काभारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में 20 सैनिकों की शहादत पर पूरे देश में आक्रोश है। पूरा देश अपने वीर सपूतों को नम आंखों से विदाई दे रहा है। वहीं इस शहादत पर कांग्रेस की सियासत अपने चरम पर है। कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार पर सवाल पर सवाल दागे जा रहे हैं। बीजेपी ने भी देश के बारे में उनकी जानकारी और समझ पर सवाल उठा दिया है।
मोदी सरकार से सवाल पूछकर घिरे राहुल गांधी
राहुल ने ट्विटर पर एक 18 सेकेंड का वीडियो जारी कर कहा, चीन ने हिंदुस्तान के निहत्थे सैनिकों की हत्या करके एक बहुत बड़ा अपराध किया है। मैं पूछना चाहता हूं कि इन वीरों को बिना हथियार खतरे की ओर किसने भेजा और क्यूं भेजा। कौन जिम्मेदार है?’
कौन ज़िम्मेदार है? pic.twitter.com/UsRSWV6mKs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 18, 2020
गोलियां चलाने में समझौता आड़े आया: विदेश मंत्री
राहुल गांधी के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लिखा, ‘हमें तथ्यों को ठीक से समझ लेना चाहिए। बॉर्डर ड्यूटी पर लगे सभी सैनिक हमेशा हथियार के साथ होते हैं, खासकर पोस्ट से निकलते वक्त। 15 जून को गलवान में ड्यूटी पर तैनात सैनिकों के पास भी हथियार थे।’ जयशंकर ने चीनी सैनिकों के साथ खूनी झड़प के वक्त हथियारों का उपयोग नहीं किए जाने को लेकर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने लिखा, ‘गतिरोध के वक्त हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी परंपरा (1996 और 2005 समझौतों के तहत) रही है।’
बीजेपी का राहुल पर पलटवार
बीजेपी नेता संबित पात्रा ने राहुल के वीडियो पर पलटवार किया है। उन्होंने राहुल पर निशाना साधते हुए कांग्रेस काल में चीन के साथ हुए समझौतों के बारे में पढ़ने की नसीहत दी। उन्होंने 1996 में हुए चीन के साथ समझौते का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर आप पढ़े लिखे नहीं है, जानकारी नहीं है। घर में बैठकर लॉकडाउन का इस्तेमाल करते हुए कुछ किताबें पढ़नी चाहिए थी। चीन के साथ कांग्रेस के शासन काल में क्या-क्या समझौते हुए थे, यह आपको पढ़ लेना चाहिए था।’
Sharing the video of today’s Press Conference on Rahul Gandhi’s misinformations: https://t.co/0rXv4ybFPv
— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 18, 2020
“प्रधानमंत्री सिर्फ भाजपा का नहीं, देश का प्रधानमंत्री है”
प्रधानमंत्री मोदी पर राहुल गांधी के हमले का जवाब देते हुए संबित पात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ भाजपा के नहीं… देश के प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री मोदी को डरा हुआ कहना हिंदुस्तान को डरा हुआ कहना है। राहुल गांधी के आज के ट्वीट पर पात्रा ने कहा राहुल को थोड़ा संयम बरतने की जरूरत है। यह सवाल 19 जून को सर्वदलीय बैठक में पूछा जा सकता था।
कांग्रेस और चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच समझौता
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि अगस्त 2008 में कांग्रेस और चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच एमओयू साइन किया गया था। कांग्रेस पर करारा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि समझौते दो देशों के बीच होते सुने, लेकिन दो पार्टियों के बीच समझौता क्यों हुआ ?
ऐसा पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी ने अपनी अज्ञानता और नासमझी का परिचय दिया हो। इससे पहले वह कई मौके पर इसका सार्वजनिक प्रदर्शन कर चुके हैं।
लद्दाख के बीजेपी सांसद ने राहुल को दिखाया आईना
लद्दाख में चीनी सेना के घुसपैठ को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी के सवाल पर लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने करारा जवाब दिया। जामयांग ने कहा, ‘हां चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया है।’ अपने जवाब के साथ जामयांग सेरिंग नामग्याल ने ट्विटर पर उन जगहों की लिस्ट भी ट्वीट की, जिसे भारत ने सन 1962 से 2012 के दौरान कांग्रेस शासनकाल में गंवा दी थी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि राहुल गांधी और कांग्रेस तथ्यों पर आधारित मेरे जवाब से सहमत होंगे और उम्मीद है कि वो फिर गुमराह करने की कोशिश नहीं करेंगे।’
I hope @RahulGandhi and @INCIndia will agree with my reply based on facts and hopefully they won’t try to mislead again.@BJP4India @BJP4JnK @sambitswaraj @JPNadda @blsanthosh @rajnathsingh @PTI_News pic.twitter.com/pAJx1ge2H1
— Jamyang Tsering Namgyal (@MPLadakh) June 9, 2020
आखिर कब बड़े होंगे राहुल बाबा?
अक्सर राहुल गांधी कुछ-न-कुछ ऐसा बयान दे देते हैं, जिससे सवाल उठने लगते हैं कि आखिर कब बड़े होंगे राहुल बाबा? ऐसा सवाल इस लिए पूछा जाता है कि क्योंकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 15 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हैं, उनकी उम्र भी 50 के करीब हो गई है, लेकिन लगता है कि मानसिक तौर पर वे अभी भी परिपक्व नहीं हुए हैं। उनकी ब्रांडिंग के लिए विदेशी एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है, लेकिन कोई फर्क दिखाई नहीं पड़ रहा है। जाहिर है कि जिस नेता को जमीनी मुद्दे नहीं पता, जमीनी सच्चाई नहीं पता वो कैसे जनता की नुमाइंदगी ठीक से कर सकता है। जिसे विदेशी समझौतों और संबंधों की समझ नहीं है। वो अपनी ही सरकार से विदेशी मामलों में समझदारी और जिम्मेदार रवैया कैसे दिखा सकता है। एक नजर डालते हैं ऐसी घटनाओं पर जिनसे यह समझने में आसानी होगी कि राहुल बाबा कहीं पूरी जिंदगी राहुल बाबा तो नहीं रहेंगे।
योग्यता नहीं वंशवाद के चलते बने थे कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गांधी को राजनीति में आए डेढ़ दशक का वक्त हो चुका है और वो देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, जबकि कांग्रेस पार्टी में एक से एक धुरंधर नेता हैं। आखिर क्या वजह है कि उन्हें अध्यक्ष बनाया गया, जाहिर सी बात है वंशवाद के चलते। कांग्रेस पार्टी में वंशवाद की राजनीति का बीज सबसे गहरा है, आजादी के बाद ज्यादातर नेहरू-गांधी खानदान का व्यक्ति ही अध्यक्ष रहा है। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी 19 वर्षों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं थी। राहुल के इस्तीफे के बाद फिर सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया।
राहुल की इमेज बदलने के लिए लंबी-चौड़ी टीम
वंशवाद के जरिए राहुल गांधी को अध्यक्ष बनया गया, उसके बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन इतनी बड़ी पार्टी को संभालने में वे नाकाम साबित हुए। इसीलिए कांग्रेस पार्टी फिर से अध्यक्ष बनाने के लिए उनकी ब्रांडिंग में लगी हुई है। बताया जा रहा है कि देशी-विदेशी एजेंसियों की बड़ी टीम राहुल बाबा की ब्रांडिंग में लगी हुई है। राहुल गांधी की ब्रांडिंग के लिए विदेशों में विशेष कार्यक्रम प्रायोजित किए जाते हैं, जहां राहुल गांधी अपने विचार प्रकट करते हैं, उनकी बातों को मीडिया में कवरेज दिलाया जाता है, ताकि राहुल के बारे में लोगों की सोच बदल सके। लॉकडाउन में उन्होंने अर्थशास्त्रियों और विदेशी राजनयिकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत भी कराई गई। सोशल मिडिया और ट्विटर के जरिए अपनी बात कहने को कहा गया है।
इतनी सावधानी के बाद भी राहुल कर देते हैं गलती
राहुल गांधी की सार्वजनिक मौजूदगी और बातचीत को लेकर बेहद सावधानी बरती जाती है। ज्यादातर ट्विटर से ही संवाद करने वाले राहुल गांधी उसमें भी गलती कर देते हैं। जब कुछ पता नहीं होगा तो उनकी टीम भी कितना संभालेगी। राहुल गांधी अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स से संवाद के दौरान भारत और अमेरिका को असहिष्णु देश बता दिया। इस दौरान निकोलस बर्न्स ने राहुल गांधी को टोकते हुए कहा कि अमेरिका में असहिष्णुता जैसी कोई बात नहीं है। जबकि राहुल गांधी अपने ही देश को असहिष्णु बताकर अपमान करने से बाज नहीं आए।
लाख छिपाने के बाद भी सामने आ जाती है असलियत
जैसा कि पहले जिक्र किया है कि राहुल गांधी की इमेज चमकाने के लिए विदेशों में प्रायोजित संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सिंगापुर में National University of Singapore में राहुल गांधी का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में राहुल गांधी देश की समस्याओं के बारे में अपने विचारों को प्रकट कर रहे थे, लोग तालियां बजा रहे थे। पहले से तैयार सवालों का जवाब राहुल गांधी बेहद गंभीरता से देते हुए दिखे। इस कार्यक्रम के दौरान जब लाइव सवाल पूछने का दौर आया तो राहुल गांधी की हालत पतली हो गई।
कड़े सवालों पर बगलें झांकने लगते हैं राहुल गांधी
सिंगापुर के विश्वविद्यालय में आयोजित इसी कार्यक्रम में लाइव सेशन के दौरान एक आर्थशास्त्री ने भारत की अर्थव्यवस्था में उनके परिवार के योगदान की बात करते हुए सवाल पूछा कि जब गांधी परिवार ने जितने वर्षों भारत पर राज किया, उस दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की रफ्तार, दुनिया के औसत से कम थी। वहीं जब गांधी परिवार सत्ता में नहीं था, तब भारत की प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की रफ़्तार, दुनिया के औसत के मुकाबले बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी। इस सवाल से राहुल एकदम असहज हो गए, और पानी की बोतल ढूंढते हुए दिखाई दिए।
राहुल ने मोबाइल से देखकर लिखा शोक संदेश
राहुल गांधी के बारे में दावा किया जाता है कि वो विदेश में पढ़े हैं और बहुत ही समझदार और संवेदनशील नेता है। इस दावे की पोल उस वक्त खुल गई जब नेपाल में आए भूकंप के बाद मई 2015 में राहुल गांधी नई दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास पहुंचे और वहां शोक संदेश लिखा। राहुल ने शोक संदेश अपने मन से नहीं लिखा, बल्कि इसके लिए मोबाइल का सहारा लिया। अब बताइए जो नेता एक शोक संदेश भी अपने मन से नहीं लिख पाता हो, वो देश का नेतृत्व कैसे कर सकता है?, यह सवाल तो उठना लाजिमी है।
कभी दिखाते हैं फटा कुर्ता, कभी पहनते हैं हजारों की जैकेट
राहुल गांधी कब कौन सी हरकत कर बैठेंगे इसका कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता है। उत्तराखंड में चुनाव की रैली के दौरान राहुल गांधी ने अपनी कुर्ते की फटी जेब दिखाते हुए कहा कि देश में आम आदमी की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है। यही राहुल गांधी थोड़े दिन पहले जब नॉर्थ ईस्ट में थे और एक पार्टी में 70 हजार रुपये की ब्रांडेड जैकेट पहने हुए नजर आए। मतलब साफ है कि राहुल गांधी सिर्फ नौटंकी में विश्वास करते हैं।
आलू की फैक्ट्री वाला बयान भूला नहीं जा सकता
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने बयान दिया था कि सत्ता में आने पर वो आलू किसानों के फायदे के लिए आलू की फैक्ट्री लगवा देंगे। अब बताइए जिस नेता को यह ही नहीं पता कि आलू जमीन में होता है, या पेड़ पर होता, या फिर कारखाने में बनता है, उससे आप देश के जमीनी मुद्दों की लड़ाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
गरीबी का भोजन से लेना-देना नहीं- राहुल
अगस्त, 2013 में राहुल ने इलाहाबाद के पंडित गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति है। इसका भोजन, रुपये या भौतिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने यहां तक कहा कि जब तक आदमी खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, उसकी गरीबी खत्म नहीं होगी।’
झूठ बोलने में माहिर हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन झूठ बोलना उनकी आदत में शुमार है। राहुल को लगता है कि झूठ का सहारा लेकर वो देश की जनता के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो जाएंगे। गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने महंगाई और महिला साक्षरता के झूठे आंकड़े पेश किए थे। गुजरात में ही उन्होंने केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन देने का आरोप लगा दिया था। इसी प्रकार रायबरेली के साथ केंद्र की तरफ से भेदभाव के झूठे आरोप लगाए। कई बार तो ऐसे झूठ बोलते हैं कि उनकी समझ पर तरस आती है। संसद में उनका यह तीसरा कार्यकाल है, लेकिन पिछले वर्ष सितंबर में जब वह अमेरिका गए थे तो वहां एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए सांसदों की संख्या ही 546 बता डाली।
एक कमजोर नेता को पीएम पद का उम्मीदवार कैसे कुबूल करेगी जनता
पूरा विश्लेषण यह समझाने के लिए काफी है कि राहुल गांधी जनता के बीच के नहीं, बल्कि जनता पर जबरन थोपे गए नेता हैं। इस देश के नागरिक प्रधानमंत्री पद एक ऐसे शख्स को देखना चाहते हैं, जिसका कोई विजन हो, देश को आगे ले जाने की संकल्प है, देश के मुद्दों की समझ हो और देश की समस्याओं को खत्म करने की ललक हो। इनमें से एक भी गुण राहुल गांधी के व्यक्तित्व में तो दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कब बड़े होंगे राहुल बाबा?