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चिदंबरम ने संसद में डिजिटल पेमेंट का उड़ाया था मजाक, संदेह जताया था-गांवों में कैसे होगा पेमेंट, अब चीन सीमा से लगते भारत के अंतिम गांव में भी हो रहा डिजिटल पेमेंट, यह नया भारत है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को डिजिटल बनाने का जो सपना देखा था, उसका लाभ वर्तमान में सीमा से सटे सुदूर गांव के लोग भी उठा रहे हैं। शुरुआत में इस योजना का मजाक उड़ाया गया था। इसकी सफलता पर संदेह व्यक्त किया गया था, लेकिन भारत की जनता ने अपना सामर्थ्य दिखा दिया। आज भारत में कैशलेस ट्रांजेक्शन का कल्चर बढ़ता जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान रुपये के ऑनलाइन लेनदेन और पेमेंट में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया अभियान को जबरदस्त कामयाबी मिली है। आज स्कूलों के बच्चे अब ऑनलाइन पढ़ाई मन लगाकर कर रहे हैं। इसी डिजिटल पद्धति से लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। युवा अपने गांव या कस्बे में रहकर ही गुरुग्राम, बेंगलुरू स्थित अपने आफिसों के लिए काम कर पा रहे हैं। यहां तक कि मोहल्ले की किराना दुकानों को भी वाट्सएप से लेकर पोर्टल तक से होम डिलीवरी के लिए जोड़ लिया गया है। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने संसद में डिजिटल पेमेंट का मजाक उड़ाते हुए कहा था “आप लोग गांव जाइये और 10 रूपये की सब्ज़ी खरीदिये, वहां बिना मशीन, वाई-फाई, इंटरनेट के कैसे पेमेंट कर पाओगे।” चिदंबरम ने क्या कहा था यह आप भी सुन लीजिए…

चिदंबरम को एक आम नागिरक ने इस तरह दिया जवाब

भारत की जनता के सामर्थ्य पर संदेह करने वाले चिदंबरम को देश के सीमांत गांव के लोग दे रहे हैं। ट्विटर यूजर ABHISHEK SEMWAL ने लिखा है- तस्वीरें हमारे उत्तराखंड के सीमान्त एवं ‘पहले गांव’ माणा से हैं। यहां इंटरनेट भी है और डिजिटल पेमेंट भी। यह नया भारत है।

मुट्ठी भर अभिजात वर्ग के लोगों ने गरीब लोगों और डिजिटल इंडिया की क्षमता पर संदेह जताया थाः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर 2022 को 5जी लॉन्चिंग के दौरान अपरोक्ष रूप से चिदंबरम पर कटाक्ष किया था। पीएम मोदी ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और देश के पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम का नाम लिए बगैर कहा कि मुट्ठी भर अभिजात वर्ग के लोगों ने गरीब लोगों और डिजिटल इंडिया की क्षमता पर संदेह किया और उनमें से एक ने संसद में भी अजीबोगरीब बातें कही। माना जा रहा है कि वे चिदंबरम के बारे में बोल रहे थे। चिदंबरम ने राज्यसभा में सरकार की डिजिटल इंडिया स्कीम पर सवाल खड़े किए थे। पीएम ने आगे कहा, ‘एक समय था जब कुछ एलीट क्लास (अभिजात वर्ग) के लोग हम पर सवाल उठाया करते थे। कुछ लोगों ने सदन में भी इधर-उधर की बातें की। वे सदन के भीतर भी डिजिटल इंडिया का मजाक उड़ाते दिखे। उनका मानना था कि गरीब लोगों में डिजिटल चीजों को समझने की क्षमता नहीं है। वे गरीब लोगों पर शक करते थे। उन्हें शक था कि गरीब लोग डिजिटल इंडिया का मतलब भी नहीं समझेंगे। लेकिन देश के आम आदमी की समझ में, उसकी अंतरात्मा में उसके जिज्ञासु मन में मुझे हमेशा से विश्वास रहा है।

डिजिटल पेमेंट की दुनिया में भारत बना नंबर वन

विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2025 तक भारत पूरी दुनिया में डिजिटल ट्रांजैक्शन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 71.7 फ़ीसदी तक कर लेगा। अब तक जितने भी डिजिटल रूप से ट्रांजैक्शन हुए हैं, उनमें ज्यादातर हिस्सा यूपीआई के माध्यम से हुआ है, जिसे मोदी सरकार ने साल 2016 में शुरू किया था।

सितंबर में UPI के जरिए 6.5 लाख करोड़ रुपए का हुआ लेनदेन, 365 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए

देश में डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI के जरिए सितंबर में 365 करोड़ ट्रांजैक्शन के जरिए 6.5 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ। ये यूपीआई ट्रांजैक्शन का नया रिकॉर्ड है। सितंबर लगातार तीसरा महीना है, जब UPI के जरिए 3 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि UPI के माध्यम से सितंबर में 365 करोड़ ट्रांजैक्शन के जरिए 6.5 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन हुए हैं। अगस्त की तुलना में ये ट्रांजैक्शन 3% और इसकी वैल्यू 2.35% ज्यादा रही। अगस्त महीने में UPI के जरिए 355 करोड़ ट्रांजैक्शन के जरिए 6.39 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था।

पीएम मोदी के कार्यकाल में हुआ बड़ा काम

2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो उसने देश में डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को तेजी से आगे बढ़ाने की ओर जोर दिया और कोशिश की कि यह समाज के सभी वर्गों तक अपनी पहुंच बना सके। इस कोशिश के परिणाम आश्चर्यजनक रूप से बेहतर दिखे, आज हर वर्ग के भारतीयों के लिए डिजिटल पेमेंट लेन-देन का सबसे लोकप्रिय तरीका है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका हमारे स्मार्टफोन ने निभाई, जिसके माध्यम से कोई भी इंसान कहीं भी डिजिटल भुगतान कर सकता है। इसके साथ ही मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 45 करोड़ से ज्यादा जनधन खाता खोलें, जिसने डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और मजबूत किया। आज डिजिटल पेमेंट के लिए यूपीआई, रुपे कार्ड जैसे मजबूत विकल्प मौजूद हैं। भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम होने का दावा करता है। 2020-21 के आंकड़े को देखें तो भारत ने डिजिटल पेमेंट के जरिए 5,554 करोड़ रुपए की लेनदेन की, जबकि 2021-22 के आंकड़े देखें तो यह बढ़कर 7,422 करोड़ रुपए हो जाते हैं।

विकसित देशों से भी आगे निकला भारत

भारत जितनी तेजी से डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को लेकर आगे बढ़ा है, उतनी तेजी से दुनिया के विकसित देश भी नहीं बढ़ पाए हैं। 2020 और 2021 में भारत ने चीन, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों को ऑनलाइन पेमेंट में पीछे छोड़ दिया। 2020 में भारत ने चीन के 25.4 बिलियन की तुलना में 25.5 बिलियन रियल टाइम डिजिटली ट्रांजैक्शन किया। 2021 में भारत ने 48.605 बिलियन रियल टाइम ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किया। यह चीन से 2.6 गुना ज्यादा अधिक था। 2021 के आंकड़े बताते हैं कि ग्लोबल रियल टाइम ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में 40 फ़ीसदी हिस्सा भारत का होता है।

7 साल में 11 लाख से 19 करोड़ हुए डिजिटल पेमेंट डिवाइस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया मिशन की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और पिछले सात वर्षों में Digital India के माध्यम से डिजिटल पेमेंट्स के लिए लोगों को सशक्त किया गया है। यही वजह है कि सात वर्ष पहले जब डिजिटल इंडिया की शुरुआत नहीं हुई थी तब देश में 11 लाख डिजिटल पेमेंट डिवाइस थे वहीं डिजिटल इंडिया की 2015 में शुरुआत के बाद से पिछले सात वर्षों में डिजिटल पेमेंट डिवाइस की संख्या बढ़कर 19 करोड़ हो गई। यह इस योजना की लोकप्रियता एवं सफलता को जाहिर करता है।

29 लाख स्ट्रीट वेंडर भीम-यूपीआई के जरिये डिजिटल पेमेंट से जुड़े

डिजिटल इंडिया मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि का परिचायक है और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन अब केवल सपना नहीं रह गया है बल्कि यह वास्तविकता में परिवर्तित हो रहा है। डिजिटल इंडिया ने जहां आर्थिक लेन-देन में पारदर्शिता लाई है वहीं 1.8 करोड़ से ज्यादा किसानों को अब रूपे किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये पैसे सीधे उनके खाते में पहुंच रहे हैं। pm svanidhi स्कीम के जरिये 29 लाख स्ट्रीट वेंडर भीम-यूपीआई के जरिये डिजिटल पेमेंट के लेन-देन में सक्षम हुए हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत बिना किसी मिनिमन बैलेंस के खाता धारकों को 31.8 करोड़ रूपे डेबिट कार्ड जारी किया गया है।

वित्त वर्ष 2022 में यूपीआई से 46 अरब ट्रांजेक्शन हुए

डिजिटल इंडिया के तहत देश में डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध होने से लोगों को काफी सहूलियत हुई है। लोगों की डिजिटल भुगतान को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। यही वजह है कि देश में यूपीआई (Unified Payments Interface) भुगतान में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2022 के जून माह में यूपीआई के कुल 586 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए इनमें 10,14,384 करोड़ रुपये राशि का भुगतान हुआ वहीं मई में यूपीआई के कुल 595 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए इनमें 10,41,506 करोड़ रुपये राशि का भुगतान रहा। वित्त वर्ष 2022 की ही बात करें तो यूपीआई से कुल 46 अरब ट्रांजेक्शन हुए हैं और इनकी भुगतान राशि 84.17 लाख करोड़ रुपये रही। बीते दो सालों में लोगों का रुझान डिजिटल भुगतान की ओर ज्यादा बढ़ा है। डिजिटल भुगतान आधारित यूपीआई पेमेंट करना आसान है। केवल कुछ क्लिक्स में पेमेंट का ये तरीका सुरक्षित भी है। पेमेंट चाहे छोटी हो या बड़ी यूपीआई पिन दर्ज करते ही सेकंड भर में पेमेंट हो जाती है।

डिजी लॉकर पर 11 करोड़ से अधिक यूजर्स जुड़ चुके

डिजिटल इंडिया का शानदार उदाहरण DigiLocker है। स्कूल सर्टिफिकेट से लेकर दूर जरूरी डॉक्युमेंट्स इसमें सुरक्षित रहते हैं। कोरोना काल में कई शहरों के स्कूल कॉलेज में इसी की मदद से वेरिफिकेशन किया गया। डिजी लॉकर में आप अपने सभी जरूरी दस्तावेज जैसे कि पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड आदि सुरक्षित कर सकते हैं। इसमें आप कई तरह के सरकारी प्रमाण पत्र आदि भी स्टोर कर सकते हैं। डिजी लॉकर पर अब तक 11 करोड़ से अधिक यूजर्स जुड़ चुके हैं। अब इसके तहत 5 अरब से ज्यादा दस्तावेज जारी किए जा चुके हैं। डिजी लॉकर एक वर्चुअल लॉकर होता है और इसमें अकाउंट बनाने के लिए आपके पास आधार कार्ड का होना जरूरी होता है। DigiLocker ऐप को Google Play Store से डाउनलोड किया जा सकता है।

डीबीटी के तहत किसानों के खाते में भेजे गए 6 लाख करोड़ रुपये

डीबीटी का पूरा नाम डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (Direct Benefit Transfer) है। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत डीबीटी शुरू होने से किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाली राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंच रही है। वित्त वर्ष 2021-22 में डीबीटी के जरिये किसानों के खाते में भेजी गई कुल राशि 6,30,264 करोड़ रुपये थी। किसानों को किसी भी योजना के तहत केंद्र सरकार से जो मदद मिलती है वो अब सीधे किसानों को खातों मे भेजे जाने से बिचौलियों का काम खत्म हो गया है। इस योजना से पहले केंद्र सरकार किसानों को मदद करने का जिम्मा सीधे न करके एजेंसी या संस्था को सौंपती थी जिससे किसानों मदद की आधी रकम ही पहुंच पाती थी लेकिन अब डीबीटी स्कीम शुरू होने से उन्हें मदद पूरी राशि उनके खाते में पहुंच रही है। सरकार की ओर से बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके द्वारा किसानों को अलग अलग प्रकार से मदद की जाती है। जैसे कि किसान सम्मान निधि, किसान फसल बीमा योजना आदि।

आधार से डिजिटल पहचान

आधार कार्ड की बात करें तो 2014 में 61 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड था वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 133 करोड़ हो गई। आधार आम नागरिकों को डिजिटल पहचान प्रदान कर रहा है और इससे आम जनता का सशक्तीकरण हुआ है। आधार कार्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी डिजिटल कॉपी भी उपलब्ध होती है जिसे UIDAI की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। ऐसी सुविधा किसी और पहचान पत्र के साथ नहीं है। दूसरी खासियत यह है कि डिजिटल कॉपी भी ऑरिजनल कार्ड की तरह सभी जगह पर मान्य होता है। डिजिटल इंडिया मुहिम के बाद भारत में मोबाइल फोन यूजर्स की संख्या भी काफी बढ़ी है। वर्ष 2014 में मोबाइल फोन यूजर्स की संख्या 91.5 करोड़ थी वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 117 करोड़ हो गई।

One Nation, One Card से बड़ी सुविधा मिली

One Nation, One Card, यानी देशभर में ट्रांसपोर्ट और दूसरी सुविधाओं के लिए पेमेंट का एक ही माध्यम होने से लोगों को बहुत बड़ी सुविधा मिली है। Fastag के आने से पूरे देश में ट्रांसपोर्ट आसान और सस्ता हुआ है एवं समय की भी बचत हो रही है। इसी तरह GST एवं eWay Bills की व्यवस्था से देश में व्यापार-कारोबार में सुविधा और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित हुई है। वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC ) अब पूरे देश में लागू हो चुका है। योजना के तहत, लाभार्थी देश में कहीं भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त कर सकते हैं। अगस्त 2019 में लॉन्च किया गया ONORC लगभग 24 करोड़ राशन कार्डों की पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करता है। खाद्य मंत्रालय के एक हाल के बयान के अनुसार, पोर्टेबिलिटी के जरिए लाभार्थियों तक 40,000 करोड़ रुपये का सब्सिडी वाला खाद्यान्न पहुंचाया गया।

GeM पोर्टल पर 46 लाख से अधिक विक्रेता

यह डिजिटल तकनीक का ही कमाल है कि गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस (GeM) पोर्टल के जरिए देश के कोने-कोने से लघु उद्यमियों, छोटे दुकानदारों ने अपना सामान सरकार को सीधे बेचा है। अभी तक इस पोर्टल पर 46 लाख से अधिक विक्रेता जुड़ चुके हैं। GeM पोर्टल पर 41 लाख प्रोडक्ट लिस्टेड हैं। वर्ष 2014 में बॉडबैंड यूजर्स की संख्या 2.59 करोड़ थी और डिजिटिल इंडिया शुरू होने से 2022 में यह संख्या बढ़कर 83.4 करोड़ हो गई। इसी तरह भारतनेट आप्टिकल फाइबर नेटवर्क जो 2014 में 258 किलोमीटर की थी वह 2022 में बढ़कर 5.67 लाख किलोमीटर हो गई।

डिजिटल इंडिया की शुरुआत

डिजिटल इंडिया को शुरू हुए अब 7 साल हो चुके हैं। इस मिशन को 1 जुलाई 2015 को लॉन्च किया गया था। Digital India के जरिए सरकार अपनी सर्विस सभी नागरिकों को डिजिटली पहुंचाना चाहती है। डिजिटल इंडिया का मतलब है भारतवासी के जीवन को सुलभ और सरल बनाना। गरीबों के अकाउंट खोल उनके बैंक अकाउंट में सीधे पैसे भेजने से बिचौलिए खत्म हो गए। डिजिटल इंडिया से बिजली बिल, पानी बिल, इनकम टैक्स भरना काफी आसान और तेज हुआ है। गरीबों को मिलने वाले राशन की डिलीवरी को आसान किया है। एक ही राशन कार्ड पूरे देश में मान्य है। दुनिया के सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग ऐप आरोग्य सेतु से कोरोना रोकने में मदद मिली है।

डिजिटल इंडिया के दस स्तंभ

डिजिटल इंडिया मिशन का लक्ष्य विकास क्षेत्रों के दस स्तंभों को आवश्यक बल प्रदान करना है। इसके 10 बिंदु निम्न हैं।

1. ब्रॉडबैंड हाईवे

2. मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुंच

3. सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम

4. ई-गवर्नेंस: प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार

5. ई-क्रांति – सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी

6. सभी के लिए सूचना

7. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण

8. नौकरियों के लिए आईटी

9. प्रारंभिक फसल कार्यक्रम

10. संबंधित संसाधन

4 साल में UPI ट्रांजैक्शन 1200 गुना बढ़ा

UPI की शुरुआत 2016 में हुई थी। पहले साल यानी 2016-17 में इसके जरिए कुल 1.8 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए। उस साल इन ट्रांजैक्शंस के जरिए 0.7 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ। वहीं बीते वित्तीय वर्ष में यानी 2020-21 में इसके जरिए कुल 2233.1 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए। उस साल इन ट्रांजैक्शंस के जरिए 41 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। यानी बीते 4 साल में ट्रांजैक्शन तो लगभग 1200 गुना बढ़े, लेकिन इनके द्वारा पैसों का लेन-देन यानी ट्रांजैक्शन वैल्यू सिर्फ 50 गुना बढ़ी है। ये दर्शाता है कि बीते सालों में छोटे ट्रांजैक्शंस की संख्या तेजी से बढ़ी है।

क्या है UPI सेवा?

वॉलेट सर्विस देने वाला हर ऐप UPI के जरिए लेनदेन की डायरेक्ट सुविधा देता है। यानी अगर आप चाहें तो वॉलेट से भी लेनदेन कर सकते हैं और UPI से भी। भारत में ई-पेमेंट के लिए वॉलेट सेवाएं भी उपलब्ध हैं। पूरे देश में जितना ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसका 50% से भी बड़ा हिस्सा वॉलेट ऐप का है। रिटेल पेमेंट में यह आंकड़ा 85% से भी ऊपर का है।

UPI कैसे काम करता है?

UPI की सेवा लेने के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है। इसके बाद इसे आपको अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होता है। वर्चुअल पेमेंट एड्रेस आपका वित्तीय पता बन जाता है। इसके बाद आपका बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या IFSC कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती। पेमेंट करने वाला बस आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से पेमेंट रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है और वह पेमेंट आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है। अगर, आपके पास उसका UPI आईडी (ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर या आधार नंबर) है तो आप अपने स्‍मार्टफोन के जरिए आसानी से पैसा भेज सकते हैं। न सिर्फ पैसा बल्कि यूटिलिटी बिल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, खरीदारी आदि के लिए नेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी जरूरत नहीं होगी। ये सभी काम आप यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम से कर सकते हैं।

UPI से जुड़ी खास बातें

1. UPI सिस्‍टम रियल टाइम फंड ट्रांसफर करता है।

2. किसी को पैसा भेजने के लिए आपको सिर्फ उसके UPI आईडी (एक वर्चुअल आइडेंटिटी जैसे ई-मेल एड्रेस, मोबाइल नंबर, आधार नंबर) की जरूरत होगी।

3. UPI आईडी होने से आपको फंड ट्रांसफर करने के लिए लाभार्थी का नाम, अकाउंट नंबर, बैंक आदि की जानकारी लेने की जरूरत नहीं होगी।
UPI को IMPS के मॉडल पर डेवलप किया गया है। इसलिए इस ऐप से आप 24*7 बैंकिंग कर सकते हैं।

4. UPI से ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए ओटीपी, सीवीवी कोड, कार्ड नंबर, एक्‍सपायरी डेट आदि की जरूरत नहीं होगी।

5. यह सुरक्षित बैंकिंग माध्‍यम है।

चिदंबरम को मुंह चिढ़ाते सुदूर गांवों में किस तरह डिजिटल पेमेंट का उपयोग किया जा रहा है आप भी देखिए…

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