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देखिए किस तरह मीडिया का इस्तेमाल कर खबरें छपवाते हैं दिल्ली के सीएम केजरीवाल

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जितना काम नहीं करते हैं, उससे ज्यादा ढींढोरा पीटने के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए वो विज्ञापनों और पत्रकारों पर खूल कर खर्च करते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स में दिल्ली की शिक्षा मॉडल की तारीफ में जो लेख लिखे गए, वो पेड न्यूज का सबसे बेहतर उदाहरण है। सोशल मीडिया में लोगों ने दिल्ली सरकार पर पैसे खर्च कर लेख छपवाने का आरोप लगाया। इस आरोप में दम दिखाई दे रहा है, क्योंकि सोशल मीडिया में आम आदमी पार्टी का एक संदेश वायरल हो रहा है, जिसमें अमर उजाला के मुख्य पृष्ट पर खबर छपवाने का अनुरोध किया गया है। 

पहले पेज पर खबर छपवाने के लिए केजरीवाल की तिकड़म

कभी केजरीवाल ने सही कहा था कि पत्रकार की खाल मे कुछ दलाल घूम रहे हैं। समय आ गया है इनका नाम लेकर जनता में इनकी पोल खोलने का। लेकिन आज सोशल मीडिया पर समाचार पत्र अमर उजाला के पत्रकार और आम आदमी पार्टी के किसी नेता के वायरल हो रहे वाट्सऐप चैट ने केजरीवाल की पोल खोलकर रख दी है। @alok_bhatt नाम के एक ट्विटर हैंडल से वाट्सऐप चैट को शेयर किया गया है। इसमें आम आदमी पार्टी के नेता अमर उजाला के पत्रकार झा जी से अनुरोध कर रहे हैं। इस अनुरोध का शीर्षक है-पहले पेज के लिए आग्रह। इस अनुरोध में अरविंद केजरीवाल के बयान को किस तरह से छापना है। इसका भी जिक्र किया गया है…

– भर्ती कैलेंडर जारी कर बोले अरविंद केजरीवाल, ‘गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो पहले साल से ही चालू कर देंगे सरकारी नौकरियों की भर्ती’

–  सीएम बोले, ‘फरवरी-अप्रैल में तलाटी की भर्ती, मई में टेट 1, टेट – 2, टैट की परीक्षा व जुलाई में नतीजे, अगस्त- अक्टूबर में शिक्षकों की भर्ती और नवंबर-दिसंबर में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर की भर्ती करेंगे।’

केजरीवाल के बयान से पकड़ी गई चोरी 

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपने के पीछे की सच्चाई को दुनिया के सामने ला दिया था। उन्होंने कहा था, “अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर देश है। और अमेरिका का सबसे बड़ा अखबार है- न्यूयॉर्क टाइम्स। न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपवाने के लिए…छपने के लिए… बड़ा मुश्किल होता है न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपना।” इस बयान से केजरीवाल की चोरी पकड़ में आ गई। आज केजरीवाल स्थानीय समाचार पत्र से लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स तक खबरें छपवा रहे हैं।

केजीरवाल के गोद में बैठे पत्रकार

अरविंद केजरीवाल अपने चहेते पत्रकारों से अपने मनमाफिक खबरें छपवाते हैं। इसके लिए केजरीवाल सरकार उनका पूरा आवभगत भी करती है। इसका खुलासा अप्रैल 2022 में हुआ, जब आम आदमी पार्टी की गोदी में  बैठ हुए पत्रकारों की जाम छलकाते हुई तस्वीर वायरल हुई थी। दूसरों को गोदी मीडिया बताने वाले इन पक्षकारों की खुद की विश्वनीयता नहीं रही है। मीडिया के लोग तो इनकी सच्चाई जानते ही हैं, लेकिन अब सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों ने इनकी असलियत आम लोगों के बीच खोल कर रख दी।

AAP के एजेंडे को आगे बढ़ाते खोजी पत्रकार दीपक शर्मा

2002-2015 तक आजतक में Crime और Investigative पत्रकार रहे दीपक शर्मा ने केजरीवाल के आंदोलन का खुल कर समर्थन किया था। दीपक शर्मा ने 2012 में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के भ्रष्टाचार पर Investigative रिपोर्टिग आजतक पर की थी, जिसने केजरीवाल के आंदोलन को बल दिया था और इस पत्रकार ने भी खूब नाम कमाया। आज दीपक शर्मा की डिजिटल पत्रकारिता आम आदमी पार्टी के समर्थन में और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ नैरेटिव बनाने का काम करती है। आज दीपक शर्मा अपने यूट्यूब चैनल पर आम आदमी पार्टी के नैरेटिव को खूब बढ़ावा देते हैं।

छवि चमकाने के लिए मीडिया का जमकर इस्तेमाल

दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी छवि चमकाने के लिए मीडिया का जमकर इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए उन्होंने पत्रकारों की एक फौज भी खड़ी की हुई है। उनकी टीम में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहले तो पत्रकारिता करते हुए उनकी मदद की और बाद में उनकी पार्टी से ही जुड़ गये। ऐसे पत्रकारों की भी तादाद बड़ी है जिन्हें केजरीवाल सरकार ने पत्रकारिता की नौकरी से अलग कहीं न कहीं ‘एडजस्ट’ कर रखा है। 

सीएम केजरीवाल ने अपने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को खड़ा करने के लिए पत्रकारों का बहुत ही सधे अंदाज में इस्तेमाल किया। शुरुआती दौर में मीडिया हाउस और पत्रकारों को साधने का काम उनके आंदोलन में सहयोगी बने पत्रकार मित्र मनीष सिसौदिया, शाजिया इल्मी, योगेन्द्र यादव, अभिनंदन शेखरी, नागेंद्र और उनके स्वयंसेवी संस्थाओं के मित्र संजय सिंह, प्रशांत भूषण, हर्ष मंदर, शेखर सिंह आदि मित्रों ने बखूबी निभाई।

कांग्रेस की यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान देश की जनता को कोई समाधान चाहिए था और पत्रकारों ने केजरीवाल को संकटमोचक के रुप में पेश किया। परिणाम यह हुआ कि उस समय समाज के हर तबके के लोग केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में साथ खड़े नजर आये। केजरीवाल के इस आंदोलन की देशव्यापी स्तर पर पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका न्यूज चैनलों और केजरीवाल के पत्रकार मित्रों ने निभाई।

केजरीवाल जब आंदोलन का पाला बदलकर राजनीति में घुसे तो जिन पत्रकारों और चैनलों ने उनका विरोध किया, उन पत्रकारों और चैनलों को केजरीवाल बिका हुआ बताने लगे। लेकिन दिलचस्प बात यह कि केजरीवाल ने खुद पत्रकारों और मीडिया को खरीदने का एक सरकारी तंत्र खड़ा किया, केजरीवाल की राजनीति का यह एक रोचक घटनाक्रम है-

केजरीवाल के मीडिया और पत्रकारों से शुरुआती मधुर रिश्ते
केजरीवाल ने साल 2000 में भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी छोड़ी और शहरों के गरीबों के हक की आवाज उठाने के लिए परिवर्तन नाम की संस्था अपने पत्रकार मित्र मनीष सिसौदिया के साथ शुरु की। 2006 में परिवर्तन को छोड़कर आरटीआई के लिए अरुणा राय के साथ काम किया फिर इसे भी छोड़कर 2011 में इंडिया अंगेस्ट करप्शन और अन्ना के साथ जुड़कर जनलोकपाल के लिए आंदोलन खड़ा किया। इस यात्रा में उनके पत्रकारों और मीडिया चैनलों के साथ अच्छे संबंध रहे।

अरविंद केजरीवाल ने जब आप पार्टी बनायी तो कई पत्रकारों ने परोक्ष- अपरोक्ष रुप से आप का समर्थन किया। इसी दौरान टीवी पत्रकार आशुतोष ने आप को ज्वाइन कर लिया। तहलका और गुलेल न्यूज पोर्टल में काम करने वाले आशीष खेतान भी आप में शामिल हो गये। केजरीवाल ने जब पहली बार दिल्ली में सरकार बनायी तो उनके मीडिया से आपसी संबंध वैसे नहीं रहे जैसे आंदोलन के समय थे।

पत्रकार और मीडिया कांग्रेस से उनके होने वाले गठजोड़ और जनलोकपाल बिल पर विरोध में खड़ी दिखाई पड़ी। केजरीवाल ने जब 2015 में 70 में से 67 सीट जीत कर फिर से सरकार बनायी तो उनके सामने मीडिया के साथ इस तरह के रिश्ते रखने की चुनौती थी जिससे सरकार की सकारात्मक छवि ही जनता के सामने आये। मीडिया से बनने वाले ऐसे रिश्ते को दिल्ली डायलाग कमीशन नाम दिया गया।

दिल्ली डायलाग कमीशन
दिल्ली डायलाग कमीशन को पूर्व पत्रकार आशीष खेतान के साथ-साथ मनीष सिसौदिया को सौंप दिया गया। केजरीवाल इसके चेयरमैन और आशीष खेतान वाइस चेयरमैन बने। सिसौदिया सदस्य के रुप में इससे जुड़ गये। इस कमीशन को तमाम तरह की नागरिक सुविधाओं, महिला सुरक्षा, सफाई, जल प्रबन्धन इत्यादि पर समाधान प्राप्त करना था। ऑड- ईवेन कार्यक्रम का विचार इसी कमीशन की उपज थी। इस डायलाग में पत्रकारों को आमंत्रित किया जाने लगा। इस डायलाग के दौरान दिल्ली सरकार की सकारात्मक खबरों को देने की व्यवस्था हुई, जिससे खबरें जनता के पास पहुंचे। खबरों के साथ- साथ पत्रकारों को कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में मनोनीत किया जाने लगा। गवर्निंग बॉडी के सदस्य की कॉलेज के प्रशासनिक, वित्तिय और शैक्षणिक मामलों के सभी निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इस तरह से दिल्ली के 28 कालेजों मे 27 पत्रकारों को केजरीवाल ने गवर्निंग बॉडी का सदस्य बनाया। ये सभी पत्रकार जमकर केजरीवाल सरकार की अपने लेखों या ब्लॉग में तारीफ करते हैं या न्यूज चैनल के डिबेट शो में आप के लिए बहस करते हैं, उनमें से कुछ इस तरह से हैं

सबा नकबी
पत्रकार सबा नकबी को 2015 में ही कमला नेहरु कालेज के गवर्निंग बॉडी का सदस्य नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने दिल्ली चुनावों के ऊपर एक किताब The Capital Conquest: How the AAP’s Victory has Redefined Indian Elections लिखी है। इस किताब में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तारीफों के पुल बांधे गये हैं। जनवरी 2016 में Scroll.in के लिए केजरीवाल सरकार की पहली वर्षगांठ पर एक जबरदस्त सकारात्मक लेख लिखा।

राजेश रामचन्द्रन
इकनॉमिक टाइम्स में राजनीति संपादक को मैत्रयी कालेज की संचालन समिति में नियुक्त किया गया। वह आप के बारे में अधिक तो नहीं लिखते हैं लेकिन अपने ब्लॉग में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की प्रसंशा जरूर करते हैं।

नेहा लालचंदानी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्टर नेहा आप के बारे में रिपोर्ट लिखती रहती हैं। उन्हें गार्गी कालेज की संचालन समिति में सदस्य बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या उपराज्यपाल नजीब जंग के साथ होने वाली जबानी जंग में केजरीवाल को शब्दों से नायक ही साबित करती है। उनके अनुसार केजरीवाल के पास भविष्य का एक विज़न है और वह सिस्टम को बदलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

शरद शर्मा
शरद शर्मा एनडीटीवी में पत्रकार हैं। उन्हें केजरीवाल की सरकार ने कमला नेहरु कालेज की संचालन समिति में सबा नकबी के साथ नियुक्त किया है। वह केजरीवाल की ईमानदारी और अखंडता के गीत गाते रहते हैं।

अभय कुमार दूबे
राजनीति समीक्षक व विश्लेषक अभय दूबे को दिल्ली कालेज ऑफ आर्ट्स एण्ड कामर्स की संचालन समिति में नियुक्त किया गया। 6 जून 2016 को एनडीटीवी में रविश कुमार के डिबेट शो में योगेन्द्र यादव और प्रशात भूषण के सामने केजरीवाल का बचाव कर रहे थे। दोनों योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण ने केजरीवाल के मनमाने तौर-तरीकों को लेकर काफी विरोध किया था, जिसके परिणाम स्वरुप दोनों को आप से अप्रैल 2015 में बाहर होना पड़ा था। अभय दूबे को दिल्ली सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का भी सदस्य बनाया जो उन नीतियों के बारे में विचार- विमर्श कर रहा है जिससे भारत की बहुभाषिय विभिन्नता को संरक्षित और पल्लवित किया जा सके।

अनुराग धंडा
नेटवर्क18 और न्यूज-24 से जुड़े रहे टीवी पत्रकार अनुराग धंडा अब आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। इससे पहले केजरीवाल की सरकार ने उन्हें दिल्ली के शहीद सुखदेव कालेज ऑफ बिजनेस स्टडीज़ की संचालन समिति में सदस्य नियुक्त किया था। दो भाग के अपने ब्लॉग- आप की महाभारत का सच– में केजरीवाल की भूषण और यादव से हुई सार्वजनिक जूतम-पैजार के बारे में लिखा था। ब्लॉग में उन्होंने साफ- साफ केजरीवाल के साथ खड़े होने के बारे में लिखा था। उन्होंने लिखा था कि केजरीवाल से इस झगड़े के पीछे की असली वजह योगेन्द्र यादव का अतिमहत्वाकांक्षी होना है। वह भूषण के साथ मिलकर केजरीवाल की सत्ता पलटना चाहते थे। उनके ब्लॉग का यही निष्कर्ष था कि आप पार्टी ने एक साथ मिलकर योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाला था, इस तरह से पूरी पार्टी केजरीवाल के साथ थी।

भाषा सिंह
भाषा सिंह आउटलुक समाचार पत्रिका में सहायक संपादक हैं, और उन्हें दिल्ली की सरकार ने महर्षि वाल्मिकी कालेज की संचालन समिति में सदस्य के रुप में नियुक्त किया है। वह केजरीवाल का अक्सर इंटरव्यू करती रहती हैं। विधान सभा चुनाव से पहले और बाद में, या सरकार की वर्षगांठ पर। इन सभी इंटरव्यू में केजरीवाल को प्रधानमंत्री मोदी या केन्द्र सरकार पर हमला करने का मौका देने वाले प्रश्न पूछे जाते हैं।

सईद फाज़ील अली
सहारा न्यूज नेटवर्क के सईद फाज़ील अली को केजरीवाल सरकार ने दिल्ली कालेज ऑफ कॉमर्स एण्ड आर्ट्स के संचालन समिति में सदस्य नियुक्त कर दिया। उनके लेखों से आप की राजनीति पर उनका रुख एकदम से स्पष्ट हो जाता है, उदाहरण के लिए- “AAP Made A Tryst With Destiny… At The Stroke Of The Midnight Hour, When The World Was Half Asleep, Prashant, Yogendra Were expelled.”

पंकज वोहरा
संडे गार्डियन के प्रबंध संपादक पंकज बोहरा को केजरीवाल सरकार ने शहीद सुखदेव कालेज ऑफ बिजनेस स्टडीज की संचालन समिति में सदस्य नियुक्त किया है। वैसे तो वह आप के बारे में कम ही लिखते हैं लेकिन चैनलों के डिबेट शोज़ में केजरीवाल का बचाब करते हैं।

संजय मिश्रा
प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकार संजय मिश्रा को केजरीवाल सरकार ने श्री अरविंदो कालेज की संचालन समिति का सदस्य नियुक्त किया।

अंबिका पंडित
टाइम्स ऑफ इंडिया की अंबिका पंडित को दिल्ली की सरकार ने मैत्रयी कालेज की संचालन समिति में नियुक्त किया। लेकिन सभी पत्रकारों में मात्र यही एक थी जिन्होंने केजरीवाल सरकार की ऑड-ईवेन स्कीम और सरकार के जेडर रिसोर्स सेन्टर को बंद करने के फैसले की आलोचना की थी।

राजदीप सरदेसाई और पुण्य प्रसून वाजपेयी
आय संयोजक अरविंद केजरीवाल पत्रकारों की जिस फौज के साथ अपनी राजनीतिक लड़ाई जितना चाहते थे, उसमें ऐसे कई छुपे रुस्तम भी थे जो निष्पक्ष पत्रकारिता की आड़ में उनके साथ खड़े थे। इसमें सबसे पहले नाम आता है राजदीप सरदेसाई और पुण्य प्रसून वाजपेयी का। दोनों ही न्यूज चैनल के नामचीन एंकर हैं। राजदीप को पीएम मोदी से विरोध था तो गरीब और मजदूरों की बात करने वाले साम्यवादी एंकर वाजपेयी को केजरीवाल के रुप में राजनीतिक स्तर पर मोदी का विरोध करने वाले एक प्लेटफार्म की जरूरत थी। इनके साथ ही पत्रकार मुकेश केजरीवाल और रूपाश्री नंदा ने भी केजरीवाल को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

केजरीवाल सरकार ने सरकारी विज्ञापनों की निगरानी के लिए वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया था। कमिटी में थानवी के अलावा शैलेश कुमार और जगतीत सिंह देसवाल को सदस्य बनाया गया था। केजरीवाल को राजनीति का एक अहम नायक बनाने में पत्रकार और मीडिया की फौज ने एक बड़ी भूमिका निभाई, लेकिन सत्ता में आने के बाद जिन पत्रकारों और चैनलों ने केजरीवाल का विरोध किया उसे वो सुपारी पत्रकारिता की संज्ञा देकर बदनाम करने लगे।

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