कांग्रेस में शुरू से वंशवादी राजनीति हावी रही है। कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। कांग्रेस पार्टी में सिर्फ गांधी परिवार की ही चलती है। कांग्रेस पार्टी में हर बड़ा फैसला गांधी परिवार के सदस्य ही लेते हैं।
आइए आपको बताते हैं कि किस तरह देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर आजादी के बाद से ही नेहरू-गांधी परिवार का कब्जा रहा है।
आजादी के 70 साल, 53 साल तक शीर्ष पद पर कब्जा
ये हेडर चौंकाने वाला है। लेकिन कांग्रेस और नेहरू परिवार की यही सच्चाई है। अगर कांग्रेस और प्रधानमंत्री पद के लिए नेहरू परिवार की समय सीमा निकालें तो आजादी के 70 साल में 53 साल तक इस परिवार का किसी न किसी या फिर दोनों पदों पर एक साथ कब्जा रहा है।
नेहरू परिवार ने कांग्रेस को जागीर बनाई
हमने आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, फिर उनके बेटे राजीव गांधी, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी के कार्यकाल का आकलन किया है। आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि किस प्रकार तिलक से लेकर गांधी की पार्टी को एक परिवार ने अपनी जागीर बना ली। कई बार तो ऐसा वक्त भी आया जब नेहरू तक ने प्रधानमंत्री के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष के पद पर भी अपना कब्जा जमा लिया।
कांग्रेस और भाजपा के 19 वर्षों की तुलना
19 वर्षों में जहां कांग्रेस इंदिरा गांधी की विदेशी बहू सोनिया गांधी के अलावा किसी को नहीं ढूंढ पाई। 1998 के बाद से लगातार सोनिया गांधी निर्विरोध तरीके से कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनी रहीं। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पिछले 19 वर्षों में भाजपा के 9 अध्यक्ष बन चुके हैं। कांग्रेस में जहां आंतरिक लोकतंत्र कहीं दिखाई नहीं देता वहीं भाजपा में हर दो तीन साल में लोकतांत्रिक तरीके से अध्यक्ष बदला जाता रहा है। नीचे दिए गए आंकड़े इसे समझने के लिए काफी हैं।
इन आंकड़ों से साफ है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी में किस तरह एक ही परिवार का कब्जा है, अब सवाल यह उठता है कि पूरी दुनिया में अपने गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपरा की पहचान बनाने वाले भारत देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में आखिर आंतरिक लोकतंत्र क्यों नहीं है ? आखिर क्यों कांग्रेस पार्टी वंशवाद और परिवारवाद से बाहर निकल कर आम कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं देती?
देश आजाद हुआ या नेहरू-गांधी परिवार का गुलाम बना
नेहरू-गांधी परिवार की स्थिति भारतीय लोकतंत्र का मजाक उड़ाने के लिए काफी है। आजादी के बाद से ही देश की सत्ता और कांग्रेस पार्टी पर इस परिवार का कब्जा रहा है। 69 साल में 48 साल तक इस परिवार ने राज किया, 38 साल सीधे-सीधे और 10 साल तक मनमोहन सरकार की डुगडुगी अपने पास रखी।
परिवार की लगातार तीन पीढ़ियां – जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री के पद पर काबिज रहे। जबकि यूपीए सरकार के समय भी सत्ता की कमान सीधे-सीधे राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी के पास रहीं। कांग्रेस की बुरी हार के बाद भी राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा राजीव गांधी के भाई संजय गांधी हों या राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा, कांग्रेस पार्टी के भीतर इनके कद का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर वाड्रा पर आरोप भी लगते हैं तो पूरी कांग्रेस पार्टी विधवा विलाप करने लग जाती हैं।
गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर चल रही है 600 से ज्यादा सरकारी योजनाएं
एक आरटीआई के जवाब में मिली सूचना के मुताबिक देशभर मं जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर 600 से ज्यादा योजना, संस्थान, स्थल, म्यूजियम, ट्रॉफी या स्कॉलरशिप हैं। इनके नाम से मोदी सरकार के साढ़े 4 साल और विभिन्न राज्यों की बीजेपी सरकारों के दौर में भी कोई छेड़छाड़ नहीं की गई हैं।
आइये एक नजर डालते हैं नेहरू-गांधी खानदान के नाम पर चल रही योजनाओं पर एक नजर
केंद्र की योजनाएं
राजीव गांधी | 16 |
इंदिरा गांधी | 8 |
जवाहर लाल नेहरू | 4 |
कुल | 28 |
राज्य सरकार की योजनाएं
राजीव गांधी | 25 |
इंदिरा गांधी | 27 |
कुल | 52 |
खेल टूर्नामेंट/ट्रॉफी
राजीव गांधी | 23 |
इंदिरा गांधी | 4 |
जवाहर लाल नेहरू | 2 |
कुल | 29 |
शैक्षणिक संस्थान/यूनिवर्सिटी
राजीव गांधी | 55 |
इंदिरा गांधी | 21 |
जवाहर लाल नेहरू | 22 |
कुल | 98 |
सड़क/भवन/स्मारक | 74 |
अवॉर्ड | 51 |
चिकित्सा संस्थान/अस्पताल | 39 |
संस्थान/चेयर/फेस्टिवल | 37 |
स्कॉलरशिप | 15 |
नेशनल पार्क/म्यूजियम | 15 |
एयरपोर्ट/बंदरगाह | 5 |