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क्या संसद के मॉनसून सत्र में चीन के खिलाफ बोलने से बचने के लिए मां सोनिया के साथ राहुल गांधी निकल गए अमेरिका?

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संसद का मॉनसून सत्र सोमवार, 14 सितंबर से शुरू हो गया है। इस बार मॉनसून सत्र 18 दिन का होगा और 1 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। लेकिन सोमवार से मॉनसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मेडिकल टेस्ट के लिए अमेरिका रवाना हो गईं। सोनिया गांधी के साथ उनके बेटे राहुल गांधी भी गए हैं। सोनिया-राहुल गांधी के विदेश यात्रा पर जाने से लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या संसद के मॉनसून सत्र में चीन के खिलाफ बोलने से बचने के लिए सोनिया- राहुल अमेरिका निकल गए हैं ? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि गलवान में चीन से साथ झड़प के बाद से ही राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी नेता काफी जोर-शोर से मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे थे। चीन मामले पर तकरीबन रोज कुछ ना कुछ ट्वीट कर रहे थे। लेकिन ठीक सत्र शुरू होने से पहले देश से बाहर जाने पर लोग सवाल उठा रहे है। लोगों का कहना है कि सत्र से दौरान चीन के खिलाफ कुछ बोलना ना पड़े या उसकी आलोचना ना करनी पड़े, इसलिए अमेरिका चले गए हैं।

दरअसल राहुल गांधी अक्सर उस समय ही विदेश यात्रा करते हैं जब देश किसी न किसी मुसीबतों का सामना कर रहा होता है। यही नहीं कई अहम मौकों पर तो वे देश छोड़ कर तब भी भाग गए जब कांग्रेस पार्टी को उनकी जरूरत थी। राहुल गांधी के इन विदेशी यात्राओं पर जाने से यह लगता है जैसे वे चुनौतियों को पीठ दिखाकर भाग रहे हैं। जाहिर है राहुल पलायनवादी राजनीति के प्रतीक बन गए हैं

आइए आपको बताते हैं कब-कब राहुल गांधी पीठ दिखाकर भागे-

 यात्राएं वर्ष कांग्रेस को राहुल की जरुरत थी
इटली 01 मार्च, 2018 02 मार्च को देश में होली मनायी जा रही थी और 03 मार्च को त्रिपुरा, नगालैंड व मेघालय के परिणाम आये, जिसमें कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली।
ओस्लो, नॉर्वे     25 अगस्त, 2017 जब 27 अगस्त को बिहार में विपक्षी दलों की एकता दिखाने के लिए लालू प्रसाद रैली कर रहे थे और चीन के साथ डोकलाम विवाद भी चल रहा था। 
इटली 13 जून, 2017 जब मंदसौर में कांग्रेस का किसानों का लेकर आंदोलन चल रहा था और राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस की ओर से मीरा कुमार को नामाकंन करना था।
अज्ञात देश 31 दिसंबर, 2016 जब कांग्रेस पार्टी नोटबंदी को लेकर विरोध कार्यक्रमों की धार तेज कर रही थी औऱ इसी समय पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों का दौर था।
अज्ञात देश 12 परवरी, 2015 बजट सत्र के दौरान अचानक 57 दिनों के लिए देश से बाहर चले गए।
अज्ञात देश दिसंबर, 2014 पार्टी की  स्थापना दिवस पर भी विदेश दौरे पर थे।

 

आप समझ सकते हैं कि राजनीति को लेकर राहुल गांधी कितने सीरियस हैं। दरअसल राहुल हर साल 2 से 3 बार विदेशी टूर पर नियमित तौर पर निकल जाते हैं लेकिन वे सवाल पीएम मोदी के विदेश दौरों को लेकर उठाते हैं। संसद सत्र से पहले विदेश यात्रा को लेकर एक बार फिर से सवाल उठने लगे है कि क्या वे राजनीति को लेकर गंभीर हैं या फिर इसे पार्टटाइम जॉब की तरह ले रहे हैं।

विदेशी दौरे से की साल की शुरुआत
राहुल गांधी को विदेश में छुट्टी मनाने का बहुत शौक है। राहुल गांधी इस साल की शुरूआत विदेश दौरे से ही की थी। वे 31 दिसम्बर को अपनी नानी और बाकी लोगों के साथ नया साल मनाने इटली गए थे और 11 जनवरी को स्वदेश लौटे थे। अपनी विदेश यात्रा को लेकर राहुल गांधी को उस समय काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था क्योंकि उस समय सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे थे।

राहुल के विदेशी दौरों से परेशान सुरक्षाबल
राहुल गांधी इससे पहले एक कार्यक्रम के लिए दक्षिण कोरिया गए थे, जिसके बाद उन्होंने वहां पांच दिन ज्यादा रहने का फैसला किया। इस दौरान संसद सत्र चल रहा था और राहुल अनुपस्थित रहे। वहीं राहुल गांधी के सुरक्षा बलों को इस यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।

राहुल गांधी के विदेशी दौरों से पहले भी सुरक्षाबल परेशान रहे है। वहीं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि कुछ लोग एसपीजी सुरक्षा को पीछे छोड़ अज्ञात स्थानों पर चले जाते हैं, वह इस दौरान गांधी परिवार से एसपीजी कवर हटाने का कारण बता रहे थे।

कांग्रेस के ‘युवराज’ को क्यों भाता है विदेश?
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल कई बार अपनी हरकतों के कारण मजाक का पात्र बन जाते हैं और जब भी पार्टी को उनकी ज्यादा जरूरत होती है, वो फिल्म देखने या फिर विदेश यात्राओं पर निकल जाते हैं। कभी वो नानी से मिलने इटली चले जाते हैं, तो कभी मानसिक तनाव और थकान मिटाने के लिये बैंकॉक-म्यांमार की यात्रा पर निकल जाते हैं। यही नहीं हो बीच-बीच में वो लंदन-न्यूयॉर्क की यात्राओं पर भी गुपचुप तरीके से निकलते रहते हैं।

राहुल के लिये विदेश यात्रा से बढ़कर कुछ भी नहीं
राहुल गांधी पर आरोप लगते रहे हैं कि वो हर अहम मौकों पर पार्टी को बीच मझधार में छोड़कर विदेश भाग जाते हैं। हाल ही में इसका उदाहरण तब भी देखने को मिला जब राष्ट्रपति चुनाव के लिये रणनीति बनानी थी लेकिन, वो अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ कर कहीं चले गये थे। हालांकि जब भी उनकी ऐसी हरकतों पर सवाल उठने लगते हैं, तो उनकी पार्टी उनका बचाव करने लगती है। पिछले जून में सहारनपुर और मंदसौर पर सियासी नौटंकी करने के बाद वो अचानक इटली चले गये और कहा कि नानी से मिलने जा रहे हैं। 

60 दिन की लंबी गुपचुप विदेश यात्रा
राहुल की सबसे चर्चित छुट्टी फरवरी, 2015 की थी, जब वो अचानक देश से बाहर चले गए थे और 60 दिन बाद दिल्ली लौटे। बाद में पता चला कि वह बैंकॉक और म्यांमार घूमने गये थे। कहा गया कि मानसिक तनाव से मुक्ति के लिये उन्होंने इन देशों की यात्राएं की हैं। तब का उनका यात्रा विवरण भी दिलचस्प है-

• 16 फरवरी को दिल्ली से बैंकॉक के लिए उड़ान भरा
• 17 फरवरी को बैंकॉक से कंबोडिया गये और वहां 11 दिनों तक ठहरे
• 28 फरवरी को वापस बैंकॉक आ गए
• अगले दिन म्यांमार पहुंच गये और वहां लगातार 21 दिनों तक विश्राम किया
• 22 मार्च को वापस थाइलैंड पहुंचे और अयुथ्या बौद्ध केन्द्र में 9 दिन रहे
• 31 मार्च को वियतनाम पहुंचे और 12 अप्रैल तक वहीं ठहरे
• 12 अप्रैल को एक बार फिर बैंकॉक पहुंच गये और 16 अप्रैल तक वहीं आराम किया। फिर वापस दिल्ली लौट आये।

सवाल इसलिए भी उठने लगते हैं कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी समस्याओं से घिरी हुई है और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। राहुल गांधी परिदृश्य से उसी समय गायब हो जाते हैं जब उनकी जरूरत होती है।

राहुल गांधी की छुट्टियों पर एक नजर –

  • 25 अगस्त, 2017 को राहुल गांधी नॉर्वे की राजधानी ओस्लो चले गए। ये दौरा उस वक्त हुआ जब 27 अगस्त को बिहार में विपक्षी एकता की ताकत दिखाने को लालू प्रसाद रैली कर रहे थे। इसी दौर में चीन के साथ डोकलाम विवाद भी चल रहा था ।
  • इसी साल 28 जून को राष्ट्रपति पद के लिए नामाकंन करने गई मीरा कुमार के साथ भी राहुल गांधी मौजूद नहीं थे।
  • 13 जून,2017 को जब मंदसौर में किसानों का आंदोलन चल रहा था और कांग्रेस पार्टी हमलावर थी तो राहुल गांधी इटली नानी से मिलने चले गए।
  • 6 और 9 जनवरी, 2017 को जब कांग्रेस पार्टी देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रही थी तो राहुल गांधी विदेश में रहे।
  • दिसंबर 2016 में जब कांग्रेस पार्टी नोटबंदी को लेकर विरोध कार्यक्रमों की धार तेज कर रही थी, राहुल ठीक उसी वक्त विदेश चले गए। उनकी गैरमौजूदगी ने विरोध की धार को कुंद कर दिया।
  • बीते वर्ष देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का माहौल था। उसी समय राहुल गांधी अपनी खाट सभाओं को छोड़कर नए साल की छुट्टियां मनाने लंदन थे।
  • 2015 में भी बिहार चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी फ्रांस में थे।
  • राहुल की सबसे चर्चित छुट्टी फरवरी 2015 की थी। बजट सत्र के दौरान वह अचानक देश से बाहर चले गए और जब 57 दिनों बाद दिल्ली लौटे तो पता चला कि वह बैंकाक, म्यामांर घूमने गए थे। उन्होंने ध्यान करना भी सीखा।
  • दिसंबर, 2014 में पार्टी स्थापना दिसव पर भी राहुल नदारद थे।
  • मई, 2014 को सोनिया गांधी की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए आयोजित विदाई भोज में भी राहुल गांधी नहीं दिखे।
  • राहुल गांधी नवंबर 2014 में अचानक गायब हो गए थे। सवाल संसद तक में उठा तो कांग्रेस को बचाव में उतरना पड़ा था।
  • राहुल गांधी 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले गुप्त स्थान पर छुट्टियां मनाने चले गए थे। इसी बीच एक खुली जीप पर घूमते राहुल की फोटो सामने आई थी और बताया गया था कि यह रणथंभौर के नेशनल पार्क की है।
  • जून, 2013 में जब उत्तराखंड बाढ़ और भू-स्खलन की भारी तबाही झेल रहा था तब भी राहुल विदेशों में आराम फरमा रहे थे। उस समय वहां कांग्रेस की ही सरकार थी।
  • 16 दिसम्बर 2012 को हुए निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में दिल्ली और देशभर में छिड़े आंदोलन के बीच भी उनके पास युवाओं की आवाज बनने का मौका था लेकिन उस समय भी राहुल गांधी विदेश दौरे पर थे।
  • साल 2012 में हद तब हो गई थी जब वे नए साल की छुट्टियां मनाने फ्रांस चले गए थे जिसमें एक फोटो में वो एक युवती के साथ दिखाई दिए थे।

विरासत में मिली है राहुल गांधी को यह सीख
गौरतलब है कि राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले एक भारतीय वायु सेवा में नियमित पायलट थे। सन 1971 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब भारत सरकार ने सभी पायलटों की छुट्टियां रद्द कर दी थीं। उस दौरान इंडियन एयरलाइंस में सिर्फ एक पायलट को छुट्टी दी गई थी और वह पायलट थे। कांग्रेस के युवराज और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुपुत्र राजीव गांधी।

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भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अपने बच्चों प्रियंका और राहुल के साथ स्वदेश छोड़ दिया और इटली चले गए। उन्हें किस बात का डर था? रा

जीव गांधी तो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन सोनिया गांधी हैं। उन्हें बताना चाहिए कि 1971 के युद्ध के समय जब देश के सभी पायलटों की छुट्टियां रद्द की गई, तब राजीव गांधी को छुट्टी कैसे और क्यों मिली? राजीव गांधी इटली से सपरिवार भारत तब लौटे जब युद्ध का बवंडर शांत हो चुका था। पाकिस्तानी सेना का मेजर जनरल आत्मसमर्पण कर चुका था। यानि जब देश की सेवा करने का वक्त आया तो राजीव गांधी ने पीठ दिखा दी।

सोनिया के फॉरेन टूर का राज क्या है?
सोनिया गांधी जन्म से भारतीय नहीं हैं। राजीव गांधी से विवाह होने के बाद वह भारत आईं। सोनिया गांधी ने विवाह के वर्षों बाद भारत में नागरिकता के लिए आवेदन दिया और अधिकारिक रूप से भारत की नागरिक बनीं। सोनिया गांधी सार्वजनिक मंच से कहती हैं कि वह आखिरी सांस तक भारतीय रहेंगी। सच बात है… अधिकारिक रूप से वह भारत की नागरिक हो चुकी हैं। लेकिन दिल से भारत को अपना देश अब भी अपना नहीं पाईं हैं, उनके लिए आज भी भारत विदेश है और इटली स्वदेश। ऐसा कहने या मानने का आधार ये है कि देश को अब तक नहीं पता कि वह किस बीमारी से पीड़ित हैं, जिसका इलाज कराने बार-बार अमेरिका जाती हैं। क्या उस बीमारी का इलाज इस देश में नहीं है या यहां के स्वास्थ्य तंत्र पर भरोसा नहीं है? 

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