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मोदी राज में अच्छे दिन: दिवालिया कानून से 2 साल में हुई 3 लाख करोड़ रुपए की वसूली

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने कालेधन के खिलाफ जो मुहिम चलाई थी उसका असर अब स्पष्टतौर पर दिखाई देने लगा है। मोदी सरकार की कार्यशैली की वजह से आर्थिक अपराधियों की नींद उड़ चुकी है। अभी तक बड़े-बड़े उद्योगपति करोड़ों रुपये लूट कर देश से बाहर भाग जाते थे और सरकार चाह कर भी उनसे वसूली नहीं कर पाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड आने के बाद दिवालियापन के मामले को लेकर कड़ी कार्रवाई हो रही है। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत 2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के जरिए 80,000 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अनुसार आईबीसी के दिसंबर 2016 से लागू होने के बाद करीब तीन लाख करोड़ रुपए की वसूली करने में मदद मिली है। इस साल भूषण स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, बिनानी सीमेंट के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नए साल 2019 में फंसे कर्ज के कई बड़े मामलों का निपटारा होना है। इससे अगले साल वसूली के बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद है।

इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड
इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड 2016 (आईबीसी) के कानून बन जाने से दिवालिया कंपनियों के प्रोमोटर्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं और वे दोबारा कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं खरीद पा रहे हैं। बैंकरप्सी कानून में होने वाले बदलाव से सरकारी बैंकों को बड़ा फायदा हो रहा है। मोदी सरकार ने 2016 में बैंकरप्सी को बैंकरप्सी कोड के तहत लाया है। सरकार ने कोड 1 अक्टूबर, 2017 को नियामक के रूप में भारतीय दिवालियापन और दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) की स्थापना की थी।

मोदी सरकार ने कई उद्योगपतियों और कंपनियों पर शिकंजा कसा है और उनसे लूट की रकम वापस भी वसूली जा रही है। खास तौर पर एनपीए का बहाना ढूंढ रही कंपनियों को मोदी सरकार ने अपने निशाने पर लिया है। आइए एक नजर डालते हैं कि कैसे मोदी सरकार की सख्ती के बाद कंपनियों को अपनी संपत्ति बेचकर अपने कर्ज की रकम चुकानी पड़ रही है। 

               मोदी राज में सूट-बूट वालों की ‘लूट’ पर लगी ब्रेक
               बैंकों के कर्ज वापसी के लिए मजबूर हुए उद्योगपति

*जिंदल स्टील
अक्टूबर, 2017
रायगढ़ और अंगूल स्टील प्लांट के दो यूनिट को 1,121 करोड़ में बेचना पड़ा
अगस्त 2017
6 हजार करोड़ वसूलने के लिए SBI ने अंगूल में जिंदल इंडिया थर्मल पावर प्लांट का टेंडर मंगवाया

*एस्सार ऑयल
अगस्त 2017
ESSAR ऑयल को अपना 49 प्रतिशत शेयर रुस की Rosneft कंपनी को बेचना पड़ा
SBI, ICICI, Axis, IDBI और Standard Chartered बैंकों का 70,000 करोड़ रुपया चुकाना पड़ा

*जीवीके पॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर
जुलाई, 2017
बकाया चुकाने के लिए 3,439 करोड़ रुपये में बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट बेचना पड़ा

*डीएलएफ
दिसंबर, 2017
DCCDL को अपना 40 प्रतिशत हिस्सा बेच कर बैंकों का 7100 करोड़ रुपया चुकाना पड़ा

*जेपी एसोसिएट्स
40 हजार करोड़ का कर्ज चुकाने के लिए 15,000 करोड़ में Ultratech और ACC को बेचना पड़ा
बैंकों ने जेपी ग्रुप की 13, 000 करोड़ की जमीन बेचने की प्रक्रिया शुरू की

*टाटा ग्रुप
जनवरी, 2018
टाटा ग्रुप ने बैंकों के 23 हजार करोड़ में से 17 हजार करोड़ चुका दिए
सितंबर, 2018
टीसीएस के लाभांश से टाटा मोटर्स और टाटा टेलिसर्विसेज लिमिटेड का कर्ज चुकाएंगे

*जीएमआर
37,480 करोड़ रुपये में 18,480 हजार करोड़ वापस किए, बकाया 19,000 करोड़ रुपये जल्द चुकाएंगे

*वीडियोकॉन
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में बैंकरप्सी के तहत कंपनी बेचकर वसूला जाएगा बकाया 20 हजार करोड़

*रिलायंस
45,000 करोड़ रुपये बकाये की वापसी के लिए अपने Assets बेचकर कर्ज चुकाएगी कंपनी

एक नजर डालते हैं मोदी सरकार के उन कदमों पर, जिनकी वजह से देश में कालाधन, भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने में कामयाबी मिली है।

मोदी राज में टैक्स चोरों की शामत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अधिक से अधिक लोगों को इनकम टैक्स के दायरे में लाने की मुहिम में जुटी है। धीरे-धीरे मोदी सरकार की यह मुहिम रंग लाती दिख रही है। अब मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-नवंबर अवधि में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 15.7 प्रतिशत बढ़कर 6.75 लाख करोड़ रुपये रहा है। वित्त मंत्रालय अनुसार चालू वित्त वर्ष की इसी अवधि में 1.23 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में जारी किए गए रिफंड से 20.8 प्रतिशत अधिक है। इतना ही नहीं टैक्स रिटर्न भरने वाले नए लोगों की संख्या में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार टैक्स देने वालों का दायरा बढ़ाने की कोशिश में जुटी है, और ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही हैं, जिन्होंने रिटर्न दाखिल नहीं किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कालाधन, बेनामी संपत्ति रखने वालों और इनकम टैक्स चोरी करने वालों पर अपना शिकंजा कसा है। 

मोदी राज में आर्थिक अपराधियों की खैर नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की कार्यशैली की वजह से आर्थिक अपराधियों की नींद उड़ चुकी है। केंद्र सरकार ने भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम को मंजूरी दी है और उसमें प्रावधान किया है कि बैंकों का पैसा लूटने वालों से वसूली के लिए देश-विदेश में उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी। कानून को मंजूरी मिलते ही मोदी सरकार ने इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने इसी कानून के प्रावधानों के तहत शराब कारोबारी विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी जैसे भगोड़ों के खिलाफ शुरू की है।

3,500 करोड़ की बेनामी संपत्तियां जब्त
सिर्फ आयकर चोरी करने वालों पर ही नहीं, बेनामी संपत्ति और कालाधन रखने वालों पर भी मोदी सरकार का चाबुक जोरों से चला। पिछले साल देशभर से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 900 से अधिक बेनामी संपत्तियां जब्त हुई हैं। बेनामी संपात्ति लेन-देन रोकथाम कानून 1 नवंबर, 2016 लागू हुआ है। आयकर विभाग ने सभी अन्वेषण निदेशालयों में बेनामी संपत्तियों को पकड़ने के लिए इकाइयां भी बना दी हैं।

तीन लाख से अधिक फर्जी कंपनियां बंद
नोटबंदी के दौरान सरकार को कालेधन का घालमेल करने वाली तीन लाख से भी अधिक फर्जी कंपनियों के बारे में जानकारी मिली। यह सभी कंपनियां, नेताओं और व्यापारियों द्वारा गैरकानूनी और भ्रष्ट तरीके से देश के अंदर बनाये जा रहे कालेधन को सफेद करती थीं। इन सभी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया।

जन-धन योजना से भ्रष्ट कमाई बंद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री जनधन योजना का शुभारंभ किया जिसके तहत देश में अब तक 33 करोड़ से अधिक ऐसे वयस्कों का बैंक खाता खुला है, जिनके पास 2014 से पहले बैंक में कोई खाता नहीं था। 2014 से पहले जहां सरकारी मदद और सब्सिडी, पेंशन आदि का पैसा बिचौलियों के हाथों में चला जाता था अब डायरेक्ट ट्रांसफर से सीधे जरूरतमंदों के खातों में पहुंचता है। इससे जनता का 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक बचाया जा चुका है।

सरकारी खरीद और नीलामी में भ्रष्टाचार बंद
कांग्रेस सरकार ने कोयला, स्पेक्ट्रम, जमीन और अयस्कों की नीलामी में जिस तरह से लाखों करोड़ रुपये का घोटाला किया था, उसे खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी को ऑनलाइन कर दिया। अब सरकार के विभिन्न विभाग सामानों की खरीदारी ऑनलाइन मार्केट GeM के जरिए करते हैं। इससे बिचौलियों की कमीशनखोरी पूरी तरह से बंद हो चुकी है।

राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण को मंजूरी
इसके साथ ही नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी  यानि NFRA के गठन को भी मंजूरी दे दी गई। NFRA इंडिपेंडेंट रेग्युलेटर के रूप में काम करेगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट अधिनियम के सेक्शन 132 के तहत चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और उनके फर्म की जांच को लेकर NFRA का कार्यक्षेत्र सूचीबद्ध और बड़ी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू होगा।  यानि एनएफआरए के तहत चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और उनकी फर्मों की सेक्शन 132 के तहत जांच होगी। एनएफआरए स्वायत्त नियामक सस्था के तौर पर काम करेगा।

संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा (Asset Quality Review)
मोदी सरकार ने कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़े बकायेदारों की जिम्मेदारी तय की है और विभिन्न उपायों के जरिए बैंकों को मजबूत किया जा रहा है। नियमित रूप से कर्ज की वापसी नहीं करने के बावजूद 2008- 2014 के बीच बड़े कर्जदारों को बैंकों से कर्ज देने के लिये दबाव डाला जाता रहा। वास्तव में जो कर्ज NPA श्रेणी में जा चुके थे उन्हें नियमित कर्ज बनाये रखने के लिए कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन के तहत उनका पुनर्गठन किया गया। 2015 की शुरुआत में, वर्तमान सरकार ने एसेट क्वालिटी रिव्यू (एक्यूआर) के बाद एनपीए की समस्या को मानते हुए वर्गीकृत किया।

जीएसटी से भ्रष्टाचार पर वार
देशभर में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो चुका है। कर प्रणाली में बदलाव होने से एक तरफ मल्टीपल टैक्स के जंजाल से देशवासी मुक्त हुए। कर की गणना आसान हुआ। कर प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जा रहा है। जीएसटी के लागू होने से कच्चे बिल से खरीदारी करने में काफी कमी आई है। लेन-देन में हेरा-फेरी संभावना खत्म हुई।

डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा
सरकार ने देश में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है। सरकार ने डिजिटल क्रांति और डिजिटल भुगतान के लिए स्वाइप मशीन, पीओसी मशीन, पेटीएम और भीम ऐप जैसे सरल उपायों को अपनाया है। जनता भी सहजता के साथ इसे अपना रही है। इससे देश में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन बढ़ा है। डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के फलस्वरूप इससे शासन-प्रशासन, नौकरशाही में पारदर्शिता आई है और नागरिकों में भी जागरुकता बढ़ी है। 

पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कालेधन की घोषणा
नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन रखने वालों को एक आखिरी मौका देते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) दिसंबर 2016 में लॉन्च की गई थी। इसमें कालाधन रखने वालों को टैक्स और 50 प्रतिशत जुर्माना देकर पाक-साफ होने का मौका दिया गया। साथ ही कुल अघोषित आय का 25 प्रतिशत ऐसे खाते में चार साल तक रखना होता है, जिसमें कोई ब्याज नहीं मिलता। नोटबंदी के बाद अघोषित आय के खुलासे में तेजी आई।

नोटबंदी से पहले आईडीएस स्कीम  
कालेधन पर नियंत्रण करने के लिए मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले ही सभी कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपना काला धन घोषित करने का ऑफर आईडीएस स्कीम के तहत दिया था। इस योजना के तहत लोग अपना सारा काला धन सार्वजनिक करके 25 प्रतिशत टैक्स और जुर्माने का भुगतान करके कार्रवाई से बच सकते थे। इसके तहत 65,000 करोड़ रुपये का कालाधन उजागर हुआ था।

केंद्र सरकार की ओर से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए एक के बाद एक कई निर्णय लिए गये हैं। 

जन धन योजना- इसके तहत गरीबों के लिए अब तक 33 करोड़ से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं। सरकारी योजनाओं में सब्सिडी बिचौलियों के हाथों से दिये जाने के बजाय सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचने लगी है।

कर बचाने में मददगार देशों के साथ कर संधियों में संशोधन मॉरीशस, स्विटजरलैंड, सऊदी अरब, कुवैत आदि देशों के साथ कर संबंधी समझौता करके सूचनाओं को प्राप्त करने का रास्ता सुगम कर लिया गया है।

नोटबंदी- कालेधन पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सबसे बड़ा कदम 08 नवंबर 2016 को उठाया। नोटबंदी के जरिए कालेधन के स्रोतों का पता लगा। लगभग तीन लाख ऐसी शेल कंपनियों का पता चला जो कालेधन में कारोबार करती थी। इनमें से लगभग दो लाख कंपनियों और उनके 1 लाख से अधिक निदेशकों की पहचान करके कार्रवाई की जा रही है।

• फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई- सीबीआई ने छद्म कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने वाले कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। देश में करीब तीन लाख ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने अपनी आय-व्यय का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करती हैं।

• रियल एस्टेट कारोबार में 20,000 रुपये से अधिक कैश में लेनदेन पर जुर्माना- रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थीं। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।

• राजनीतिक चंदा- राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से ज्यादा कैश में चंदा देने पर पाबंदी। इसके लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाने का ऐलान किया गया।

• स्रोत पर कर संग्रह- 2 लाख रुपये से अधिक के कैश लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इससे ऊपर के लेनदेन चेक, ड्रॉफ्ट या ऑनलाइन ही हो सकते हैं।

• ‘आधार’ को पैन से जोड़ा- कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ये एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों पर भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है।

• सब्सिडी में भ्रष्टाचार पर नकेल- गैस सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी 30 जून 2017 के बाद से सीधे खाते में देकर हर साल 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की जा रही है। इससे निचले स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म करने में कामयाबी मिली है।

• ऑनलाइन सरकारी खरीद- मोदी सरकार ने सरकारी विभागों में सामानों की खरीद के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया लागू कर दी गई है। इसकी वजह से पारर्दशिता बढ़ी है और खरीद में होने वाले घोटालों में रोक लगी है।

• प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी- मोदी सरकार ने सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का इतना खजाना लूट लिया गया था कि देश के सात आठ शहरों के लिए बुलेट ट्रेन चलवायी जा सकती थी।

• आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की जियोटैगिंग- सड़कों, शौचालयों, भवनों, या ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सभी निर्माण की जियोटैगिंग कर दी गई है। इसकी वजह से धन के खर्च पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। 

 

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