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कांग्रेस के नए अध्यक्ष खड़गे ने की हार से बोहनी, पार्टी नेता ने कहा- उपचुनाव में भाजपा की जीत धर्म की जीत

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गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस को करारा झटका लगा है। 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे दोनों के लिए दिल तोड़ने वाले हैं। इन सात सीटों में से बीजेपी 4 सीटों पर जीत का परचम लहराने में कामयाब रही है। लेकिन अध्यक्ष बदलने पर भी कांग्रेस की हार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बोहनी ही हार से हुई है। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई है, जबकि पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।

कांग्रेस को हरियाणा के आदमपुर, ओडिशा के धामनगर और तेलंगाना की मुनुगोडे सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के लिए झटके की बात यह भी है कि पार्टी को अपने गढ़ में हार का स्वाद चखना पड़ा है। हरियाणा के आदमपुर और तेलंगाना की मुनुगोडे को पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। हैरानी की बात यह है कि तेलंगाना में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी पार्टी को मुनुगोडे में ना सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा, बल्कि जमानत भी जब्त हो गई। धामनगर सीट पर पार्टी चौथे स्थान पर रही

पिछले महीने 26 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने वाले खड़गे की हार से बोहनी से पार्टी में निराशा का माहौल है। उपचुनाव में बीजेपी को मिली शानदार सफलता पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भाजपा की जीत धर्म की जीत है। उन्होंने ट्वीट किया कि उपचुनाव में भाजपा की जीत धर्म की जीत है, 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को गम्भीर चिंतन की जरूरत है।

आइये, जानते हैं कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद अब खड़गे के नेतृत्व में पार्टी कांग्रेस-मुक्त भारत की ओर अग्रसर है।

2014: कुल 8 चुनाव, कांग्रेस ने सिर्फ एक जीता, उसमें भी सत्ता संभाल नहीं पाए
गुजरात के सीएम के बाद पीएम मोदी इसी साल देश के प्रधानमंत्री बने। 2014 में 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए। इनमें हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम शामिल हैं। इन 8 राज्यों में से केवल अरुणाचल में कांग्रेस सरकार बना सकी। यहां की 60 में से 42 सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की। लेकिन जुलाई 2016 में मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत 33 विधायक पार्टी की जन-विरोधी नीतियों से परेशान होक बीजेपी में आ गए और राज्य की सत्ता बीजेपी के पास आ गई। 2015: दो राज्यों में हुए चुनाव, दिल्ली में कांग्रेस का सूपड़ासाफ, बिहार में मिली सत्ता गंवा दी
अगले साल 2015 में बिहार और दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए। दिल्ली में तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। 70 विधानसभा सीटों में से एक पर भी कांग्रेस नहीं जीत सकी। उसी साल बिहार में भी चुनाव हुए। कांग्रेस ने आरजेडी और जेडीयू के साथ गठबंधन कर 41 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसमें किसी तरह 27 सीटें तो जीत लीं, लेकिन महागठबंधन की सरकार चलाने का सलीका नहीं आया। कांग्रेस की हठधर्मिता के चलते जुलाई 2017 में नीतीश कुमार की जेडीयू ने गठबंधन तोड़ दिया और बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सशक्त सरकार बना ली।2016: पांच राज्यों में चुनाव, सिर्फ एक में मिली जीत और सत्ता
2016 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चुनाव हुए। असम और केरल में कांग्रेस की सरकार थी। चुनाव हुए तो कांग्रेस के हाथ से असम और केरल निकल गया। केवल छोटे-से पुडुचेरी में कांग्रेस की जीत हुई और सरकार बनी।

2017 : सात राज्यों में चुनाव, पंजाब में मिली जीत
2017 में 7 राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा, गुजरात और हिमाचल प्रदेश शामिल है। पीएम मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत का असर हुआ और कांग्रेस ने हिमाचल और मणिपुर में सत्ता गंवा दी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में पीएम मोदी के नेतृत्व के चलते बीजेपी को शानदार जीत मिली। गोवा में कांग्रेस आपसी गुटबाजी के चलते सरकार ही नहीं बना पाई। सिर्फ पंजाब में कांग्रेस जीत सकी।2018 : इस साल हुए 9 चुनाव, कांग्रेस दो राज्यों में सत्ता हासिल करने के बाद संभाल नहीं पाई
2018 में मार्च में त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में चुनाव हुए। कांग्रेस एक भी राज्य में नहीं जीत सकी। इसके बाद मई में कर्नाटक में चुनाव हुए, जहां जनता दल (सेक्युलर) के साथ मिलकर सरकार बनाई। लेकिन बगावत के कारण सालभर में ही सरकार गिर गई और बीजेपी सत्ता में आ गई। दिसंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव हुए। तेलंगाना छोड़कर तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन मध्य प्रदेश में 13 महीने में ही बगावत के कारण कांग्रेस की सरकार गिर गई।2019 : लोकप्रिय और प्रभावशाली नरेन्द्र मोदी को ज्यादा ताकत से दोबारा प्रधानमंत्री बनाया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन कल्याणकारी योजनाओं के चलते लोकप्रियता सातवें आसमान पर पहुंच गई। इसी साल लोकसभा के भी चुनाव हुए। देश की जनता ने उन्हें और ज्यादा ताकत देकर दोबारा प्रधानमंत्री बनाया। कांग्रेस 52 सीटें ही जीत सकी। लोकसभा के अलावा 7 राज्यों- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव हुए। 7 में से 5 में कांग्रेस नहीं जीत सकी। झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने सरकार को समर्थन दिया। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ तो महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई।

2020 : इस साल हुए दोनों विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बुरी तरह हारी
इस साल दिल्ली और बिहार में चुनाव हुए। लगातार दूसरी बार दिल्ली में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। हालात यह रहे कि 70 में से 63 सीटों पर तो कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत ही जब्त हो गई। बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया, लेकिन ये गठबंधन भी बुरी तरह हार गया।

2021 : पांच में से चार राज्यों में जनता ने कांग्रेस को बुरी तरह नकारा
इस साल पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए। चार राज्यों में कांग्रेस हार गई। बंगाल में तो पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। पुडुचेरी में जहां कांग्रेस सत्ता में थी, वहां से भी हार गई। तमिलनाडु में कांग्रेस ने द्रमुक समेत कई पार्टियों के साथ मिलकर में चुनाव लड़ा और 25 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, जिसमें से 18 जीतकर आए। तमिलनाडु में कांग्रेस सरकार में सहयोगी है।

2022 : पांच राज्यों में चुनाव पांचों में हारी कांग्रेस, चार में बीजेपी की डबल इंजन सरकारें
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रहा बीजेपी का विजय रथ इस साल भी पूरी स्पीड के साथ दौड़ा। जनता ने प्रधानमंत्री के आह्वान पर डबल इंजन की सरकारों पर भारी बहुमत के साथ जिताया और बताया की पीएम मोदी के नेतृत्व में उसे पूरा विश्वास है। इस साल उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए। 1985 के बाद पहली बार था जब कांग्रेस यूपी की सभी सीटों पर उतरी, लेकिन मात्र 2 सीटें ही जीत सकी। उसके कई प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा पाए। बाकी सभी राज्यों में भी कांग्रेस की हालत बेहद खराब ही रही। पंजाब में कांग्रेस अपनी सत्ता नहीं बचा सकी और 18 सीटों पर आकर सिमट गई। महाराष्ट्र में कांग्रेस का महाविकास अघाड़ी के साथ बेमेल गठबंधन भी टूट गया।

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