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गरीबों के मसीहा हैं पीएम मोदी, कोरोना काल में भी जारी रहा गरीबों के लिए आवास निर्माण, 2.5 करोड़ रोजगार हुए सृजित

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चिंतन और नीतियों के केंद्र में हमेशा गरीब होता है। वे गरीबों को राशन, स्वच्छ पेयजल, शौचालय, बिजली से लेकर आवास तक हर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए पूरी तत्परता से लगे हुए हैं। इसलिए उन्हें गरीबों का मसीहा कहा जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2022 तक ‘सबको पक्का मकान’ मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी का नतीजा है कि कोरोना काल में 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त राशन देने के साथ ही शहरी निकाय स्तर पर होने वाले आवासीय निर्माण परियोजनाओं को भी जारी रखने पर पूरा जोर दिया गया। इसके चलते करीब ढाई करोड़ रोजगार सृजित किए गए। शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक इससे जहां शहरी श्रमिकों का पलायन रोकने में मदद मिलेगी, वहीं आवासीय परियोजनाओं में भारी निवेश से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और नई नौकरियां पैदा होंगी। योजना के तहत अब तक शहरी गरीबों के लिए सवा करोड़ पक्के मकानों को बनाने की मंजूरी दे दी गई है, जिसमें से 80 लाख का निर्माण अंतिम दौर में है। आवासीय निर्माण की तकनीक में कई बड़े सुधार किए गए हैं, जिससे निर्माण की लागत घटी है और मकानों की क्वालिटी में पर्याप्त सुधार हुआ है।

 प्रवासी श्रमिकों का पलायन रोकने में मिलेगी मदद

शहरी विकास मंत्रालय ने कोरोना महामारी से पलायन को मजबूर शहरी गरीब श्रमिक परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी के अंतर्गत एक उप योजना भी चालू की है। इसका प्रायोगिक प्रोजेक्ट चंडीगढ़ और सूरत में 2,588 घरों के निर्माण के साथ शुरू किया। इसी तर्ज पर दूसरे राज्यों में लगभग 7,000 मकानों का प्रस्ताव को तैयार किया गया है। इन मकानों को ऐसे श्रमिकों को रियायती दरों पर किराए पर उठाया जाएगा। इस उप योजना को लेकर अब तक 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी रुचि दिखाई है। इस योजना की सफलता से प्रवासी श्रमिकों के पलायन की संभावना बहुत कम हो जाएगी।

 11.74 करोड़ मानव दिवस का रोजगार होगा सृजित

शहरी विकास मंत्रालय की इस उप योजना के तहत प्रस्तावित मकानों के निर्माण में 11.74 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजित होने का अनुमान है। इससे कुल चार लाख से अधिक लोगों को सीधा रोजगार प्राप्त हो सकेगा। परियोजना में घरों के निर्माण कार्य में लगने वाले श्रमिकों को कुशल बनाने की दिशा में कारगर पहल की गई है। सिटी लेवल टेक्निकल टीम के लगभग 2,200 विशेषज्ञों की मदद से 4,427 शहरी निकाय क्षेत्रों में काम कर रहे कुशल मजदूरों को भी नई तकनीक से लैस किया जा रहा है।

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