CAA को लेकर देश के कई शहरों में विपक्षी नेता भ्रम पैदा करने वाली स्थिति बना कर रहे हैं, जिससे आम जनता में अविश्वास पैदा हो रहा है। वहीं प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मडंल की बैठक में तय किया गया है कि पूरे देश में संत समाज CAA के समर्थन में जनजागरुकता अभियान चलाएगा।
विहिप (विश्व हिंदू परिषद) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल द्वारा नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा होने के बाद इस पर जनजागरुकता अभियान चलाने के साथ CAA कानून लाने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद भी दिया गया।
पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के फैसले को सराहा
इस बैठक में सभी संतों ने CAA पर चर्चा कर एक साथ पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ की और नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करने का भी फैसला लिया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में पारित प्रस्तावों को संत सम्मेलन में मंजूरी के लिए सभी के सामने रखा जाएगा।
राष्ट्रहित में है CAA
अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि संत समाज गांव-गांव जाकर CAA के समर्थन में जनजागरुकता फैलाने के साथ लोगों को इस कानून की सच्चाई बताएगा। इसके साथ ही संत समाज लोगों से कानून के समर्थन में आगे आने की अपील करेंगे।
उन्होंने कहा कि CAA राष्ट्रहित में है और जब खुद गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि नए कानून से देश में रहने वाले मुसलमानों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है तो फिर इसका विरोध क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में तय किया गया है कि संत समाज अपने अपने तरीके से लोगों को CAA के संबंध में जागरुक करेगी और इसके बारे में लोगों को समझाएंगे।
धर्मांतरण पर रोक के लिए भी बनी रणनीति
विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने बताया कि सीएए के समर्थन में विहिप, अखिल भारतीय संत समिति और अखिल भारतीय साध्वी शक्ति परिषद की ओर से जनजागरूकता अभियान चलाने का प्रस्ताव पारित हुआ है। धर्मांतरण पर रोक के लिए भी रणनीति बनी।
वहीं सीएए के समर्थन में वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन के पास हिंदू युवा वाहिनी ने हस्ताक्षर अभियान चलाया। इसी के साथ-साथ चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर सहित अन्य जिलों में भी अभियान चलाया गया।
CAA को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार भ्रम फैला रही हैं इसके बावजूद बड़ी संख्या में जनता ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है-
देश के 62 प्रतिशत लोगों ने सीएए का समर्थन किया है। वहीं ज्यादातर लोग इस कानून को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के साथ खड़े हैं। आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण में शनिवार को इस बात की जानकारी सामने आई। यह सर्वे देशभर में तीन हजार नागरिकों में 17 से 19 दिसंबर के बीच कराया गया था।
रिपोर्ट में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण भारत से 57.3, 64.2, 67.7 और 58.5 प्रतिशत लोगों ने क्रमश: कानून के पक्ष में होने की बात कही। पिछले हफ्ते पूर्वोत्तर में इस कानून का भारी विरोध हुआ था, रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यहां 50.6 प्रतिशत लोग कानून के समर्थन में हैं।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मुस्लिमों में 63.5 प्रतिशत लोग इसके खिलाफ हैं, जबकि 35 प्रतिशत इसका समर्थन करते हैं और 0.9 प्रतिशत का कहना है कि वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। यदि हिंदुओं की बात करें तो 66.7 प्रतिशत लोग इसका समर्थन करते हैं, जबकि 32.3 प्रतिशत इसके विरोध में हैं। इसी प्रकार अन्य धर्मो की बात की जाए तो 62.7 इसके पक्ष में है, वहीं 36 प्रतिशत सीएए का विरोध कर रहे हैं।
सर्वे में कहा गया कि पूरब, पश्चिम और उत्तर भारत में 69, 66, 72.8 प्रतिशत लोगों को क्रमश: ऐसा लगता है कि यदि दूसरे देशों से लोग भारत में आकर बसे तो सुरक्षा को खतरा हो सकता है। हालांकि, दक्षिण भारत के 47.2 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हैं, जबकि 50 प्रतिशत को ऐसा लगता है कि अन्य देशों के यहां बसने से देश को कोई खतरा नहीं होगा।
पूर्वोत्तर राज्यों में केवल 59.8 प्रतिशत लोगों का मानना है कि घुसपैठियों से देश को खतरा हैं। जबकि 35.7 प्रतिशत इस बात का विरोध करते हैं। इस बीच असम की बात करें तो 73.4 प्रतिशत लोगों को ऐसा लगता है कि यदि विदेशी भारत में आकर बसे तो वह समाज और सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। वहीं, 21.8 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है।
सीएए को लेकर सरकार और विपक्ष के समर्थन के सावाल पर 58.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह सरकार के साथ हैं, जबकि 31.7 प्रतिशत ने विपक्ष को अपना समर्थन दिया है। इसी प्रकार से पूरब, पश्चिम, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर लोगों ने सरकार का समर्थन किया है, वहीं दक्षिण भारत के 47.2 प्रतिशत लोगों ने इस बात को लेकर विपक्ष का साथ दिया है। सीएए को लेकर सरकार के साथ खड़े होने के मामले में हिंदू और मुस्लिम बंटे हुए हैं। 67 प्रतिशत हिंदू इसका समर्थन करते हैं, जबकि 71.5 प्रतिशत मुस्लिम सरकार को छोड़ विपक्ष का साथ देते नजर आ रहे हैं।
नीचे दिए गए 10 प्वाइंट में समझिए कि आखिर नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से डरने की क्यों जरूरत नहीं है।
CAA और NRC को 10 प्वाइंट्स में समझें
1. CAA पड़ोसी देशों से आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है। इसका NRC से कुछ भी लेना देना नहीं है।
2. असम में NRC की प्रक्रिया असम समझौते और माननीय सर्वोच्च नयायायल के आदेश पर की जा रही है।
3. यह गलत अफवाह है कि NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा। NRC के जरिए मुस्लिमों से भारतीय होने का सबूत मांगने की भी बात गलत है।
4. NRC के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज देना होगा जैसा कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं।
5. अगर NRC लागू होगा तो आपको अपने जन्म का विवरण से जन्म की तारीख, माह, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पार्याप्त होगा।
6. अगर NRC लागू होता है तो 1971 से पहले की वंशवाली साबित नहीं करना होगा। इस बारे में सिर्फ भ्रम फैलाया जा रहा है।
7. असम के 19 लाख लोग NRC के तहत बाहर इसलिए हो गए क्योंकि वहां घुसपैठ की समस्या लंबे समय से चल रही है।
9. NRC के लिए मुश्किल और पुराने दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे, जिन्हें जुटा पाना बहुत मुश्किल होगा।
10. अगर कोई व्यक्ति पढ़ा लिखा नहीं है और उसके पास दस्तावेज नहीं है तो उसे गवाह, Community Verification के अलावा अन्य सुविधाएं दी जाएगी।
इसके बावजूद अब भी अगर आपके जहन में कोई शंका है तो इन सवाल-जवाब से अपने भ्रम और डर को दूर कर सकते हैं-