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कुर्सी के लिए साथ छोड़ गए उद्धव ठाकरे, अब कुर्सी बचाने के लिए मांग रहे पीएम मोदी का साथ

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लगभग पांच महीने पहले बीजेपी का साथ छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ खिचड़ी सरकार बनाने वाले उद्धव ठाकरे को एक बार फिर पीएम मोदी की शरण में जाना पड़ा है। दरअसल, उद्धव जब सीएम बने, तो वे विधानसभा के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। नियमों के मुताबिक अगर शपथ ग्रहण के 6 महीने तक मुख्यमंत्री किसी भी सदन का सदस्य न बने तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्यपाल के कोटे से उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य नामित करने का प्रस्ताव भेजा, जिस पर राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं लिया है। अगर उद्धव 27 मई तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं बने तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा। ऐसे में महाराष्ट्र की सरकार गिर जाएगी। अपनी सरकार बचाने की अफरातफरी में ही उद्धव ने पीएम मोदी को फोन कर विधानसभा का सदस्य बनने में मदद मांगी है। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी ने उद्धव को पूरे मामले को देखने का आश्वासन दिया है।

क्यों परेशान हैं उद्धव ठाकरे

विधानसभा सदस्य नहीं बनने पर देना पड़ेगा इस्तीफा
राज्यपाल ने प्रस्ताव को अस्वीकार किया तो होंगे चुनाव
कोरोना की वजह से विधान परिषद का चुनाव होना मुश्किल
28 अप्रैल को राज्यपाल से मिला था महाअघाड़ी प्रतिनिधिमंडल

उद्धव ठाकरे क्यों दौड़े पीएम मोदी के पास

मई में कार्यकाल के छह महीने पूरे हो जाएंगे
महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्यपाल को दो बार भेजा प्रस्ताव
उद्धव को विधान पार्षद बनाने का प्रस्ताव
राज्यपाल ने नहीं लिया है कोई फैसला

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