प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। मोदी राज में एम्स के निर्माण, मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सीटें बढ़ाने, आयुष्मान भारत योजना, जनऔषधि केंद्र खोलने जैसे तमाम कदम उठाए गए। केंद्रीय बजट 2023-24 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 89,155 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो 2022-23 में आवंटित की गई 79,145 करोड़ रुपये की राशि की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक है। आइए एक नजर डालते हैं किस तरह मोदी सरकार ने बजट 2023 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेहतमंद और आत्मनिर्भर भारत बनाने पर जोर दिया है।
नये नर्सिंग कॉलेज
अमृतकाल के विजन के अनुरूप वित्त मंत्री ने 2014 के बाद से स्थापित 157 मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ 157 नये नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना की घोषणा की।
सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू
निर्मला सीतारमण ने सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के शुभारंभ की भी घोषणा की जिसमें प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में जागरूकता सृजन, 40 वर्ष के आयुवर्ग के 7 करोड़ लोगों की युनिवर्सल स्क्रीनिंग और सरकारों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से काउंसलिंग का कार्य किया जाएगा।
आईसीएमआर प्रयोगशालाओं की उपलब्धता
वित्त मंत्री ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए चुनिन्दा आईसीएमआर प्रयोगशालाओं की सुविधाएं सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज संकाय तथा निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास दलों को अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराई जाएगीं।
फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान एवं नवाचार
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए उत्कृष्टता केन्द्रों के माध्यम से एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम विशिष्ट प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में अनुसंधान तथा विकास में निवेश के लिए उद्योगों को भी प्रोत्साहित करेंगे।”
चिकित्सा उपकरणों के लिए बहुविषयक पाठ्यक्रम
चिकित्सा क्षेत्र में चिकित्सा प्रौद्योगिकियों और उच्च स्तरीय विनिर्माण के महत्त्व को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा संस्थानों में चिकित्सा उपकरणों के लिए पूर्ण समर्पित बहुविषयक पाठ्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे चिकित्सा प्रौद्योगिकियों, उच्च स्तरीय विनिर्माण और अनुसंधान के लिए कार्य बल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
आइए एक नजर डालते हैं स्वास्थ्य क्षेत्र में किस तरह मोदी सरकार के आठ साल के प्रयास पिछले 70 साल के प्रयासों पर भारी पड़ रहे हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ में अब तक 20.86 करोड़ से अधिक कार्ड जारी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएम-जेवाई) की शुरुआत की थी। अब यह योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत 1 दिसंबर, 2022 तक 20.86 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए गए हैं। देश में अब तक 4.17 करोड़ से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।
प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज
‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ के चार साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 23 सितंबर, 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज 10.74 करोड़ से भी अधिक गरीब और वंचित परिवारों (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को) मुहैया कराना जो भारतीय आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट mera.pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 और टोल फ्री नंबर 1800-111-565 जारी किया जा चुका है। इसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।
योजना का लाभ लेने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं
आयुष्मान भारत योजना ने लिंग समानता को बढ़ावा देने में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक अध्ययन के अनुसार इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। अध्ययन के मुताबिक, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, केरल और मेघालय में आयुष्मान कार्डधारक महिलाओं की संख्या पुरुष कार्डधारकों से अधिक है। इस योजना से करीब 27,300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसे medical procedures शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। महिलाएं सिर्फ इस योजना की लाभार्थी ही नहीं हैं बल्कि इस योजना के क्रियान्वयन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ग्रामीण भारत में आशा वर्कर और अस्पतालों में आरोग्य मित्र से लेकर राज्य की कई हेल्थ एजेंसियों की प्रमुख के तौर पर भी महिलाएं इस योजना के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभा रही हैं।
‘आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन’ लॉन्च
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 अक्तूबर, 2021 को ‘आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन’ की शुरूआत की। हेल्थ सेक्टर की इस योजना पर 64,000 करोड़ का खर्च आएगा। इससे 29,000 हेल्थ और वेलनेस सेंटरों को सहायता मिलेगी। जिला स्तर पर ICU, VENTILATOR, OXYGEN आदि की सुविधा के साथ Critical Care Hospital में 37000 बेड्स विकसित किए जाएंगे। ब्लॉक स्तर पर 4000 से अधिक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स और लैब बनाए जाएंगे। देश में 4 National Institute of virology की स्थापना के साथ नए नेशनल डिजीज सेंटर यानि (NCDC) भी बनाए जाएंगे।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM)
मोदी सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में 26 फरवरी, 2022 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) को 1600 करोड़ रुपये के बजट के साथ पांच वर्ष के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करने को मंजूरी दी थी। आज ABDM देश भर में डिजिटल हेल्थकेयर इकोसिस्टम को मजबूत करके लोगों के जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश में अब तक 23.08 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) बनाए गए हैं। इस मिशन ने स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एचएफआर) में पंजीकृत 1.14 लाख स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वास्थ्य सेवा पेशेवर रजिस्ट्री (एचपीआर) के तहत 33,000 स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, 6.6 लाख आभा एप डाउनलोड होने और व्यक्तियों के आभा से जुड़े 3.4 लाख स्वास्थ्य रिकॉर्ड दर्ज करने के साथ महत्वपूर्ण प्रगति की है।
नए और पुराने स्वास्थ्य रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण संभव
अब पहले से अधिक व्यक्तियों के साथ स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स (चिकित्सा सहायक) और स्वास्थ्य सुविधाएं यानी अस्पताल, नर्सिंग होम, कल्याण केंद्र, क्लीनिक, डायग्नोस्टिक लैब, एबीडीएम में शामिल होने वाली फार्मेसियां, उनके निर्माण स्थल पर स्वास्थ्य रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण संभव है। पुराने स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए व्यक्ति अपने रिकॉर्ड को स्कैन करने और इसे सुरक्षित रखने के लिए आभा एप या किसी अन्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (पीएचआर) एप का उपयोग कर सकते हैं। इन डिजिटल रिकॉर्ड को उनके आभा से जोड़कर व्यक्ति डिजिटल रूप से पेशेवरों व सेवाओं से जुड़ने में सक्षम होंगे और भौगोलिक दूरी के बावजूद गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।
अस्पतालों की प्रक्रियाएं सरल होंगी,जीवन की सुगमता भी बढ़ेगी
मिशन को लॉन्च करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इस मिशन से न केवल अस्पतालों की प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि इससे जीवन की सुगमता भी बढ़ेगी। इसके तहत अब देशवासियों को एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी और हर नागरिक का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जायेगा। इसके माध्यम से मरीज भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को जरूरत पड़ने पर चेक कर सकता है। इसमें डॉक्टर, नर्स, पैरा मेडिकल जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा। देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं ये सभी रजिस्टर होंगी।
चिकित्सकों और नर्सों की संख्या में भारी वृद्धि
मोदी सरकार आने के बाद देश में चिकित्सकों और नर्सों की संख्या में भारी वृद्धि हुई हैं। पीआईबी रिसर्च यूनिट के ताजा आंकड़ों के अनुसार आजादी के 60 साल बाद तक सन 2012 तक देश में चिकित्सकों की संख्या सिर्फ 8,83,812 थी, जो मोदी सरकार आने के बाद करीब 50 प्रतिशत बढ़कर सन 2021 में 13,01,319 हो गई। इसी तरह नर्सों की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है। साल 2012 तक देश में नर्सों की संख्या सिर्फ 21,24,667 थी। वो मोदी राज में करीब 50 प्रतिशत बढ़कर साल 2021 में 33.41 लाख से ज्यादा हो गई।
एम्स की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी
एम्स अपनी क्वालिटी और सस्ते इलाज के लिए जाने जाते हैं। जब मरीज सब जगह इलाज कराने के बाद थक चुका होता है तो एम्स पहुंचता है। उसे एम्स पर पूरा भरोसा होता है कि यहां बेहतर इलाज मिलेगा और बीमारी दूर होगी। लेकिन देश का दुर्भाग्य था कि दशकों तक एम्स के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया। 1956 में दिल्ली में एम्स का निर्माण किया गया था। इसके बाद वाजपेयी सरकार में इसके निर्माण की दिशा में पहल की गई। 2014 तक देश में 6 एम्स थे। मोदी सरकार ने एम्स के निर्माण पर ध्यान दिया और 15 एम्स बनाने की मंजूरी दी। इस तरह निर्माणाधीन और सेवारत एम्स की कुल संख्या बढ़ कर 21 तक पहुंच गई।
मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 48 प्रतिशत की छलांग
भारत डॉक्टर-पेशेंट रेशो के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंडों से काफी पीछे है। इस गैप को पाटने और लोगों को आसानी से इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए मोदी सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। हैरानी की बात है कि 2014 में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 381 थी। मोदी सरकार आने के बाद इसमें 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2020 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 565 तक पहुंच गई। नये मेडिकल कॉलेज खुलने से देश में मेडिकल की सीटों में बढ़ोतरी हुई।
नए मेडिकल कॉलेज: अब ग्रामीणांचल के गरीब बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार
प्रधानमंत्री मोदी पिछले आठ वर्षों में, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन लाए हैं। 2014 से पहले देश में 90 हजार से भी कम मेडिकल सीटें थी और बीते 8 वर्षों में मेडिकल की 65 हजार से अधिक नई सीटें जोड़ी गई हैं। आजादी के बाद देश में 70 वर्षों में जितने डॉक्टर बने उससे ज्यादा डॉक्टर अगले 10-12 सालों में तैयार हो जाएंगे। क्योंकि देश में बहुत से नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं और नए खुल रहे हैं। इससे दूरस्थ ग्रामीणांचल के बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार हो रहा है। मोदी सरकार स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा के अध्ययन को सक्षम बनाने के प्रयास कर रही है जिससे अनगिनत युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
कोरोना काल में वरदान ई-संजीवनी सेवा
मोदी राज में चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किया गया है। इसी क्रम में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी से देश भर में रोगियों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। ई-संजीवनी राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा शहरी और ग्रामीण भारत में मौजूद डिजिटल स्वास्थ्य अंतर को समाप्त कर रही है। यह अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करने का काम कर रही है।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी दो माध्यम से सेवा मुहैया कराती है। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी (डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) और ईसंजीवनीओपीडी (रोगी से डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) मॉडल पर आधारित है जो लोगों को उनके घरों के पास आउट पेशेंट सेवाएं प्रदान करती है।
टेलीमेडिसिन सेवा- ई-संजीवनी से परामर्श देने का बनाया रिकॉर्ड
आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (AB- HWC) पर लगातार दो दिन 26-27 अप्रैल 2022 को टेलीफोन के माध्यम से 3.5 लाख से अधिक परामर्श दिए गए। AB- HWC पर यह एक दिन में किए गए टेलीकंसल्टेशन की अब तक की सबसे अधिक संख्या है, जो प्रतिदिन 3 लाख टेलीकंसल्टेशन के अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया। इसके अलावा, 26 और 27 अप्रैल, 2022 को ई-संजीवनी ओपीडी टेलीमेडिसिन द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का 76 लाख से अधिक रोगियों ने लाभ उठाया। टेलीफोन के माध्यम से परामर्श ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म पर किए जा रहे हैं। वर्तमान में, ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी 80,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों में काम कर रहा है। यह डॉक्टर-से-डॉक्टर का टेलीकंसल्टेशन सिस्टम है, जहां एक तरफ जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक विशेषज्ञ डॉक्टर बैठता है और दूसरी तरफ मरीज के साथ एक सामान्य चिकित्सक होता है। इस परामर्श का मकसद रोगियों के ईलाज के लिए बड़े अस्पताल तक जाने, रहने और खाने-पीने के खर्च को कम करना है। गरीब मरीजों के लिए यह एक वरदान से कम नहीं है।
स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार का 4 Pillar पर फोकस
पूर्व की सरकारों के विपरीत मौजूदा मोदी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को वर्गों में बंटकर देखने के बजाय समग्र रूप से देख रही है। मोदी सरकार स्वस्थ्य भारत की दिशा में चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है। स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया गया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार Pillars पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- Preventive Health – इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
- Affordable Healthcare – इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- Supply side interventions – इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
- Mission mode intervention – इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।
इन चार Pillars के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।
कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई
कोरोना महामारी से निपटने के लिए मेडिकल उपकरण से लेकर दवाइओं, वेंटिलेटर से लेकर वैक्सीन, वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर निगरानी संरचना, डॉक्टरों से लेकर महामारी विज्ञानियों सब पर फोकस किया गया है। ताकि वर्तमान और भविष्य में देश किसी स्वास्थ्य आपदा से निपटने में बेहतर रूप से तैयार हो। जिस तरह मोदी सरकार टीकाकरण अभियान में रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। उसको देखते हुए आज पूरा विश्व भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की मजबूती और दृढ़ता की खुलकर प्रशंसा कर रहा है। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र ने अपने अनुभव और योग्यता को दिखाया है।
तेज़ी से टीकाकरण में भारत दुनिया में सबसे आगे
भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है। वैक्सीनेशन अभियान में भारत नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। देश भर में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 203 करोड़ से अधिक कोरोना टीके लगाए गए हैं।
‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति
जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे, तो अस्पतालों पर कोरोना मरीजों के बढ़ते दबाव और ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए मोदी सरकार ने 9 सेक्टरों को छोड़कर अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद करने और ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ चलाने का बड़ा फैसला किया। रेलवे मंत्रालय ने राज्यों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की और मरीजों की जान बचाने का काम किया।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के शुभारंभ की घोषणा की। इसके तहत सभी नागरिकों को स्वास्थ्य पहचान पत्र दिए जाएंगे। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन प्रत्येक भारतीय नागरिक को देश भर में स्वास्थ्य सेवा में परेशानी मुक्त पहुंच के लिए एक अनूठा स्वास्थ्य खाता रखने में सक्षम करेगा। इस एकमात्र स्वास्थ्य पहचान पत्र में प्रत्येक जांच, प्रत्येक बीमारी, डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयां, रिपोर्ट और संबंधित सूचनाएं रहेंगी। पूरी तरह से प्रौद्योगिकी आधारित इस पहल से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आने की उम्मीद है।
मेडिकल डिवाइस की कीमत पर लगी लगाम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लगातार चिकित्सा सुविधाओं को सस्ता और सुलभ बनाने के प्रयासों में लगी है। मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए 1 अप्रैल, 2020 से सिरिंज, डिजिटल थर्मामीटर, स्टेंट डायलिसिस मशीन जैसी तमाम मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स की श्रेणी में ला दिया। इसका मतलब यह है कि इनकी गुणवत्ता और कीमत पर सरकार उसी तरह से नियंत्रण कर सकेगी जैसा कि दवाओं के मामले में होता है। मोदी सरकार ने इन मेडिकल मशीनरी की कीमतों पर अंकुश के लिहाज से सरकार ने यह कदम उठाया। यानि अब स्टेंट से लेकर डिजिटल थर्मामीटर तक तमाम मेडिकल डिवाइस सस्ते मिलने लगे हैं और इनकी कीमतों में मनमानी बढ़त पर लगाम लगी है।
स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज
स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। देश के अधिकतर गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।
योग बना जन आंदोलन
मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य
देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत अब तक 4.10 करोड़ बच्चों का टीकाकरण हो चुका है। इस योजना को बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च किया गया था। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके।
बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी
मोदी सरकार देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर खोलने का प्रयास कर रही है। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों। आयुष्मान भारत के तहत 2018 में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोलने की शुरुआत हुई थी। 29 अप्रैल 2022 तक 1.18 लाख ऐसे सेंटर खोले जा चुके हैं।
जन औषधि केंद्र में सस्ती दवाएं
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सके इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। 31 मार्च,2022 तक देश में 8,700 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। रसायन और उवर्रक मंत्रालय के अनुसार सरकार की देश भर में जनऔषधि केंद्रों यानि पीएमबीजेके की संख्या बढ़ाकर 10,500 करने की योजना है। मंत्रालय के मुताबिक संख्या में ये बढ़त मार्च 2025 तक पूरा करने की योजना है।
800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत पर किया कंट्रोल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 मार्च, 2022 को कहा कि किफायती मूल्य में जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए जन औषधि केंद्रों से गरीबों और मध्यम वर्ग को बहुत फायदा पहुंचा है। जन औषधि का उद्देश्य लोगों को वहनीय मूल्य पर दवाइयां उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने कैंसर, टीबी, मधुमेह, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि स्टेंट लगाने और घुटने इंप्लांट की कीमत भी नियंत्रित रहे।’’
अब तक करीब कुल 13,000 करोड़ रुपये की बचत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में जन औषधि केंद्रों के जरिए 800 करोड़ रुपये से ज्यादा की दवाएं बिकी हैं और इसी साल जन औषधि केंद्रों के जरिए गरीब और मध्यम वर्ग के करीब 5,000 करोड़ रुपये की बचत हई है। उन्होंने कहा, ‘‘अब तक करीब कुल 13,000 करोड़ रुपये की बचत लोगों को हुई है।’’
सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जाती है।
मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का – मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मलेरिया मुक्त भारत की योजना
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।
घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट
अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।
फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में नेशनल स्पोर्ट्स डे पर फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की। इस मौके प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि था कि फिटनेस हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है, लेकिन इधर फिटनेस को लेकर हमारी सोसाइटी में उदासीनता आ गई है। पहले लोग 10-12 किलोमीटर पैदल चल लिया करते थे, लेकिन जैसे ही आधुनिक साधन आए, लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई, टेक्नोलॉजी हावी हो गई है। बहुत सारे लोग हैं जो अपनी फिटनेस पर ध्यान ही नहीं देते, कुछ लोग और भी विशेष हैं, कुछ चीजें फैशन स्टेटमेंट हो जाती हैं। कई लोग खुद ज्यादा खाते हैं लेकिन डाइटिंग पर भाषण देते रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी बीमारी से निजात पाने के लिए फिटनेस हमारे जीवन का सहज हिस्सा रहा है व्यायाम से ही स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख की प्राप्ति होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निरोग होना सबसे बड़े भाग्य की बात है। स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लेकिन बीतते समय के साथ अब सुनने को मिलता है कि स्वार्थ से सब कुछ सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर से स्वार्थ भाव को छोड़कर स्वास्थ्य भाव को पाना है।