दिल्ली में हुए दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है, पुलिस की स्पेशल सेल ने पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के अध्यक्ष परवेज और सेक्रेटरी इलियास को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इलियास को दिल्ली के शिव विहार से गिरफ्तार किया है।
इसके साथ ही पीएफआई पर दिल्ली दंगों में शामिल होने का आरोप है, इससे पहले भी पीएफआई के लोग पकड़े जा चुके हैं। शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को लेकर फंडिंग के मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच पिछले काफी समय से जांच कर रही है।
पीएफआई ने दंगों में उपलब्ध कराया फंड और सामान
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) और प्रदर्शन निदेशालय के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम ने पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया संस्था से जुड़े मामले में बड़ी कार्रवाई की है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार हुए पीएफआई के अध्यक्ष परवेज और सेक्रेटरी इलियास पर दंगों में लोगों को फंड और आवश्यक सामान उपलब्ध कराने का आरोप है।
Delhi Police Special Cell has arrested Delhi Popular Front of India (PFI) President Parvez (pic1) and Secretary Illiyas (pic2), in connection with the alleged PFI-Shaheen Bagh link. #Delhi pic.twitter.com/iLx1M7P3xz
— ANI (@ANI) March 12, 2020
पीएफआइ के खिलाफ पहले से ही पीएमएलए के तहत जांच जारी है जो देश के विभिन्न हिस्सों में सीएए के खिलाफ हिंसक आंदोलन फैलाने में लिप्त था। उस पर 120 करोड़ रुपये देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों को बांटकर हिंसा फैलाने का आरोप है।
सीएए विरोध से लेकर हिंसा भड़काने में भी शामिल पीएफआई
इससे पहले उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने दानिश नाम के एक पीएफआई सदस्य को गिरफ्तार किया था। दानिश से पूछताछ में ये खुलासा हुआ कि प्रतिबंधित संगठन पीएफआई न केवल सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल था, बल्कि हिंसा भड़काने में भी उसकी अहम भूमिका रही।
गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 से 25 फरवरी के दौरान भारी हिंसा हुई थी, जिसमें 52 लोग मारे गए थे और करीब 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे। कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के लिए फंडिंग कराने का आरोप है।
दिल्ली में हुए दंगे एक सोची समझी साजिश थी जिसमें कुछ विशेष लोगों ने जनता को भड़काने और गुमराह करने का काम किया। आइए ऐसे ही कुछ बयानों और कृत्यों पर नजर डालते हैं-
दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन की भूमिका
अरविंद केजरीवाल की पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के ऐसे कई विडियो सामने आए जिनमें वो हथियार लेकर घूमते नजर आ रहे हैं। दंगे में मारे गए आईबी के कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा के भाई ने भी ताहिर हुसैन पर दंगे में शामिल होने का आरोप लगाया है, इसके साथ ही ताहिर हुसैन पर दंगाइयों को शह देने का आरोप भी है।
दंगाई चार लोगों को ताहिर के मकान ले गए और मारकर नाले में फेंक दिया
एक टीवी चैनल से अपनी बात कहते हुए अंकित शर्मा के भाई ने बताया कि मुस्लिम लोग जो सीएए-एनआरसी का विरोध कर रहे हैं, लोगों को मार रहे हैं, ये बहुत गलत कर रहे हैं। इन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। इन्होंने कई घरों का नाश कर दिया, इसमें एक घर हमारा भी बर्बाद हो गया।
“”400-500 MUHAMMDAN mere bete ko kheench ke le gaye” Mother of Ankit Sharma.
This is the cost of ur biriyani @anuragkashyap72 he is paying. Hope u enjoy ur drink tonight with joy??
pic.twitter.com/mTI3H3MMyR— Shash (@pokershash) February 26, 2020
अंकित के भाई के मुताबिक उनके भाई जब ड्यूटी से लौट रहे थे तब दंगाई गली के बाहर से उन्हें खींचकर ले गए। उन्होंने बताया कि दंगाईयों की भीड़ चार लोगों को ताहिर हुसैन के मकान में लेकर गई और उन्हें मारकर नाले में फेंक दिया।
Incredible. WSJ run by @murraymatt says BROTHER of Ankit Sharma told his reporters that Hindu mobs killed his Ankit.
HERE IS BROTHER OF ANKIT SHARAM ON INDIAN TV SAYING EXACT OPPOSITE. THAT TAHIR HUSSAIN GOONS KILLED HIS BROTHER.
Mind boggling fake news.pic.twitter.com/BICHIuWn5D
— Akhilesh Mishra (@amishra77) February 26, 2020
वीडियो में ताहिर खुद रॉड के साथ छत पर हैं मौजूद
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में उपद्रवियों ने तांडव मचाया और कई इलाकों में आगजनी, पत्थरबाजी, लूटपाट की घटनाएं सामने आई हैं। वहीं कुछ विडियो सामने आए हैं जिसमें ताहिर के घर से लगातार गोलीबारी हो रही है, पेट्रोल बम फेंके जा रहे हैं, वहां छत पर जमा लोग पत्थरबाजी कर रहे हैं।
Local residents in North East Delhi’s riot hit area of Chandbagh have blamed #AAP leader Tahir Hussain for violence. Video of his house where an organised mob from the roof is throwing stones, bricks and petrol bombs. Delhi Police still can’t make up their mind on arresting him. pic.twitter.com/pAX4HR482B
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 26, 2020
इसके साथ ही कई विडियोज में ताहिर खुद रॉड के साथ छत पर कुछ लोगों के साथ दिखाई दे रहा है।
Locals continue to send video evidence of AAP corporator Mohammed Tahir Hussain’ role in unleashing violence against Hindus…
This explains Kejriwal’s studied silence. He neither called his MLAs for a meeting nor did he ask maulvis, who his govt pays, to appeal for peace… pic.twitter.com/gB157ioriX
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 26, 2020
वहीं दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी आरोप लगाया है कि ताहिर हुसैन के गुंडों ने ही आईबी कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा की हत्या की है।
हत्यारा ताहिर हुसैन हैं
सिर्फ अंकित शर्मा नहीं चार लड़कों को घसीट कर ले गए उनमें से तीन की लाश मिल चुकी हैं
वीडियो में खुद ताहिर हुसैन नकाबपोश लड़को के साथ, लाठी, पत्थर, गोलियां, पेट्रोल बम लेकर दिख रहा हैं
ताहिर हुसैन लगातार केजरीवाल व AAP के नेताओं से बात कर रहा था
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) February 27, 2020
इंडिया टीवी की पड़ताल का ये वीडियो जरूर देखें-
भारतीय सेना के लिए असम का रास्ता रोकना होगा: शर्जील इमाम
शर्जील ने 16 जनवरी को एएमयू में सभा की। इस दौरान कहा था- क्या आप जानते हैं कि असमिया मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है? एनआरसी पहले से ही वहां लागू है, उन्हें हिरासत में रखा गया है। आगे चलकर हमें यह भी पता चल सकता है कि 6- 8 महीने में सभी बंगालियों को मार दिया गया। हिंदू हों या मुस्लिम। अगर हम असम की मदद करना चाहते हैं, तो हमें भारतीय सेना और अन्य आपूर्ति के लिए असम का रास्ता रोकना होगा।
दिल्ली में दंगा फैलाने वाले प्रोपेगंडा पत्रकारों को पहचानिए
दिल्ली में सीएए के विरोध में हुई हिंसा के बीच कई प्रोपेगंडा पत्रकार की भूमिका भी सवालों के घेरे में रहे। इन पक्षकारों ने सोशल मीडिया पर कुछ भड़काने वाले वीडियो शेयर किए। पक्षकार राणा अयूब ने लिखा कि ‘एक मस्जिद तोड़ दी गई है। लोग भगवा झंडे इस पर लहरा रहे हैं।’ इस वीडियो में दिख रहा है कि कुछ लोग मस्जिद के ऊपर चढ़कर उसपर लगे स्पीकर नीचे फेंक रहे हैं और उस पर कोई झंडा फहरा रहे हैं। अशोक नगर का यह मीडिया सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। हालांकि वीडियो पर सवाल उठाए जाने पर राणा अयूब ने शुरू में तो इसे डिलीट कर दिया, लेकिन कुछ देर बाद इसे फिर से पोस्ट किया।
‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने भी इस भड़काउ वीडियो अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर शेयर किया।
‘स्क्रॉल’ ने भी इसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया।
पक्षकार विनोद कापड़ी ने भी इस संवेदनशील वीडियो को शेयर कर लोगों को भड़काने की कोशिश की।
ये पत्रकार सीएए विरोध को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश में हैं।
AIMIM के नेताओं ने कई मौकों पर जहरीने बयान देकर देश को बांटने की कोशिश की है
ओवैसी के मंच से लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे
बेंगलुरु में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुई रैली में अमूल्या नाम की एक लड़की ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। इस रैली में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी थे। लड़की के ख़िलाफ़ देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। हालांकि AIMIM चीफ़ असदुद्दीन आवैसी ने सफाई देते हुए कहा कि उनका उस लड़की से कोई लेना-देना नहीं है, उसे किसी ने नहीं बुलाया था।
100 करोड़ पर भारी हैं 15 करोड़
AIMIM के नेता वारिस पठान ने कर्नाटक के गुलबर्गा में जनसभा को संबोधित करते हुए बेहद विवादित बयान देते हुए कहा कि हम 15 करोड़ हैं और 100 करोड़ लोगों पर भारी हैं। पूर्व विधायक वारिस पठान ने जहर उलगते हुए कहा कि हमने ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख लिया है। मगर हमको इकट्ठा होकर चलना पड़ेगा। आजादी लेनी पड़ेगी और जो चीज मांगने से नहीं मिलती है, उसको छीन लिया जाता है। हमको कहा जा रहा है कि हमने अपनी मां और बहनों को आगे भेज दिया है। हम कहते हैं कि अभी सिर्फ शेरनियां बाहर निकली हैं, तो आपके पसीने छूट गए। अगर हम सब साथ में आ गए, तो सोच लो क्या होगा। हम 15 करोड़ ही 100 करोड़ लोगों पर भारी हैं। यह बात याद रख लेना।
15 मिनट में हिंदुओं को खत्म करने की धमकी
इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई और एमआईएम के नेता व विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद के अदीलाबाद के निर्मल इलाके में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “अरे हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान हम 25 करोड़ हैं न, तुम 100 करोड़ हो न। तुम तो हमारे से इतने ज्यादा हो, 15 मिनट के लिये पुलिस को हटा लो, बता देंगे, किसमें कितनी हिम्मत है। एक सौ क्या, एक हजार क्या, एक करोड़ नामर्द मिलकर भी कोशिश कर लें तो एक को भी पैदा नहीं कर सकते। ये लोग हमसे मुकाबला नहीं कर सकते।”
‘हमारे पूर्वजों ने किया 800 सालों तक शासन’
जनवरी 2020 को विवादित बयान देते हुए असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि किसी को भी डरने और घबराने की जरूरत नहीं है, हमको इनकी बातों में आने की जरूरत नहीं है। जो लोग पूछ रहे हैं कि मुसलमान के पास क्या है, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि तू मेरे कागज देखना चाहता है। मैंने 800 बरस तक इस मुल्क में हुक्मरानी और जांबाजी की है। ये मुल्क मेरा था, मेरा है और मेरा रहेगा। मेरे अब्बा और दादा ने इस मुल्क को चारमीनार दिया, कुतुब मीनार दिया, जामा मस्जिद दिया। हिंदुस्तान का पीएम जिस लाल किले पर झंडा फहराता है उसे भी हमारे पूर्वजों ने ही दिया है।
आपको बताते हैं कांग्रेसियों ने कब-कब अपने फायदे के लिए हिंसा भड़काई-
कांग्रेसियों ने जामिया के छात्रों को भड़का कर हिंसा फैलाई
दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के बहाने कांंग्रेसी नेताओं शनिवार और रविवार को जामिया मिलिया विवि के छात्रों को भड़काने का काम किया। शनिवार की रैली में ही शायद इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई थी। ऐसा इसलिए, जामिया इलाके में आगजनी और हिंसा की वारदातों के बाद एक बार भी कांग्रेस की तरफ से शांति की अपील नहीं की गई, बल्कि भड़काऊ बयानों सो हिंसा को उकसाया गया। रविवार देर रात को जब जामिया समेत दूसरे विश्वविद्यालयों के छात्र आईटीओ के पुलिस मुख्यालय पर मौजूद थे, तो उनकी अगुवाई में कई कांग्रेसी नेता वहां थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी रात को हंगामा कर रहे छात्रों से मिलने पहुंचे। इतना ही नहीं रविवार की आधी रात को ही कांग्रेस प्रवक्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ जमकर जहर उगला। यानि कांग्रेस को कतई इसकी चिंता नहीं थी हंगामा कर रहे छात्रों को शांत किया जाए, बल्कि वो उन्हें भड़काने में लगी थी।
पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस ने आग लगाई
कांग्रेस पार्टी ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी की आड़ में पूर्वोत्तर के राज्यों में भी अपने मंसूबों को फैलाने का काम किया है। पिछले कई दिनों से पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंसा का माहौल है और इसके पीछे भी कांग्रेस का हाथ बताया जा रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषणों में पूर्वोत्तर की हिंसा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। जानकारी के मुताबिक हिंसा और आगजनी के खिलाफ गिरफ्तार किए गए लोगों में कई लोग एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े हुए हैं।
हिंसा और खौफ का खेल : कांग्रेस ने कराया लाखों करोड़ का नुकसान
पिछले वर्ष कांग्रेस पार्टी ने सितंबर के महीने में भारत बंद के दौरान हिंसा और लूट का खेल खेला था। इस दौरान जहानाबाद में एक बच्ची की जान चली गई तो कई जगहों पर ट्रेनों पर पथराव किए गए। लोगों की गाड़ियां तोड़ी गईं, किसानों को मारा गया और स्कूल बसों पर हमला किया गया। सरकारी संपत्ति के साथ निजी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। FICCI के एक अनुमान के अनुसार एक दिन के भारत बंद से 20 हजार करोड़ का नुकसान होता है। वर्ष 2018 में कांग्रेस और विरोधी दलों ने सितंबर महीने तक पांच बार भारत बंद बुलाया है। एक बंद में 20 हजार करोड़ के नुकसान के हिसाब से अब तक एक लाख करोड़ का नुकसान हुआ जाहिर है यह किसी राजनीतिक दल का नहीं बल्कि देश का नुकसान हुआ है।
मूर्ति तोड़ने वालों के कांग्रेस कनेक्शन का हुआ पर्दाफाश
त्रिपुरा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद देश में कई जगहों पर महापुरुषों की मूर्ति तोड़ने की घटनाएं सामने आईं। इसका एक पहलू ये है कि जितनी भी घटनाएं हो रही हैं वह भाजपा शासित राज्यों में हो रही हैं। इन घटनाओं को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस ट्वीट से भी समझा जा सकता है।
जिस कांग्रेस ने बाबा साहेब को भारत रत्न नहीं दिया वह आज बाबासाहेब अम्बेडकर को अपना बता रही है। हकीकत तो ये है कि मूर्ति तोड़ने वाले जितने भी पकड़ा रहे हैं उनके कांग्रेस या विपक्ष से कनेक्शन सामने आ रहा है। आजमगढ़ में बाबा साहेब की जो मूर्ति तोड़ने वाला बसपा का एक दलित है, जो मूर्ति वाली जमीन पर कब्जा करना चाहता था। राजस्थान के अकरोला में गांधी जी की मूर्ति तोड़ने वाले तीनों आरोपी कांग्रेस के सदस्य हैं।
हिंदू देवी-देवताओं का सरेआम अपमान कर रहे कांग्रेसी
02 अप्रैल को दलित आंदोलन के दौरान जिस तरीके से हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया वह देश में आग लगाने की मंशा से ही किया गया। मध्य प्रदेश में हनुमान जी का जो अपमान किया गया था, वह ईसाई मिशनरियों से ताल्लुक रखते थे और तमिलनाडु में जिन 2 लोगों को शिवलिंग पर पैर रखने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है जिसका नाम सद्दाम और सईद है। जाहिर है कि इसके पीछे भी कांग्रेस का ही हाथ है।
मंदसौर में किसानों को भड़काने में कांग्रेस का हाथ
मध्य प्रदेश के मंदसौर में जून, 2017 को जब मंदसौर में किसानों का आंदोलन चल रहा था। इसकी आगुआई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद कर रहे थे। कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं ने किसानों को इतना भड़काया कि छह लोगों की जान चली गई। एक सच्चाई ये है कि राहुल गांधी आंदोलन को बीच में ही छोड़कर विदेश भाग गए।
सहारनपुर में जातीय तनाव फैलाने की कांग्रेसी साजिश
फरवरी, 2017 के विधानसभा चुनाव में सामाजिक समरसता की मिसाल बने यूपी में अप्रैल 2017 में आग लगाने की कोशिश की गई। सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों को आमने-सामने लाने की कोशिश की गई। मामले की जांच हुई तो पता लगा कि हिंसा फैलाने वाली ‘भीम आर्मी’ कांग्रेस के नेताओं के सहयोग से खड़ा हुआ संगठन है। इसमें कांग्रेस के कई स्थानीय नेताओं के हाथ भी सामने आए।
सर्वसमाज की समरसता पसंद नहीं करती कांग्रेस
दरअसल, आजादी के 70 वर्षो बाद पहली बार ऐसा लग रहा है कि पूरे देश का बहुसंख्यक समाज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जातीय बेड़ियां तोड़कर एकता के गठबंधन में बंधकर एकता के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है। समाज एकता के सूत्र में बंधकर विकास के रास्ते चलना चाहता है। लेकिन कांग्रेस को शायद ये एकता पसंद नहीं आ रही।