छत्तीसगढ़ में करोड़ों के घोटाले होना कांग्रेस राज में कोई नई बात नहीं है। कोयले से लेकर गोबर तक में सरकार के हाथ करप्शन से सने हुए हैं। लेकिन भ्रष्टाचार का नया मामला घोटालों की सरकार के मुखिया को लेकर ही सामने आया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने खुलासा किया है कि महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रोमोटर्स ने सीएम भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये दिए हैं। ईडी का कहना है कि मामले की जांच अभी जारी है। भ्रष्टाचार के तार दुबई तक से जुड़ गए हैं। दरअसल, छत्तीसगढ़ के भिलाई से आने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक एप के मेन प्रमोटर हैं। ये अपनी गतिविधियां दुबई से संचालित करते हैं। इससे पहले ईडी ने राज्य में 5.39 करोड़ रुपये जब्त किए और दावा किया कि उसने पैसे का लेन-देन करने वाले एक व्यक्ति का बयान दर्ज किया है। उसने आरोप लगाया है कि महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रमोटर्स छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अब तक 508 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव के चलते करोड़ों के इस भ्रष्टाचार का मामला गरमा गया है। पीएम मोदी समेत बीजेपी नेता कह रहे हैं कि भूपेश बघेल सरकार ने तो महादेव तक को नहीं छोड़ा है।
गिरफ्तार असीम दास ने पूछताछ में मुख्यमंत्री को पैसा पहुंचाने की बात कबूली
महादेव बेटिंग एप से जुड़ा घोटाला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। अगस्त 2022 से मामले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय अब बड़ा दावा किया है। एजेंसी ने आरोप लगाया कि महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी एप के प्रमोटरों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये दिए जाने की जांच हो रही है। ईडी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए असीम दास ने पूछताछ में मुख्यमंत्री को पैसा दिए जाने की बात कही है। ईडी चुनाव वाले राज्य छत्तीसगढ़ में पैसे का लेन-देन करने वाले असीम दास के पास से 5.39 करोड़ रुपये बरामद करने के बाद उसे गिरफ्तार कर चुकी है। असीम दास वो एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसने महादेव एप के भ्रष्टाचार से सीधे सीएम भूपेश बघेल को जोड़ा है।रणबीर कपूर और कपिल शर्मा जैसी कई हस्तियों को भी ईडी ने किया तलब
दरअसल, इस ऑनलाइन सट्टेबाजी एप महादेव बेटिंग के मेन प्रमोटर छत्तीसगढ़ के सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल हैं। ईडी ने अपनी प्रेस रिलीज में दावा किया कि एप प्रमोटर्स ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इससे पहले महादेव बेटिंग एप तब भी चर्चा में आया था जब एजेंसी ने रणबीर कपूर, कपिल शर्मा जैसे बॉलीवुड से जुड़ी कई हस्तियों को तलब किया था। इन सभी पर महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोटरों से पैसे लेने का आरोप लगाया गया है। ये हस्तियां प्रमोटरों से पैसा लेकर सट्टेबाजी एप का प्रमोशन करती हैं, जिससे उनके भोले-भाले फैन इस एप के चक्कर में फंसकर अपनी खून-पसीने की कमाई को गंवा बैठते हैं और एप प्रमोटरों के करोड़ों के वारे-न्यारे होते रहते हैं। इसी अंधी कमाई में से कांग्रेस सरकार के सीएम बघेल को भी करोड़ों रुपये मिले हैं।दुबई में बैठे सट्टेबाजी ऐप के आरोपियों से सीएम बघेल के क्या संबंध हैं?
सट्टेबाजी के धंधे में सीएम भूपेश बघेल को करोड़ों मिलने के बाद विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा बनना ही था। छत्तीसगढ़ सरकार तो वैसे भी कई घोटालों के चलते जनता के निशाने पर है। अब दुर्ग में पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी प्रवर्तन निदेशालय के छापों को लेकर राज्य सरकार को घेरा और कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राज्य की जनता को बताना चाहिए कि दुबई में बैठे घोटाले (महादेव सट्टेबाजी ऐप) के आरोपियों के साथ उनके क्या संबंध हैं? उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार आपको (छत्तीसगढ़ को) लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। इन्होंने तो महादेव (महादेव सट्टेबाजी ऐप को लेकर) के नाम को भी नहीं छोड़ा है। दो दिन पहले ही रायपुर में बहुत बड़ी कार्रवाई हुई है। वहां रुपयों का बहुत बड़ा ढेर मिला है।” लोग कह रहे हैं कि यह पैसा सट्टेबाजों का है, जुआ खेलने वालों का है, जो छत्तीसगढ़ के गरीबों को, छत्तीसगढ़ के नौजवानों को लूट कर जमा किया गया और लूट के इसी पैसे से कांग्रेस नेता अपना घर भर रहे हैं।
दुबई से छत्तीसगढ़ तक फैले इस काले धंधे पर सहज ही सवाल उठते हैं कि आखिर महादेव बेटिंग एप क्या है? इसके जरिए हुआ फर्जीवाड़ा क्या है? घोटाले में सीएम भूपेश बघेल का नाम कैसे आया? आइये जानते हैं…
ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बना है महादेव बेटिंग एप
महादेव बेटिंग एप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया एप है। यह यूजर्स के लिए पोकर, कार्ड गेम्स, चांस गेम्स नाम से लाइव गेम खेलने के लिए मंच है। इसके साथ ही एप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों और चुनावों में अवैध सट्टेबाजी भी की जाती थी। ईडी ने एक बयान में बताया कि महादेव एप का प्रमोटर कई तरह की वेबसाइट और चैट एप्स पर कई तरह के ग्रुप चलाता है। इसके प्रमोटर अपनी वेबसाइट पर लोगों के कांटैक्ट नंबर का विज्ञापन चलाते हैं और लोगों को फायदा कमाने के लिए गेम खेलने का प्रलोभन देते हैं। ऐसे नंबरों को केवल व्हाट्सप्प पर ही संपर्क किया जा सकता है। एक बार जब यूजर इस नंबर से संपर्क करता है, तो उसे दो अलग नंबर दिए जाते हैं। एक कांटेक्ट नंबर पैसे जमा करने और सट्टा खेलने वालों को यूजर्स आईडी में मिलने वाले पॉइंट्स के लिए होता है। वहीं दूसरा नंबर जुटाए गए पॉइंट्स को भुनाने के लिए वेवसाइट से जुड़ने के लिए होता है। आम तौर पर आईडी सट्टेबाजों की पसंद के अनुसार laserbook247.com, www.betbhai.com, www.cricketbet9.com जैसी वेबसाइट में बनाया जाती हैं।यूजर को अंधेरे में रख ऐसे किया जाता है गेम और सट्टेबाजी में घपला
पैसे जुटाने, यूजर आईडी बनाने, ग्राहकों को यूजर आईडी क्रेडेंशियल्स देने और पैसे बांटने जैसे कई काम ब्रांच के मालिकों द्वारा किया जाते हैं। इन ब्रांच मालिकों को पैनल कहा जाता है। ध्यान देने वाली बात है कि ये गेम यूजर को अंधेरे में रखकर उन्हें खिलाए जाते थे। इसका मतलब यह है कि यूजर को केवल शुरुआत में ही फायदा होता था लेकिन बाद में वो पैसे खोते ही थे। ईडी ने एक बयान में कहा कि बेटिंग एप कई शाखाओं द्वारा चलाया जाता था। इन शाखाओं को सौरभ और रवि एक छोटे फ्रैंचाइजी के रूप में बेचते थे और इनसे होने वाला फायदे का 80 फीसदी खुद के पास रख लेते थे। सामान्य तौर पर एक पैनल में मालिक और चार कर्मी होते थे और एक व्यक्ति एक से ज्यादा पैनल का मालिक हो सकता है।
इन पैनलों का संचालन दुबई स्थित मुख्यालय से करते थे सट्टेबाज
प्रवर्तन निदेशालय की पड़ताल के मुताबिक इन पैनलों का संचालन दुबई स्थित मुख्यालय (हेड ऑफिस या एचओ) से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल किया करते थे। मुख्यालय पैनल मालिक के लिए ‘प्रोफाइल’ बनाता है जो आगे खिलाड़ियों और सट्टेबाजों की यूजर प्रोफाइल बना सकता है। खिलाड़ियों को बेनामी खातों में पैसा जमा करना होता है जो उन्हें ऑनलाइन शेयर किए जाते थे। फिर एचओ द्वारा यूजर को पैनल सौंपा जाता है। एजेंसी ने बताया कि बेनामी बैंक खातों का उपयोग करके भी भुगतान किया जाता है। ये बैंक खाते या तो धोखाधड़ी से खोले गए हैं या कमीशन के लिए ऋण दिए गए हैं।
फाइल फोटो
20 प्रतिशत रकम बैंकिंग चैनल या हवाला के जरिए पहुंचाई जाती थी
दुबई स्थित मुख्यालय द्वारा साप्ताहिक शीट पैनल मालिकों के साथ साझा की जाती है जिसमें सभी कुल लाभ या कुल हानि के आंकड़े शामिल होते हैं। जो भी मुनाफा हो उसका 20 प्रतिशत हिस्सा पैनल संचालक का होता है और यह रकम या तो बैंकिंग चैनल के जरिए या हवाला के जरिए पैनल मालिकों तक पहुंचाई जाती है। बाकी बचा मुनाफा मुख्यालय का हो जाता है। इसी बीच में यूजर से साथ खेल कर दिया जाता था। दरअसल बैंक खाते और व्हाट्सएप नंबर बार-बार बदल दिए जाते हैं। अगर एफआईआर दर्ज भी होती है तो आम तौर पर केवल छोटे स्तर के सट्टेबाजों या पैनल ऑपरेटरों को ही गिरफ्तार किया जाता है। वहीं विदेश में बैठे मुख्य आरोपी भारतीय एजेंसियों की पहुंच से बाहर हैं।
दुबई से चलने वाले महादेव एप का जाल छत्तीसगढ़ में ऐसे फैला
अवैध गतिविधियों के लिए प्रमोटरों और पैनल ऑपरेटरों द्वारा संदिग्ध लोगों के नाम पर बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले गए। ईडी के मुताबिक, सबसे ज्यादा बैंक खाते छत्तीसगढ़ में ही खुले। खिलाड़ियों और पैनल ऑपरेटरों की सहायता के लिए ‘एचओ’ द्वारा विदेशों से कई कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं। एजेंसी ने दावा किया कि भिलाई के युवा बड़ी संख्या में दुबई पहुंचे और बैक-एंड ऑपरेशन चलाना सीखने के बाद भारत वापस आकर अपने स्वयं के पैनल खोलने लगे। ईडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस का एएसआई चंद्र भूषण वर्मा राज्य में ग्राउंड पर मुख्य संपर्ककर्ता के रूप में काम कर रहा था। वह सतीश चंद्राकर नाम के एक व्यक्ति के साथ दुबई स्थित महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटरों से हवाला के जरिए हर महीने मोटी कमाई कर रहा था।एएसआई वर्मा ने पुलिस अधिकारियों और नेताओं तक रिश्वत पहुंचाई
ईडी की जांच में यह जबरदस्त खुलासा हुआ है कि आगे इस पैसे को एएसआई चंद्र भूषण वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े नेताओं को ‘संरक्षण राशि’ के रूप में वितरित कर रहा था। ईडी ने बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को लगभग 65 करोड़ नकद राशि मिली थी और उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत दी थी। एएसआई वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वह कई शक्तिशाली लोगों के लिए बड़ी मासिक रिश्वत ले रहा था और भुगतान कर रहा था। इस तरह से महादेव बुक ऑनलाइन बेटिंग एप सिंडिकेट की जांच कर रही ईडी ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही एजेंसी ने घोटाले से कमाई गई 450 करोड़ रुपये से अधिक राशि जब्त कर ली है और 14 आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए हैं।
चुनावी खर्च की वसूली के लिए घोटाले में आया सीएम भूपेश नाम
महादेव एप घोटाले में शुक्रवार को केंद्रीय एजेंसी ने बड़ा दावा किया। ईडी ने कहा कि 2 नवंबर को उसे खुफिया जानकारी मिली कि 7 और 17 नवंबर 2023 को होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के संबंध में महादेव एप के प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में नकदी ले जाई जा रही है। ईडी के मुताबिक, उसकी एक टीम ने होटल ट्राइटन और भिलाई में एक अन्य स्थान पर तलाशी ली और एक कैश कूरियर असीम दास को पकड़ा, जिसे विशेष रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के चुनावी खर्चों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने के लिए यूएई से भेजा गया था। ईडी ने 5.39 करोड़ रुपये की नकद राशि असीम की कार और उनके आवास से बरामद किए। पूछताछ में असीम दास ने स्वीकार किया है कि जब्त की गई धनराशि महादेव एप प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में आगामी चुनाव खर्चों के लिए बड़े नेता ‘बघेल’ को देने की व्यवस्था की गई थी। ईडी ने महादेव एप के कुछ बेनामी बैंक खातों का भी पता लगाया है जिनमें 15.59 करोड़ रुपये की शेष राशि फ्रीज कर दी गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हुआ लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान
ईडी ने असीम दास को गिरफ्तार कर लिया है। असीम दास से पूछताछ और उसके पास से बरामद फोन की फोरेंसिक जांच और महादेव नेटवर्क से जुड़े अहम व्यक्ति और घोटाले के आरोपियों में से एक शुभम सोनी द्वारा भेजे गए ईमेल की जांच से कई चौंकाने वाले आरोप सामने आए हैं। ईडी ने अपनी आधिकारिक प्रेस रिलीज में दावा किया कि अब तक महादेव एप प्रमोटर्स द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। ईडी ने यह भी कहा कि ये जांच का विषय है और आगे की जांच के दौरान उसने पुलिस कांस्टेबल भीम यादव से भी पूछताछ की और उसे गिरफ्तार कर लिया। भीम ने एप के निर्माता और प्रमुख प्रमोटर रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर से मुलाकात की थी। ईडी ने कहा कि दोनों प्रमोटर्स को पीएमएलए विशेष न्यायाधीश रायपुर के समक्ष पेश किया गया। एजेंसी ने उनके चौंकाने वाले बयान की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का पता लगाने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग की। न्यायालय ने उन्हें 7 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है।