प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के जरिए एक साथ दो सर्जिकल स्ट्राइक किया। एक तरफ जहां देश की अर्थव्यवस्था को दिमक की तरह खा रहे भ्रष्टाचारियों पर जबरदस्त प्रहार किया, वहीं विदेशी फंडिंग से देश की एकता और अखंडता के लिए चुनौती बने पत्थरबाजों, नक्सलवादियों और आतंकियों पर भी चोट की। मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद कश्मीर में अलगाववादियों के बैंक खातों में लेन-देन पर रोक लगा दी। सरकार द्वारा उठाए गए इस अप्रत्याशित कदम के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में जबरदस्त कमी आई। दरअसल 500 और 1000 रुपये के हाई वेल्यू नोट के बंद होने से नक्सलियों, आतंकवादियों और हवाला कारोबारियों की कमर बुरी तरह टूट गई है।
विदेशों से टेरर फंडिंग पर लगी रोक
देश की सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले कुछ वर्षों में आतंक के आकाओं की नकेल ऐसे टाइट कर दी है कि वे भारत की सरजमीं में अपने नापाक कदम रखने के नाम पर थर-थर कांप रहे हैं। ऐसे में वो विदेश की नापाक सरजमीं से फंडिंग के जरिए दहशतगर्दी का कायराना खेल खेलने के मंसूबे पाल रहे हैं। अब फंडिंग चाहे पाकिस्तान से हो रही हो, चीन से हो रही हो या कनाडा से उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो रहे हैं। इसका पूरा श्रेय नोटबंदी को है, जिसने बैंकिंग खातों में होने वाले हर लेन-देन में पारदर्शिता ला दी है, जिससे संदिग्ध खातों पर नजर रखना और उन्हें ट्रैक करना आसान हो गया है। बैंकों से मिले इनपुट के आधार पर एनआईए की लगातार छापेमारी हो रही है। 27 अक्टूबर, 2021 को भी एनआईए ने आतंकी फंडिंग मामले में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) समूह के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। जेईआई के खिलाफ कार्रवाई 2016 से हो रही है। एनआईए ने 16 दिसंबर, 2016 को एफआईआर दायर की और केंद्रीय गृह मंत्रालय के 9 दिसंबर, 2016 के आदेश के बाद जांच शुरू की। यह जांच क्रॉस-एलओसी व्यापार मार्गों के माध्यम से होने वाले आतंकी फंडिंग के बारे में इनपुट पर आधारित है।
In its ongoing investigation against outlawed Jamaat-e-Islami (JeI) group in terror funding case, NIA today carried out searches at the residential premises against its cadres in J&K. The NIA conducted the search operation alongwith J&K Police and CRPF from 6 am. pic.twitter.com/g9GPgfgJQr
— ANI (@ANI) October 27, 2021
जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाज हुए गायब
जम्मू-कश्मीर में हर शुक्रवार को पत्थरबाजी इतिहास की बात हो गई है। विदेशी फंडिंग पर रोक, बैंक खातों पर निगरानी और सुरक्षा बलों की सख्ती ने पत्थरबाजों और उनके आकाओं की कमर तोड़ दी है। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर में 2019 की तुलना में पत्थरबाजी के मामलों में आश्चर्यजनक रूप से 90 प्रतिशत की कमी आई है। जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों को सैलरी देने वाले अलगाववादी नेताओं की बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां हुई हैं। पत्थरबाजों को रुपयों का लालच देकर पत्थरबाजी के लिए उकसाने वाले इन नेताओं पर NIA समेत अन्य सरकारी एजेंसियों ने शिकंजा कसा है। जिसके वजह से अब इनके मुंह से पत्थरबाजों को उकसाने वाले बयान निकलना बंद हो चुके हैं। अलगाववादी नेताओं पर इस कड़ाई से पत्थरबाजों के दिल में भी डर बैठ गया है। इससे कश्मीर में सड़कों पर पत्थरबाज दिखाई नहीं दे रहे हैं और पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है।
आतंकियों की भर्ती और हमलों में 40 प्रतिशत की कमी
कश्मीर घाटी में विदेशी फंडिंग कम होने से आतंकी हमलों और नए आतंकियों की भर्ती में कमी के रूप में साफ नजर आने लगा है। मौजूदा वर्ष के पहले दस माह की तुलना अगर वर्ष 2020 के पहले दस माह से करें तो आतंकियों की भर्ती और हमलों में 40 प्रतिशत की कमी आयी है। इस वर्ष अब तक करीब 120 आतंकी मारे गए हैं। इसके अलावा सरेंडर करने वाले आतंकियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। कश्मीर में जो हालात बदले हैं, उसमें अलगाववादी और राष्ट्रविरोधी तत्वों का ऑनग्राउंड दुष्प्रचार लगभग समाप्त हो गया है। इंटरनेट मीडिया पर भी विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने राष्ट्रिविरोधी और जिहादी तत्वेां के दुष्प्रचार के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसके अलावा युवाओं को खेल गतिविधियों मेंं, समाज कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की गतिविधियों में उनकी ऊर्जा को लगाया जा रहा है।
पैसों का हुआ टोटा, बैंक लुटेरे बन गए आतंकी
दरअसल क्वेटा और कराची स्थित पाकिस्तान की सरकारी प्रिटिंग प्रेसों में भारत के नकली करेंसी नोट छापने का जो नापाक खेल चलता था, वो नोटबंदी से चौपट हो गया है। इसी कारण अब आतंकियों के पास फंड नहीं है। टेरर फंडिंग की चेन टूटने से आतंकियों के पास पैसों का इतना टोटा हुआ कि कुछ आतंकवादी बैंक लूट की घटनाओं को ही अंजाम देने लगे। इसके लिए वह बैंकों को निशाना बना रहे हैं। अप्रैल 2021 में उत्तरी कश्मीर के बारामूला में पीपीई किट पहने तीन हथियारबंद आतंकियों ने जम्मू कश्मीर बैंक की शाखा से 6 लाख की लूट को अंजाम दिया। लेकिन बैंक में मौजूद लोगों के विरोध के चलते उनके मंसूबे पूरी तरह कामयाब नहीं हो सके। भागते हुए लुटेरों ने कई राउंड फायरिंग भी की। लूटरे जिस गाडी में आये थे वह भी जल्दबाजी में घटनास्थल पर ही छोड़ कर भागे और सड़क पर एक और गाड़ी को रोक कर उस में भाग गए।
नक्सलवाद पर नकेल कसने में मिली सफलता
नोटबंदी के कारण एक ओर जहां कश्मीर में इसका सकारात्मक असर है वहीं left wing extremist प्रभावित क्षेत्रों में भी इसका खासा असर है। नोटबंदी की वजह से नक्सली संगठनों का पूरा आर्थिक ढांचा चरमरा गया है। उनके पास बड़ी मात्रा में नकदी थी जो 500 और 1000 के नोट बंद होते ही मिट्टी में मिल गई। 26 सितबंर, 2021 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने में केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासों से बहुत सफलता मिली है। एक तरफ जहां वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 23 प्रतिशत की कमी आई है वहीं मौतों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है।’
नक्सली हिंसा और इसके भौगोलिक फैलाव में गिरावट
पिछले एक दशक में, नक्सली हिंसा के आंकड़ों और इसके भौगोलिक फैलाव, दोनों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। वामपंथी उग्रवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं 2016 में 1048 से घटकर अगस्त 2021 में 349 रह गई। मौतों की संख्या में भी कमी आई है, जो वर्ष 2016 में दर्ज 278 से घटकर अगस्त 2021 में 110 रह गई हैं। माओवादियों के प्रभाव वाले ज़िलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 ज़िलों तक सीमित रह गई है। माओवादियों को अब सिर्फ़ 25 ज़िलों तक सीमित कर दिया गया है जो कि देश के कुल वामपंथी उग्रवाद की 85 प्रतिशत हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं।
मोदी सरकार ने नक्सलियों पर लगाया लगाम
वर्ष | नक्सली घटनाएं | मृतकों की संख्या |
2016 | 1048 | 278 |
2017 | 908 | 263 |
2018 | 833 | 240 |
2019 | 670 | 202 |
2020 | 665 | 183 |
अगस्त 2021 | 349 | 110 |