पिछले साल महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश के सिलसिले में कई गिरफ्तारियां की गई हैं। इन पर नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने के साथ पीएम मोदी की हत्या की साजिश में शामिल रहने का आरोप है। सभी आरोपियों पर सेक्शन 153 A, 505(1) B, 117, 120B, 13, 16, 18, 20, 38, 39, 40 और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हालांकि मीडिया का एक धड़ा इन ‘खूंखार नक्सलियों’ को ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्त्ता बता रहा है, पर क्या यही इन लोगों की असलियत है, या सच्चाई कुछ और है?
पहले तो आपको बता दें कि जितने भी लोग गिरफ्तार किए गए हैं, ये सभी नक्सालियों के समर्थक हैं और इनका नक्सलियों के साथ सीधा संबंध है। विशेष बात यह है कि इनमें अधिकतर पर यूपीए सरकार के दौरान भी एक्शन लिया गया था और कइयों को जेल भेजा गया था। आइये इन तथाकथित Activists की पृष्ठभूमि पर एक नजर डालते हैं।
वर्नोन गोंजालवेज
19 अगस्त, 2007 को, वर्नोन गोंजालवेज को महाराष्ट्र एटीएस ने गिरफ्तार किया था
नक्सली नेता के रूप में विस्फोटक रखने और देश विरोध की योजनाएं बनाने का आरोप था
इनके पास से 09 डेटोनेटर, जिलेटिन की 20 छड़ों के साथ अन्य आपत्तिजनक सामान भी बरामद किया गया था
गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आर्म्स एक्ट के तहत इन्हें 2007 में दोषी ठहराया गया
नागपुर की एक अदालत ने 11 अप्रैल, 2014 को उन्हें 05 साल जेल की सजा सुनाई
पीएम मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ तो इन्होंने रिपोर्ट को ‘झूठा’ कहा और आर्टिकल लिखा
वरवरा राव
राज्य के खिलाफ षड्यंत्र और युद्ध की तैयारी करने के लिए 1980 में दो साल के लिए जेल भेजे गए
सशस्त्र और हिंसक संघर्ष के समर्थन में वारवरा राव ने हमेशा अपने विचार व्यक्त किए
इन्होंने ‘पीपुल्स आर्मी’ नाम से नक्सलियों का ‘red guard’ बनाने की वकालत की थी
‘red guard’ के हर पलटन में 200 नक्सलियों के शामिल होने की दलील दी थी
हैदराबाद के रहने वाले वरवरा राव पर शहरी नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप है
वरवरा राव का नाम नक्सलियों से संबंध रखने वाले रोना विल्सन के यहां से जब्त दस्तावेज में आया था
यलगार परिषद के सदस्य रोना विल्सन के दस्तावेजों से पीएम मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ
रोना विल्सन से 2005 में संसद हमले के आरोपी एसआरए गिलानी से सबंध मामले में पूछताछ की थी
गौतम नवलखा
कश्मीर में रहने के दौरान अलगाववादियों के के साथ मिलकर शांति भंग करने का आरोप
जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने साल 2010 में उन्हें कश्मीर में घुसने पर पाबंदी लगा दी थी
पेशे से पत्रकार भारत सरकार की नीति के उलट कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का पक्षधर
इंटरनेशनल पिपुल्स ट्रिब्यूनल ऑन ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस इन कश्मीर के संयोजक रहे
सुधा भारद्वाज
नक्सलियों के लीगल सेल की संरक्षक के तौर पर मशहूर, सिर्फ और सिर्फ नक्सलियों के केस लड़ती हैं
2007 और 2010 में बिनायक सेन के बचाव में केस लड़ीं, हालांकि सेन को आजीवन कारावास की सजा मिली
रिपब्लिक टीवी का खुलासा – छत्तीसगढ़ को कश्मीर जैसा बनाने की साजिश वाला पत्र कॉमरेड प्रकाश को लिखा
पत्र में यह भी खुलासा किया गया था कि सुधा भारद्वाज ने इसके लिए पैसे की भी मांग की थी
ट्रेड यूनियन और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के विजिटिंग प्रोफेसर
छत्तीसगढ मुक्ति मोर्चा की संस्थापक सदस्य, पिपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज की संस्थापक
पीयूसीएल संसद हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरू की फांसी की निंदा करता है
अरुण परेरा
माओवादियों के संदेश वाहक के रूप काम करने का आरोप, वर्ष 2007 गिरफ्तार कर जेल भेजे गए
देशद्रोह के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत साढ़े चार साल जेल में बिताए
पीएम मोदी की हत्या की साजिश को इन्होंने आर्टिकल लिख कर Fake करार देने की कोशिश की
यलगार परिषद से जुड़े होने के मामले में इस बार गिरफ्तारी की गई