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मोदी सरकार में रोजगार के मोर्चे पर मिल रही सफलता, जुलाई में 8 प्रतिशत से कम हुई बेरोजगारी दर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में रोजगार के अनेक अवसर सृजित किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार के विभागों में खाली पड़े पदों को रोजगार मेला के जरिए भरा जा रहा है। नीतिगत और आर्थिक प्रोत्साहन देकर निजी क्षेत्र में भी रोजगार के असवर पैदा किए जा रहे हैं। साथ ही बेहतर मानसून ने बेरोजगारों के लिए अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार के द्वार खोले हैं। इससे मोदी सरकार को रोजगार के मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सेंटर फोर मॉनिटरिंग इकोनॉमी(सीएमआईई) के हवाले से बताया गया है कि बढ़ती बेरोजगारी दर पर लगाम लगी है। बीते जुलाई महीने में भारत में बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई महीने में बेरोजगारी दर कम होकर 8 प्रतिशत से भी नीचे आ गई। जहां जून महीने में बेरोजगारी की दर 8.45 प्रतिशत रही थी, जो कम होकर 7.95 प्रतिशथ पर आ गई है। जुलाई महीने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की तलाश करने वालों की संख्या में 50 लाख की कमी आई है। इसका मुख्य कारण मानसून के मौसम की शुरुआत के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि श्रमिकों की बढ़ती मांग थी। सीएमआईई के मैनेजिंग डाइरेक्टर महेश व्यास के मुताबिक बेहतर बारिश से कृषि के कामों में तेजी आई है। इससे रोजगार की तलाश कर रहे लोगों को कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिले, जिससे अंतत: जुलाई महीने में देश में बेरोजगारी की दर को कम करने में मदद मिली है।

गौरतलब है कि मानसून का देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक और गहरा असर होता है। इससे अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र खासकर प्रभावित होता है। इसका असर रोजगार पर भी पड़ता है। देश में सबसे ज्यादा रोजगार प्राथमिक क्षेत्र देता है, जिसमें कृषि, खनन, मत्स्य पालन, वानिकी,डेयरी आदि शामिल है। बेहतर मानसून से प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती और पलायन भी रूकता है। पलायन रूकने से संगठित क्षेत्र पर दबाव कम होता है। वहीं मोदी सरकार औपचारिक सेक्टर में भी रोजगार को बढ़ावा दे रही है। मोदी सरकार इस साल के अंत तक दस लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने के वादे के तहत नियुक्ति पत्र वितरित कर रही है।

आइए देखते हैं औपचारिक सेक्टर में किस तरह रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं…

ESIC संचालित सोशल सिक्योरिटी स्कीम से मई में जुड़े 15 लाख से अधिक नए सदस्य

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में केंद्र सरकार की नीतियों के कारण देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। नौकरियों की तलाश में लगे युवाओं के लिए यह खबर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने वाली साबित हो सकती है। पहली बार नौकरी चाहने वाले बड़ी संख्या में संगठित क्षेत्र के वर्कफोर्स में शामिल हो रहे हैं और नए सदस्यों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है।

कर्मचारी राज्य बीमा निगम की सामाजिक सुरक्षा योजना में मई, 2023 में करीब 15.14 लाख नए सदस्य शामिल हुए है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी राज्य बीमा निगम की योजनाओं से सकल रूप से वित्त वर्ष 2022-23 में 1.67 करोड़ नए सदस्य जुड़े हैं। 2021-22 में 1.49 करोड़ लोग जुड़े जबकि 2020-21 में 1.15 करोड़ नए सदस्य जुड़े थे। आंकड़ों के अनुसार, इसके पहले वित्त वर्ष 2019-20 में 1.51 करोड़, 2018-19 में 1.49 करोड़, जबकि सितंबर, 2017 से लेकर मार्च, 2018 के बीच करीब 83.35 लाख सदस्य जुड़े थे।

मई में ESI स्कीम से 20.23 लाख नए सदस्य जुड़े
इसी के साथ हाल ही में कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम (ईएसआईसी) की ओर से जारी पेरोल डाटा के अनुसार मई, 2023 में कर्मचारी राज्‍य बीमा योजना (ईएसआई योजना) में 20.23 लाख नए कर्मचारी जोड़े गए हैं। मई, 2023 के महीने में लगभग 24,886 नए संस्थानों को रजिस्टर्ड किया गया।

पेरोल डाटा से यह भी पता चलता है कि युवाओं को जॉब के ज्यादा अवसर मिल रहे हैं। इस माह में कुल 20.23 लाख कर्मचारियों में से 9.40 लाख कर्मचारी 25 वर्ष आयु समूह वाले हैं, जो जुड़ने वाले कुल कर्मचारियों का 47 प्रतिशत हैं।

मई 2023 के वेतन आंकडों के मुताबिक, 3.96 लाख महिला सदस्य भी इसमें शामिल हुई हैं। इसके अलावा, मई 2023 के महीने में कुल 71 ट्रांसजेंडर कर्मचारी ईएसआई योजना के अंतर्गत शामिल हुए हैं। यह दिखाता है कि ईएसआईसी समाज के सभी वर्गों को लाभ प्रदान करने के प्रति समर्पित है।

पेरोल के आंकड़ों की राज्य-वार डेटा में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात के कुल सदस्य 59.20 प्रतिशत से ज्यादा है। शीर्ष 10 उद्योगों में सबसे अधिक बढ़ोतरी विनिर्माण, विपणन-सेवा और कंप्यूटर सबंधित कार्य करने में लगे प्रतिष्ठानों में देखी गई है। इसके बाद इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल या सामान्य इंजीनियरिंग उत्पाद और अन्य व्यापारिक-वाणिज्यिक प्रतिष्ठान थे। बढ़त का रुख रखने वाले अन्य प्रमुख उद्योगों में गारमेंट मेकिंग, टेक्सटाइल, बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन तथा विशेषज्ञ सेवाएं शामिल हैं।

मई में EPFO से जुड़े 16.30 लाख लोग
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। ईपीएफओ की ओर से जारी पेरोल डेटा के अनुसार ईपीएफओ ने मई, 2023 के दौरान कुल 16.30 लाख नए ग्राहक बनाए हैं। मई, 2023 के महीने में लगभग 3,673 नए संस्थानों को रजिस्टर्ड किया गया और ईपीएफओ के सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है, जिससे अधिक कवरेज सुनिश्चित होती है।

मई में जुड़े 16.30 लाख सदस्यों में से 8.83 लाख नए सदस्य हैं, जोकि पिछले छह महीनों के दौरान सबसे अधिक हैं। इसमें 18 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की संख्या लगभग 56.42 प्रतिशत है। यह दिखाता है कि संगठित क्षेत्र के कार्यबल में रोजगार के इच्छुक बहुत से लोग पहली बार बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। मई माह के दौरान 3.15 लाख नए महिला पेरोल जोड़े गए। इसमें से 2.21 लाख नई महिला सदस्य हैं।

पेरोल के आंकड़ों की राज्य-वार डेटा में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात के कुल सदस्य 57.85 प्रतिशत से ज्यादा है। उद्योग-वार डेटा की महीने-दर-महीने तुलना से पता चलता है कि निजी क्षेत्र में बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन उद्योग, गारमेंट्स मेकिंग और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कंपनियों के प्रतिष्ठानों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। इसके बाद कपड़ा, वित्तीय प्रतिष्ठान, रबर उत्पाद आदि का स्थान रहा है।

ईपीएफओ डेटा के अनुसार पिछले वित्त वर्ष के दौरान उसके सदस्यों की कुल संख्या में 1.39 करोड़ की वृद्धि हुई यानी वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ईपीएफओ के साथ 1.39 करोड़ नए सब्सक्राइबर जुड़े। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 13.22 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2021-22 में ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स की कुल संख्या में 1.22 करोड़ की वृद्धि हुई थी।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन संगठित क्षेत्र में 15,000 रुपये से अधिक का मूल वेतन पाने वाले और कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) के तहत अनिवार्य रूप से नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं। एक अनुमान के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन बढ़ाने से संगठित क्षेत्र के 50 लाख और कर्मचारी ईपीएस-95 के दायरे में आ सकते हैं।

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