कर्नाटक में हिजाब विवाद अभी थमा भी नहीं है कि महाराष्ट्र में हिजाब मुद्दा बनकर सामने आया है। महाराष्ट्र के वाशिम जिले में राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (NEET ) परीक्षा के दौरान हिजाब को लेकर हंगामा हुआ है। आरोप है कि NEET परीक्षा के दौरान एक छात्रा का हिजाब उतरवाया गया। मामले में मुस्लिम छात्राओं ने वासिम पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दी है। कहा यह भी जा रहा है कि अभिभावकों के दबाव में छात्राओं ने शिकायत की है और कुछ स्थानों पर अभिभावकों ने ही पुलिस से शिकायत की है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि हिजाब पहनने के लिए छात्राओं पर दबाव क्यों डाला जा रहा है। उधर, कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि हमने नीट की ओर से निर्धारित की गई सभी गाइडलाइंस का पालन किया है। अब यहां एक सवाल फिर से उठता है कि शिक्षा संस्थानों में हिजाब की क्या जरूरत है और अगर छात्राएं घर से हिजाब पहनकर आती भी हैं तो उन्हें स्कूल-कालेज में उसे उतारने में परहेज क्यों है। यहां एक सवाल यह भी उठता है कि क्या हिजाब विवाद से भारत एक खतरनाक मोड़ की तरफ बढ़ रहा है। क्या हिजाब विवाद को तूल देकर देश में फूट पैदा करने की साजिश रची जा रही है और देश को धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर धकेला जा रहा है।
महाराष्ट्र के वाशिम में शांताबाई गोटे कालेज में नीट परीक्षा देने गईं छात्राओं से बुर्का हटाने पर पीड़ित छात्राओं के परिजन विद्यालय प्रबंधन से नाराज है। इस घटना को लेकर परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि छात्राओं को नीट के पेपर के दौरान जबरन हिजाब हटाने के लिए मजबूर किया गया। नीट का पेपर 18 जुलाई को आयोजित किया गया। वाशिम के एक परीक्षा केंद्र पर छात्राओं के परिजनों ने पुलिस से शिकायत की है कि मुस्लिम छात्रों को अपना नकाब और हिजाब हटाने के लिए कहा गया।
कॉलेज की तरफ से आया बयान
इस मामले को लेकर कॉलेज की तरफ से कहा गया है कि 5 मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर आईं थी, इनमें से तीन छात्राएं समय से पहले आ गई थीं। इनके लिए यहां पर सेफ्टी रूम था हिजाब बदलने के लिए, लेकिन दो छात्राओं ने इस मामले को उठाया। ये छात्राएं देर से आई थीं और इनकी गेट पर ही विवाद हुआ था इसके बारे में कॉलेज प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है।
The likes of Rana Ayyub, RJ Sayyema, Arfa Khanum Sherwani will wear western casuals will go on dating sites live as an independent women but will advocate Hijab and Burqa for young
because of them the community suffers. Gareeb ko gurbat mein rakho warna dhandha kaise chalega https://t.co/4I5bGY7rLd
— औरंगज़ेब ?? (@__phoenix_fire_) February 4, 2022
धार्मिक ध्रुवीकरण के पीछे कौन
शिक्षा संस्थानों में हिजाब पहनने को जायज ठहराने वाले मुस्लिम बुद्धिजीवी एवं लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम के नेताओं को आखिर गरीब तबके की महिलाएं ही क्यों दिखती हैं। उन्हें समृद्ध एवं सोशलाइट मुस्लिम महिलाएं क्यों नहीं दिखाई देती जो बिकनी से लेकर पश्चिमी परिधान पहनकर सार्वजनिक जगहों पर दिखाई देती हैं। अगर हिजाब पहनकर ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहाल हो सकती है तो हिजाब के झंडाबरदार इन सोशलाइट महिलाओं की तरफ से आंखें क्यों मूंद लेते हैं।
#Hijab में कभी नज़र नहीं आएंगे #Rana_Ayyub #Arfa_Khanum_Sherwani #Barkha_Dutt
लेकिन औरतों को उकसायेंगे…..
मेरी अपील ऐसे सांपों से रहें सावधान ? pic.twitter.com/Topwq02biQ
— ᴀʀᴊᴜɴ ᴋᴀʀᴘᴇ ʙᴊᴘ (@ASKarpe) February 4, 2022
कांग्रेस, लेफ्ट और मुस्लिम अतिवादी संगठनों का प्रोपेगंडा
इसके पीछे प्रतिबंधित संगठन सिमी के प्रॉक्सी संगठन कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) और पॉपूलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) भी हैं। छात्राएं सीएमआई के साथ जुड़ी हैं। इस संगठन का जुड़ाव PFI से है। पीएफआई का दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में बेस है, अतिवादी गतिविधियों के कारण भारत सरकार इसे बैन करने की प्रक्रिया में है। कर्नाटक के उडूपी में शुरू हुआ हिजाब विवाद असल में विवाद से ज्यादा कांग्रेस, लेफ्ट और मुस्लिम अतिवादी संगठनों का प्रोपेगंडा है।
ये Arfa Khanum Sherwani इनको सिर्फ कालेज ने हिजाब चाहिये#aaj_hijab_kal_kitab #we_support_karnatka_gov #No_Hijab #no_burka #कर्नाटक pic.twitter.com/QVSdSKAAoP
— Shashikant J Pandey (@SjP4Bharat) February 9, 2022
बिकनी पहन आमिर खान की बेटी ने काटा बर्थडे केक, हिजाब तो आम मुस्लिमों के लिए है
अभी कुछ ही माह पहले अभिनेता आमिर खान की बेटी इरा खान का एक फोटो सोशल मीडिया काफी वायरल हुआ था। दरअसल इरा खान ने बिकनी में केक काटते हुए एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी। इस फोटो में आमिर खान भी बिना शर्ट के दिखाई दे रहे हैं। बर्थडे केक काटने वाली तस्वीर में इरा काफी बोल्ड और हॉट लग रही हैं। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने तंज कसते हुए कहा था कि काफी पारिवारिक माहौल है तो कुछ ने कमेंट किया कि हिजाब तो आम मुस्लिमों के लिए है।
Women of Iran protesting against patriarchal Islamic practice of compulsory hijab whereas in #India, women are fighting to wear #hijab.
We support Iran's feminist movement against #Islamic Fanaticism.#WomensRights #women #WomensRightsAreHumanRights pic.twitter.com/SQG7irFeex
— Sanatan Women (@SanatanWomen) July 14, 2022
ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाएं
इस्लामिक देश ईरान में हिजाब का जबरदस्त विरोध हो रहा है। ईरानी महिलाएं हिजाब के विरोध में सड़कों पर हैं। यही नहीं वे पब्लिक में अपना नकाब हटाकर उसका वीडियो भी बना रही हैं। ये महिलाएं हिजाब हटाने के वीडियो पोस्ट कर इस्लामिक रिपब्लिक के सख्त हिजाब नियमों का विरोध कर रही हैं। यहां सवाल यह उठता है कि दुनिया के एक हिस्से में महिलाएं इसे बोझ समझती हैं और इससे आजादी चाहती हैं तो फिर भारत में मुस्लिम महिलाएं हिजाब के समर्थन में क्यों खड़ी हैं। क्या इसके पीछे कोई सोची समझी चाल है। क्या इसके पीछे धर्म के नाम पर रोटी सेंकने वाले लोग हैं जिन्हें दुकान बंद होने का डर है।
इन मुस्लिम देशों में है हिजाब पर प्रतिबंध
अगर मुस्लिम देशों की बात की जाए तो सीरिया और इजिप्ट जैसे देशों के विश्वविद्यालयों में पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा रखा है. कोसोवो में लड़कियां हिजाब पहन कर स्कूल नहीं जा सकतीं. इसके अलावा ट्यूनीशिया, मोरक्को अज़रबैजान, लेबनान और सीरिया जैसे देशों में हिजाब को लेकर कड़े नियम बनाए गये हैं।
हिजाब को लेकर दूसरे देशों में क्या हैं नियम
रूस
रूस ने 2012 में स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद ये मामला वहां की सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया और कोर्ट ने भी सरकार के फैसले को सही ठहराया था और हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया।
फ्रांस
यूरोप महाद्वीप का ऐसा पहला देश है, जहां पर सबसे पहले 2004 में स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया था…इसके बाद फ्रांस सरकार ने 2011 में सार्वजनिक स्थानों पर भी चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया। फ्रांस में हिजाब पहनने या पूरा चेहरा ढकने पर करीब 13 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को हिजाब पहनने या चेहरा ढकने के लिए बाध्य करता है तो उस पर 26 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
चीन
शी जिनपिंग सरकार ने भी स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. चीन में धार्मिकता को परिभाषित करने वाले पहनावे के साथ स्कूली और सरकारी कार्यालयों में एंट्री नहीं है।
डेनमार्क
डेनमार्क संसद ने वर्ष 2017 में सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर रोक लगाई थी. अगर कोई डेनमार्क में चेहरा ढकता है तो उस पर पहली बार करीब 12 हजार रुपये का जुर्माना है और दोबारा पकड़े जाने करीब 85 हजार रुपये ज़ुर्माना है। इसी तरह बेल्जियम, नीदरलैंड, बुलगेरिया, जर्मनी, कनाडा ऐसे देश हैं जहां हिजाब या चेहरा ढकने पर प्रतिबंध है।
क्या है हिजाब को लेकर छिड़ा विवाद ?
हिजाब से जुड़ा विवाद जनवरी महीने में कर्नाटक के उडुपी शहर से शुरू हुआ था। शहर के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से क्लास में एंट्री नहीं करने दी गई। कॉलेज प्रशासन ने ड्रेस-कोड के मुताबिक कपड़े पहन कर आने को कहा। इसके बाद राज्य के अनेक जिलों में विवाद बढ़ता गया। कई शैक्षणिक संस्थानों में लड़कियां हिजाब पहन कर आती रहीं और विवाद बढ़ता गया।