Home विचार कांग्रेस राज में ‘व्यापार’ और ‘व्यापारी’ गाली माने जाते थे

कांग्रेस राज में ‘व्यापार’ और ‘व्यापारी’ गाली माने जाते थे

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बीसवीं शताब्दी के शुरुआती सालों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने महात्मा गांधी को ‘अर्द्धनग्न फकीर ‘कहा तो सबको आश्चर्य हुआ था। लेकिन, इससे भी बड़ा आश्चर्य ये था कि महात्मा गांधी जैसा फकीर देश के सबसे अमीर व्यापारी घनश्याम दास बिड़ला के दिल्ली स्थित भवन में रहते थे।

एक फकीर, एक अमीर व्यापारी के घर मे कैसे रह सकता है?

लेकिन महात्मा गांधी, घनश्याम दास बिड़ला के भवन रहे, क्योंकि महात्मा की नीयत साफ थी और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में हर भारतीय की भूमिका के महत्व का बोध था।महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद, कांग्रेस में जवाहर लाल नेहरु के समाजवाद की छाया विशाल होने लगी, जिसमें देश के निर्माण में ‘राज्य’ की भूमिका को अधिक महत्त्व दिया गया और व्यापार एवं व्यापारी की भूमिका का कोई महत्त्व नहीं रहा। समाजवाद के इस वातावरण ने धीरे-धीरे भारतीय जन मानस में व्यापार और व्यापारी के सम्मान को घटाकर, तिरस्कार के भाव में बदल दिया। कोटा परमिट वाले कांग्रेसी समाजवाद ने परदे के पीछे व्यापारियों का जमकर दोहन किया, लेकिन परदे के आगे गाली देते रहे। आइये, कांग्रेस का व्यापारियों के प्रति इस दोहरे चरित्र को समझते हैं-

कांग्रेस का ‘कोटा परमिट’ राज
स्वतंत्रता आंदोलन के यज्ञ में भारत मां का हर बेटा अपनी अपनी शक्ति और समझ के अनुसार आहुति दे रहा था। किसान से लेकर व्यापारी, सभी महात्मा गांधी के पीछे खड़े थे। ईश्वरीय सत्ता में विश्वास रखने वाले महात्मा गांधी इस आंदोलन में सबकी भूमिका को महत्वपूर्ण मानते थे और सबको सम्मान देते थे। उनका किसी से किसी भी प्रकार के लेन-देन का रिश्ता नहीं था। वह सिर्फ और सिर्फ देश के निर्माण में जुटे हुए थे। लेकिन, आजादी के बाद, जवाहर लाल नेहरु के प्रधानमंत्री पद संभालते ही देश में व्यापार और व्यापारियों का देश के निर्माण में भूमिका ‘राज्य’ के सामने कम हो गई। इन परिस्थितियों में व्यापार स्थापित करने के लिए ‘राज्य’ से इजाजत आवश्यक बन गया। आजादी के बाद, कांग्रेस ही एकमात्र राजनीतिक पार्टी थी, जो शासन में रही, जिससे कोटा परमिट लेने के लिए व्यापारियों ने धन के बल पर कांग्रेसी नेताओं से व्यक्तिगत सबंध बनाया। इस कोटा परमिट के बदले कांग्रेस पार्टी को चुनाव के लिए परदे के पीछे खूब धन मिला।

कांग्रेस का ‘ब्रीफकेस’ राज 
कोटा परमिट के बदले में कांग्रेस पार्टी के फंड में दान करने का सिलसिला 60 के दशक के अंतिम सालों तक चला। जब इंदिरा गांधी का कांग्रेस में वर्चस्व बढ़ा तो व्यापार बनाने और बढ़ाने के लिए ब्रीफकेस का दौर आया। इंदिरा गांधी के समाजवाद में गरीबों को मरहम लगाने के लिए अमीरों को गालियां दी जाने लगीं, यह समझाया जाने लगा कि अमीर, गरीबों का हक छीनकर अमीर बनते हैं। इस दौर में व्यापार और व्यापारी एक गाली बन गई। समाजवाद के इस माहौल में व्यापारिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए कांग्रेस ने परदे के पीछे व्यापारियों से पार्टी फंड के लिए ‘ब्रीफकेस’ लिए।

कांग्रेस का ‘आर्थिक सुधारों’ का राज
देश की बढ़ती हुई आबादी में गरीबों की बढ़ती संख्या को रोटी, कपड़ा, मकान देने में कांग्रेस का समाजवाद विफल साबित होता गया और स्थिति यहां तक पहुंच गई कि देश को अनाज की जरूरत पूरी करने के लिए लंदन में सोना गिरवी रखना पड़ा। इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए आखिरकार कांग्रेस को मजबूरी में आर्थिक सुधारों की शुरुआत करनी पड़ी। समाजवाद के डीएनए से बनी कांग्रेस ने आर्थिक सुधारों के हाईवे पर डर-डर के चलना शुरु किया। इसका परिणाम हुआ कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को व्यापारियों के हाथों में देने में घोटाला हुआ। 2004-2014 का कालखंड, कोयला घोटाला, जमीन घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, अनाज घोटाला इत्यादि का दौर रहा । इस दौर में भी कांग्रेस व्यापारियों को परदे के आगे समाजवाद के नाम पर गाली देती थी और परदे के पीछे पार्टी फंड में धन दान में लेकर घोटाले करती रही। 2014 में परेशान होकर, देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को पूर्ण बहुमत से देश का प्रधानमंत्री बना दिया।

प्रधानमंत्री मोदी का’ सुशासन राज
26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री का पद संभलाने के बाद से ही श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में हर काम को नियमों पर आधारित करने का बीड़ा उठाया। आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया को तेज किया। हर क्षेत्र में पारदर्शिता और जवादेही को स्थापित करने के लिए डिजिटल इंडिया का भरपूर उपयोग किया। चार सालों के सुधारों का परिणाम हुआ कि सभी व्यापार और व्यापारी के लिए समान और पारदर्शी नियम व प्रक्रियाएं बनीं। प्रधानमंत्री मोदी देश के विकास के निर्माण कार्य में जवान, किसान, छात्र और व्यापारी, सभी की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं और सबका बराबर सम्मान करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की नीयत, देश को विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाने की है, जिसे पिछले सत्तर साल के कांग्रेस राज ने बिगाड़ के रख दिया है। प्रधानमंत्री मोदी देश के विकास यज्ञ में व्यापारी की आहुति को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानते हैं, जितनी महत्वपूर्ण आहुति किसान, जवान और छात्रों की है।

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