पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद तृणमूल कांग्रेस के गुंडों का तांडव जारी है। बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिसकी वजह से हजारों कार्यकर्ता राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। इसको देखते हुए 146 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर SIT से जांच की मांग की है। उधर 2093 महिला वकीलों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को पत्र लिखकर मामले में संज्ञान लेने की अपील की है।
Over 2,000 women lawyers urge CJI to take cognisance of Bengal post-poll violence
https://t.co/jif8kmX0oT#BengalViolence— M. Nageswara Rao IPS(R) (@MNageswarRaoIPS) May 24, 2021
सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक टीम गठित कर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही कहा गया है कि बंगाल चूंकि संवेदनशील सीमा वाला राज्य है इसलिए इस केस में राष्ट्रविरोधी तत्वों से निपटने के लिए इसे NIA को सौंपा जाना चाहिए।
उधर महिला वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में हिंसा की निंदा करते हुए राज्य की स्थिति के बारे में जानकारी दी है। वकीलों ने स्थानीय पुलिस की स्थानीय गुंडों से मिलीभगत होने के आरोप लगाए। इसमें कहा गया है कि पीड़ितों की एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई और राज्य में संवैधानिक ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।
इसके अलावा निष्पक्ष जांच के लिए बंगाल से बाहर पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने की मांग की गई है और केस के जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का आग्राह किया गया है। इसमें बंगाल के डीजीपी को हर स्तर पर शिकायतें दर्ज कराने की प्रणाली विकसित करने और विभिन्न चैनलों के जरिए आने वाली शिकायतों का विवरण प्रतिदिन सुप्रीम कोर्ट भेजने का निर्देश देने की मांग भी की गई है।
गौरतलब है कि सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपने पत्र में मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया है। इसमें बंगाल के 23 जिलों में से 16 जिलों के बुरी तरह राजनीतिक हिंसा से प्रभावित होने और 15000 से ज्यादा हिंसा के मामले प्रकाश में आने की बात कही गई है। बताया गया है कि हिंसा में महिलाओं समेत दर्जनों लोग मारे गए हैं। इसके अलावा 4-5 हजार लोग घर-बार छोड़कर असम, झारखंड और ओडिशा में शरण लिए हैं।