Home समाचार मोदी राज में मेक इन इंडिया की सफलता की कहानी, अप्रैल-मई 2023...

मोदी राज में मेक इन इंडिया की सफलता की कहानी, अप्रैल-मई 2023 में 2.43 अरब डॉलर के स्मार्टफोन का निर्यात, अमेरिका बना प्रमुख बाजार

SHARE

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से एक ‘मेक इन इंडिया’ ने पिछले नौ सालों में विनिर्माण अवसंरचना (मैन्यूफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर), निवेश (इन्वेस्टमेंट), नवोन्मेषण (इनोवेशन) और कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) में उल्लेखनीय प्रगति की है। पीएम मोदी के कुशल और गतिशील नेतृत्व में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम ने देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निर्यातक के रूप में पहचान दिलाई है। भारत आज मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल कर रहा है। भारत ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-मई 2023 के दौरान यानी दो महीने में 2.43 अरब डॉलर का स्मार्टफोन निर्यात किया। यह सालाना आधार पर 157.82 प्रतिशत की वृद्धि है। भारत से स्मार्टफोन के निर्यात में अमेरिका प्रमुख बाजार के रूप में उभरा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात 781.22 फीसदी बढ़कर 81.25 करोड़ डॉलर पहुंच गया। 2022-23 की समान अवधि में भारत से अमेरिका को 9.22 करोड़ डॉलर का स्मार्टफोन निर्यात किया गया था। भारत से कुल स्मार्टफोन निर्यात में मूल्य के हिसाब से अमेरिका की हिस्सेदारी एक तिहाई है। इस लिहाज से देखें तो अमेरिका को किए गए निर्यात में नौ गुना वृद्धि हुई है।

भारत के स्मार्टफोन का अमेरिका बना प्रमुख बाजार
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में यानि अप्रैल-मई 2023 में अमेरिका भारत निर्मित स्मार्टफोन के लिए सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरा है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में शिपमेंट में साल दर साल के आधार पर 775 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई। भारत ने इस साल अप्रैल-मई में 2.4 अरब डॉलर मूल्य के स्मार्टफोन का निर्यात किया, जिसमें से 81.24 करोड़ डॉलर या एक तिहाई अमेरिका भेजे गए। एक साल पहले अमेरिका में स्मार्टफोन का निर्यात केवल 9.22 करोड़ डॉलर या कुल का बमुश्किल 10 प्रतिशत था। अभी तक भारत अमेरिका को सबसे ज्यादा हीरे का निर्यात करता रहा है लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से हीरे के बाद स्मार्टफोन अमेरिका में निर्यात की जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी वस्तु बन गया है, जो भारत के लिए सबसे बड़ा बाजार है।

वर्ष 2023 में भारतीय स्मार्टफोन का यूएई था सबसे बड़ा बाजार
भारत ने वित्त वर्ष 2023 में 10.9 अरब डॉलर मूल्य के स्मार्टफोन का निर्यात किया था वहीं वित्त वर्ष 2024 के पहले दो महीनों में कुल 2.43 अरब डॉलर का निर्यात किया गया जो कि 157 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2023 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को 2.57 अरब डॉलर के स्मार्टफोन का निर्यात किया गया था और इस तरह वह भारत के स्मार्टफोन का सबसे बड़ा बाजार था। इसी तरह अमेरिका को 2.15 अरब डॉलर का स्मार्टफोन निर्यात किया गया और इस तरह वह भारतीय स्मार्टफोन का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया था।

इटली और नीदरलैंड को भी किए जा रहे स्मार्टफोन निर्यात
स्मार्टफोन निर्यात के मामले में अमेरिका के बाद संयुक्त अरब अमीरात 48.45 करोड़ डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर है। नीदरलैंड (20.5 करोड़ डॉलर) तीसरा, ब्रिटेन (15.13 करोड़ डॉलर) चौथा, इटली (13.66 करोड़ डॉलर) पांचवां और चेक गणराज्य (11.55 करोड़ डॉलर) छठा प्रमुख निर्यात गंतव्य रहा।

पीएलआई योजना की रही है बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी के विजन और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना व आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल का भारत में विनिर्माण शुरू होने की घोषणा से देश स्मार्टफोन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। 2022-23 में निर्यात 10.95 अरब डॉलर रहा था।

एप्पल के शीर्ष पांच बाजारों में भारत भी
भारत अब वैश्विक स्तर पर एपल के शीर्ष पांच बाजारों में शामिल हो गया है। आईफोन का निर्माण करने वाली कंपनी ने 2023 की दूसरी तिमाही में अल्ट्रा प्रीमियम सेगमेंट (45,000 रुपये और उससे अधिक) में 59 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करके शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। काउंटरपाइंट रिसर्च के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान कुल बिक्री में भारत के प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट की हिस्सेदारी बढ़कर 17 प्रतिशत हो गई है।

भारत में प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट
देश के समग्र स्मार्टफोन बाजार की बात करें तो सैमसंग 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ शीर्ष स्थान पर रहा। 30,000 रुपये और उससे अधिक के प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट की बात करें तो इसमें सैमसंग की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत है। वीवो ने अपना दूसरा स्थान बरकरार रखा है। वनप्लस दूसरी तिमाही में स्मार्टफोन बाजार में 68 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड था।

मोदी सरकार मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। आइए देखते हैं किस तरह इसके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं…

2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट
एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।

घरेलू मांग की पूर्ति के साथ विदेशी बाजारों पर कब्जे की तैयारी
आईफोन के निर्माण के मामले में एप्पल का दुनिया में बड़ा नाम है। एप्पल ने पिछले साल से ही भारत में अपने लेटेस्ट मोबाइल फोन की एसेंबलिंग करना शुरू किया। देखा जाए तो यह भारत के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे पहले कंपनी के बड़े प्रोडक्शन प्लांट चीन में ही थे। उन प्लांटों को ताइवानी कंपनियां चलाती थी। इन कंपनियों की सूची में Foxconn का अहम स्थान है। अब यह काम भारत में हो रहा है। इससे भारत की घरेलू मांग की पूर्ति के साथ विदेशी बाजारों में भी एप्पल आईफोन का निर्यात किया जा रहा है।

पीएलआई योजना से हजारों रोजगार के अवसर बने
मोदी सरकार ने 6 अक्टूबर, 2020 को स्मार्टफोन पीएलआई योजना की घोषणा की, तो उसने अनुमान लगाया था कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में हर नई प्रत्यक्ष नौकरी से लगभग तीन अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। पीएलआई योजना लागू होने के बाद से एप्पल के Contract Manufacturers और Component Suppliers ने मिलकर भारत में लगभग 50,000 डायरेक्ट जॉब्स सृजित किए हैं। इसके अलावा टाटा ग्रुप जिसने होसुर में 500 एकड़ में फैला हुआ एक प्लांट स्थापित किया है, जिसमें आईफोन सहित स्मार्टफोन के पुर्जे बनाए जाते हैं, लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देता है। अधिकारियों ने कहा कि टाटा को अगले 18 महीनों में भर्तियों को बढ़ाकर 45,000 करने की उम्मीद है।

मेक इन इंडिया मुहिम अब रंग ला रही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया मुहिम अब रंग ला रही है। अब विदेशी कंपनियां भी भारत में प्लांट लगाकर बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही हैं। यही वजह है कि अब मेड इन इंडिया प्रोडक्ट की धमक विदेशों में दिखाई देने लगी है। अब भारत दूसरे देशों में चीन के बाजार पर कब्जा करता जा रहा है। पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। वर्ष 2022 में भारत से आईफोन का निर्यात 2021 के मुकाबले डबल हो गया। अब इसमें आगे और रिकार्ड बढ़ोतरी की उम्मीद है।

मोदी सरकार में मोबाइल फोन के निर्यात में लगातार वृद्धि
भारत से पहले मुख्य तौर पर साउथ एशिया, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप के देशों को मोबाइल फोन निर्यात किया जाता था। लेकिन अब कंपनियों का ध्यान यूरोप और एशिया के कॉम्पिटिटिव मार्केट पर है। पहले मोबाइल फोन निर्यात के मामले में काफी पीछे हुआ करता था। वर्ष 2016-17 में देश से केवल 1 प्रतिशत से अधिक ही मोबाइल फोन उत्पादन का निर्यात हुआ करता था, लेकिन आईसीईए के आंकड़ों के अनुसार यह प्रतिशत 2021-22 में बढ़कर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुंच गया। वहीं साल 2022-2023 में उत्पादन में लगभग 22 प्रतिशत वृद्धि की संभावना जताई गई थी।

मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन
सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया है। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला है। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बूस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर रही है।

चीन की जगह भारत बना विदेशी कंपनियों की पहली पसंद
दुनिया भर में कम्पनियां कम लागत के साथ भरोसेमंद मैन्युफैक्चरर के तौर पर उभरे भारत का रुख कर रही है। पहले कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के लिए दुनिया भर के देशों की पहली पसंद चीन और वियतनाम थे। ‘ओपन फॉर बिजनेस’ सेगमेंट में चीन को 17वां स्थान मिला है। लेकिन सस्ती मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के मामले में चीन भारत से पिछड़कर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। बीते कुछ बरसों में कपड़ों और फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स को आकर्षित करने वाला वियतनाम मैन्युफैक्चरिंग लागत में भारत-चीन के बाद तीसरे नंबर पर है।

भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की कोशिश
मोदी सरकार भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की लगातार कोशिश कर रही है। कोरोना की पहली लहर के दौरान लॉन्च किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान से इस मिशन की शुरुआत हो गई थी। इसके लिए विदेशी कंपनियों को लुभाने का प्रयास किया गया। compliance का बोझ घटाने से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा फायदा मिला। प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी स्कीम्स के ज़रिए दुनिया की बड़ी बड़ी कंपिनयों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत भी की।

मोदी सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बनाया आकर्षक
कोरोना के बाद जिस तरह से वैश्विक समीकरण बदले हैं और भारत ने अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आकर्षक बनाया है, उससे सर्विस के साथ-साथ ये सेक्टर मिलकर एक ऐसा कॉम्बो बना सकते हैं कि भारत को ग्रोथ के लिए दमदार डबल इंजन मिल सकता है। सर्विसेज में ग्रोथ की वजह भारत में अंग्रेजी बोलने वाली सस्ती मैनपावर है जो आगे भी इसी तरह काम करती रहेगी और देश की ग्रोथ में योगदान करेगी।

Leave a Reply