वाराणसी में 16 साल पहले 7 मार्च, 2006 को हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई गई है। वाराणसी के संकटमोचन और कैंट स्टेशन के पास सीरियल ब्लास्ट में 18 लोगों की मौत हुई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने विस्फोट के सिलसिले में प्रयागराज के फूलपुर गांव के वलीउल्लाह को 5 अप्रैल, 2006 को गिरफ्तार किया था। सुबूतों के आधार पर यह पाया गया कि संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन विस्फोट की साजिश रचने में वलीउल्लाह की प्रमुख भूमिका थी। वाराणसी के वकीलों ने वलीउल्लाह का केस लड़ने से मना कर दिया था। जिसके बाद हाइ कोर्ट ने इस मामले को गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट भेज दिया था। अब गाजियाबाद कोर्ट ने वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई है।
समाजवादी पार्टी ने की थी वलीउल्लाह को बचाने की कोशिश
विस्फोट के बाद पुलिस के गिरफ्त में आतंकी वलीउल्लाह के आने पर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सरकार ने बचाने की कोशिश की थी। उस समय की समाजवादी सरकार ने गुपचुप तरीके से मुकदमा वापसी की तैयारी शुरू कर दी थी। विशेष सचिव राजेंद्र कुमार की ओर से इस बारे में एक पत्र जिला प्रशासन को भेजा गया था। लेकिन विरोध शुरू हो जाने पर सरकार को इसे ठंडे बस्ते में डालनी पड़ी थी।
‘जब सपा की सरकार थी उस दौरान आतंकियों को बचाने के लिए ये लोग लगातार केस विड्रॉल कर रहे थे’- #BJP प्रवक्ता @Shehzad_Ind @himanshdxt @anchor_barkha #UttarPradesh pic.twitter.com/ZW0tQxezqo
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) June 7, 2022
अखिलेश ने किया केस वापस लेने का वादा
अखिलेश यादव ने 2012 में सत्ता में आने से पहले अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि सरकार बनने पर वह देखेगी कि क्या आतंकी गतिविधियों में मुस्लिम युवकों को फंसाया तो नहीं गया है। अखिलेश यादव ने मुस्लिमों के ऊपर से केस वापस लेने का वादा था। सरकार बनने पर अखिलेश यादव की सरकार ने वाराणसी जिला प्रशासन को पत्र लिखकर 14 बिंदुओं पर केस वापसी के बारे में राय मांगी थी। इसके खिलाफ इलाहबाद हाई कोर्ट में कई याचिका दायर की गई जिसके बाद हाई कोर्ट ने अखिलेश यादव सरकार को फटकार भी लगाई।
हाईकोर्ट ने कहा था पद्मभूषण दोगे क्या?
वाराणसी विस्फोट मामले में आतंकी वलीउल्लाह के साथ कुछ अन्य आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस लेने के अखिलेश यादव के फैसले को 23 नवंबर, 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने तक अखिलेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि जब कोर्ट में मुकदमा चल रहा है तो आप इसे क्यों वापस लेना चाहते हैं? हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि आज आप आतंकियों को रिहा कर रहे हैं, कल उन्हें पद्म भूषण भी दे देंगे।
Whether giving clean chit to terrorists of Varanasi blast who has been convicted now-stopped by Allahabad HC or whether it is patronage to 2008 Ahmedabad blast convict or raising questions on UP ATS- SamajVirodhi Party has always shown AATANKI PREM
Will Akhilesh ji answer now? pic.twitter.com/QP649rnVuG
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) June 7, 2022
आतंकियों के पक्ष में खुलकर सामने आते रहे हैं अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव खुलकर आतंकियों के पक्ष में सामने आते रहे हैं। 12 जुलाई 2021 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी इलाके से आतंक निरोधी दस्ता- एटीएस ने अलकायदा के दो आतंकियों मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर को गिरफ्तार किया। दोनों मुस्लिम आतंकी अपने अन्य साथियों की मदद से 15 अगस्त से पहले देश के बड़े शहरों को दहलाने की साजिश रच रहे थे। एटीएस को उनके पास से बड़ी संख्या में विस्फोटक सामग्रियां बरामद हुई हैं। इनके पास से आईईडी से लैस दो प्रेशर कूकर बम और एक पिस्टल मिली। एटीएस की तत्परता ने इन आतंकियों के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। इनकी गिरफ्तारी पर जहां एटीएस की तारीफ हुई, वहीं अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा, मुझे यूपी पुलिस पर भरोसा ही नहीं। जिनके अंदर कभी राज्य की पुलिस काम कर चुकी है उसी पुलिस का मनोबल बढ़ाने की जगह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण कहा कि उन्हें यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने अखिलेश यादव को लताड़ लगाई थी।
अल कायदा के आतंकियों पर भरोसा है लेकिन यूपी पुलिस पर नहीं
वाह रे तुष्टिकरण की अंधी समाजवादी राजनीति pic.twitter.com/q9vONqRh8B
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) July 12, 2021
जान पर खेलकर हम सबकी सुरक्षा में जुटी सुरक्षा एजेंसियों का एक बार फिर अखिलेश यादव ने किया अपमान।
अलकायदा आतंकियों के साथ खुलकर खड़े होते हुए उनकी गिरफ़्तारी पर अखिलेश ने कहा कि नहीं है पुलिस पर भरोसा।
अखिलेश पहले सीरियल ब्लास्ट में शामिल आतंकवादियों के मुक़दमे वापस ले चुके हैं। pic.twitter.com/XXk8AbDR0j
— Prashant Umrao (@ippatel) July 12, 2021
अखिलेश राज में आतंकियों का ‘हॉटस्पॉट’ था उत्तर प्रदेश
आतंकवाद के खिलाफ कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी समेत दूसरी विपक्षी पार्टियों की नीतियां देश हित में नहीं रही हैं। इन लोगों ने जहां सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे, वहीं अखिलेश सरकार ने आतंकियों से हमदर्दी जताते हुए 19 मामलों में केस वापस लिया था। यूपी में सपा की सरकार के दौरान 2006 में काशी और 2007 में गोरखपुर में आतंकी हमले हुए। 2007 में ही लखनऊ और अयोध्या में बम धमाके हुए। जहां गुजरात सरकार आतंकियों के खिलाफ लड़ रही थी, वहीं बीएसपी और एसपी की सरकार में उत्तर प्रदेश आतंकियों का ‘हॉटस्पॉट’ बना हुआ था। इंडियन मुजाहिदीन, सिमी और आईएसआई की आतंकी गतिविधियां चरम पर थीं। अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट केस में स्पेशल कोर्ट ने 18 फरवरी, 2022 को जिन 49 दोषियों को सजा सुनाई, उनमें 8 यूपी के हैं। इनमें से फांसी की सजा पाए 6 अखिलेश यादव के लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ के सरायमीर के रहने वाले हैं। फांसी की सजा पाए एक आतंकवादी मोहम्मद सैफ के परिवार का संबंध समाजवादी पार्टी से रहा है। राजनीतिक संरक्षण पाए आतंकियों ने अहमदाबाद को दहला कर पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इसके बाद सियासी और आतंकी गठजोड़ का वीभत्स चेहरा सामने आया।
केवल नाम समाजवादी है, लेकिन काम दंगावादी
फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि फांसी की सजा पाये एक आतंकवादी मोहम्मद सैफ के परिवार का संबंध समाजवादी पार्टी से है। सैफ के पिता सपा के रहनुमा बताए जाते हैं। इतना ही नहीं वो खुद इन दिनों सपा का जोर शोर से इलाके में प्रचार भी कर रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि सपा दंगावादी पार्टी है। केवल नाम समाजवादी है, लेकिन काम दंगावादी है और सोच परिवारवाद तक सीमित है।
आतंकी और सपाई, आपस में भाई-भाई
उस समय केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि पहले ये आतंकियों को निर्दोष बताते हैं फिर आतंकियों के साथ हमदर्दी जताते हैं। इसके बाद आतंकियों के मुकदमे वापस लिए जाते हैं। अंत में पता चलता है…आतंकी और सपाई, आपस में भाई-भाई। बीजेपी नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने लिखा कि अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के दोषी आतंकवादी में से एक आतंकवादी जो आजमगढ़ का था, उसके पिता के संबंध अखिलेश यादव से थे। उन्होंने सवाल किया कि राष्ट्र विरोधी लोगों से आपकी आत्मीयता इतनी ज्यादा क्यों? गौरतलब है कि जुलाई 2021 में लखनऊ के काकोरी इलाके से ‘आतंक निरोधी दस्ता’ ने अलकायदा के दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से पत्रकारों ने जब इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने साफ कहा कि वह यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं करते।
अखिलेश यादव का करीबी है आतंकी का पिता
फांसी की सजा पाए बाज बहादुर निवासी मोहम्मद सैफ के पिता शादाब अहमद शेख उर्फ मिस्टर आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं में शामिल रहे हैं। वह 2008 में सपा के जिला उपाध्यक्ष और पार्टी के महासचिव भी रह चुके है। आजमगढ़ सांसद और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नजदीकी में शुमार है। सैफ छह भाइयों मे चौथे नंबर पर है। कम्प्यूटर व इंगलिश स्पीकिंग कोर्स करने आजमगढ़ से दिल्ली गए सैफ को दिल्ली के बटला हाउस कांड में गिरफ्तार किया गया था।
आजमगढ़ के 6 आतंकियों को फांसी की सजा
मोहम्मद सैफ के अलावा अबु बशर, आरिफ मिर्जा नसीम, आरिफ बदर, सैफूल रहमान और कोट मोहम्मद जीशन को भी फांसी की सजा सुनाई गई। वहीं, आजमगढ़ के ही मोहम्मद सादिक को आजीवन कारावास की सजा मिली। आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के रहने वाला अबु बशर इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन से जुड़ा था। साथ ही इस सीरियल ब्लास्ट का भी मास्टरमाइंड भी था। आजमगढ़ के जिन छह युवकों को फांसी की सजा सुनवाई गई, उनमें कोई प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने तो कोई कारोबार के सिलसिले में दिल्ली गया था
बाटला हाउस एनकाउंटर से आजमगढ़ का कनेक्शन
अखिलेश यादव के लोकसभा क्षेत्र रहे आजमगढ़ का बाटला हाउस एनकाउंटर में भी कनेक्शन सामने आया था। इस एनकाउंटर में स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद वर्मा को गोली लगी थी। इंस्पेक्टर वर्मा को अस्पताल ले जाया गया, कुछ ही घंटों में अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद आजमगढ़ को एक आतंक का केंद्र बताया गया क्योंकि मारे गए दो संदिग्ध और गिरफ्तार किए गए तीन सभी जिले के सराय मीर इलाके के संजरपुर गांव के थे। आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के बीनापार गांव का रहने वाला मास्टर माइंड अबू बशर का नाम अहमदाबाद ही नहीं जयपुर, लखनऊ और दिल्ली में भी हुए बम धमाकों में आया था।