधारा के लिहाज़ से ‘जहर’ जैसा है जो किसी संकोच के बिना लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों पर अतिक्रमण करता है और अधिकारों को क्षीण करता है। हामिद अंसारी के मुताबिक आक्रामक राष्ट्रवाद कई बार नफ़रत का रूप ले लेता है और एक ऐसी घुट्टी के रूप में काम करता है जो प्रतिशोध के लिए उकसाता है।
मुस्लिमों में घबराहट का भाव- हामिद अंसारी
दस साल तक उप-राष्ट्रपति रहने वाले हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ही कहा था कि देश के मुसलमानों में घबराहट का भाव है और वो असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मुस्लिमों की कथित मॉब लिंचिंग और घर वापसी के मामले को फिर से तूल देकर देश की कथित चिंताजनक परिस्थिति का रोना रोया।
सिर्फ मुसलमानों के प्रतिनिधि थे अंसारी ?
दरअसल हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति के तौर पर विदाई लेना चाहिए था, लेकिन जाते-जाते जो मुद्दा उठाया उसे देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी 125 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व किया ही नहीं। वो तो सिर्फ मुसलमान के प्रतिनिधि बनकर ही आये थे।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में की शिरकत
पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पिछले साल केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में ये जानते हुए भी शिरकत की थी कि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है। 23 सितंबर, 2017 को कोझिकोड में महिलाओं से संबंधित विषय पर इस सम्मेलन को नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज ने नेशनल वूमेन फ्रंट (NWF) के साथ मिलकर आयोजित किया था। NWF, PFI की महिला शाखा है। PFI पर युवाओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती करने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में देश के किसी संवैधानिक पद पर लंबे समय तक रहे किसी शख्स का PFI से संबंधित कार्यक्रम का हिस्सा बनना कई सवाल छोड़ता है।
‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को भी नहीं समझे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र के साथ ही सभी योजनाओं और परियोजनाओं पर काम किया है। देश गवाह है कि मोदी सरकार ने किसी योजना पर अमल करने में कभी भेदभाव का सहारा नहीं लिया है। लेकिन हामिद अंसारी को ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे प्रधानमंत्री के मंत्र पर भी भरोसा नहीं किया। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में उन्होंने नारे को तो अच्छा बताया, लेकिन उसमें ‘सबका विकास’ जैसे शब्द पर संदेह जताने की भी कोशिश की।
विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं भारत भी जिम्मेदार
पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि 1947 में हुए विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्तान ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि भारत भी इसमें जिम्मेदार था। अंसारी ने कहा कि, ‘हम ये मानने को तैयार नहीं है कि विभाजन के लिए हम भी बराबर के जिम्मेदार हैं।’ पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा कि देश के बंटवारे के लिए सियासी वजहों से मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराया गया। अंसारी ने कहा कि, ‘जहां भी किसी ने गलत काम किया तो मुल्जिम एक ही… आप सब जानते हैं।’ उन्होंने कहा कि, ‘आजादी के चार दिन पहले सरदार पटेल ने दिल्ली में कहा था कि अगर देश को एक रखना है तो विभाजन जरूरी है। लेकिन सियासत ने जो रुख पलटा तो किसी को जिम्मेदार बनाना था। तो उन्होंने कहा कि जिम्मेदार बना दो, किसे, मुसलमानों को बना दो। यह सबने मान लिया कि मुसलमानों को जिम्मेदार बनाना चाहिए।’