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नोटबंदी ने PM Modi की भ्रष्टाचार मुक्त भारत की नीति को आगे बढ़ाया, अब डिजिटल इंडिया का सपना हो रहा साकार, जानिए नोटबंदी के 11 फायदे

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दोनों लोकसभा चुनावों के दौरान लोगों को यह भरोसा दिया था कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने का प्रयास करेंगे। देशवासियों से वादा किया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार और कालेधन पर कार्रवाई करेगी। उन्हीं वादों के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी ने कई बड़े और कड़े कदम उठाए हैं। भारत जैसे विशाल देश में नोटबंदी जैसा निर्णय कोई आसान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री ने साहस दिखाया और देश की जनता ने उनका साथ दिया।

08 नवंबर 2016 को नोटबंदी लागू किए हुए आज पांच साल पूरे हो गए हैं। नोटबंदी के बाद कैश का बैंकिंग सिस्टम में आना, टैक्स पेयर्स की संख्या में बढ़ोतरी, कैशलेस ट्रांजेक्शन में वृद्धि और आतंकवादी-नक्सलवादी गतिविधियों में भारी गिरावट नोटबंदी की सफलता की अनंत कहानियां कहती हैं। इन पांच वर्ष में नोटबंदी के अनेकों फायदे सामने आए हैं, आइये हम उनपर एक दृष्टि डालते हैं…1. करदाता तेजी के बढ़े और 8.83 करोड़ हो गए
नोटबंदी के बाद टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2013-14 में 3.79 करोड़ थी, जो 2020-21 वित्तीय वर्ष के लिए 10 जनवरी 2021 तक 5.95 करोड़ हो गई। इसके साथ ही 2013-14 में करदाताओं की संख्या 5.27 करोड़ से 67.5 प्रतिशत बढ़कर 7 सितंबर 2021 तक बढ़कर 8.83 करोड़ करोड़ हो गई।2. डिजिटल हो रहा इंडिया : 6.5 लाख करोड़ ट्रांजेक्शन
नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था लेस कैश सोसाइटी की ओर अग्रसर है। कैशलेस लेनदेन लोगों के जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ हर लेनदेन से काले धन को हटाते हुए क्लीन इकोनॉमी बनाने में भी मददगार साबित हुआ है। नवंबर 2016 में जहां यूपीआई आधारित ट्रांजेक्शन सिर्फ 90 करोड़ रुपए का था अक्तूबर 2018 में बढ़कर 74978 करोड़ रुपए पर पहुंचा। अब अक्टूबर-2021 में जेट स्पीड के बढ़कर 6.5 लाख करोड़ हो गया है। इस दौरान 3.65 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए।3. बैंकों की ब्याज दरों में दो प्रतिशत से ज्यादा की कमी
नोटबंदी के बाद बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में करीब दो प्रतिशत से ज्यादा की कमी आ चुकी है। नोटबंदी से पहले 1 अक्टूबर, 2016 धन की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) एक माह के लिए 8.95 प्रतिशत और साल के लिए 9.05 थी। नोटबंदी के बाद से भारतीय स्टेट बैंक ने आश्चर्यजनक रूप से एमसीएलआर में कटौती की। इसके बाद दूसरे बैंकों ने भी ऐसा ही किया जिससे आम लोगों को काफी राहत मिली है। 15 सितंबर 2021 को सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) एक माह के लिए 6.65 प्रतिशत और साल के लिए 7.0 प्रतिशत ही रह गई है।4. नोटबंदी ने भारत को महामंदी से बचाया
नोटबंदी के बाद जीडीपी की गिरावट और विनिर्माण क्षेत्रों में मंदी के सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक तथ्य यह है कि नोटबंदी के निर्णय ने भारत को बड़ी मुसीबत से बचा लिया है। 2004 के बाद एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की तरफ जा रही थी। चलनिधि यानि Liquidity की कमी से उत्पन्न होने लगी थी। परिणामस्वरूप देश की आर्थिक वृद्धि दर घटते-घटते 2013 में 4.4 प्रतिशत तक आ गई थी। आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2016-17 में 7.4 प्रतिशत थी। नोटबंदी का ही असर है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून-2021 तिमाही में 20.1 प्रतिशत रही।5. अब काले धन का पता लगाना काफी आसान
नोटबंदी के बाद 99 प्रतिशत नकदी बैंकिंग सिस्टम में आ गए हैं। इसका फायदा यह है कि अब काले धन का पता लगाना काफी आसान हो गया है। इस निर्णय के बाद 24.75 लाख ऐसे संदिग्ध मामलों की पहचान की गई जिनमें पैन कार्ड धारकों के प्रोफाइल नोटबंदी के पहले के प्रोफाइल से मेल नहीं खाते।6. इकोनॉमिक स्वच्छता : 2.38 लाख शैल कंपनियां आइडेंटीफाई
नोटबंदी के बाद पांच लाख से ज्यादा संदिग्ध कंपनियां जांच एजेंसियों के राडार पर आईं। इनमें से अधिकतर कालाधन को छिपाने और कर चोरी के उद्देश्य से संचालित की जा रहीं थी। 2018 से 2021 के बीच में ही 2.38 लाख शैल कंपनियों को भारत सरकार ने आइडेंटीफाई करने के बाद इनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया। नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के जीवन में भी बड़ा बदलाव आया है। अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा से उनके अधिकारों के संरक्षण दिये जा रहे हैं। एक करोड़ से अधिक श्रमिकों को प्रोविडेंट फंड का लाभ मिलने लगा है।7. जनता के पास रिकॉर्ड मुद्रा यानी 28.30 लाख करोड़
नोटबंदी इसलिए आवश्यक थी क्योंकि भारतीय रुपया नकली नोटों की वजह से बर्बाद हो रहा था। रिजर्व बैंक के अनुसार 500 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोट में औसत 7 नोट नकली थे और 1000 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे। नोटबंदी का ही असर है कि भारतीय मुद्रा का प्रवाह तेजी के बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 8 अक्टूबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े के लिए जनता के पास मुद्रा रिकॉर्ड उच्च स्तर पर रही। यानी 28.30 लाख करोड़ रुपए। यह मुद्रा 4 नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ से 57.48 प्रतिशत अधिक है।8. नोटबंदी रियल एस्टेट के लिए वरदान साबित
रियल एस्टेट क्षेत्र कालेधन के ट्रांजेक्शन्स के लिए बेहद ही आसान जरिया बन गया था। लेकिन नोटबंदी के निर्णय के बाद आम लोगों के लिए घर खरीदना बहुत सस्ता हो गया। दो लाख रुपये से अधिक के कैस ट्रांजेक्शन पर रोक लगने के बाद प्रॉपर्टी की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत तक कमी आ चुकी है। नोटबंदी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर अब अधिक पारदर्शी, संगठित, भरोसेमंद और खरीददारों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है।9. जाली नोटों पर शिकंजा, मुद्रा का पूर्ण स्वदेशीकरण

नोटबंदी का एक बड़ा उद्देश्य यह भी था कि भारत अपनी मुद्रा का पूर्ण स्वदेशीकरण करे अभी तक नोट बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जैसे स्याही, कागज और सुरक्षा धागा तक विदेश से मंगवाना पड़ता है. इतना ही नहीं नोटों में प्रयुक्त सुरक्षा मानक भी विदेशी हैं. यही सुरक्षा मानक विश्व के कई देशो में भी प्रचलित हैं. इसका फायदा उठाकर विदेशी ख़ुफ़िया एजेन्सियां भारत की नकली मुद्रा छापकर भारत को भारी आर्थिक क्षति पहुंचा रही थीं. नोटबंदी के बाद जाली नोटों की बाजार में उपलब्धता बेहद कम हो गई है। रिजर्व बैंक ने जिन नकली नोटों का पता लगाया था इनमें से 500 रुपये के 41 प्रतिशत और 1000 के 33 प्रतिशत थे। नोटबंदी के बाद ही ये पता लग पाया कि पांच सौ के हर 10 लाख नोट में औसत 7 और 1000 के हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

10. बेनामी संपत्ति की पोल खुली, करोड़ों की संपत्ति जप्त
नोटबंदी के बाद से सीबीडीटी ने देश में चल और अचल, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपत्तियों की खोजबीन शुरू की। दरअसल ये संपत्ति वास्तविक मालिक के बजाय किसी और के नाम पर दर्ज हैं। नोटबंदी के बाद ऐसी बेनामी संपत्ति का पता लगाने में भी बड़ी सफलता मिली है। आयकर विभाग के अनुसार कई मामलों में 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जब्त की गई है। बेनामी अधिनियम के तहत 233 मामलों में संपत्तियों को अस्थायी तौर पर अटैच किया गया। 11. आतंकवाद-नक्सलवाद और जाली नोट पर चोट
नोटबंदी के बाद से आतंकियों के हौसले पस्त हुए हैं और उनके पास पैसा पहुंचने पर काफी हद तक ब्रेक लगाई जा सकी है। पहले जब कभी भी किसी आतंकी का एनकाउंटर होता था तो हजारों लोग वहां पहुंच जाते और आर्मी पर पत्थरबाजी करते। अब हालात ये हैं कि नोटबंदी और आर्टिकल 370 हटने के पत्थरबाज लगभग गायब ही हैं। हवाला के जरिये नक्सलियों, आतंकवादियों और जिहादियों को जो पैसा मिलता था वो अब कचरा बन गया है।

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